अन्नपूर्णा दूध योजना राजस्थान | Annapurna Milk Scheme Rajasthan

राजस्थान में सरकार द्वारा कुपोषण को लेकर काफी सजगता से योजनाएं शुरू की गई है। राजस्थान सरकार का अथक प्रयास जारी है कि राज्य में कोई भी शिशु कुपोषण का शिकार ना हो। इसके लिए सरकार ने स्कूली छात्रों को “अन्नपूर्णा दूध योजना” के तहत दूध वितरण करना सुनिश्चित किया गया है। सरकार द्वारा पहले से ही मिड डे मील के जरिए स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन  दिया जा रहा है। मिड डे मील के भोजन के दौरान, सप्ताह में छह दिन दोपहर का भोजन दिया जाता है। अब दूध योजना के तहत सप्ताह में तीन दिन दूध वितरण किया जाएगा।

आइए जानते हैं राजस्थान सरकार द्वारा अन्नपूर्णा दूध योजना के अंतर्गत बच्चों को दूध कैसे वितरण किया जाता है?  दूध की गुणवत्ता जांच हेतु सरकार कौन से कदम उठाती है? संपूर्ण विवरण जानने के लिए लेख को ध्यानपूर्वक पढ़ते रहिए

अन्नपूर्णा दूध योजना का उद्देश्य तथा लाभ

Objective and Benefits of Annapurna Milk Scheme:- राजस्थान सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों में दुग्ध योजना के तहत बच्चों को सप्ताह में 3 दिन 100ml गर्म दूध पिलाया जायेगा। योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक तत्वों की भरपूर पूर्ति करना हैं। साथ ही इस योजना से बच्चों के नामांकन, उपस्थिति में वृद्धि, ड्रॉप आउट को रोकना व बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि करना है।

बच्चों को दूध पिलाने से पहले सरकार द्वारा दूध की गहनता से जांच  की जाती है। नियमानुसार दूध के प्रति 100 मिली में प्रोटीन-3.2 ग्राम, वसा  3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 4.6 ग्राम होना आवश्यक है। दूध की उचित मात्रा तथा गुणवत्ता की जांच लेक्टोमीटर से की जाएगी। 

See also  चिरंजीवी योजना हॉस्पिटल लिस्ट बाड़मेर | Chiranjeevi Yojana Hospital list Barmer

बच्चों को दूध पिलाने में किसी तरह की लापरवाही को अंजाम नहीं दिया जा सके इसके लिए सरकार ने उचित प्रबंध करते हुए रोज एक अध्यापक, एक अभिभावक व स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य द्वारा पोषाहार तथा दूध को चखा जाना  अनिवार्य किया है।

दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के खाद्य सुरक्षा अधिकारी व सहकारी डेयरी के अधिकारियों से नियमित जांच करवाना जरूरी होगा।

राजस्थान अन्नपूर्णा दूध योजना के लाभ निम्न प्रकार से हैं :-

राजस्थान अन्नपूर्णा दूध योजना के तहत, सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को 100 से 150 मिलीलीटर तक दूध दिया जाएगा।

कक्षा 6 से 8 के छात्रों को 200 एमएल स्कूलों में दूध वितरण किया जाएगा।

छोटे बच्चों को मिड डे मील के भोजन के अंतर्गत, सप्ताह में छह दिन दोपहर का भोजन दिया जाता है। इस योजना के तहत दूध सप्ताह में तीन दिन दिया जाएगा।

शहरी इलाकों में, गर्म दूध सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को और ग्रामीण क्षेत्रों में, मंगलवार, गुरुवार और शनिवार या शहरी क्षेत्रों के समानवितरण किया जाएगा।

स्कूलों द्वारा दूध खरीदने हेतु नियम एवं शर्तें

Terms and conditions for purchase of milk:- दूध की उपलब्धता स्कूल प्रबंधन समिति की ओर से की जायगी। पंचायत क्षेत्र में स्थित पंजीकृत, मान्यता प्राप्त महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों से दूध खरीदा जाएगा।

पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों व सरस डेयरी से दूध खरीद की प्राथमिकता रहेगी।

शहरी क्षेत्र में स्कूल प्रबंधन समिति उच्च गुणवत्तापूर्ण पाश्च्यूरीकृत टोंड मिल्क सरस डेयरी बूथ से खरीदना अनिवार्य रखा गया हैं।

दूध योजना से संबंधित शिकायत हेतु संपर्क सूत्र

complaint no. related to milk scheme:- राजस्थान सरकार ने सरकारी स्कूलों में दुग्ध योजना को किसी भी लापरवाही से होने वाले नुकसान से बचने के लिए, शिकायत तथा समाधान हेतु हेल्पलाइन नंबर 0141-2711964 जारी किए हैं। योजना से संबंधित किसी भी शिकायत तथा समाधान के लिए अभिभावक या शिक्षक राजस्थान सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।

See also  मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृति योजना राजस्थान ऑनलाइन आवेदन | Mukhyamantri Ucch Shiksha Scholarship Scheme 2023

 FAQ’s  Annapurna Milk Scheme Rajasthan

Q.  अन्नपूर्णा दूध योजना क्या है?

Ans.  राजस्थान सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छोटे बच्चों को सप्ताह में 3 दिन दूध पिलाने की  सक्रिय योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत छोटे बच्चों को सप्ताह में 3 दिन 100ml गर्म दूध वितरण किया जाएगा। इस योजना को अन्नपूर्णा दूध योजना का नाम दिया गया है।

Q.  अन्नपूर्णा दूध योजना के अंतर्गत दूध की गुणवत्ता जांच कैसे होती है?

Ans.  राजस्थान सरकार द्वारा दूध की उचित गुणवत्ता बनाए रखने हेतु उचित जांच प्रणाली को सक्रिय तथा अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। नियमानुसार दूध के प्रति 100 मिली में प्रोटीन-3.2 ग्राम, वसा 3 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 4.6 ग्राम होना आवश्यक है। दूध की उचित मात्रा तथा गुणवत्ता की जांच लेक्टोमीटर से की जाएगी। बच्चों को दूध पिलाने से पहले  विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा अभिभावक और स्कूल समिति के अध्यक्ष द्वारा दूध को पहले चखा जाएगा। संतुष्टि होने के तत्पश्चात ही बच्चों को दूध वितरण किया जाएगा।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja