सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय | Savitribai Phule Biography in Hindi (शिक्षा, कविता, रोचक तथ्य, इतिहास)

Savitribai Phule Biography in Hindi

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय | Savitribai Phule Biography in Hindi:– सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले एक प्रमुख भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद् और कवि थीं, जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय की कुछ साक्षर महिलाओं में गिनी जाने वाली सावित्रीबाई को अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ पुणे में भिडे वाडा में पहला बालिका विद्यालय स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। 1 साल में पांच विद्यालय खोलने के कारण पूरे फुले परिवार को सम्मानित किया गया था। इन्होंने समाज को सुधारने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने बाल विधवाओं को शिक्षित करने और उनकी मुक्ति के लिए बहुत प्रयास किए। वहीं बाल विवाह और सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की। महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन की एक अग्रणी हस्ती, उन्हें बीआर अंबेडकर और अन्नाभाऊ साठे जैसे लोगों के साथ दलित मांग जाति का प्रतीक माना जाता है।

उन्होंने छुआछूत के खिलाफ अभियान चलाया और जाति और लिंग आधारित भेदभाव को खत्म करने में सक्रिय रूप से काम किया। सन 1854 में महिलाओं की स्थिति काफी खराब थी क्योंकि उस समय समाज में विधवा एवं बाल बहुएं घर से बेघर हो चुकी थी और इस बेघर महिलाओं के लिए सावित्रीबाई फुले ने आश्रम व्यवस्था कर दी थी। जिसमें सभी को समान भाव से पढ़ाती -लिखती थी।

सावित्रीबाई फुले का जीवनी -Overview

समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए इनके जन्म दिन को प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी को जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको Savitribai Phule Biography in Hindi पेश करने जा रहे है, जिसमें आपको उनके बारे में विस्तार से बताया जाएगा। इस लेख में कई बिंदूओं को जोड़कर तैयार किया है जैसे कि माता सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय – सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय | Savitribai Phule Biography in Hindi Overview, सावित्रीबाई फुले जीवनी | Savitribai Phule Biography in Hindi ] सावित्रीबाई फुले का इतिहास – सावित्रीबाई फुले का जन्म और प्रारंभिक जीवन | Savitribai Phule Early Life सावित्रीबाई फुले की शिक्षा- सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय- सावित्रीबाई फुले के सामाजिक सुधार, Savitri Bai Phule Information in Hindi (महिला विद्यालय की स्थापना, माता सावित्रीबाई फुले का  महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में भूमिका, सावित्रीबाई फुले की कविता और कृतित्व, सावित्रीबाई फुले के बारे में रोचक तथ्य, सावित्रीबाई फुले का निधन) Savitribai Phule Quotes, Savitribai Phule Slogan, Savitribai Phule Images

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सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय (Savitribai Phule Wikibio in Hindi)

सावित्रीबाई फुले  एक प्रमुख भारतीय सामाजिक सुधारक एवं कवियत्री थी। जिन्होंने महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सावित्रीबाई फुले के महिला शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले जयंती मनाई जाती है। ऐसे में हम में से कई लोग सावित्रीबाई फुले संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो आईए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से Savitribai Phule biography in Hindi, सावित्रीबाई फुले का इतिहास,सावित्रीबाई फुले का जन्म और प्रारंभिक जीवन,सावित्रीबाई फुले की शिक्षा,सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय,सावित्रीबाई फुले के सामाजिक सुधार, Savitribai phule information in hindi, महिला विद्यालय की स्थापना,माता सावित्रीबाई फुले का महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में भूमिका,सावित्रीबाई फुले की कविता और कृतित्व,सावित्रीबाई फुले के बारे में रोचक तथ्य, सावित्रीबाई फुले का निधन, Savitribai Phule Quotes,savitribai Phule Slogan, Savitribai Phule image संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान की जाएगी इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

Savitribai Phule Biography in Hindi

सावित्रीबाई फुले जीवनी | Savitribai Phule Biography in Hindi

नामसावित्री बाई फुले
जन्म 3 जनवरी 1831
जन्म स्थानमहाराष्ट्र राज्य के सतारा जिले में
कार्यक्षेत्रसमाज सेवक
पिता का नामखांडोजी नेवेशे पाटिल
माता का नामलक्ष्मी
पति का नामज्योतिबा फुले 
संतान का नामसंतान नहीं थे (यशवंतराव को गोद लिए थे)
जातिमाली 
मृत्यु10 मार्च 1897

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सावित्रीबाई फुले का इतिहास (Savitribai Phule History)

Savitribai Phule History:- महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में एक दलित परिवार में 3 जनवरी 1831 को जन्‍मी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी। इन्‍हें बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के ठेकेदारों से पत्थर भी खाने पड़े।आजादी के पहले तक भारत में महिलाओं की गिनती दोयम दर्जे में होती थी। आज की तरह उन्‍हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। वहीं अगर बात 18वीं सदी की करें तो उस समय महिलाओं का स्कूल जाना भी पाप समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। वह जब स्कूल पढ़ने जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे। इस सब के बावजूद वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकीं और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा का हक दिलाया।

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उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी।

सावित्रीबाई फुले का जन्म और प्रारंभिक जीवन (Savitribai Phule Early Life) 

सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी, 1831 को ब्रिटिश भारत के नायगांव (वर्तमान में सतारा जिले में) में एक किसान परिवार में खंडोजी नेवेशे पाटिल और लक्ष्मी उनकी सबसे बड़ी बेटी के रूप में हुआ था। उन दिनों लड़कियों की शादी जल्दी कर दी जाती थी, इसलिए प्रचलित रीति-रिवाजों का पालन करते हुए, 1840 में नौ साल की सावित्रीबाई की शादी 12 साल के ज्योतिराव फुले से कर दी गई। ज्योतिराव एक विचारक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता और जाति-विरोधी समाज सुधारक बन गए। उन्हें महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन के अग्रणी व्यक्तियों में गिना जाता है। सावित्रीबाई की शिक्षा उनकी शादी के बाद शुरू हुई। यह उनके पति ही थे जिन्होंने उनकी सीखने और खुद को शिक्षित करने की उत्सुकता को देखकर उन्हें पढ़ना और लिखना सिखाया।

उन्होंने एक सामान्य स्कूल से तीसरे और चौथे वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें पढ़ाने का शौक हो गया। उन्होंने अहमदनगर में सुश्री फ़रार इंस्टीट्यूशन में प्रशिक्षण लिया। ज्योतिराव अपने सभी सामाजिक प्रयासों में सावित्रीबाई के पक्ष में मजबूती से खड़े रहे।

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सावित्रीबाई फुले की शिक्षा (Savitribai Phule Education)

अपने विवाह के समय, सावित्रीबाई अशिक्षित थीं। ज्योतिराव ने सावित्रीबाई को अपने घर पर ही शिक्षा दी। ज्योतिराव के साथ अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उनकी आगे की शिक्षा उनके दोस्तों सखाराम यशवंत परांजपे और केशव शिवराम भावलकर की जिम्मेदारी थी। उन्होंने दो शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी अपना नामांकन कराया। पहला अहमदनगर में एक अमेरिकी मिशनरी सिंथिया फर्रार द्वारा संचालित एक संस्थान में था। दूसरा कोर्स पुणे के एक सामान्य स्कूल में था। उनके प्रशिक्षण को देखते हुए, सावित्रीबाई पहली भारतीय महिला शिक्षक और प्रधानाध्यापक हो सकती हैं। सावित्रीबाई की जन्मतिथि, यानी 3 जनवरी, पूरे महाराष्ट्र में बालिका दिवस के रूप में मनाई जाती है, खासकर लड़कियों के स्कूलों में।

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय Savitribai Phule (Jivani Hindi Me)

सावित्रीबाई फुले एक महाराष्ट्रीयन कवयित्री, शिक्षिका और समाज सुधारक थीं। उन्होंने और उनके पति ने महाराष्ट्र और भारत में महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें भारत में नारीवादी आंदोलन की स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है। पुणे में भिडे वाडा के पास, सावित्रीबाई और उनके पति ने 1848 में पहले आधुनिक भारतीय लड़कियों के स्कूलों में से एक की स्थापना की। उन्होंने जाति और लिंग पूर्वाग्रह और व्यक्तियों के अनुचित व्यवहार को दूर करने के लिए अभियान चलाया।

सावित्रीबाई फुले के सामाजिक सुधार

सावित्रीबाई फुले के द्वारा निम्नलिखित सामाजिक सुधार कार्य किया गया था:-

  • महिलाओं, दलित, आदिवासी और पिछड़े हुए लोगों की शिक्षा में इनका महत्वपूर्ण योगदान था। 
  • विधवा विवाह पर उस समय नहीं होता था, उसे समय सती प्रथा काफी प्रचलित था। इस कारण ज्यादातर महिलाओं का जीवन यापन कष्ट में व्यतीत होता था और समाज में उनको लोग देखना तक पसंद नहीं करते थे। सावित्री बाई फुले ने विधवा विवाह करवाने पर ज़ोर दिया।
  • इन्होंने समाज के विरोध जाकर उन्होंने कई “विधवा विवाह” करवाएं।
  • उस समय समाज में छुआछूत एक बड़ी समस्या बन गई थी इस समस्या को दूर करने के लिए समाज को जागरूक करने का जिम्मेदारी सावित्रीबाई फुले ने उठाया।
  • उसे समय जातिगत आधार पर काफी भेदभाव होते थे तथा इस भेदभाव को दूर करने के लिए इन्होंने काफी प्रयास किए। इस कार्य के लिए इनको कई लोगों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन अपने कर्तव्य एवं अपने लक्ष्य पीछे नहीं हटी।
  • फूल परिवार ने सन 1852 तक तीन बालिका विद्यालय प्रारंभ कर दिए थे। इनके इस प्रकार के कार्यों के लिए पूरे पहले परिवार को ब्रिटिश सरकार के द्वारा 16 नवंबर को सम्मानित किया गया था।
  • सन 1852 में Savitribai Phule को सर्वश्रे्ठ शिक्षिका के सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • सावित्रीबाई फुले ने सन 1855 में कृषक और मजदूरों के लिए एक रात्रि कालीन विद्यालय की स्थापना की।
  • 18 वीं शताब्दी में एक प्रथा का प्रचलन था जिसके अंतर्गत यदि कोई महिला विधवा हो जाती है तो उसके बाल काट दिए जाते थे। यह प्रथा समाज में काफी गंभीर रूप ले रही थी। सावित्रीबाई फुले ने इस प्रथा के खिलाफ आंदोलन शुरू की थी जिनमें इनको सफलता प्राप्त हुई थी।
  • महिलाओं की मुक्ति के साथ साथ दलित और आदिवासी महिलाओं की शिक्षा का स्तर काफी खराब था। महिला शिक्षा पर कई तरह के सामाजिक प्रतिबंध लगे हुए थे। जिन्हें दूर करने में इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लगा दी।
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Savitri Bai Phule Information in Hindi

सावित्रीबाई फुले संबंधित जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लाइन बाई लाइन वाक्य को ध्यानपूर्वक पढ़े:-

  • सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।
  • सावित्रीबाई के पिताजी का नाम खांडोजी नेवेशे पाटिल और माता जी का नाम लक्ष्मी था।
  • सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थी।
  • सावित्रीबाई फुले ने सन 1840 में ज्योतिराव फुले से शादी कर लिया था।
  • सावित्रीबाई फुले ने बालिकाओं के लिए सन 1852 में एक विद्यालय की स्थापना की थी।
  • सावित्रीबाई फुले ने अपना संपूर्ण जीवन छात्राओ के शिक्षा सुधार में लगा दी थी।
  • सावित्रीबाई फुले का निधन 10 मार्च 1897 को हो गया था।

महिला विद्यालय की स्थापना (Establishment of Women’s School)

सावित्रीबाई फुले ने देश में पहली बार एवं सबसे पहला कन्या विद्यालय सन 1848 में का स्थापना की थी जो पुणे में स्थित था। इन्होंने विद्यालय की स्थापना अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों के छात्राओ के लिए की थी। इसके बाद सिर्फ एक वर्ष के अंदर ही सावित्रीबाई फुले ने पांच विद्यालयों का स्थापना कर दी थी। 1851 में के रास्ता पेठ, 15 मार्च 1952 में बताल पेठ, मैं लड़कियों के लिए स्कूल खोला गया था। महिला सशक्तिकरण के कार्य को करने के दौरान कई प्रकार के समस्याओं सामना करना पड़ा। महिलाओं अधिकारों के लिए आवाज उठाने पर कीचड़ फेक जाते थे।

माता सावित्रीबाई फुले का महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में भूमिका

सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा के महत्व को उस समय पहचाना जब इसे प्रोत्साहित नहीं किया गया था और इसे बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया। वह महिलाओं की शिक्षा की प्रबल समर्थक थीं और उनका मानना था कि यह उनके सशक्तिकरण की कुंजी है।

सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर 1848 में भारत के पुणे में लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया था। यह स्कूल सभी जातियों और समुदायों की लड़कियों के लिए खुला था और इसका उद्देश्य उन लोगों को शिक्षा प्रदान करना था जिन्हें इससे वंचित रखा गया था। . सावित्रीबाई को समाज के रूढ़िवादी वर्गों से कई चुनौतियों और विरोध का सामना करना पड़ा, जो मानते थे कि महिलाओं के लिए शिक्षा आवश्यक नहीं थी।

सावित्रीबाई ने भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं पर होने वाले अत्याचार को पहचाना और उनकी मुक्ति की दिशा में काम किया। सावित्रीबाई फुले के लेखन और भाषणों ने महिलाओं के संघर्षों की ओर ध्यान आकर्षित किया और भारत में महिला सशक्तिकरण आंदोलन के लिए उत्प्रेरक साबित हुए।

महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण में सावित्रीबाई फुले के योगदान को भारत में व्यापक रूप से मान्यता दी गई है। आज भी, सावित्रीबाई फुले को साहस, दृढ़ संकल्प और लचीलेपन के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उनकी उल्लेखनीय विरासत न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है।

सावित्रीबाई फुले की कविता और कृतित्व

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर मराठी भाषा में कई किताबें और पर्चे लिखे। उनके कुछ उल्लेखनीय कार्यों में शामिल हैं:

  • काव्य फुले (कविताओं का संग्रह)
  • बावन काशी सुबोध रत्नाकर (एक लोकप्रिय मराठी व्याकरण पुस्तक पर एक टिप्पणी)
  • अनर्थ दांडेकर (एक व्यंग्य नाटक)
  • गो विद्या (शिक्षा के महत्व पर एक पुस्तिका)
  • शिक्षा-दीनी (छोटे बच्चों के लिए शिक्षा पर एक प्राइमर)
  • बालिका शिक्षा (लड़कियों की शिक्षा पर एक पुस्तक)
  • क्रुमिपर्यटन (कीड़ों के जीवन चक्र पर एक पुस्तक)


ये कार्य शिक्षा और सामाजिक सुधार के प्रति उनकी मजबूत प्रतिबद्धता और समाज में बदलाव लाने के लिए साहित्य और भाषा की शक्ति में उनके विश्वास को दर्शाते हैं।

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सावित्रीबाई फुले के बारे में रोचक तथ्य (interesting Fact)

  • सावित्री बाई का जन्‍म 3 जनवरी 1831 को दलित परिवार में हुआ था।
  • सावित्रीबाई का विवाह सिर्फ 9 साल की उम्र में 13 साल के ज्‍योतिबा फुले से हो गया था।  
  • सावित्रीबाई फुले बाल विवाह का विरोध तो नहीं कर सकी लेकिन अपने क्रांतिकारी पति ज्‍योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए कई कदम उठाएं। उन्‍होंने लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोलें। जिसमें से पहला और 18वां स्‍कूल पुणे में खोला था।
  • सावित्रीबाई फुले असामाजिक और बुरी रीतियों के खिलाफ अपने पति के साथ मिलकर आवाज उठाई। समाज में चल रही छुआछूत, सती प्रथा, बाल-विवाह, और विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के  विरूद्ध काम किया। 
  • सावित्री बाई फुले हमारे देश की पहली महिला शिक्षक-नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थीं।
  • गांव में छुआ-छुत के कारण लोग काफी परेशान थे क्योंकि इनको पानी नहीं मिल पाता ऐसे में सावित्री बाई फुले ने अपने घर का कुआं खोल दिया था।
  • 1897 में पुणे में प्लेग नामक बीमारी फैली लेकिन वह लोगों की सेवा करती रही है। ऐसे में सावित्री बाई भी इसकी चपेट में आग गई और 10 मार्च का उनका निधन हो गया।  

सावित्रीबाई फुले का निधन (Savitribai Phule Death)

10 मार्च, 1897 को 66 वर्ष की आयु में सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया। उनकी मृत्यु बुबोनिक प्लेग से हुई, जो उस समय एक व्यापक महामारी थी। उनकी मृत्यु भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति थी, क्योंकि वह शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए एक सक्रिय और समर्पित वकील थीं।

Savitribai Phule Quotes (कोट्स)

आखिर कब तक तुम अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सहन करोगी। देश बदल रहा है, इस बदलाव में हमें भी बदलना होगा। शिक्षा का द्वार जो पितृसत्तात्मक विचार ने बंद किया है, उसे खोलना होगा।

स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो, शिक्षा ही इंसानों का सच्चा आभूषण है।

स्त्रियां सिर्फ रसोई और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है, वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।

पत्थर को सिंदूर लगाकर और तेल में डुबोकर जिसे देवता समझा जाता है, वह असल मे पत्थर ही होता है।

तुम गाय, बकरी को सहलाते हो, नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाते हो, लेकिन दलितों को तुम इंसान नहीं, अछूत मानते हो।

अपनी बेटी के विवाह से पहले उसे शिक्षित बनाओ, ताकि वह आसानी से अच्छे-बुरे का फर्क कर सके।

किसी समाज या देश की प्रगति तब तक असंभव हैं, जब तक वहां की महिलाएं शिक्षित ना हों।

Savitribai Phule Slogan (सावित्रीबाई फुले स्लोगन)

शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलती है, खुद को जानने का अवसर देती है।

कोई तुम्हें कमजोर समझे, इससे पहले तुम्हे शिक्षा के महत्व को समझना होगा।

अज्ञानता को तुम धर दबोचो, मज़बूती से पकड़कर पीटो और उसे अपने जीवन से भगा दो।

इस धरती पर ब्राह्मणों ने स्वयं को स्वघोषित देवता बना लिया है।

एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है, इसलिए उनको भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।

ज्ञान वह कुंजी है जो अज्ञानता के दरवाजे खोलती है।”

शिक्षा के माध्यम से पीड़ितों को सशक्त बनाओ, वंचितों का उत्थान करो।”

Savitribai Phule Images

हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सावित्रीबाई इमेज उपलब्ध कराएंगे जिस पर आप लोग क्लिक करके सावित्रीबाई इमेज को प्राप्त कर सकेंगे।

Conclusion:

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल Savitribai Phule biography in Hindi संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान की गई है जो आप लोगों को काफी पसंद आया होगा ऐसे में आप हमारे आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न एवं सुझाव है तो आप लोग हमारे कमेंट बॉक्स में आकर अपने प्रश्नों को पूछ सकते हैं हम आपके प्रश्नों का जवाब जरूर देंगे।

FAQ’s: Savitribai Phule biography in Hindi

Q.सावित्रीबाई फुले का जन्म कब हुआ था?

Ans.सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।

Q.भारत की पहली महिला शिक्षक कौन थी?

Ans.भारत की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले थी।

Q.भारत में पहली बार लड़कियों के लिए स्कूल का स्थापना किसने किया था?

Ans.भारत में पहली बार लड़कियों के लिए स्कूल का स्थापना 1 जनवरी 1848 को सावित्रीबाई फुले एवं महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा हुआ था।

Q.प्रथम बालिका विद्यालय कब और कहां खुला था?

Ans.प्रथम बालिका विद्यालय 1848 में पुणे के भिड़ेवाड़ी इलाके में खुला था।

Q.सावित्रीबाई फुले जयंती कब मनाई जाती है?

Ans.सावित्रीबाई फुले जयंती प्रत्येक वर्ष 3 जनवरी को मनाई जाती है।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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