मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand Biography in Hindi) हिंदी साहित्य के क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद की गिनती सबसे साहित्यकारों में की जाती है उनके द्वारा रचित रचना समाज को एक सही दिशा देने का काम करते हैं। हम आपको बता दें कि मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी गई कहानी और उपन्यास पृष्ठभूमि आम लोगों के जीवन में घटित होने वाली घटना से संबंधित होती हैं। मुंशी प्रेमचंद की कलम ने समाज के सभी विषयों पर अपनी कलम चलाई थी और उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास और कहानी का विषय हमारे जीवन से संबंधित थे | हिंदी साहित्य में 1918 से लेकर 1936 का समय प्रेमचंद युग के नाम से जाना जाता हैं। मुंशी प्रेमचंद एक मशहूर उपन्यासकार कहानीकार और विचारक थे। उन्होंने कुल मिलाकर डेढ़ दर्जन उपन्यास और 300 कहानी लिखी थी |
ऐसे महान व्यक्तित्व के जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता हर एक भारतीय के मन में रहती है कि आखिर में मुंशी प्रेमचंद कौन थे? प्रारंभिक जीवन’ शिक्षा ‘परिवार साहित्यिक करियर ‘प्रमुख रचनाएं’ विवाह मृत्यु इत्यादि के बारे में अगर आप कुछ नहीं जानते हैं तो आज के आर्टिकल में हम आपको Munshi Premchand Jeevan Parichay के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाएंगे आपसे अनुरोध है कि आर्टिकल पर बने रहे हैं चलिए जानते हैं:-
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय हिंदी में | Munshi Premchand ji ka Jeevan Parichay- Overview
नाम | मुंशी प्रेमचंद |
बचपन का नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
उर्दू रचनाओं में नाम | नबाबराय |
जन्म | 31 जुलाई, 1880 |
जन्मस्थान | लमही ग्राम, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, 1936 |
पेशा | लेखक, अध्यापक, पत्रकार |
माता | आनंदी देवी |
पिता | अजायब राय |
पत्नी | शिवारानी देवी (1906-1938) |
पुत्र | अमृतराय, श्रीपथराय |
पुत्री | कमला देवी |
प्रमुख रचनाएँ | सेवासदन, निर्मला, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान; कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी; मानसरोवर: नमक का दारोगा, पूस की रात, बड़े भाई साहब, मंत्र |
भाषा | उर्दू, हिन्दी |
शैली | वर्णनात्मक, व्यंग्यात्मक, भावात्मक तथा विवेचनात्मक |
साहित्य काल | आधुनिक काल |
विधाएं | कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध |
साहित्य में स्थान | आधुनिक काल के सर्वोच्च उपन्यासकार एवं कहानीकार |
सम्पादन | माधुरी, मर्यादा, हंस, जागरण |
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मुंशी प्रेमचंद का शुरुआती जीवन (Munshi Premchand Early Life)
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश, वाराणसी के लमही गांव में हुआ था हम आपको बता देंगे इनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था जब उनकी उम्र 6 साल की थी उनके मन का देहांत हो गया उसके बाद उनके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली और उनकी सौतेली मां उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी इसके बावजूद भी मुंशी प्रेमचंद अपना अधिकांश में पढ़ाई में व्यतीत करते थे और उन्हें बचपन में किताबें पढ़ने का बहुत ज्यादा शौक था इसलिए मुंशी प्रेमचंद ने एक किताब की दुकान में काम कर लिया जहां पर उन्हें किताबें पढ़ने के साथ-साथ पैसे भी मिला करते थे |
मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा (Munshi Premchand Education)
बाल अवस्था में मुंशी प्रेमचंद को काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा था इसके बावजूद भी होगा लगातार अपनी शिक्षा पर ध्यान देते थ सन् 1898 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद इन्होंने एक स्थानीय स्कूल में शिक्षक का काम करना शुरू किया जहां परिवार बच्चों को पढ़ाई करते थे और अपनी शिक्षा भी इसी दौरान उन्होंने पूरी की 1910 में उन्होंने 12वीं की परीक्षा प्राप्त कर ली और उसके बाद मुंशी जी ने फारसी, इतिहास और अंग्रेज़ी विषयों के क्षेत्र में उन्होंने 1919 में बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्हें शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर का पद मिल गया लेकिन 1921 में गांधी जी के द्वारा संचालित असहयोग आंदोलन के कारण उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी |
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मुंशी प्रेमचंद के बारे में व्यक्तिगत जानकारी
पूरा नाम | धनपत राय श्रीवास्तव |
किस नाम से प्रसिद्ध थे | नवाब राय, मुंशी प्रेमचंद |
जन्म | 31 जुलाई, 1880 |
जन्म स्थान | लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | अजायब राय |
पिता क्या करते थे | पोस्ट ऑफिस क्लर्क |
माता का नाम | आनंदी देवी |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, 1936, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य में किस कालखंड के रचयिता माने जाते हैं | आधुनिक काल |
भाषा | हिन्दी व उर्दू |
मुंशी प्रेमचंद का परिवार (Munshi Premchand Family)
पिता का नाम | अजायब राय |
माता का नाम | आनंदी देवी |
पत्नी का नाम | शिवरानी देवी |
बच्चों का नाम | श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी श्रीवास्तव थे। |
मुंशी प्रेमचंद का विवाह (Munshi Premchand’s Marriage)
15 साल की उम्र में मुंशी प्रेमचंद ने शादी किया लेकिन शादी के बाद उनका वैवाहिक जीवन काफी असफल साबित हुआ उनकी पत्नी काफी झगड़ालू स्वभाव के लिए जिसके कारण उनके वैवाहिक जीवन में हमेशा लड़ाई झगड़ा हुआ करते थे जिसके कारण मुंशी प्रेमचंद ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और उसके बाद उन्होंने एक विधवा औरत से शादी की जिनका नाम शिवरानी देवी हैं। विवाह के उपरान्त उन्हें तीन संतानें हुई जिनके नाम श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी श्रीवास्तव थे।
मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक जीवन (Literary Life of Munshi Premchand)
एक दर्जन उपन्यासों और 300 कहानी मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी गई थी हम आपको बता दे कि उनकी कहानी की वास्तविकता जितनी मार्मिक आज है उतना उसे समय बिता हम आपको बताते हैं कि उसे वक्त उन्होंने ऐसी कई विषयों पर अपनी कलम चलाई थी | जो सामान्य लोगों के जीवन से संबंधित थे | उन्होंने कई पत्र पत्रिकाओं में भी अपनी कलम चलाई थी जिसका विवरण नीचे दे रहा है:-
क्रम स. | मुंशी प्रेमचंद कहानियां |
1. | माधुरी |
2. | मर्यादा |
3. | हंस |
4. | जागरण |
प्रेमचंद जी की प्रमुख रचनाओं के नाम | Names of Major Works of Premchand ji
प्रेमचंद ने अपने पूरे साहित्यिक जीवन काल में उपन्यास नाटक और कहानी लिखी थी जिसकी रचना का केंद्र बिंदु समाज में रहने वाला सामान्य नागरिकता और समाज में उसे समय जिस प्रकार की कुरीतियों और असमानता थी | उनका भी उन्होंने पुरजोर विरोध किया और अपने साहित्य के माध्यम से समाज में सामाजिक सुधार लाने का प्रयास किया था |
मुंशी प्रेमचंद जी की प्रमुख कहानियों की सूची
मुंशी प्रेमचंद ने कुल मिलाकर अपने साहित्यिक जीवन में 300 से अधिक कहानी लिखी हैं, उनके कहानियों का संग्रह मानसरोवर में संग्रहित है 1915 में प्रेमचंद की पहली कहानी सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी उनके सभी प्रमुख कहानियों की सूची का विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं:-
1. अनाथ लड़की | 41. दिल की रानी | 81. मनावन |
2. अन्धेर | 42. दुर्गा का मन्दिर | 82. मन्त्र |
3. अपनी करनी | 43. दूध का दाम | 83. मन्दिर और मस्जिद |
4. अमृत | 44. दूसरी शादी | 84. ममता |
5. अलग्योझा | 45. देवी | 85. माँ |
6. आखिरी तोहफ़ा | 46. देवी – एक और कहानी | 86. माता का ह्रदय |
7. आखिरी मंजिल | 47. दो बैलों की कथा | 87. मिलाप |
8. आत्म-संगीत | 48. दो सखियाँ | 88. मुक्तिधन |
9. आत्माराम | 49. धिक्कार | 89. मुबारक बीमारी |
10. आल्हा | 50. धिक्कार – एक और कहानी | 90. मैकू |
11. इज्जत का खून | 51. नबी का नीति-निर्वाह | 91. मोटेराम जी शास्त्री |
12. इस्तीफा | 52. नमक का दरोगा | 92. राजहठ |
13. ईदगाह | 53. नरक का मार्ग | 93. राष्ट्र का सेवक |
14. ईश्वरीय न्याय | 54. नशा | 94. र्स्वग की देवी |
15. उद्धार | 55. नसीहतों का दफ्तर | 95. लैला |
16. एक आँच की कसर | 56. नाग-पूजा | 96. वफ़ा का खजर |
17. एक्ट्रेस | 57. नादान दोस्त | 97. वासना की कड़ियां |
18. कप्तान साहब | 58. निर्वासन | 98. विजय |
19. कफ़न | 59. नेउर | 99. विश्वास |
20. कर्मों का फल | 60. नेकी | 100. शंखनाद |
21. कवच | 61. नैराश्य | 101. शराब की दुकान |
22. कातिल | 62. नैराश्य लीला | 102. शादी की वजह |
23. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला | 63. पंच परमेश्वर | 103. शान्ति |
24. कौशल़ | 64. पत्नी से पति | 104. शान्ति |
25. क्रिकेट मैच | 65. परीक्षा | 105. शूद्र |
26. खुदी | 66. पर्वत-यात्रा | 106. सभ्यता का रहस्य |
27. गुल्ली डण्डा | 67. पुत्र-प्रेम | 107. समर यात्रा |
28. गृह-दाह | 68. पूस की रात | 108. समस्या |
29. गैरत की कटार | 69. पैपुजी | 109. सवा सेर गेहूँ नमक का दरोगा |
30. घमण्ड का पुतला | 70. प्रतिशोध | 110. सिर्फ एक आवाज |
31. जुलूस | 71. प्रायश्चित | 111. सैलानी बन्दर |
32. जेल | 72. प्रेम-सूत्र | 112. सोहाग का शव |
33. ज्योति | 73. बड़े घर की बेटी | 113. सौत |
34. झाँकी | 74. बड़े बाबू | 114. स्त्री और पुरूष |
35. ठाकुर का कुआँ | 75. बड़े भाई साहब | 115. स्वर्ग की देवी |
36. तांगेवाले की बड़ | 76. बन्द दरवाजा | 116. स्वांग |
37. तिरसूल | 77. बाँका जमींदार | 117. स्वामिनी |
38. तेंतर | 78. बेटोंवाली विधवा | 118. होली की छुट्टी |
39. त्रिया-चरित्र | 79. बैंक का दिवाला | |
40. दण्ड | 80. बोहनी |
मुंशी प्रेमचंद जी के प्रमुख उपन्यासों की सूची
1.गोदान | 6.कर्मभूमि |
2.निर्मला | 7.प्रतिज्ञा |
3.रंगभूमि | 8.मंगलसूत्र |
4.गबन | 9.प्रेमाश्रम |
5.सेवासदन | 10.रूठी रानी |
मुंशी प्रेमचंद जी के प्रमुख नाटक | Major plays of Munshi Premchand ji
1. करबला
2. संग्राम
3. प्रेम की विधि
प्रेमचंद के जीवन संबंधी विवाद
Munshi Premchand Wikibio:- मुंशी प्रेमचंद महान रचनाकार होने के बावजूद भी उनका जीवन विवाद से भरा हुआ था हम आपको बता दें कि प्रेमचंद के अध्येता कमलकिशोर गोयनका ने अपनी पुस्तक ‘प्रेमचंद : अध्ययन की नई दिशाएं’ में उन्होंने प्रेमचंद पर कई प्रकार के गंभीर आरोप लगाए हैं ताकि उनके साहित्य के महत्व और उनकी छवि को खराब किया जा सके उन्होंने अपने रचना में आरोप लगाया है कि प्रेमचंद ने अपनी पहली पत्नी को बिना किसी कारण से छोड़ा था और दूसरे विवाह होने के बावजूद भी उनका संबंध कई महिलाओं के साथ रहा जैसा की उनकी उनके दूसरी पत्नी शिवरानी देवी ने ‘प्रेमचंद घर में’ में उद्धृत किया है), इसके अलावा कहा जाता है कि मुंशी प्रेमचंद ने’जागरण विवाद’ में विनोदशंकर व्यास के साथ धोखा किया था |
इसके अलावा प्रेमचंद ने अपनी प्रेस के वरिष्ठ कर्मचारी प्रवासीलाल वर्मा के धोखाधड़ी जैसी घटना को अंजाम दिया था प्रेमचंद के बारे में कहा जाता था कि उन्होंने अपनी बेटी की बीमारी को ठीक करने के लिए झाड़ फूंक का सहारा लिया था जबकि उन्होंने अपने कई साहित्यिक रचना में झाड़ फूंक अंधविश्वास बताया था इतने आरोप लगाने के बाद भी मुंशी प्रेमचंद की अहमियत हिंदी साहित्य में अधिक है और लोग उनकी काबिलियत को सलाम करते हैं |
मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय PDF
मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय का पीडीएफ (PDF) अगर आप प्राप्त करना चाहते हैं तो उसका विवरण हम आपको आर्टिकल में उपलब्ध करवाएंगे:-
पुरस्कार व सम्मान (Awards And Honors)
मुंशी प्रेमचंद को अपने साहित्यिक जीवन में निम्नलिखित प्रकार के पुरस्कार और सम्मान दिए गए थे इसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं आई जानते हैं-
● मुंशी प्रेमचंद के नाम का 30 पैसे डाक टिकट जारी किया गया है |
● मुंशी प्रेमचंद के नाम पर प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई है जिसमें बचपन समय में मुंशी प्रेमचंद पढ़ाई करते थे |
प्रेमचंद के अनमोल वचन | (Premchand’s Precious Words)
प्रेमचंद के द्वारा रचित अनमोल वचन कौन-कौन से हैं इसका संक्षिप्त और विस्तार पूर्व विवरण नीचे आपको उपलब्ध करवा रहे हैं चलिए जानते हैं-
1. | क्रोध में मनुष्य अपनी मन की बात नहीं कहता,वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है। |
2. | धन खोकर यदि हम अपनी आत्मा को पा सकते हैं, तो कोई महंगा सौदा नहीं है। |
3. | सिर्फ उसी को अपनी संपत्ति समझो, जिसे तुमने मेहनत से कमाया है। |
4. | अन्याय का सहयोग देना, अन्याय करने के सामान है। |
5. | आत्मसम्मान की रक्षा करना, हमारा सबसे बड़ा और पहला धर्म है। |
6. | विपत्ति से बढ़कर… अनुभव सिखाने वाले वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला। |
7. | खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ते रहने वाली लगन का है। |
Faq’s: Munshi Premchand Biography in Hindi
Q.2 मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब और कहां हुआ था?
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था |
Q.3 मुंशी प्रेमचंद की कितनी रचनाएं हैं?
मुंशी प्रेमचंद ने कुल मिलाकर 300 से अधिक रचनाएं लिखी हैं। उनके सभी कहानियों का संग्रह मानसरोवर में संग्रहित किया गया है
Q.4 प्रेमचंद ने कौन सी भाषा लिखी थी?
प्रेमचंद अपनी रचना हिंदी और उर्दू में लिखा करते थे |
Q.5 प्रेमचंद का पहला उपन्यास कौन सा है?
प्रेमचंद का पहला उपन्यास सेवा सदन का जो 1918 में प्रकाशित हुआ था |
Q.6 मुंशी प्रेमचंद की मृत्यृ कब हुई?
1936 के बाद से मुंशी प्रेमचंद का स्वास्थ्य खराब हो गया और पैसे की कमी के कारण उनका इलाज भी अच्छी तरह से नहीं हो पाया था 8 अक्टूबर 1936 को उन्होंने आखिरी सांस ली आज भले ही मुंशी प्रेमचंद इस दुनिया में नहीं है लेकिन हिंदी साहित्य में उनकी जगह कोई भी साहित्यकार ले नहीं सकता है और उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में जिस प्रकार का योगदान दिया हैं।
Summary: मुंशी प्रेमचंद जीवनी (Munshi Premchand Jivani)
इस लेख में हमने Munshi Premchand Biography in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाई है ऐसे में आर्टिकल संबंधित कोई भी आप बहुमूल्य सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में यदि आप बायोग्राफी संबंधित अपडेट जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप Easyhindi.in को Bookmark कर ले जैसे ही कोई नई पोस्ट पब्लिश की जाएगी उसकी जानकारी आपको नोटिफिकेशन के माध्यम से मिल जाएगा |