Agrasen Jayanti 2024:- महाराजा अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंत और कलयुग के शुरुआती समय में हुआ था। उन्हें भगवान श्री कृष्ण के समकालीन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा अग्रसेन का जन्म आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि के आगमन के दिन हुआ था जिस वजह से नवरात्रि का पहला दिन Agrasen Jayanti के रूप में जैन और अग्रवाल समुदाय के द्वारा मनाया जाता है। इस साल महाराज अग्रसेन जयंती 26 सितंबर 2024 को मनाया जा रहा है।
Maharaj Agrasen Jayanti राजा अग्रसेन का जन्म दिन होता है। इस दिन उत्तर भारत के कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश रहता है। राजा अग्रसेन के श्रद्धालु मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कुछ क्षेत्र से संबंध रखते है। राजा अग्रसेन क्षत्रिय कुल के थे मगर वह एक समाजवादी दानी और परम पूजनीय व्यक्ति थे। राजा अग्रसेन के श्रद्धालु मुख्य रूप से अग्रही, अग्रवाल, और जैन समुदाय के होते है। राजा अग्रसेन की शासन अवधि 4250 BC से 637 AD तक रहि है। उस जमाने में व्यापारियों की राजधानी अग्रोहाा थी। राजा अग्रसेन अग्रदेय नाम के गणराज्य के राजा थे, इतिहासकारों के द्वारा वह राम राज्य के समर्थक और प्रथम समाजवादी थे जो राजघराने पर नहीं बल्कि प्रजातंत्र पर विश्वास रखते थे। आज इस लेख में हम आपको महाराजा अग्रसेन जयंती 2024 से जुड़ी कुछ खास जानकारियों को साझा करने जा रहे हैं।
Agrasen Jayanti 2024
त्यौहार का नाम | Agrasen Jayanti |
कहां मनाया जाता है | उत्तर भारत के क्षेत्र में |
कब मनाया जाता है | आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि के प्रथम दिवस पर |
कैसे मनाया जाता है | महाराजा अग्रसेन की पूजा और मेला का आयोजन करके |
क्यों मनाया जाता है | कलयुग के शुरुआत में महाराजा अग्रसेन एक युगपुरुष माने जाते है |
महाराजा अग्रसेन जयंती कब मनाई जाती है?
कुछ पौराणिक हिंदू धर्म की कथाओं के मुताबिक महाराज अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंत और कलयुग के प्रारंभ में हुआ था। उनका जन्म अग्रोहा में अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि में हुआ था। हर साल हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोग अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक मनाते हैं मगर अग्रवाल और जैन धर्म के अलावा कुछ अन्य श्रद्धालुओं के द्वारा नवरात्रि के पहले दिन को महाराज अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है।
महाराजा अग्रसेन अग्रदय नाम के गणराज्य के राजा थे जिस वजह से यह त्यौहार मुख्य रूप से पंजाब हरियाणा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अग्रसेन जयंती के दिन कुछ उत्तर भारत के क्षेत्रों में मेला का भी आयोजन किया जाता है।
महाराजा अग्रसेन का जीवन परिचय | Maharaj Agrasen jayanti
आज से 5100 वर्ष पूर्व जब द्वापर युग का समापन हो रहा था और कलयुग शुरू हो रहा था, तब महाराजा अग्रसेन अग्रदय नाम के गणराज्य के राजा थे उसमें वर्तमान समय का दिल्ली आगरा पंजाब और हरियाणा के कुछ क्षेत्र आते थे। महाराजा अग्रसेन एक सूर्यवंशी राजा थे जो वल्लव सेना के घर जन्म लिए थे। वह बचपन से ही अपने प्रजा जनों में काफी प्रचलित थे वह परम ज्ञानी, दानि, हिंसा विरोधी, बलि प्रथा को बंद करने वाले, और प्रजातंत्र पर भरोसा रखने वाले एक महान राजा थे।
कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाराजा अग्रसेन भगवान राम के बेटे कुश की 34वी इन्हीं थे। कुछ अन्य पौराणिक कथाओं के मुताबिक महाराज अग्रसेन ने 15 वर्ष की आयु में महाभारत का युद्ध पनाडवो की तरफ से लड़ा था, जिसमे उन्होंने अतुलनीय बहादुरी दिखाई थी। जिसके बारे में भगवान कृष्ण ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वह आने वाले युग कलयुग में एक अवतार पुरुष के रूप में पूजे जाएंगे।
एक पौराणिक कथा यह भी बताती है कि महाराज अग्रसेन के 18 पुत्र थे जिन्होंने आगे अग्रवाल वंश को चलाया। अग्रवाल का मतलब महाराजा अग्रसेन की संतान होता है। अग्रवाल जाति में जिन 18 गोत्र की बात की जाती है वह 18 गोत्र महाराज अग्रसेन के पुत्र के ही नाम है जिसमें बंसल, जिंदल, सिंघल, गोयल, गर्ग, मितल, आते है। अपने जरूर इस नाम के बारे में सुना होगा यह समाज के सबसे सफल समुदाय में से एक माने जाते है।
महाराज अग्रसेन जयंती पर निबंध | Essay on Agrasen Jayanti
भारत के कुछ उत्तरी राज्यों में हर साल महाराज अग्रसेन जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। यह एक पौराणिक त्यौहार है जिस दिन हरियाणा पंजाब मध्य प्रदेश राजस्थान में सार्वजनिक अवकाश रहता है। महाराज अग्रसेन जयंती मुख्य रूप से अग्रसेन के अनुयायियों के द्वारा मनाया जाता है उनके अनुयाई मुख्य रूप से उत्तरी भारत के राज्य से ताल्लुक रखते थे क्योंकि महाराजा अग्रसेन वर्तमान दिल्ली, आगरा, हरियाणा, पंजाब के कुछ क्षेत्रों में अग्रदय गणराज्य के राजा माने जाते थे। महाराजा अग्रसेन बचपन से ही अपनी प्रजा में बहुत प्रचलित थे वह एक महान समाजवादी, नेता, दानी, परोपकारी ज्ञानी, और राम राज्य के समर्थक थे। मुख्य रूप से अग्रसेन जयंती को अग्रवाल और जैन धर्म के श्रद्धालुओं के द्वारा मनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि महाराजा अग्रसेन के कार्यकाल से ही कलयुग शुरू हुआ था।
अग्रवाल जाति का तात्पर्य है महाराज अग्रसेन की संतान महाराजा अग्रसेन की कुल 18 संतान थी इस वजह से अग्रवाल जाति में आपको 18 गोत्र मिलते है। वर्तमान समय में अग्रवाल जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ हर साल अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि में मनाया जाता है। हर साल इस अवधि के आगमन पर हिंदू धर्म के अनुयायियों के द्वारा नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। यही कारण है कि हर साल नवरात्रि के पहले दिन उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में महाराजा अग्रसेन की पूजा होती है और अग्रसेन जयंती के रूप में इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
Agrasen Jayanti Par Nibandh
इस दिन जैन धर्म और अग्रवाल जाति के लोगों के द्वारा महाराजा अग्रसेन की पूजा की जाती है और कलयुग के प्रकोप को कम करने की मनोकामना की जाती है। कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक राजा अग्रसेन पांडवों की तरफ से महाभारत का युद्ध लड़ा था जिस पर भगवान कृष्ण ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि कलयुग में वह एक युग पुरुष के नाम से जाने जाएंगे जिनकी पूजा करने से कलयुग का प्रकोप व्यक्ति पर कम होगा। भारत की कुछ जातियों के द्वारा पूजा को बड़े हर्षोल्लास के साथ मेला के रूप में मनाया जाता है। भारत में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, आगरा के कुछ क्षेत्रों में आपको नवरात्रि के पहले दिन महाराजा अग्रसेन जयंती के अवसर पर अग्रसेन मेला का उत्साह देखने को मिलेगा।
राजा अग्रसेन रामराज्य की स्थापना करना चाहते थे वह राम के पुत्र कुश के 34वी पीढ़ी के संतान थे। हर साल अग्रसेन जयंती का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ राम राज्य की स्थापना करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। महाराजा अग्रसेन को याद करके हम उनके पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करते हैं और इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हुए पूरे देश भर में प्यार बांटने का काम करते हैं।
FAQ’s Agrasen Jayanti
Q. महाराजा अग्रसेन कौन थे?
महाराज अग्रसेन आगरा दे गणराज्य के राजा थे जो द्वापर युग के खत्म होने और कलयुग के आगमन के दौरान अपना राज्य काल संभाल रहे थे।
Q. महाराजा अग्रसेन की पूजा क्यों की जाती है?
महाराजा अग्रसेन परम ज्ञानी युगपुरुष थे जिन्हें उनकी प्रजा में काफी स्नेह दिया गया था वह महज 15 वर्ष की आयु में महाभारत के युद्ध में पांडवों के तरफ से लड़ाई लड़ी थी जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आने वाले कलयुग में युगपुरुष की तरह पूजे जाने का वरदान दिया था।
Q. महाराजा अग्रसेन जयंती कब मनाई जाती है?
महाराजा अग्रसेन का जन्म आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि के आगमन पर हुआ था जिस वजह से हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अवधि के प्रथम दिवस अर्थात नवरात्रि के पहले दिन उत्तर भारत के कुछ क्षेत्र में महाराजा अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है।
Q. महाराज अग्रसेन के कितने पुत्र थे?
महाराज अग्रसेन के 18 पुत्र थे जिन्होंने अग्रवाल नाम का इस्तेमाल कलयुग में शुरू किया जिसका मतलब होता है अग्रसेन की संतानें। उनकी संतानों में मुख्य रूप से बंसल, जिंदल, संघौल, गोयल, गर्ग, मित्तल, जैसी जातियां आती है जो वर्तमान समय में समाज की सफल जातियों में देखी जाती है।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने आपको Maharaj Agrasen Jayanti से जुड़ी कुछ ख़ास जानकारियों के बारे में बताया है। हमने आपको सरल शब्दों में यह समझाने का प्रयास किया है कि महाराजा अग्रसेन कौन थे इन्हें क्यों पूजा जाता है और अग्रवाल जाति में इस्तेमाल होने वाले गोत्र के पीछे क्या रहस्य है। अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारियों को पढ़ने के पश्चात आप महाराज अग्रसेन के बारे में अच्छे से समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझावों विचार या किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूले।
इस वर्ष श्री महाराजा अग्रसेन जी की कौन सी वीं जयन्ति मनाई जा रही है ?