बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में | Essay On Unemployment in Hindi:- मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए तीन चीजों की काफी जरूरत पड़ती है जैसे खाने के लिए रोटी, पहनने के लिए कपड़ा और रहने के लिए मकान ।और यह तीन चीजों को प्राप्त करने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है और इस पैसा को प्राप्त करने के लिए आय का स्रोत होना चाहिए जरुरी हैं। किसी के लिए पैसे कमाने का जरिया बिजनेस होता है तो कई लोगों के घर दो पैसे नौकरी के जरिए आते हैं। लेकिन आज के समय में देश में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है, जिसके कारण लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा है। बेरोजगारी की समस्या के मद्देनजर और इस खत्म करने के लिए भारत सरकार कई प्रकार के कार्यक्रम एवं योजनाओं का शुभारंभ करती आ रही है पर फिर भी यह एक ऐसी समस्या से जिससे निजात पाना मुश्किल हो गया है। आज के समय में अच्छे खासे पढ़े लिखे लोगों के लिए भी नौकरी पाना मुश्किल हो गया है। आए दिन स्कूलों और कॉलेजों में बेरोजगारी को लेकर कई तरह के सेमिनार आयोजित किए जाते है। वहीं कई जगह निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता हैं |
जिसमें निबंध का टॉपिक बेरोजगारी होता है। यदि आप लोग बेरोजगारी पर निबंध कैसे लिखें संबंधी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। इस आर्टिकल का माध्यम से हम आप लोगों को छोटे एवं बड़े बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्द, 500 शब्द, 750 शब्द कैसे लिखे जाते हैं इसकी जानकारी प्रदान करेंगे।
बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में | Essay On Unemployment in Hindi
आर्टिकल का नाम | बेरोजगारी पर निबंध |
आर्टिकल के प्रकार | निबंध |
उत्पन्न समस्याएं | बेरोजगारी की समस्या |
आर्टिकल का उद्देश्य | लोगों को बेरोजगारी समस्या से अवगत कराना |
वर्ष | 2023 |
बेरोजगारी पर निबंध (300 शब्द) | Essay On Unemployment in Hindi
बेरोजगारी पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जो पूरे विश्व के समाज पर काफी गहरा प्रभाव डालता है। जिससे हम लोगों सामाजिक एवं आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो जाते हैं। समाज में बेरोजगारी बढ़ने से कई प्रकार के दूरगामी प्रभाव देखने को मिलता है, जैसे:- गरीबों ,अपराध, और सामाजिक असमानता ।समाज में बेरोजगारी बढ़ाने के कई कारण उपलब्ध होते हैं। जनसंख्या में वृद्धि बेरोजगारी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । हम लोगों के देश में नए तकनीक उपकरणों का अविष्कार होने से नौकरी के क्षेत्र में नियुक्ति की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है, जिसके कारण दिन हर दिन बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती जा रही है।
आर्थिक मंदी भी बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि करती है। आर्थिक मंदी के दौरान व्यवसाय अपने उत्पादन क्षमता को काम कर सकते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कार्य करने वाले लोगों की संख्या में कमी आ सकती हैं । अर्थात आर्थिक मंदी किसी भी समाज के बेरोजगारी के संख्या में वृद्धि कर सकता है।आर्थिक विकास के कारण देश में लोगों को रोजगार के अवसर काम प्राप्त होते हैं,जिससे बेरोजगारी की संख्या में बढ़ोतरी होती है। जैसे कि हम लोगों को पता है हम लोगों का देश एक कृषि प्रधान देश है जिसके कारण देश के अधिकतर लोग कृषि कार्य से जुड़े होते हैं। और यह व्यवसाय एक निजीकरण होने के कारण वर्ष में एक निश्चित समय के लिए काम का अवसर प्रदान करती है।
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बेरोजगारी के समस्याओं को खत्म करने वाले कुछ कारक निम्नलिखित है:-
- जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।
- शिक्षा व्यवस्था के प्रणाली में सुधार करना होगा।
- देश में औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा।
- विदेशी व्यापार को बढ़ावा देना होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का अवसर को बढ़ावा देना होगा।
सरकार देश में बेरोजगारी समस्या को कम करने के लिए कई प्रकार की कदम उठाए हैं। लेकिन अभी तक इन क्षेत्रों में कोई खास सफलता प्राप्त नहीं हुई है। सरकार को बेरोजगारी की समस्याओं को खत्म करने के प्रभावी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
बेरोजगारी पर निबंध (500 शब्द) | समाज में बेरोजगारी निबंध
वर्तमान समय में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। भारत में बेरोजगारी संबंधित समस्या को बढ़ावा देने में शिक्षा की कमी,रोजगार अवसर की कमी, कौशल की कमी, शैक्षणिक मुद्दे और बढ़ती जनसंख्या जैसे कारक प्रमुख है। बेरोजगारी समस्या का प्रभाव और इसकी इसका नकारात्मक परिणाम हम लोगों के व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ समाज पर भी देखने को मिलता है। बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होने से अपराध ,गरीबी जैसी समस्या उत्पन्न होती है ।भारत सरकार ने इस प्रकार की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं ।
बेरोजगारी के कारण
बेरोजगार व्यक्ति काम के तलाश में जगह-जगह भटकते हैं। लेकिन वह काम को ढूंढने में असमर्थ हो जाते हैं। किसी भी समाज के व्यक्ति को बेरोजगार होने में कई प्रकार के कारणों का सामना करना होता हैं, इनमें से एक है कृषि पर अत्यधिक निर्भरता एवं गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर धीमी होने के कारण बेरोजगारी के संख्या में वृद्धि होती है। हमारे देश में धीमी गति से आर्थिक वृद्धि होने के कारण पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उत्पन्न नहीं हो पा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी होने का मुख्य कारण शहरी क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का अत्यधिक मात्रा में निवास के परिणाम होता है जिसके परिणाम स्वरुप शहरी क्षेत्र में कार्य के क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या की संख्या बढ़ गई है।बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होने के एक महत्वपूर्ण कारण है शिक्षा प्रणाली का क्षेत्र वर्तमान समय में व्यवहारिक ज्ञान एवं सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित हो गया है। इस प्रकार लोगों को नौकरी प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए विभिन्न प्रकार की योग्यताओं की जरूरत पड़ती है । लेकिन अधिकतर लोगों के पास तकनीकी योग्यता का अभाव होने के कारण उपलब्ध रोजगार एवं व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित व्यक्ति के बीच की दूरी बढ़ जाती है और इसके परिणाम बेरोजगारी बढ़ जाती है।
बेरोजगारी दूर करने के उपाय
सरकार ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं। सरकार ने लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करने के लिए स्वयं रोजगार जैसी कार्यक्रम और नीतियां शुरू किए हैं साथ ही साथ लोगों को सार्वजनिक कार्य में जोड़ने में मदद करने के लिए के कई प्रकार के कदम उठाए हैं। अर्थात बेरोजगारी के समस्या से लड़ने के लिए सरकार ने नीतिगत कदम उठाए हैं -जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम( मनरेगा) , राष्ट्रीय कौशल विकास योजना , नौकरीपेशा योजना इत्यादि है।बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार के कार्यक्रम और नीतियां शुरू किया गया है लेकिन फिर भी भारत देश बेरोजगारी समस्या का सामना करने वाला देश बना हुआ है। बेरोजगारी के समस्या को दूर करने के लिए लोगों को शिक्षा प्रदान किया जा सकता है। लोगों के पास आवश्यक योग्यता उपलब्ध हो ताकि रोजगार के क्षेत्र में नौकरी को आसानी पूर्वक प्राप्त कर सके। शिक्षा के क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर वर्ग के छात्रों के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण एवं व्यवसाय विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने से युवा वर्ग के लोगों को रोजगार के अवसर को ढूंढने में काफी मदद मिलेगी। शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक स्तर पर इन पाठ्यक्रमों को सम्मिलित करना चाहिए ताकि छात्र अपनी शुरुआती जीवन से ही इन पाठ्यक्रमों से अवगत रहेंगे जिससे उनको आगे चलकर नौकरी को प्राप्त करने में काफी सहायता प्राप्त होगी।
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उपसंहार
भारत देश की अर्थव्यवस्था काफी तेजी के साथ बढ़ रही है ,ऐसे में बेरोजगारी के क्षेत्र में सुधार करने के मौके उपलब्ध है। रोजगार के संख्या में वृद्धि करने के लिए सरकार के द्वारा कई प्रकार के कदम उठाए गए हैं, जैसे कौशल विकास योजना। इस योजना के तहत लोगों को काफी हद तक रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। साथी साथ सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी ज्यादा ध्यान दे रही है क्योंकि वर्तमान समय में किसी भी नौकरी को प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की योग्यताओं का होना काफी जरूरी होता है।
बेरोजगारी पर निबंध (750 शब्द) | विद्यार्थी जीवन में बेरोजगारी पर निबंध
प्रस्तावना
भारत में अनेक प्रकार की समस्याएं देखने को मिलताी है। इन समस्याओं में बेरोजगारी की समस्या महत्वपूर्ण समस्या है। लोगों को अपने जीवन यापन करने के लिए आवश्यक चीजों की जरूरत पड़ती है और इन आवश्यक चीजों की जरूरत को पूर्ण करने के लिए पैसे का जरूरत पड़ती है। पैसे की जरूरत को पूरा करने के लिए आप लोगों को किसी प्रकार के रोजगार के क्षेत्र में जुड़ा रहना होगा। लेकिन वर्तमान समय में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं।
बेरोजगारी के प्रकार
हम लोगों के समाज में बेरोजगारी की समस्या कई प्रकार में देखने को मिलते है, जिसमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित है :-
● खुली बेरोजगारी:- इस प्रकार के बेरोजगारी का अर्थ यह होता है कि कोई व्यक्ति कार्य करना चाहता है पर उसे कोई काम नहीं मिल पाता है। इसी वजह से लोग बड़े पैमाने पर गांव से शहर की तरफ भागने लगते हैं।
●मौसमी बेरोजगारी:- भारत देश देश के अधिकांश लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है, जो समय के अनुसार कार्य होता है अर्थात वर्ष में 5 से लेकर 6 महीना कार्य होता है। जिसके फलस्वरूप उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या को मौसमी बेरोजगारी का नाम दिया गया है।
● शिक्षित बेरोजगारी:- इस प्रकार के बेरोजगारी का अर्थ यह हुआ कि पढ़े लिखे लोग कार्य करना चाहते हैं वह अपनी योग्यताओं के अनुसार कार्य चाहते हैं पर उन्हें काम नहीं मिल रहा है।
● शहरी बेरोजगारी:- वर्तमान समय में शहरी क्षेत्र रोजगार का केंद्र माना जाता है यही करण है कि भारी संख्या में लोग ग्रामीण क्षेत्र से शहर की तरफ भाग रहे हैं। और शहर में आकर जब उन्हें किसी प्रकार का रोजगार का अवसर प्रदान नहीं होता है तो इस प्रकार के बेरोजगारी को शहरी बेरोजगारी के नाम से जाना जाता है।
●संरचनात्मक बेरोजगारी:- जब किसी देश की भौतिक एवं वित्तीय शक्ति कमजोर हो जाती है। तो वहां पर रहने वाले लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान नहीं हो पते है। जिसके कारण बेरोजगारी की समस्या में वृद्धि हो जाती है अर्थात इस प्रकार के बेरोजगारी को संरचनात्मक बेरोजगारी के नाम से जाना जाता है।
बेरोजगारी के कारण
बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न करने में कुछ प्रमुख निम्नलिखित कारण होते हैं:-
● जनसंख्या में वृद्धि:- बेरोजगारी के बढ़ने में जनसंख्या का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जनसंख्या में वृद्धि होने से पर्याप्त रोजगार का अवसर उपलब्ध नहीं हो पते है, जिसके कारण बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती जाती है।
●कौशल विकास का अभाव:- कार्य करने वाले लोगों के पास उपलब्ध कौशल एवं उद्योग धंधों के द्वारा मांगे गए कौशल के बीच समानताएं देखने को नहीं मिलती है, जिसके परिणाम स्वरूप बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
● कृषि पर निर्भरता:- जैसे की आप लोगों को पता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। जिसके कारण अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर होते हैं। लेकिन किसी का कार्य वर्ष में 5 से 6 महीना ही रहता है ।जिसके फलस्वरुप बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
●अपर्याप्त शिक्षा प्रणाली:- भारत में शिक्षा प्रणाली व्यवहारिक ज्ञान एवं सैद्धांतिक ज्ञान पर आधारित होता है जिसके कारण बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि होती है।
●तकनीकी प्रगति:- जैसे-जैसे रोजगार के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति हो रही है, वैसे वैसे रोजगार अवसर के क्षेत्र में शारीरिक श्रम संख्या में कमी आ रही है, जिससे बेरोजगारी की संख्या में वृद्धि हो रही है।
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बेरोजगारी के परिणाम
भारत में बेरोजगारी की समस्या होने से समाज में इसके निम्नलिखित परिणाम देखने को मिलते हैं:-
● गरीबी:– लोगों को रोजगार नहीं मिलने से लोग बेरोजगार हो जाते हैं। जिससे उनका आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाता है जिससे लोग अपने दैनिक जीवन उपयोग करने वाले आवश्यक चीजों के पूर्ति नहीं कर पाते हैं जिससे गरीबी बढ़ जाती है।
● अपराध की स्थिति में वृद्धि:- रोजगार के अभाव में लोग अपने दैनिक जीवन में उपयोग करने वाले आवश्यक चीजों की पूर्ति के लिए गलत कार्यों के साथ जुड़ जाते हैं जैसे-चोरी,डकैती । इस प्रकार समाज में अपराध की स्थिति में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है।
● बढ़ती असमानता :- रोजगार के क्षेत्र में अवसर कम मिलने के कारण समाज में गरीब और अमीर के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है। जिसके कारण समाज में असमानता बढ़ जाती है।
● सामाजिक अशांति:- समाज में रोजगार के अवसर कम होने के कारण लोग सरकार से नौकरी की मांग करते हैं और अपने मांग को हड़ताल विरोध प्रदर्शन के द्वारा करते हैं। जिससे समाज में अशांति की स्थिति बन जाती है।
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपाय:-
बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय यह है कि जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा। जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है। बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली मैं सुधार करना होगा। अर्थात शिक्षा प्रणाली में कौशलात्मक शिक्षा को जोड़ना होगा।महंगाई पर नियंत्रण करना होगा। योग्य एवं शिक्षित लोगों को नौकरी उपलब्ध कराना होगा।
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उपसंहार
बेरोजगारी वर्तमान समय में भारत देश के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। समाज में बेरोजगारी होने के कई कारण उपलब्ध होते हैं । समाज में बेरोजगारी होने से कई प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है एवं इस प्रकार का समस्याओं को कुछ हद तक दूर करने के लिए सरकार ने कई प्रकार के योजनाएं आरंभ किए हैं। जिसकी जानकारी आप लोग इस आर्टिकल में विस्तार पूर्वक जान सकेंगे।
बेरोजगारी पर निबंध PDF Download | बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में
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बेरोजगारी पर 10 लाइन हिंदी में | Unemployment 10 Lines in Hindi
- वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है इस समस्या का हल करना काफी आवश्यक है।
- बेरोजगारी की समस्या किसी भी क्षेत्र एवं किसी भी देश के नौकरी की कमी को दर्शाता है।
- भारत में बेरोजगारी बढ़ाने की सबसे बड़ी कारण है जनसंख्या दर में वृद्धि होने से।
- कंप्यूटर एवं नई तकनीक के आविष्कार के कारण बेरोजगारी की संख्या बढ़ गई है।
- बेरोजगारी की समस्या होने से कई प्रकार के मुद्दे उत्पन्न होते हैं जैसे गरीबों ,अपराध ,समाज में असमानता ।
- सरकार ने बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के लिए कई प्रकार के योजनाओं का आरंभ करती है जिससे रोजगार का अवसर प्राप्त हो सके ।
- बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बधाओ में से एक है ।
- बेरोजगार कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके पास शिक्षा का अभाव होता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास डिग्रियां होती है फिर भी वह बेरोजगार रहते हैं।
- बेरोजगारी किसी खास व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता है बल्कि पूरे राष्ट्र को प्रभावित करता है।
- बेरोजगारी होने के कारण कई प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है जैसे अपराध ,गरीबी ,और समाज में असमानताएं फैल जाती है।
Conclusion:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल “बेरोजगारी पर निबंध” संबंधी जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान की गई है ,जो आप लोगों को काफी पसंद आया होगा। ऐसे में अगर आपके मन में हमारे आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न एवं सुझाव है, तो आप लोग हमारे कमेंट बॉक्स में आकर अपने प्रश्नों को पूछ सकते हैं। हम आप लोगों के प्रश्नों का जवाब जरूर देंगे।
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FAQ’s: Essay On Unemployment in Hindi
Q.भारत में बेरोजगारी के क्या कारण होते हैं?
Ans. भारत में बेरोजगारी होने के पीछे कई प्रमुख कारण उपलब्ध होते हैं जैसे:- जनसंख्या में वृद्धि, कृषि पर निर्भरता आपर्याप्त शिक्षा प्रणाली इत्यादि होते हैं।
Q. बेरोजगारी बढ़ने से समाज में इसके क्या परिणाम होते हैं?
Ans.समाज में बेरोजगारी बढ़ने से इसके कई परिणाम देखने को मिलते हैं जैसे गरीबी, अपराध एवं असमानताएं जैसे परिणाम समाज में देखने को मिलता है।
Q. बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के उपाय क्या है?
Ans.बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सबसे प्रमुख उपाय जनसंख्या दर में नियंत्रण करना होगा, शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा ,महंगाई पर नियंत्रण करना होगा इत्यादि।