अकबर-बीरबल की कहानी  | Story of Akbar and Birbal

आज हम आपको अकबर और बीरबल की कहानियों के बारे मे बताएंगे। हम सभी मुग़ल शासक जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर और उनके मुख्य सलाहकार बीरबल को अच्छे से जानते है।  बीरबल राजा अकबर के नवरत्नों में से एक थे, और वे बादशाह अकबर के मुख्य सलाहकार होने के साथ उनके परम मित्र भी थे। Akbar Birbal के मज़ेदार वार्तालाप और उनके बीच हुई खट्टी-मीठी नोंक-झोंक को किस्सों-कहानियों के रूप में हम सभी सालों-साल से सुनते आ रहे है।

इन किस्से-कहानियों पर कई किताबें लिखी गई है, जो हर उम्र के लोगों को खूब पसंद आती है। इन कहानियों मे सबसे खास बात यह है कि ये हमारे मनोरंजन करने के साथ ज्ञान की बातें भी सिखा जाती हैं। शायद इसी कारण से आज भी इतने वर्ष हो जाने के बाद भी इन कहानियों का अस्तित्व बरक़रार है। 

इन आर्टिकल में हम आपको अकबर और बीरबल की एक से बढ़कर कहानियों को प्रस्तुत करेंगे। जो आपका मनोरंजन करेंगी, और साथ ही साथ कुछ न कुछ सिखा भी जायेंगी, तो अंत तक अवश्य पढ़िये

अकबर-बीरबल की कहानी  सबसे बड़ा मनहूस कौन ।  Story of Akbar and Birbal Sabse Bada Manhoos Kaun

एक बार की बात है (  Story of Akbar and Birbal ), बादशाह अकबर सुबह सो कर उठे और बिस्तर से ही अपने सेवकों को पानी लाने का आदेश दे रहे थे। उसी समय बादशाह के कमरे के बाहर से कूड़ा साफ करने वाला सेवक गुजर रहा था, उसने देखा कि बादशाह अकबर को प्यास लगी है, लेकिन उनके आसपास कोई भी सेवक मौजूद नहीं है, तो वह खुद ही बादशाह के लिए पानी लेने गया, और लाकर राजा को देने लगा, कूड़ा उठाने वाले सेवक को पानी लिए अपने कमरे में खड़ा देखकर राजा अकबर चौंक गए, लेकिन उन्हें बहुत प्यास लगी थी, इसलिए वो बिना ज्यादा सोचे-समझे उसका लाया हुआ गिलास पकड़ा और पानी पी लिए।

उसी समय अकबर के कुछ खास कार्यकर्ता उनके कमरे में पहुंचे। और उन्होंने कूड़ा उठाने वाले सेवक को वहां देखते ही उसे कमरे से तुरंत बाहर जाने के लिए बोलने लगे। फिर उन्होंने कुछ देर बादशाह से बात की और वो भी उनके कमरे से चले गए। तभी कुछ देर बाद बादशाह अकबर का पेट खराब होने लगा, जैसे-जैसे दिन ढलता गया, उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई।

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बादशाह की ऐसी हालत देखकर बड़े-से-बड़ा हकीम बुलवाया गया, लेकिन दवाई लेने के बाद भी उनकी तबीयत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा था। तभी राज वैद्य ने बादशाह को ज्योतिष को बुलवाने का सुझाव दिया और कहा, “बादशाह! शायद आप पर किसी मनहूस इंसान का साया पड़ गया है।” इसलिए आपकी ये हालत हो गई है। राज वैद्य की बात का मान रखते हुए अकबर ने ज्योतिष को बुलाने का आदेश दिया।

तभी राजा अकबर के मन में हुआ किसी मनहूस की परछाई तो मुझपर पड़ी नहीं, बस कूड़ा साफ करने वाले का लाया हुआ पानी मैंने पिया था। यह सोचते ही उन्होंने उस कचरा साफ करने वाले कर्मचारी को सजाए मौत सुना दी। बादशाह का आदेश होने पर सिपाहियों ने उस नौकर को जेल में डाल दिया।

कुछ देर बाद बादशाह के इस आदेश के बारे में बीरबल को पता चला। वो तुरंत उस सेवक के पास पहुंचे और कहा कि तुम चिंता मत करो, मैं किसी-न-किसी तरकीब से तुम्हें बचा ही लूंगा। इतना कहकर बीरबल तुरंत बादशाह अकबर के पास पहुंच गए।

बीरबल आते ही बादशाह से पूछते है, “बादशाह आपको क्या हुआ है? आप कैसे इतना बीमार पड़ गए?”

तब अकबर ने जवाब दिया “बीरबल मेरे उपर एक मनहूस इंसान की छाया पड़ गई इसलिए मैं बीमार हो गया।”

बादशाह अकबर की बाते सुनकर बीरबल उन्हीं के सामने हंसने लगे। बीरबल को हँसता देखकर अकबर को बहुत गुस्सा आया। और उन्होंने कहा, “ बीरबल तुम मेरी बीमारी का मजाक उड़ा रहे हो।”

बीरबल ने अकबर से कहा “नहीं-नहीं बादशाह, मै आपकी बीमारी का मजाक नही उडा रहा हु, मै तो बस इतना कह रहा हु कि अगर मैं आपके सामने उस कूड़ा उठाने वाले नौकर से भी बड़ा मनहूस इंसान ले आऊं तो क्या आप उस नौकर की मौत की सजा माफ कर दोगे?”, 

Akbar Birbal से पूछा, “क्या उससे भी बड़ा मनहूस कोई हो सकता है ? यदि बीरबल तुम उससे भी बड़े मनहूस को मेरे सामने ले आते हो, तो मैं उस सेवक की सजा माफ कर दूंगा।”

तभी तुरंत बीरबल बोल पड़े कि बादशाह, उससे बड़े मनहूस तो आप स्वयं ही हैं। उस मामूली नौकर ने तो बस आपकी प्यास बुझाने के लिए आपको पानी दिया, लेकिन आपको लग रहा है कि उसकी साया के कारण आपकी तबीयत खराब हो गई है। तो बादशाह उस बेचारे नौकर का तो सोचिए जरा, उसे तो सुबह-सुबह आपको देखने की वजह से उसका तो आज पूरा जीवन बर्बाद हो गया। अब कुछ देर में उसे मौत की सजा मिल जाएगी। अब आप ही बताइए मौत की सजा मिलना मनहूसियत है या किसी की तबीयत खराब होना। 

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तब बीरबल बोले, “बादशाह अब आप खुद को मौत की सजा मत दीजियेगा, क्योंकि आप हम इस राज्य के बादशाह हैं और हमें आप हमारी जान से भी ज्यादा प्यारे हैं।”

बीरबल की बातें सुनकर बीमार अकबर जोर से हंस पड़े। उन्होंने तुरंत ही सिपाहियों को कूड़ा उठाने वाले उस नौकर को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। साथ-ही-साथ उसकी मौत की सजा भी माफ कर दी।

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कहानी से हमे मिली सीख |  Moral of the story

इस कहानी मे Akbar Birbal से यह सीख मिली कि हमे कभी भी किसी की भी बातों पर आकर फैसला नहीं लेना चाहिए और अंधविश्वासी तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।

Story of Akbar and Birbal चोर की दाढ़ी में तिनका 

एक बार की बात है, बादशाह अकबर की एक हीरे की अंगूठी खो गई, उन्होंने उसे बहुत खोजा, लेकिन वह नही मिली। 

उन्होंने इस बात के बारे मे बीरबल से बताया, तो बीरबल ने पूछा, “हुज़ूर! क्या आपको यह याद है कि आपने वह अंगूठी उतार कर कहाँ रखी थी?”

अकबर ने बीरबल को बताया, “ मैं नहाने जाने से पहले वह अंगूठी उतारकर बिस्तर के पास रखे संदूक में रख दिया था, लेकिन जब मै नहाकर वापस आया तो मैंने देखा कि वह अंगूठी वहा नही है। “

तब बीरबल ने कहा “बादशाह तब हमें संदूक के साथ इस पूरे कमरे की अच्छी तरह से तलाशी करनी चाहिए, वह अंगूठी यहीं–कहीं इस कमरे या संदूक मे होगी। “

तब अकबर ने बीरबल को बताया “कि अब वह अंगूठी यहाँ नहीं है। मैंने सेवकों को बुलाकर संदूक के साथ साथ इस पूरे कमरे के कोने कोने की तलाशी करवाई पर अंगूठी उन्हे नही मिली। “

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तब बीरबल ने कहा “ आपकी अंगूठी खोई नहीं है हुज़ूर, चोरी हुई है और चोर आपके सेवकों में से ही कोई एक है। आप इस कमरे की साफ़-सफ़ाई करने वाले सेवकों को बुलवाइए.”

अकबर ने सभी साफ़-सफ़ाई करने वाले सेवकों को बुलवा लिया,वे कुल 6लोग थे। 

बीरबल ने उनसे अंगूठी के बारे में पूछा, तो सबने अनभिज्ञता ज़ाहिर की। तब बीरबल बोला, “लगता है कि अंगूठी चोरी हो गई है, बादशाह अकबर ने अंगूठी संदूक में रखी थी, तो अब अब संदूक ही बताएगा कि अंगूठी चोर कौन है?”

यह कहकर बीरबल संदूक के पास गया और कान लगाकर कुछ सुनने का नाटक करने लगा, फिर सेवकों के पास आकर  बोला, “संदूक ने मुझे सब कुछ सही सही बता दिया, अब चोर का बचना नामुमकिन है, जो भी चोर है उसकी दाढ़ी में तिनका है। “

ये सुनते ही उन 6 सेवकों में से एक ने नज़रें बचाते हुए अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा, बीरबल की नज़र ने उसे ऐसा करते देख लिया, उसने तुरंत उस सेवक को गिरफ़्तार करने का आदेश दे दिया। 

जब कड़ाई से पूछताछ की गई तब उसने सारा सच बताया और अपना दोष स्वीकार कर लिया, बादशाह को बीरबल की अक्लमंदी से अपनी हीरे अंगूठी वापस मिल गई। 

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कहानी से हमे मिली सीख | Moral of the story

दोषी व्यक्ति घबराहट के कारण स्वयं ही अपने हाव-भाव से अपना दोष प्रकट कर देता है और अततः पकड़ा जाता है. सदाचार का सादा जीवन श्रेष्ठ है , किसी भी  प्रकार के लोभ के कारण हमे गलत कार्यों को नही करना चाहिए।

Conclusion | निष्कर्ष

 इस पोस्ट में हमने अकबर बीरबल की मज़ेदार कहानी ( Story of Akbar and Birbal ) “सबसे बड़ा मनहूस कौन “ और “चोर की दाढ़ी में तिनका” आपसे शेयर किये है। अगर इस कहानी से आपको भी गुदगुदी और सीख मिली हो तो अपने दोस्तो को भी साक्षा करे। 

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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