फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का जीवन परिचय (बायोपिक फिल्म – सैम बहादुर), Sam Manekshaw Biography in Hindi (जन्म, शिक्षा, सैनिक जीवन, प्रमुख उपलब्धियां)

Sam Manekshaw Biography in Hindi

Sam Manekshaw Biography in Hindi : (फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की जीवनी) : आज जो हम लोग भारत देश में स्वतंत्रता पूर्वक जीवन यापन कर रहे हैं इसके पीछे कई सारे देश प्रेमी महापुरुष का बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज है  अगर यह सारे महापुरुष देश के प्रति बलिदान नहीं दिए होते तो आज हमारे देश का स्थिति कुछ और ही होता । इन महापुरुषों के लिस्ट  में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का नाम भी प्रमुख हैं। हम आपको बता दें कि भारतीय इंडियन फोर्स में फीड मार्शल सैम मानेकशॉ की भूमिका काफी है हम रही है 1971 के युद्ध में उनकी दूरदर्शिता और सूझबूझ के कारण भारत को युद्ध में विजय हासिल हुआ था और उसके बाद ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और 1971 में बांग्लादेश नाम का एक नया देश विश्व के पटल पर उदय हुआ था।

 ऐसे में हर एक भारतीय के मन में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के निजी पहलुओं के बारे में जानने की आवश्यकता तेजी के साथ बढ़ रही है कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का प्रारंभिक जीवन शिक्षा परिवार सैनिक जीवन क मिलने वाले अवार्ड मृत्यु इन सब के बारे में अगर आप कुछ नहीं जानते हैं तो आज के आर्टिकल में हम आपको Sam Manekshaw Jeevan Parichay के बारे में डिटेल में जानकारी उपलब्ध करवाएंगे अनुरोध है कि आर्टिकल में बने रहे हैं:-

Sam Manekshaw Biography in Hindi

सैम मानेकशॉ का परिचय हिंदी में: मार्शल सैम मानेकशॉ भारत के जांबाज ऑफीसरों में से एक थे इंडियन फोर्स के इतिहास में उनकी गिनती One Man Army के रूप में की जाती है 1971 में उन्होंने अपनी कुटिल रणनीति और दूरदर्शिता के द्वारा भारतीय सेवा को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण किरदार निभाया था आज दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश देश के रूप में उदय हो पाया है उसके पीछे मार्शल सैम मानेकशॉ  विशेष योगदान है, जिसे इतिहास में दर्ज किया गया है आने वाले पीढ़ी कभी भी उनके योगदान को भुला नहीं पाएंगे भारत के सच्चे सपूत सैम मानेकशॉ सदैव हमारे दिल में जीवंत रहेंगे उन्हें इंडियन फोर्स का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता  हैं।

सैम मानेकशॉ का परिचय | Sam Manekshaw WikibioOverview

आर्टिकल का प्रकारजीवन परिचय
पूरा नामसैम होर्मूसजी फ़्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ
उपनामसैम बहादुर
जन्मतिथि3 अप्रैल, 1914
जन्म स्थानअमृतसर, पंजाब
मृत्यु कब हुई थी27 जून, 2008
मृत्यु स्थानवेलिंगटन, तमिलनाडु
पत्नीसिल्लो बोडे
राष्ट्रीयताभारतीय
प्रोफेशनभारतीय सैन्य सेवा
पुरस्कारपद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत के पहले फ़ील्ड मार्शल
विशेष योगदान 1971 के युद्ध में पाकिस्तान  को पराजित करके बांग्लादेश जैसे ने राष्ट्र का निर्माण 
सैम मानेकशॉ बायोपिक फिल्म का नाम क्या हैसैम बहादुर
जाति (Caste)फारसी
उम्र (Age)94

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सैम मानेकशॉ का परिचय | सैम जी का जन्म (Sam Manekshaw Birthday)

हमारे देश के वीर महापुरुष सैम मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल सन 1914 को  पंजाब राज्य के अमृतसर के एक पारसी परिवार में हुआ था । इनका परिवार पहले गुजरात राज्य के वलसाड शहर में रहते थे जो आगे चलकर वे लोग पंजाब राज्य के अमृतसर में बस गए और वहीं से उन्होंने अपनी शिक्षा पुरी की थी |

सैम मानेकशॉ की शिक्षा (Sam Manekshaw Education)

सैम मानेकशॉ  जी अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब के अमृतसर में  संपूर्ण किया इसके बाद इनका स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद अपनी कॉलेज की पढ़ाई पढ़ने के लिए नैनीताल चले गए और वहां पर शेरवुड कॉलेज के द्वारा कॉलेज की डिग्री प्राप्त किया मैं आप लोगों को बता दूं कि सैम जी बचपन से ही डॉक्टर बनने का बहुत बड़ा सपना था | लेकिन समय के साथ-साथ उन्होंने अपना डॉक्टर बनने का फैसल को बदल दिए  इसके बाद Sam Manekshaw देहरादून के भारतीय सैन्य अकादमी के नामांकन के लिए परीक्षा में बैठे इसके बाद इस परीक्षा में वह उत्तीर्ण हो गए जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से 4 फरवरी 1934 को स्नातक की उपाधि प्रदान प्राप्त हुई इसके बाद वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए |

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सैम मानेकशॉ का शुरूआती जीवन (Sam Manekshaw Early Life)

सैम मानेकशॉ पिता व्यावसायिक रूप से एक डॉक्टर थे | इसलिए सैम मानेकशॉ भी डॉक्टर बनना चाहते थे | डॉक्टर बनने के लिए है वह अपने पिताजी से डॉक्टर की पढ़ाई पढ़ने के के लिए लंदन जाने की निवेदन करने लगे लेकिन उनके पिताजी ने इनको यह कहकर मना कर दिए कि तुम अभी बच्चा हो तुम और कुछ दिन इंतजार कर लो |

इनके पिताजी के द्वारा मना करने के बाद इन्होंने देहरादून मैं भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) के प्रवेश परीक्षा में बैठे और इसमें यह उत्तीर्ण भी हो गया है 1 अक्टूबर सन 1932 को IMA मैं इनका जॉइनिंग हुआ इसके बाद 4 फरवरी सन 1934 को ब्रिटिश भारतीय सेना  मैं दूसरा लेफ्टिनेंट उपाधि के साथ नियुक्त हुए इसी समय से इनका सेना करियर का शुरुआत हुआ |

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सैनिक जीवन (Military Life)

सैम मानेकशॉ जी का ब्रिटिश भारतीय सेना में जॉइनिंग के बाद  इनका सैनिक जीवन की शुरुआत होती है द्वितीय विश्व युद्ध एवं ब्रिटिश काल से लेकर स्वतंत्र भारत के बाद पाकिस्तान के साथ तीन बार और चीन के साथ एक बार युद्ध तक इनका कार्यकाल चला था यह अपने कार्यकाल में कई सारे पद को संभाले हैं सैम मानेकशॉ जी को 7 जून सन 1969 को भारत का आठवां सेना अध्यक्ष  नियुक्त किया गया और अपने इसी कार्यकाल में सन 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के तरफ से कमान संभाले थे और इस युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत हुई इसके बाद उनको भारत का पहला फील्ड मार्शल घोषित कर दिया गया था |

यह अपने कार्यकाल में कई सारे पद को संभाले हैं  यह सारे पद निम्नलिखित है:-

  • 4 फरवरी 1934 को भारतीय ब्रिटिश सेना का दूसरा लेफ्टिनेंट का पद को संभाले |
  • इसके बाद रॉयल स्कॉट्स में शामिल हो गए |
  • उसके बाद बर्मा में तैनात चौथ बटालियन के पद को संभाले |
  • इसके बाद 12वी फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट के पद को संभाले |

द्वितीय विश्व युद्ध में सैम का योगदान | Second World War Contribution

द्वितीय विश्व युद्ध में सैम मानेकशॉ जी का योगदान काफी प्रमुख था मैं आप लोगों को बता दूं कि द्वितीय विश्व युद्ध में सैम मानेकशॉ 4/12 फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट के कप्तान के रूप बर्मा में में कार्यभार संभाले थे और वह युद्ध के मैदान में अपनी बहादुर का पहचान दिए थे इसके लिए उनको पुरस्कार के द्वारा सम्मानित भी किया गया था द्वितीय विश्व युद्ध में जिस कंपनी का कमान संभाल रहे थे उसमें से 50% सैनिक को जापानी सैनिक के जवाबी हमले मौत हो गई थी लेकिन इस स्थिति में सैम मानेकशॉ हार नहीं मानी और बहादुरी के साथ जापानी सैनिकों का सामना किया  और अपने उद्देश्य ,पैगोडा हिल पर  अधिकार कायम  कर लिए

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इस युद्ध मैं  पैगोडा हिल  पर कब्जा करने के दौरान सैम मानेकशॉ  दुश्मन  के द्वारा चलाई गई गोली का शिकार हो गया जिसके कारण यह बुरी तरह से  घायल हो गए  उनके इस स्थिति को देखकर उनका बचने का चांस बहुत ही काम लग रहा था |

सैम मानेकशॉ  घायल शरीर को देखकर उनको ऑस्ट्रेलिया के एक सर्जन के पास ले गया गया ऑस्ट्रेलिया के सर्जन ने उनकी स्थिति को देखकर इलाज करने से मना कर दिया क्योंकि उनकी स्थिति काफी गंभीर थी और बचने का कम चांस लग रहा था तभी सैम मानेकशॉ   होश आया तब डॉक्टर ने उनसे पूछा आपको क्या हुआ है तब सैम मानेकशॉ  हंसते हुए कहें कि एक गधे ने मुझे लात लात  मार दिया है उनका अच्छी तरह से इलाज किया जिसके कारण उनको जीवन दान दोबारा प्राप्त हो गया इसके बाद महापुरुष सैम मानेकशॉ  कई बड़े-बड़े पद सौपें गए |

आजादी के बाद (After Independence)

भारत देश के आजादी के बाद विभाजन से जुड़े मुद्दों पर सैम मानेकशॉ  महत्वपूर्ण  योगदान दिए थे साथ ही साथ में नए भारत देश के शासन व्यवस्था  स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाए थे हमारे देश के स्वतंत्रता के समय 1947 -1948 जम्मू कश्मीर के  अभियान में सैम मानेकशॉ अपने युद्ध कौशल का भली-भांति परिचय दिए थे | सन 1964 में सैम मानेकशॉ को को नागालैंड में चल रहे आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए जिम्मेदारी दी गई थी और इस कार्य में इनको सफलता प्राप्त हुई जिसके लिए इनको सन 1968 में पदम् भूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया |

1971 के युद्ध में सेना प्रमुख के रूप में किए गए कार्य

सैम मानेकशॉ को  7 जून 1969 को भारत सेना का प्रमुख बना दिया गया इस पद की जिम्मेदारी को समझते हुए भारतीय सेना में काफी सुधार किया था भारतीय सैनिकों को किसी भी प्रकार के परिस्थितियों में लड़ने के लिए युद्ध कौशल परीक्षण प्रदान किया था और उनके सैनिकों का युद्ध कौशल प्रशिक्षण  को भारत और पाकिस्तान के युद्ध में देखने को मिला यह युद्ध पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति वाहिनी का सहायता देने का निर्णय लिया गया

सन 1971 इस समय हमारे देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी और इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पूछी की  क्या हमारे सैनिक पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति वाहिनी के तरफ से लड़ने के लिए तैयार है तो “सैम मानेकशॉ” जवाब दिया  कि हमारे सैनिक अभी तैयार नहीं है और उन्होंने इंदिरा गांधी को बताया कि सही समय पर हम लोग बांग्लादेश के मुक्ति वाहिनी के तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ेंगे और सन 1971 के अंतिम महीना दिसंबर में यह समय आ गया जब सैम मानेकशॉ  अपनी सेना को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिए

सैम मानेकशॉ ने अपनी बेहतरीन युद्ध कौशल के बदौलत युद्ध के सिर्फ 15 दिन के अंदर पाकिस्तान के 90000 सैनिकों को बंदी बना लिया गया इसके बाद पाकिस्तानी सैनिक आत्म संपन्न कर दिए और इस प्रकार इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई |

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Some Famous Quotes by Sam Manekshaw

1947 मैं देश के विभाजन के समय उनसे पूछा गया कि अगर आपको पाकिस्तान के लिए चुना जाता  तो क्या होता  सैम मानेकशॉ मैं छुट्टी लेते हुए कहा कि ‘ तो मुझे लगता है कि पाकिस्तान 1971 का युद्ध जीत गया होता’

गोरख के विषय में:-‘ अगर कोई आदमी कहता है कि मुझे मौत से डर नहीं लगता है तो वह झूठ  बोल रहा है है या तो गोरख होगा’

‘नेतृत्व सुर्खियों में बने रहने के बारे में नहीं है, यह आपके द्वारा बिना देखे गए कदम उठाने के बारे में है।”

“पेशेवर ज्ञान और पेशेवर क्षमता नेतृत्व के मूल गुण हैं।”

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सैम जी को मिले पुरस्कार एवं उपलब्धियां (Award and Achievement)

सैम मानेकशॉ जी हमारे देश के मातृभूमि का काफी सेवा की है इसलिए इस महापुरुष को भारतीय सेना के द्वारा कुछ पुरस्कार के द्वारा सम्मानित किया गया जो निम्नलिखित है:-

  • पद्म विभूषण
  • पद्म भूषण
  • सैन्य क्रांस

सैम मानेकशॉ  जी के रोमांचक जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म – सैम बहादुर

हम आपको बता दे की हाल के दिनों में विकी कौशल को फिल्म सैम बहादुर में सैम मानेकशॉ की भूमिका में देखा जाएगा। जिसमें उन्होंने काफी अच्छा अभिनय किया है इस फिल्म में पूरी कहानी सैम मानेकशॉ की निजी और सैनिक जीवन में उन्होंने किस प्रकार की कार्य किए थे उसके ऊपर फिल्माया गया है इस फिल्म को देखने के बाद यकीनन आप उनके जीवन के बारे में और भी ज्यादा जान पाएंगे इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है फिल्म सिनेमाघर में 1 दिसंबर को रिलीज होगी | फिल्म के बारे में पूरा डिटेल विवरण हम आपको नीचे दे रहा है –

निर्देशकमेघना गुलजार
लेखकमेघना गुलजार भवानी ईयर शांतनु श्रीवास्तव
अभिनीतसानिया मल्होत्राविकी कौशलफातिमा सना शेखमोहम्मद जीशानजसकरण सिंहनीरज काबीरिचर्ड भक्तिरोहन वर्मा
प्रोड्यूसर्सरोनी स्क्रू वाला

प्रमुख उपलब्धियां (Major Achievements)

हम आपको बता दें कि फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की सबसे बड़ी उपलब्धि है, 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े करना है जैसा कि आप लोगों को मालूम है कि 1971 में भारत पाक के बीच में जबरदस्त युद्ध हुआ था और इस युद्ध में सैम मानेकशॉ को बहुत अहम जिम्मेदारी सेवा के द्वारा दी गई थी उनकी दूरदर्शिता और सूझबूझ के कारण 93000 पाकिस्तान इंडियन फोर्स जवानों को भारत के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था और उसके बाद ही पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ पाकिस्तान के दो टुकड़े करने में उनकी भूमिका सबसे अहम हैं।

निधन (Death)

हमारे देश के महापुरुष सैम मानेकशॉ जी का निधन 27 जून 2008 में निमोनिया रोग से ग्रसित होकर तमिलनाडु हॉस्पिटल वेलिंगटन मैं हुआ जब इनका निधन हुआ था तो इनका उम्र 94 साल का था इनको तमिलनाडु  के ऊटाकामुंड मैं सैन्य सम्मान के साथ उनके पत्नी के कब्र के पास दफनाया गया |

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निष्कर्ष:

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल सैम मानेकशॉ का जीवन परिचय (बायोपिक फिल्म – सैम बहादुर), Sam Manekshaw Biography in Hindi आपको पसंद आया होगा ऐसे में आर्टिकल से जुड़ा कोई भी सवाल है तो  हमारे कमेंट सेक्शन में आकर पूछे उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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