गणेश चतुर्थी 2023:- Ganesh Chaturthi:- गणेश चतुर्थी भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। मुख्य रूप से गणेश पूजा (Ganesh Puja), उत्सव की तरह महाराष्ट्र (Maharashtra), गोवा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, आदि राज्यों में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 को मनायी जायेगी। आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी की पूजन की विधि, गणेश जी की कथा, मंदिर में गणपती मूर्ती स्थापना का सही तरीका और आरती एवं साज-सजावट के तरीके
गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji ki Kahani)
गणेश जी की कथा (Ganesh Ji ki Katha) या गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji ki Kahani) आमतौर पर प्रत्येक गणेश चतुर्थी पर की जाती है। पुराणों के अनुसार, किसी कार्य में विघ्न नहीं होने के लिए दिवशीष्ट योग्य पुरुष के रूप में गणेशजी की रचना की गई थी। इसलिए गणेश जी को हर काम की शुरुआत में पूजा जाता है और इनका आशीर्वाद लिया जाता है। वैसे तो गणेश जी की बहुत सी कहानयां है, उनमे से ही एक इस प्रकार है: –
कई वर्ष पहले की बात है, शिव और पार्वती के पुत्र के रूप में गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश जी का जन्म माँ गौरी के हाथों से हुआ था, उन्होंने अपनी त्वचा की मैल से गणेश जी की प्रतिमा बनाई और उसमे जान डाल दी। जैसे ही गणेश जी का जन्म हुआ, वे मुस्कुराते हुए बहुत ही सूंदर लग रहे थे, मानो कि उनके आने से वातावरण में खुशियां आ गयी हो।
गणेश जी का स्वरुप बेहद ही आकर्षक था। वह बहुत ही बुद्धिमान थे और सभी देवों और लोगों के दिलों में बस गए थे।
एक दिन, गणेश जी और उनके भाई कार्तिकेय के बीच में एक विशेष प्रतियोगिता हुई। प्रतियोगिता का मक्सद था कि जो भी सबसे जल्दी पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही देवसेनापति बनेगा। कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार हो कर निकल गए। लेकिन गणेश जी का वाहन तो मूषक था, जो कि इतना तेज़ नहीं था, परन्तु गणेश जी की बुद्धि ने उन्हें विजयी बना दिया।
गणेश जी ने एक अद्वितीय और चतुर तरीके से उनके माता-पिता की परिक्रमा पृथ्वी मान कर की। इसके बाद सभी देवताओं ने उनकी प्रशंसा की । इससे कार्तिकेय काफी आपत्तिग्रस्त हुए और वे विरोध करने लगे।
कार्तिकेय और गणेश जी के मध्य एक बड़ा विवाद हो गया, और यह विवाद इतना बढ़ गया कि देवों ने इसे सुलझाने के लिए आदिपर्वत और भगवान ब्रह्मा के पास जाने का सुझाव दिया।
इस तरह, गणेश जी ने इस विवाद को सुलझाया| गणेश जी की बुद्धि, विवादों को सुलझाने की क्षमता, और प्रेम ने उन्हें भगवान के देवताओं के रूप में विशेष मान्यता दिलाई।
इस तरह, गणेश जी की कथा हमें यह सिखाती है कि बुद्धिमानी, मुस्कराहट, और प्रेम से हम हर समस्या का समाधान पा सकते है, और यह सभी गुण गणेश जी में पूरी तरह से दिखाई देते हैं। उन्होंने हमें दिखाया कि विवादों को समझाने और सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका समर्पण और सदा सहानुभूति होती है।
गणपति मूर्ती की स्थापना (Ganesh Murti ki Sthapna)
गणेश चतुर्थी के दिन, घर में गणेश जी की मूर्ति (Ganesh Ji ki Murti) की स्थापना की जाती है। मूर्ती स्थापना के लिए सबसे पहले एक उचित स्थान चुनें, अगर आपके घर में गणेश मंदिर है तो बहुत ही उचित होगा। फिर,उस स्थान को साफ़ करें और गणपति मूर्ति (Ganpati Murti) स्थापित कीजिये। ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख पूर्वावधि की ओर होना चाहिए। अपनी श्रद्धा के अनुसार आप गणेश चतुर्थी व्रत भी कर सकते है। गणेश चतुर्थी व्रत का भी बहुत महत्व है, बहुत से लोग इस दिन व्रत कर अपने आप को आनंदित महसूस करते है।
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji ki Aarti)
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की आरती (Ganesh Ji ki Aarti) भी की जाती है। इस आरती को पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ करें। गणेश जी आरती (Ganesh Ji Aarti) के बाद, प्रसाद बांटें और घर के अन्य सदस्यों के साथ गुड़ीची भाजी और मोदक खाएं।
गणेश चतुर्थी व्रत (Ganesh Chaturthi Vrat)
गणेश चतुर्थी या फिर गणेश उत्सव के दिन भगवान गणेश का व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान, गणेश जी की पूजा (Ganesh Ji ki Puja), आरती, मंत्रो का जाप आदि किए जाते हैं। यह व्रत मन को स्थिर और शांत रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्रत के दिन सभी सदस्य एकजुट होकर भोजन करते हैं और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गणेश मंदिर और उत्सव (Ganesh Mandir aur Utsav)
गणेश चतुर्थी के दिन अधिकांश लोग गणेश मंदिरों में जाकर गणेश प्रतिमा (Ganesh Statue) के सामने अपनी प्रार्थना करते हैं। मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित होती है और सुंदर सजावट भी की जाती है। भक्तों द्वारा फूलों का अर्चन, प्रार्थना और आरती गणेश जी की फोटो (Ganesh Ji ki Photo) के सामने की जाती है और अनाज, फल, नारियल आदि समर्पण भी किया जाता है।
गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan)
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दसवें दिन, भगवान गणेश की मूर्ति को समुद्र में विसर्जित किया जाता है। गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) के दिन लोग बड़ी धूमधाम से गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करते हैं। विसर्जन क्रिया के दौरान हरे-भरे रंगों की भरमार, ढोल-नगाड़े, और नाच-गान का आनंद लिया जाता है।
इस गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर, गणपति बप्पा मोरिया (Ganpati Bappa Moriya) के जयकारे लगायें ताकि श्री गणेश रिद्धि सिद्धि (Ridhi Sidhi) के साथ आपके हर कष्ट दूर करे! अपने घर में भगवान गणेश की मंगल मूर्ति प्रतिमा की स्थापना करें और उनकी कथा, गणेश पूजा (Ganesh Pooja), आरती एवं विसर्जन का आनंद लें। इस पर्व को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं और गणपति जी की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करें।