इस्लाम धर्म में ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। यह एक धार्मिक त्योहार है जिसे दुनिया भर के मुसलमान मनाते हैं। इस दिन मुस्लिम न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। ईद रमज़ान के पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है । 30 दिनों के उपवास के बाद, ईद उस महीने के बाद पहला दिन होता है जब मुसलमान उपवास नहीं करते हैं और अपने दिन का पूरा आनंद लेते हैं। इस आर्टिकल में हम ईद पर निबंध (Essay on Eid) लिखेंगे, जिसमे हम आपको ईद की उत्पत्ति कैसे हुई (How to Start Eid), ईद पर निबंध 500 शब्दों मे(Essay on Eid in Hindi in 500 words), ईद पर 10 लाइन का निबंध( Essay on Eid in 10 lines in hindi), और ईद से जुड़े कई बिंदुओं पर विस्तार से बात किया है, इस लेख के माध्यम से हम बच्चों को ईद पर निबंध और ईद के बारे में विस्तृत जानकारी देना चाहते हैं ईद के बारे मे विस्तार से जानने के लिए अंत तक जरूर पढ़े।
ईद की उत्पत्ति कैसे हुई । How to Start Eid
ऐसा माना जाता है कि Eid पर्व सबसे पहली बार 624 इस्वी में पैगंबर मोहम्मद ने मनाई थी। ऐसी लोगो की मान्यता है कि पैगंबर मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद उसकी खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया और वही से ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हो गया। अब इसी दिन को मीठी ईदी या ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है।
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ईद पर निबंध 500 शब्दों मे । Essay on Eid in Hindi in 500 words
ईद-उल-फित्र का त्योहार अर्थात् ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। ईद के दिन, मुसलमान सफेद रंग के नए कपड़े पहनते हैं, उस पर इत्र लगाते है और नमाज अदा करने के लिए मस्जिद मे जाते हैं।
एक साल में ईद दो बार आती है, पहली ईद ‘ईद-उल-फ़ित्र’ होती है, जिसे मीठी ईद कहते हैं। जबकि दूसरी ईद ‘ईद-उल-अज़हा’ होती है, जिसे बकरा ईद के नाम से जाना जाता है।
ईद के बारे मे। About Eid in hindi
Eid का पूरा नाम ईद-उल-फितर है। इस पर्व की शुरुआत सबसे पहले पैगंबर मुहम्मद साहब ने मक्का में की थी।
मुस्लिम समुदाय हर साल ईद का धार्मिक त्योहार मनाते हैं। यह दिन रमज़ान के अंत का प्रतीक है इसलिए वे इस दिन को खूब खुशी के साथ मानते है, और तरह तरह की मिठाई और व्यंजन बनाकर दिल खोलकर खाते हैं।
EId के दौरान सभी लोग अपना उत्साह बढ़ाते हैं और खूब इसका आनंद लेते हैं। सभी लोग एक महीने पहले से ही ईद की तैयारी करना शुरू कर देते हैं। रमज़ान माह की शुरुआत होते ही उत्साह शुरू हो जाता है। ईद पर महिलाएं घर पर नमाज़ अदा करती हैं जबकि पुरुष ईदि या मस्जिद में नमाज़ अदा करने के लिए जाते हैं।
महिलाएं अपनी ड्रेस, चूड़ियां, और प्रसाधन के समान पहले से ही तैयार करना शुरू कर देती हैं। और महिलाएं और लड़कियां अपने हाथों पर मेहंदी भी खूबसूरती से लगाती हैं। दूसरी ओर, पुरुष अपने पारंपरिक कुर्ता और पायजामा की तैयारी करते हैं। इस दिन के लिए अधिकांश पुरुष सफेद रंग का नया कुर्ता सिलवाते है। और नहा धोकर नया कुर्ता पायजामा पहनकर उसे पर इत्र लगाते हैं उसके बाद मस्जिद जाकर रोजा पढ़ते हैं।
सभी लोग चाँद निकलने का इंतजार करते हैं क्योंकि चांद देखने से ही ईद के दिन की पुष्टि होती है और जब चांद को देख लेते हैं तो सभी उसे चांद मुबारक की शुभकामनाएं देते हैं ईद का चांद देखते हैं, तो वे सभी को ‘ चांद मुबारक’ की शुभकामनाएं देते हैं । ईद के दिन मुसलमान समुदाय के लोग एक दूसरे को गले मिलते है और ईद मुबारक कहकर एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इससे वे एक दूसरे के लिए अपने प्यार और स्नेह को साझा करते हैं।
इस दिन मीठी सेवइयां बनाने की एक रस्म है जिसे सेवइयां कहा जाता है। यह दो अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है। साथ मे कबाब, बिरयानी, कोरमा और अन्य व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं। फिर अपने मेहमानों और प्रियजनों के साथ आनंद के साथ भोजन करते है।
इस पर्व मे बच्चे बहुत खुश रहते है क्योकि उन्हे इस दिन खूब मिठाइयां और व्यंजन खाने के लिए मिलती है। साथ ही पहनने के लिए नए कपड़े मिलते हैं और उन्हें ईदी भी मिलती है ईदी एक उपहार होता है जो उन्हें बड़ों से पैसे के रूप में मिलता है, इससे वे अपनी पसंदीदा चीज खरीदते हैं।
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सहरी और इफ्तार का महत्व। Importance of Sehri and iftar
Eid रमज़ान माह के अंत में आता है, मुस्लिम समुदाय के कैलेंडर में यह नौवां महीना होता है।
रमजान के इस पाक महीने में सहरी और इफ्तारी का बहुत महत्व होता है। रमजान मुस्लिम समुदाय के लिए उपवास या रोजा रखने का सबसे पवित्र महीना होता है। इस रोजा में मुसलमान दिन भर बिना कुछ भी खाए रहते है वो सिर्फ सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भोजन करते लोग हैं।
जो भोजन शुरू होता है उससे पहले किया जता है उस सहरी कहते हैं। मुस्लिम धर्म को मानने वाले सभी लोग लगभग अनिवार्य रूप से रोज़े रखते हैं। और इसका पालन करते है।
इफ्तार शाम को नमाज़ के बाद किया जाता है। इसमें खजूर खाकर रोज़ा खोला जाता है। इसे शाम को मगरिब की अजान के बाद खोला जाता है।
ईद पर ‘फितरा’ का महत्व। Importance of Fitara on Eid
Eid का त्योहार मुस्लिम समुदाय बड़ी खुशी के साथ मानता है इस दिन दूसरे धर्म के लोगों को भी अपने घर पर बुलाता है और उन्हें दावत देता है साथ ही ईद पर अल्लाह की इबादत करने के साथ-साथ चित्र का भी बहुत महत्व है। ज़कात की तरह ही ईद के दिन ज़कात अल-फ़ितर किया जाता है। जहां ज़कात में पैसे, सोने आदि का ढाई प्रतिशत दान किया जाता है। वहीं, फितरा मे सवा दो किलो गेहूं या फिर उसके बराबर पैसे दान दिए जाते हैं। आप आप अपनी इच्छा और समर्थ के अनुसार इसे ज्यादा भी दे सकते हैं इस फितरे को गरीबों विधवाओं और जरूरतमंदों को दिया जाता है ।
ईद पर 10 लाइन का निबंध। Essay on Eid in 10 lines in hindi
ईद-उल-फितर के नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार रमजान माह ओके एंट मैं मनाया जाता है। सब बड़े खुशी और हर्षोल्लास के साथ इसको मानते हैं नीचे हमने ईद पर छोटे बच्चों के लिए 10 लाइन का निबंध लिखा है ।
- Eid मुसलमानो का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है।
- Eid खुशियों से भरा त्योहार है और लोग इसे खुशी के साथ मानते है।
- Eid के त्योहार में सबसे ज्यादा खुश बच्चे होते हैं, क्योंकि घरों में बच्चों के लिए विशेष मिठाइयां बनाई जाती हैं और उन्हें नए कपड़े दिलाए जाते हैं।
- ईद-उल-फितर का त्योहार रमजान के पावन महीने में मनाया जाता है, इसलिए कुछ लोग इस त्योहार को रमजान के नाम से भी पुकारते हैं।
- इस दिन लोग नहा धोकर सफेद कपड़ा पहनते हैं तथा उसपर इत्र लगाते हैं क्योंकि सफेद रंग पवित्रता तथा सादगी का प्रतीक होता है।
- मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन नये कपड़े पहनकर मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाते हैं।
- इस्लामिक मान्यता के अनुसार इस त्योहार का प्रारम्भ मुहम्मद साहब द्वारा ब्रद के युद्ध को जीतने के बाद हुआ था।
- ईद-उल-फितर अर्थात् ईद का पर्व रमजान माह के अंत में 30 दिनों तक रोजा रहने के बाद चांद को देखकर मनाया जाता है।
- इस त्यौहार का उद्देश्य आपस में प्रेम एवं भाईचारा को बढ़ावा देना है।
- पूरी दुनिया में मुस्लिम धर्म के अनुयायी इस त्योहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं।
Conclusion|निष्कर्ष
यह त्योहार खुशी और जश्न के साथ मनाया जाता है और यह त्यौहार हर किसी के जीवन में ढेरों खुशियां लेकर आता है। इस लेख में हमने ईद पर निबंध(Essay on Eid) लिखा है साथ ही हमने Eid से जुड़े कई बिंदुओं जैसे Eid की उत्पत्ति कैसे हुई, सहरी और इफ्तार का क्या महत्व है, Eid पर फितरा का क्या महत्व है, इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से बात किया है अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों को भी साझा करें