होली का त्यौहार (Festival of Holi) अधर्म पर धर्म की विजय को प्रतीत करता है। रंगो के त्यौहार को आमंत्रित करता है। किसानों के लिए रबी की फसल को पकने की खुशखबरी लाता है। प्रकृति सौंदर्य का पैगाम लाती है। आपसी भाईचारे को रंगों से रंग ने हेतु तथा जीवन को सातों रंगों से खुशनुमा बनाने हेतु धूलंडी (Dhulandi) का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष होली का त्यौहार 24 मार्च 2024 रविवार के दिन मनाया जाएगा। अगले दिन 25 मार्च 2024 को रंगो का त्यौहार माने जाने वाले Dhulandi का त्यौहार मनाया जाएगा। होली पर निबंध लिखना। (Holi par Nibandh Hindi Mein) होली की कथा को बताना। सही भाषा व सटीक भाषा में प्रदर्शित करना। हम आपको इस लेख में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं। यदि आप भी होली पर निबंध लिखने की चेष्टा कर रहे हैं। तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही अहम साबित होने जा रहा है।
होली पर निबंध कैसे लिखें | Holi par Nibandh Hindi Mein | Holi essay in Hindi
Holi par Nibandh Hindi Mein:- सृष्टि चक्र में चारों युग सतयुग, कलयुग, त्रेता युग, द्वापर युग चल रहे कलयुग में एक परंपरा रही है। कि जब भी धर्म को झुकाने की कोशिश की गई है। तब-तब भगवान ने अवतार लेकर उस अधर्मी आतताई को नष्ट किया है। धर्म की पुनः स्थापना की है। सतयुग की कहानी पर निर्भर होली का त्यौहार बहुत ही अहम स्थान रखता है। जो भक्तों की रक्षा करने हेतु स्वयं परमात्मा उपस्थित होते हैं। अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इसी संबंध में होली का त्यौहार मनाया जाता है। राक्षसी रूपी होलिका का वध किया जाता है। होली पर निबंध लिखने के लिए सबसे पहले होली की संपूर्ण कथा को सही से समझना चाहिए। उसे लेखबद्ध करते हुए प्रस्तावना, होली कथा, होली का महत्व, होली मनाए जाने के सभी कारणों पर रोशनी डालने चाहिए। ताकि आपका लेख एक अच्छा सुलेख के रूप में पढ़ा जाए। यदि आप चाहे तो होली पर श्यारी, होली कोट्स, होली निबंध, होली क्यों मनाया जाता हैं, होली शुभकामनाएं सन्देश निबंध में लिख सकते हैं।
होली निबंध की प्रस्तावना | Introduction of Holi Essay
पौराणिक कथाओं वह हिंदू धर्म में मौजूद कथाओं का वर्णन मिलता है। उसी वर्णन को आज भी हम गौरव के साथ तथा धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व देते हैं। उसी महत्व को हम त्यौहार के रूप में मनाते हैं। चाहे वह दीपावली हो या होली, राखी हो तथा अन्य कोई त्यौहार हो। सभी हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले त्यौहार पौराणिक कथाओं पर आधारित है। सभी त्योहारों का समय के अनुसार विशेष महत्व भी है। होली का त्योहार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च 2024 रविवार को शाम 9:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक होलिका दहन किया जाएगा। अगले दिन सवेरे 25 मार्च 2024 रविवार के दिन धूलंडी के रूप में होली त्यौहार को आनंद के साथ मनाया जाएगा। 25 मार्च की होली को हम रंगों की होली भी कह सकते हैं
होली क्यों मनाई जाती है | होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
होलिका दहन की विशेषता | Specialties of Holika Dahan
होलिका दहन पौराणिक कथा से तो जुड़ा ही है। यदि हम इसे आज के समय से जोड़कर देखें तो होली का एक धर्म का प्रतीक है। इसे जला कर हम धर्म को अधर्म पर विजय स्थापित करने का प्रतीक मान सकते हैं। प्राचीन युगो से चली आ रही अधर्म पर धर्म की विजय की प्रथा आज भी लागू होती है। होलिका दहन भी इसी बात को प्रतीक करता है कि धर्म हमेशा धर्म के सामने छोटा ही है। इसे धर्म के सामने झुकना ही पड़ता है। भक्त प्रहलाद जो की होली त्यौहार के महत्वपूर्ण पात्र हैं। इन्होंने धर्म के रूप में भगवान विष्णु का ध्यान किया है। द्वादश मंत्र “ओम नमो: भगवते वासुदेवाय” का जाप करते हुए अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित की है।
होली त्यौहार का महत्व | Importance of Holi Festival
यदि हम आज के समय की बात करें तो पौराणिक कथाओं से चली आ रही प्रथा को हम होली के रूप में मनाते आ रहे हैं। सतयुग में हुई एक अधर्म पर धर्म की विजय की घटना ने आज भी संसार को शिक्षा देने का हक रखती है। सतयुग में राक्षस राज हिरण्यकश्यप द्वारा खुद के ही पुत्र भक्त प्रह्लाद को विभिन्न तरीकों से मृत्यु तक पहुंचाने की चेष्टा की गई थी। वह सभी चेष्टाएँ फलित नहीं होने पर अंत में होलीका राक्षसी की मदद ली गई।
दरशल, होलीका हिरण्यकश्यप की बहन थी। जिसे ब्रह्मा जी से अग्नि से प्रतिरक्षा का वरदान प्राप्त था। इसी वरदान का दुरुपयोग करते हुए होलीका राक्षसी ने भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर जलाने की कोशिश की। परंतु भक्त प्रह्लाद का भगवान विष्णु में ध्यान लगाने की वजह से बाल भी बांका नहीं हुआ। होली का राक्षसी स्वयं जलकर राख हो गई।
आज के समय में भी ऐसा ही हो रहा है। जो दूसरों को जलाने की कोशिश करता है। अक्सर उसके हाथ पहले उसी अग्नि में जला करते हैं। जो धार्मिक लोगों को धर्म को तथा सत्यवादी इंसान को झुकाने की डराने की कोशिश करते हैं। उन्हें दूसरों को नुकसान पहुंचाए जाने वाले तरीकों से खुद को ही नुकसान होता है। जैसे:- दूसरों के लिए खोदा गया गड्डा खुद के लिए ही काल का कारण बनता है।
The Complete Story of Holika Dahan
सतयुग में हिरण्यकश्यप नामक के एक राजा थे। राजा ने ब्रह्मा, शिव से कठिन घोर तपस्या कर अजर-अमर होने का वरदान मांगा था। हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी ने अजर-अमर होने का वरदान तो दे दिया परंतु उन्हें कहा कि ना तो आप दिन में मरोगे, ना शाम को मरोगे ना, अस्त्र से ना शस्त्र से, ना मानव से ना जानवर से, ना आकाश में ना पाताल में, ना अंदर ना बाहर आपके प्राणों को कोई आपसे छीन नहीं सकेगा। ऐसा वरदान हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से प्राप्त हुआ। हिरण्यकश्यप राक्षस जाति से थे। तो उन्हें अपनी शक्तियों पर घमंड होने लगा। वह खुद को भगवान समझने लगा। पूरी प्रजा में खुद को भगवान कहने का आदेश जारी कर दिया। हिरण्यकश्यप को भगवान विष्णु से अधिक घृणा थी। धीरे-धीरे समय बीतता चला गया। कुछ दिनों बाद हिरण्यकश्यप की पत्नी गर्भवती हुई। दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने अपनी दिव्य दृष्टि से पता किया कि जो महारानी के पेट में संतान पल रही है। वह विष्णु भक्त है और अभी से विष्णु का जाप कर रही है। यह बात जब हिरण्यकश्यप को पता चली, तो उसने रानी के गर्भ को गिराने के अनेक उपाय किए। परंतु सफल नहीं हो सके। कुछ दिनों बाद बालक का जन्म हो गया। बालक का बचपन से ही नाम प्रहलाद रखा गया। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे और आठों पहर भगवान विष्णु का जाप किया करते थे। भक्त प्रहलाद का जाप करना उनके पिता हिरण्यकश्यप को अच्छा नहीं लगता था। तो उन्होंने भक्त प्रहलाद को प्राण दंड दे दिया। प्रह्लाद को अनेक तरीकों से मृत्यु तक पहुंचाने की कोशिश की गई। परंतु सभी उपाय असफल रहे।
कुछ दिनों बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर जलाने की बात हिरण्यकश्यप को बताई। होलिका को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था की अग्नि में उसका शरीर नहीं जलेगा। इसी दिव्य शक्ति का होलिका ने गलत उपयोग करते हुए भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर आग की चिता पर बैठ गई। भक्त प्रहलाद जैसे ही भगवान विष्णु का जाप करने लगे तो भक्त पहलाद को आंच भी नहीं आई। धीरे-धीरे होलिका का पूरा शरीर जल कर राख हो गया।
भक्त पहलाद को कोई नहीं मिटा सका। कुछ दिनों बाद पहलाद ने अपने पिताश्री से कहा, कि आप भगवान विष्णु का ध्यान कीजिए। वह सर्वशक्तिमान है और हर कण-कण में निवास करते हैं। आपके भीतर मेरे भीतर, बाहर जहां पर भी हमारी दृष्टि नहीं जाती है। वहां पर भगवान विष्णु का वास है। यह बात हिरण्यकश्यप को बहुत ज्यादा चुभने लगी। हिरण्यकश्यप ने कहा क्या तेरे भगवान विष्णु इस खंभे में भी है? भक्त प्रहलाद ने कहा कि वह कण कण में है। तो अवश्य ही निश्चित तौर पर भगवान इस खंभे में भी है। हिरण्यकश्यप ने क्रोधित होकर उस खंभे को तोड़ने की चेष्टा की। जैसे ही खंबे को तोड़ा गया तो उसमें भगवान विष्णु नरसिंह रूप में अवतरित हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप को ऐसे समय में मृत्यु के घाट उतार दिए जो ब्रह्माजी के दिए हुए वरदान से अलग थे।
भारतवर्ष में आज भी होलिका दहन इसी वजह से और इसी कथा को मानते हुए बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन के समय भक्त पहलाद को बचाया जाता है।
FAQ’s Holi par Nibandh Hindi Mein
Q. होली पर निबंध कैसे लिखें?
Ans. होली पर निबंध लिखना बहुत ही सरल है. सबसे पहले होली मनाए जाने के कारणों को स्पष्ट करें तथा होली दहन से लेकर होली का वध भक्त पहलाद की कथा को सही से रोशनी डालते हुए प्रकाशित करें. ताकि आपका लेख और भी खूबसूरत और पढ़ने योग्य बन सके |
I liked your Holi festival essay in Hindi. You have given a very brief explanation about the festival in Hindi. Keep writing such excellent content. Your content is so unique. Thank you.