महाशिवरात्रि त्यौहार 2023 | Mahashivratri Festival | जानिए  शिव रात्रि का महत्व, पूजा, व्रत विधि एवं शुभ मुहूर्त | शिव मन्त्र एवं शिव चालीसा पढ़ें

Mahashivratri 2022

हमारे हिंदू ग्रंथों के अनुसार “ब्रह्मा विष्णु महेश” त्रिदेव में भगवान शिव महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भगवान शिव की पूजा आराधना हर सोमवार को की जाती है। इसके अतिरिक्त शिव भक्त शिवजी की आराधना प्रत्येक क्षण करते हैं। भगवान शंकर की वार्षिक पूजा आराधना महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के दिन की जाती है। बसंत ऋतु के फाल्गुन मास की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। वर्ष 2022 में शिवरात्रि  मंगलवार 1 मार्च  2022 को मनाई जाएगी। शिवरात्रि के दिन भक्त अपने शिव के रूप में विराजमान प्रतिमा शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा करते हैं।आस्था रखते हुए व्रत धारण करते हैं।

आइए जानते हैं, महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? महाशिवरात्रि का महत्व क्या है? महाशिवरात्रि पूजा विधि क्या है? महाशिवरात्रि 2022 में कब है? महाशिवरात्रि के दिन पूजा कैसे करें? महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा क्यों होती है?  महाशिवरात्रि के दिन पूजा कैसे की जाती है तथा व्रत धारण करने की विधि? महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि की विस्तृत जानकारी आप इस लेख में जाने वाले हैं। इसलिए शिवरात्रि से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को ध्यानपूर्वक जरूर पढ़ें।

महाशिवरात्रि 2022 | Mahashivratri 2022 | शिवरात्रि का महत्व | Importance Shivratri

इस वर्ष 2022 में Mahashivratri 2022 1 मार्च 2022 मंगलवार फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाई जाएगी। शिवरात्रि के दिन शिव भक्त अपने प्रभु की पूजा आराधना करते हैं पंचामृत अभिषेक कर भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाया जाता है। भगवान शिव की पूजा आराधना उनके द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग अर्थात शिवलिंग को साक्षी मानकर की जाती है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु, महेश त्रिदेव इस संपूर्ण सृष्टि की महत्वपूर्ण शक्ति हैं। ब्रह्मा इस संसार की उत्पत्ति करते हैं।  विष्णु संसार का पालन करते हैं और भगवान शिव संसार का संहार करते हैं। भगवान शिव को उनके भक्त कई नामों से पुकारते हैं:- जैसे भगवान शंकर, भोलेनाथ, त्रिभुवन पति, त्रिनेत्र धारी, बाबा शिव, कैलाशपति, बाबा अघोरी, नीलकंठ, महादेव, शंभू, शंकरा, रुद्रा,आदि नामों से विख्यात हैं।

महाशिवरात्रि कैसे मनाया जाता है | How is Mahashivratri celebrated

महाशिवरात्रि प्रत्येक वर्ष बसंत रितु के फाल्गुन मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। शिव भक्त अपने प्रभु की आराधना हेतु शुभ मुहूर्त में जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक तथा फूल पुष्प आदि समर्पित कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी के साथ भगवान शिव को चंदन का टीका लगाकर उन्हें धतूरा, बेल पत्र अन्य प्रकार के पुष्प एवं फल अर्पित किए जाते हैं। महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 1 मार्च 2022 को प्रातः 3:00 बजे से शुरू होकर 2 मार्च 2022 सुबह 10:00 बजे तक रहेगा। शिव भक्त भगवान शिव की आराधना चारों पहर में शुभ अमृत एवं लाभ के चौघड़िया में शिव पूजा करते हैं।  देश में जितने भी शिव मंदिर हैं वहां पर शिवरात्रि के दिन मंगल गान गाए जाते हैं। भजन कीर्तन आदि किए जाते हैं। 

शिवरात्रि क्यों मनाया जाता है | Why is Shivratri celebrated

प्रथम मान्यता:- भगवान शिव की पूजा आराधना को विशेष त्यौहार शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे हिंदू ग्रंथों में दर्ज जानकारी यह बताती है, कि भगवान शिव का इस दिन माता पार्वती से विवाह हुआ था। इसी दिन को भक्तगण आराधना व आस्था स्वरूप मध्यमान कर भगवान शिव की पूजा करते हैं।  भगवान शिव को पूजने के लिए वैसे तो कोई विशेष अवसर की आवश्यकता नहीं है। परंतु वार्षिक अवसर के रूप में बसंत  ऋतु के फाल्गुन मास की चतुर्दशी को भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था। इसी विवाह संपन्न तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ग्रंथ मान्यताओं के आधार पर भगवान शिव की पूजा आराधना करना उन्हें अतिशय प्रसन्न करती है। शिवरात्रि के दिन पूजा आराधना करने के साथ-साथ व्रत धारण करने पर विवाह संबंधी हो रहे अड़चनें भी दूर हो जाती है।

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द्वितीय मान्यता:- भगवान शिव वैसे तो आदि अनादि हैं। परंतु मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव इस दिन शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और प्रथम पूजा ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने की थी। इन्हीं मान्यताओं के चलते  शिवरात्रि को भगवान शिव के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।

तृतीय मान्यता:- भगवान शिव की पूजा आराधना महाशिवरात्रि के दिन तो होती ही है। इसी के साथ वर्ष में जितने भी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष आते हैं। उन्हें शिवरात्रि के रूप में ही देखा जाता है। इसी के साथ भगवान शिव मध्य रात्रि को निराकार स्वरूप को त्याग कर साकार स्वरूप अथार्त रूद्र अवतार में प्रकट होते हैं।

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त | mahashivratri Shubh Muhurat 2022

बसंत ऋतु के फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। 1 मार्च 2022 मंगलवार को शिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। विद्वान पंडितों के अनुसार महाशिवरात्रि के शुभ मुहूर्त निकाले गए हैं। जो इस प्रकार हैं:-

  • महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगा।
  • पहले प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। 
  • दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
  • तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
  • चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।
  • व्रत पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना कैसे करें |

Mahashivratri 2022 पूजा विधि:- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना आस्था के साथ की जाती है, तथा इस दिन व्रत धारण कर मनोवांछित फलों की प्राप्ति हेतु प्रार्थना की जाती है। ऐसी मान्यताएं भी है, कि जो कुंवारे लड़के या लड़की महाशिवरात्रि का व्रत धारण करते हैं। तो उनके विवाह संबंधी हो रही अड़चनें दूर हो जाती है तथा कन्या को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

  • शिवरात्रि के दिन जातक सवेरे जल्दी स्नान कर महाशिवरात्रि की पूजा तैयारी करते हैं।
  • सर्वप्रथम शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक किया जाता है।
  • पंचामृत अभिषेक के बाद भगवान शिव को फूल पुष्प एवं फल आदि समर्पित किए जाते हैं।
  • भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाया जाता है।
  • यथासंभव मंत्र उच्चारण कर भगवान शिव को प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है।
  • पूजा करते समय आप इन सभी मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
  • ओम नमः शिवाय,
  •  ॐ सर्वेशेवराय नमः
  • ओंकार आए नमः
  •  नीलकंठ महादेवाय नमः
  • ‘ओम अघोराय नम:।।
  • ओम तत्पुरूषाय नम:।।
  • ओम ईशानाय नम:।।
  • ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’
  • इसी के साथ पूजा  समाप्त होने के बाद शिव चालीसा का भी पाठ किया जा सकता है।
  • शिव चालीसा पाठ पूर्ण करने के पश्चात भगवान शिव के समक्ष शिवरात्रि के व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा इससे विधि विधान के साथ पूर्ण और अंत में व्रत पारण करना चाहिए।
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शिवरात्रि व्रत धारण कैसे करें

 Mahashivratri 2022 व्रत विधि:- महाशिवरात्रि का व्रत प्रत्येक शिव भक्तों को रखना चाहिए। इसी के साथ जो भी जातक किसी भी देव को भजते हैं। उन्हें महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक और यदि संभव हो तो पंचामृत अभिषेक जरूर करना चाहिए। सभी विधियां पूर्ण करने के पश्चात व्रत धारण कर सकते हैं। व्रत धारण करते समय संकल्प जरूर लें और चतुर्दशी या फिर अगले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

शिव चालीसा का पाठ कैसे करें

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु शिव चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इस पाठ को करते समय भगवान शिव का ध्यान अवश्य करें। अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति अपने भक्ति भाव को प्रकट करें। नीचे दी गई चालीसा पाठ को ध्यान पूर्वक मदद करें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन,

मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम,

देहु अभय वरदान ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ 

भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ 

अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ 

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 

मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ 

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ 

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ 

कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 

देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ 

किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ 

तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ 

आप जलंधर असुर संहारा । सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ 

किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ 

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ 

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥ 

कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ 

सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 

एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥ 

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥ 

जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥ 

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ 

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ 

मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ 

स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥ 

धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥ 

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

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शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ 

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥ 

नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ 

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ 

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ 

जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

        दोहा 

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा । 

तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥ 

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान । 

अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

FAQ’s Mahashivratri 2022

Q. 2022 में महाशिवरात्रि कब है?

Ans.   इस वर्ष महाशिवरात्रि मंगलवार 1 मार्च 2022 को मनाई जाएगी।

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Q. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है तथा महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?

Ans. संपूर्ण भवन में त्रिदेव महत्वपूर्ण शक्ति है। जिनमें ब्रह्मा विष्णु महेश विराजमान है और भगवान शिव तीनों शक्तियों में सर्वश्रेष्ठ एवं प्रभावशाली हैं। भगवान शिव के विवाह तथा भगवान शिव निराकार से साकार अर्थात रूद्र रूप में प्रकट होते हैं। इसी रात्रि को शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। इस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शिवरात्रि का अत्यधिक महत्व है। शिवरात्रि के दिन से प्रकृति में काफी बदलाव देखने को मिलते और शिव भक्त अपने  प्रभु भगवान शिव की पूजा आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। और उनसे आशीर्वाद की अपेक्षा रखते हैं।

Q.  महाशिवरात्रि कैसे बनाई जाती है?

Ans. महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं।  शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक किया जाता है। फुल -पुष्प फल आदि अर्पित किए जाते हैं। शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाया जाता है। विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के पश्चात व्रत धारण करने का संकल्प लिया जाता है तथा अगले दिन प्रात काल व्रत को विधि विधान के साथ पारण किया जाता है।

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