प्रकृति हमें हर पर कोई ना कोई संदेश देती है। प्रकृति से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। अगर नेचर ना हो तो लाइफ के बारे में हम सोच ही नहीं सकते हैं। जब भी आप थके हुए होते हैं और किसी पेड़ की छांव में बैठ कर आंख बंद कर लें, तो एक सुकून सा आपके लिए मिल जाता है। पेड़ों की शुध्द हवा, छांव, चिड़ियों की चहचहाहट, भौंरे का गुंजन आपके अंदर एक असीम शांति को अनुभव कराता है। इंसान भी प्रकृति का हिस्सा है। फिर भी इंसान ने ही प्रकृति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
Heart Touching Poem On Nature In Hindi। प्रकृति पर दिल को छूने वाली कविता
हरे-भरे खेतों में बरस रहीं बूंदें, खुशी से आया है सावन
भर गया खुशयों से मेरा आंगन, खिल गया फिर से यौवन।
कलयुग में अपराध का बड़ गया इतना प्रकोप।
आज फिर से कांप उठी फिर से धरती मां की कोख।।
बागों में जब बहार आने लगे, कोयल अपना गीत सुनाने लगे।
कलियों में निखार छाने लगे, भंवरे जब उन पर मंडराने लगे।।
मान लेना वसंत आ गया, रंग बसंती छा गया।।
खेतों में फसल पकने लगे, खेत खलिहान लहलहाने लगे।
डाली पे फूल मुस्कुराने लगे, चारों तरफ खुशबू फैलाने लगे।।
आम पर मौर जब आने लगे, पुष्प मधु से भर जाने लगे।
भीनी भीनी सुगंध आने लगे, तितलियां उनपे मंडराने लगे।।
मान लेना बसंत आ गया, रंग बसंती छा गया।।
सरसों पे पीले फूल दिखने लगे, वृक्षों में नई कोंपले खिलने लगे।
प्रकृति सौंदर्य छटा बिखेरने लगे, वायु भी सुहानी जब बहने लगे।
मान लेना बसंत आ गयाा, रंग बसंती छा गया।।
प्रकृति ना सिर्फ हमें मोटिवेट करती है, बल्कि इसके साथ रहने से हमारी चेतना में भी विस्तार होता है। नेचुरल जगह पर रहने से ना तो हम बीमार पड़ते हैं और ना ही हमारे मन में किसी तरह का कौतूहल रहता है। इसलिए हमें हमेशा नेचर के साथ चलना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने लगाना चाहिए। पॉलिथीन का उपयोग कम करना चाहिए। साथ ही आसपास की गंदगी को साफ करना चाहिए जिससे हमारा मोहल्ला, गांव, शहर स्वस्थ रहे। प्रकृति हमें सोचने का एक अलग ही नजरिया प्रदान करती है।
Short Poem On Nature In Hindi। हिंदी में प्रकृति पर छोटी कविता
ऋतुओं के संग-संग मौसम बदले, बदल गया जीवन आधार।
मानव तेरी विलासिता की चाहत में, उजड़ रहा प्रकृति का श्रंगार।
दरख्त बेल, घास-फूस और झाड़ियां, धरा से मिट रहा हरियाली आधार।
खो गई गोरैया की चीं चीं, छछूंदर की खो गई सीटी।
मेढ़क की अब टर्र-टर्र गायब है, सुनी न कोयल की बोली मीठी।
धीरे से लुप्त हो रहा संसार, मिट रहा मधुकर श्रेणी का परिवार।
तितलियां अब जाने कहां मडराती हैं, टिड्डों को टीली अब न आती है।
भंवरों की गुंजन को पुष्प तरसते, अब न बसंत में फूल ही बरसते।
लील गया मानव का अत्याचार, उजड़ रहा प्रकृति का श्रंगार।।
Rhyming Poem On Nature In Hindi। हिंदी में प्रकृति पर कविताएं
हरियाली की चूनर ओढ़े, यौवन का श्रंगार किए।
वन-वन डोले, उपवन डोले, वर्षा की फुहार लिए।
कभी इतराती, कभी बलखाती, मौसम की बहार लिए।
स्वर्ण रश्मि के गहने पहने, होंठो पर मुस्कान लिए।
आई है प्रकृति धरती पर, अनुपम सौंदर्य का उपहार लिए।
हमें प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए, जिससे यह संसार का चक्र अच्छे से चलता रहे। प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। बदले में हमारा फर्ज भी है कि हम इसे साफ और स्वच्छ रखें। दिनों दिन हम प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्लास्टिक आज एक भारी बड़ी समस्या बन गया है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा थैले का इस्तेमाल करना चाहिए। हमसे जितना हो सके उतना प्रयास हमें करना चाहिए।
Poem On Nature In Hindi For Class 6th, 7th, 8th, 9th। 6 से 9वीं तक के बच्चों के लिए हिंदी में कविताएं।
आ रही सौंधी-सौंधी खुशबू जमी से, करम मेघा का, कह रहा हूं यकीं से।
लोट लूं इसके आंचन तले जी भरके, करूं याद लड़कपन के लम्हे हसीं से।
आओ सखी, बना लें मिट्टी के घरौंदे, शायद उभरे मासूमियत यहीं कहीं से।
ये नदिया किनारे, मेरे सांझ सवेरे
इन्ही से सुकून इन्हीं में मेरे बसेरे।
थे ललचाते जैसे सांवरे को जमुना तीरे,
बस गए हैं दिल में धीरे-धीरे।
है दुआ मालिक से, रहूं घुल के इनमें,
रहें करते नृत्य गोपियों के सदृश सपने।
प्रकृति की लीला न्यारी, कहीं धूप कहीं छांव है।
कहीं उफनता समुद्र है, तो कहीं शांत सरोवर है।
कभी गगन नीला, लाल, पीला हो जाता है।
काले बादलों से आसमान घिर जाता है।
सूरज रौशनी से जग को रोशन करता है।
अंधियारी रात में चांद तारे टिमटिमाते हैं।
प्रकृति हरियाली की चादर जब ओढ़ लेती है।
प्रकृति की लीला न्यारी है, प्रकृति की लीलान्यारी है।
अगर इंसान प्रकृति के साथ जीना सीख ले तो उसे किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। आज कई तरह की बीमारियों ने जन्म ले लिया है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रकृति को नुकसान पहुंचाना भी है। घरों में एसी लगने से बाहर का वातावरण गर्म और घर के अंदर का ठंडा हो जाता है। लेकिन एसी से पर्यावरण को नुकसान तो है ही, साथ ही इंसान को भी कई तरह की बीमारियां होती है क्योंकि हम मशीनी हवा ले रहे हैं। इसके अलावा जल को प्रदूषित करने से पीने का पानी का संकट आज कई शहरों में देखने को मिलता है। अब हमें गंदे पानी को फिल्टर करके पीना पड़ता है। अभी भी समय है चेत जाओ नहीं तो बहुत बुरा हश्र होने वाला है।
Poem On Nature In Hind। हिंदी में प्रकृति पर कविताएं
ये वृक्षों में उगे परिंदे, पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिए।
अग जग में अपनी सुगंधित का दूर-पास विस्तार किए।
झांक रहे हैं नभ में किसको, फिर अनगिनती पांखों से,
जो न झांक पाया संसृति पथ, कोटि-कोटि निज आंखों से।
श्याम धरा, हरि पीली डाली, हरी मूठ कस डाली,
कली-कली बेचैन हो गई, झांक उठी क्या लाली।
आकर्षण को छोड़ उठे ये, नभ के हरे प्रवासी,
सूर्य-किरण सहलानेन दौड़ी, हवा हो गई दासी।
बांद दिए ये मुकुट कली मिस, कहा धन्य हो यात्री,
पर होनी सुनती थी चुप-चुप, विधी-विधान का लेखा।
उसका ही था फूल, हरी थी, उसी भूमि की रेखा।
यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखी है। इसमें प्रकृति के बारे में गहराई से बताया गया है। उनके शब्द इतने तुले हुए होते थे कि कई लोगों के समझ से परे थे। उन्होंने हमेशा ही सही का साथ दिया और मनुष्य को जाग्रित रहने का संदेश दिया।