साल 2023 में गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन गुरुओं को सम्मान देने का दिन है। इस दिन हर शिष्य अपने गुरु को याद करता है और उन्हें सम्मान देता है। गुरु का हमारे जीवन में एक बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है। गुरु ही है जो हमें सही गलत की शिक्षा देते है। माता पिता के बाद गुरु को ही भगवान का दर्जा दिया गया है। गुरु का दर्जा हिंदू धर्म में बहुत ही ऊपर माना गया है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लोग अपने गुरुओं को कविता के जरिए उनके प्रति सम्मान दिखाते हैं।अगर आप भी अपने गुरु को इस गुरु पूर्णिमा पर विशेष तरीके से बधाई देना चाहते हैं और उनके लिए कविता बोलना चाहते हैं तो यह एक आपके काफी कम आएगा इस लेख में हमने कई तरह की कविताओं को संकलित कर तैयार किया है जो की विभिन्न बिंदु के जरिए हम आपके सामने रखने जा रहे हैं। इस लेख में हमने कई पॉइन्ट जोड़े है जैसे कि गुरु को सम्बोधित करती 10 अनमोल कविता,गुरु पूर्णिमा पर कविता 2023,Guru Purnima Poem In Hindiगुरु पूर्णिमा पर कविता (Poem on Guru Purnima)Guru Purnima Kavita In Hindi Hindi Poem on Guru गुरु पूर्णिमा की कविता गुरु पूर्णिमा पर कुछ दोहे Guru Purnima per dohe।
गुरु को सम्बोधित करती 10 अनमोल कविता
माँ पहली गुरु है और सभी बड़े बुजुर्गों ने
कितना कुछ हमे सिखाया हैं
गुरु पूजनीय हैं
बढ़कर है गोविंद से
कबीर जी ने भी हमे सिखाया हैं
पशु पक्षी फूल काटे नदियाँ
हर कोई हमे सिखा रहा हैं
भारतीय संस्कृति का कण कण
युगों युगों से गुरु पूर्णिमा की
महिमा गा रहा हैं…
ऐ गुरुवर तेरे शिष्य हम,
गुरुवर को हमारा नमन
गुरुवर की जगह, है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
जब गुरुओं का हो सामना,
तब पूरी हो हर कामना
गुरुओं ने दिया,ज्ञान की ज्योति को,
जिससे जीवन ये रोशन हुआ
बढ़ चले ये हमारे कदम,
है ये गुरुओं की शिक्षा का असर
गुरुओं की जगह,है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
ये गुरुवर तेरे शिष्य हम
जिसने हमको दिया है जनम,
पहली गुरु मां को भी नमन
वो सभी गुरु है, जिसने दिया है,
जीवन में आगे बढ़ने का हुनर
बन गए हैं हम अच्छे इसान,
है ये गुरुओं का हमारे वरदान
गुरुवर की जगह, है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
ये गुरुवर तेरे शिष्य हम
हे गुरु मुझे ऐसा वर दो,
जीवन मेरा जगमग कर दो।
जिस पथ पर मैंने कदम रखा,
हे सुधी शूलहीन कर दो।मर्मज्ञ तुम्हारे कदम तले,
सकल विश्व लघु लगता है।
हे पंडित, ज्ञानी, प्रज्ञ, सुज्ञ,
आचार्य तुम्हारी प्रभुता है।
मैं तन की छाती चीर सकूं
मेरा शस्त्र ज्योतिर्मय कर दो।हे गुरु मुझे ऐसा वर दो…
गतिशील मेरी तब नौका हो,
जब तूफानों का मौका हो।
गिरी तोड़ बढूॅं आगे पथ में,
ध्वज राज करें हरदम रथ में।
मैं नभ में स्यदंन चला सकूं,
मेरे साहस को दुगुना कर दो।हे गुरु मुझे ऐसा वर दो…
तुम सकल जगत की शक्ति हो,
मेरे अंतस्थल की भक्ति हो।
यदि भटक जाऊं नीज पथ से मैं,
मेरे पथ को आलोकित कर दोहे गुरु मुझे ऐसा वर दो….
मद, लोभ, रोष, प्रतिघात, काम,
न निकट आए मेरे चित्त धाम,
तव चरण-शरण ऋषि पहुंचा है,
आचरण ऋषि सम हो वर दो।हे गुरु मुझे ऐसा वर दो..
ऐ गुरुवर तेरे शिष्य हम,
गुरुवर को हमारा नमन
गुरुवर की जगह, है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
जब गुरुओं का हो सामना,
तब पूरी हो हर कामना
गुरुओं ने दिया,ज्ञान की ज्योति को,
जिससे जीवन ये रोशन हुआ
बढ़ चले ये हमारे कदम,
है ये गुरुओं की शिक्षा का असर
गुरुओं की जगह,है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
ये गुरुवर तेरे शिष्य हम
जिसने हमको दिया है जनम,
पहली गुरु मां को भी नमन
वो सभी गुरु है, जिसने दिया है,
जीवन में आगे बढ़ने का हुनर
बन गए हैं हम अच्छे इसान,
है ये गुरुओं का हमारे वरदान
गुरुवर की जगह, है प्रभु से ऊपर,
ऐसा प्रभु ने स्वयं कहा
ये गुरुवर तेरे शिष्य हम
चरन धूर निज सिर धरो, सरन गुरु की लेय,
तीन लोक की सम्पदा, सहज ही में गुरु देय।
सहज ही में गुरु देय चित्त में हर्ष घनेरा,
शिवदीन मिले फल मोक्ष, हटे अज्ञान अँधेरा।
ज्ञान भक्ति गुरु से मिले, मिले न दूजी ठौर,
याते गुरु गोविन्द भज, होकर प्रेम विभोर।
राम गुण गायरे।।
और न कोई दे सके, ज्ञान भक्ति गुरु देय,
शिवदीन धन्य दाता गुरु, बदले ना कछु लेय।
बदले ना कछु लेय कीजिये गुरु की सेवा,
जन्मा जन्म बहार, गुरु देवन के देवा।
गुरु समान तिहूँ लोक में,ना कोई दानी जान,
गुरु शरण शरणागति, राखिहैं गुरु भगवान।
राम गुण गायरे।।
समरथ गुरु गोविन्दजी, और ना समरथ कोय,
इक पल में, पल पलक में, ज्ञान दीप दें जोय।
ज्ञान दीप दें जोय भक्ति वर दायक गुरुवर,
गुरु समुद्र भगवन, सत्य गुरु मानसरोवर।
शिवदीन रटे गुरु नाम है, गुरुवर गुण की खानि,
गुरु चन्दा सम सीतल, तेज भानु सम जानि।
राम गुण गायरे।।
गुरु होना आसान नहीं
गुरु जैसा कोई महान नहीं,
गुरु के बिना यह जीवन है अधूरा
गुरु मिल जाए तो हो जाए हर मकसद पूरा।
गुरु ने अपना जीवन विद्या को सौंपा है
गुरु भगवान का दिया एक अमूल्य तोहफा है।
गुरु से ही सीखा है दुनिया का चक्रव्यूह
गुरु की वजह से ही पास किए है सारे इंटरव्यू।
गुरु से ही जीवन का अर्थ है
गुरु की शिक्षा बिना ये जीवन अधूरा है।
गुरु ही शिष्य का हुनर उभारते है
गुरु ही हमारी गलतियों को सुधारते है।
गुरु ही हमारे सच्चे मित्र है
गुरु बिना ये ज़िन्दगी बिना रंग के चित्र है।
गुरु के पास है सारी उलझनों का हाल
गुरु ने खिलाए है कीचड़ में भी कमल।
गुरु बिना कोई धर्म नहीं गुरु से अच्छा कोई कर्म नहीं,
गुरु से ही समाज की एकता है
गुरु सभी शिष्यों को एक ही नजर से देखता है।
गुरु है इस दुनिया के समंदर में हमारी नाव
जिन्होंने मदद की हमें पार करने में जीवन के हर पड़ाव।
सभी गुरु को करो प्रणाम,
बढ़ता जाए रुके का ज्ञान।
अर्जुन को दिया गीता ज्ञान,
कान्हा केशव उनका नाम।
चंद्रगुप्त था बहुत बलवान,
उसकी नींव था गुरु का ज्ञान।
एकलव्य था शिष्य महान,
प्रतिमा से लिया उसने ज्ञान।
देवव्रत का अथाह था ज्ञान,
गुरु आशीष से बने महान।
रामकृष्ण दोनों भगवान,
फिर भी गुरु से लिया था ज्ञान।
जो गुरु का करें सम्मान,
उसका जीवन बने महान।
ग़ीली मिट्टी थी मै
सवारा मुझे मेरे कुम्भक़ार
है तुम्ही क़ो दरिया पार क़राना
ओ मेरी सासों की नैया क़े ख़ेवनहार
ज़ीवनद्वन्दो से सशय मुक्त हुई मै नि़र्भार
चरण़ पख़ारुं, अश्रुओ संग़ पंथ़ बुहारू
अस्तित्व तुम्हारा ही दिव्य़ सच्चा दरब़ार
भीतर ब़ाहर हो उज्जयार
ज़य ज़यकार गुरु ज़य ज़यकार
अंतक़रण क़ा मार्जन क़रता
परम वंदनीय तुम परम विश्राम
रा़म तजू पर गुरु ना बिसारु
गुरु ही स़च्चा प्यार, गुरु़ ही ओंक़ार !!
जब ऊंगली पकड़ते है आप
एक नौसिखिए नादाँ बच्चे की
फिर उसे धीर और परिपक्व बनाते हैं
सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं
जीवन के हर पहलू के बारे में बताते है
कभी फटकारते है तो कभी समझाते है
आप तो हमें गिरकर सम्भलना सिखाते है
पहले ज्ञान की भट्टी में खुद को तपाते है
फिर उसी भट्टी से हमें कुंदन बनाते है
विज्ञ, मर्मज्ञ, ज्ञानी, विद्वान
क्या कहूँ आपको आप तो वह है जो
कच्ची ईंटों से महल बनाते है.
निरिक्षण सभी का करते हो रहते हो मौन,
किस दिशा तुम पग भर जाओ,
इसको भला पहचान पाया कब, कौन ?
किसी के लिए बन जाते हो सबक,
तो किसी के लिए मन का विश्वास हो
समय, तुम भी गुरु सबसे खास हो।
गिरतों को संभालने का हुनर भी तुम में है,
तारों पर चलने वालों को भी।
धरातल पर लाना तुम जानते हो,
हर क्षण सिखाते हो कुछ नया,
बुझती हुई उम्मीदों के तुम ही तो प्रभास हो,
समय, तुम भी गुरु सबसे खास हो
कभी बन जाते हो सख्त परिक्षक
कभी खुद ही सलाहकार बन जाते हो,
हर मौका देते हो आगे बढ़ने का,
कभी गामभीर्य की वाणी,
तो कभी उदासी में बन जाते परिहास हो,
समय, तुम ही गुरु सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ सवसे खास हो
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गुरु पूर्णिमा पर कविता 2023
नित नई राहे दिख़ाते
ज्ञान की ब़ातें सिख़ाते
राह मे ज़ब हम गिरे तो
युक्ति उ़ठने क़ी सुझाते
शब्द मन क़े द्विग है होते
अपनी आँखो से दिख़ाते
ज्ञान अमृत क़ो पिलाक़र
प्यास मन क़ी बुझ़ाते
अपना अनुभ़व शिष्य़ को दे
जिन्दग़ी उसक़ी सज़ाते
द्रोण जैसे गुरु ध़रापर
इक़ धनुर्धर ऩित ब़नाते
भाग्यशाली हूँ मिले दो
एक़ गुरु तो सब़ ही पाते
Guru Purnima Poem In Hindi
प्रवेश से उसकी महक जाए जीवन का यह चंदन,
नित-नित पल-पल पहर-पहर करूं मैं वंदन।कभी आत्मज्योति बनकर करता काया का अभिनंदन,
अंधकार से खींचकर भर दे जो चीर पुंज प्रकाश।रुका जीवन चल पड़े भर के नई आस उल्लास,
अमृतवाणी पिलाकर अपनी बुझा दे जीवन की प्यास।पढ़ा था जो जीवन की नीरज बंजर सा वन मुरझाई घास,
स्पर्श से अपने कर दे वह सोना पारस करके अपने पास।वह समुंद्र है वह सत्य है वह जन्मों का है मानसरोवर,
शरण में रखिए खान गुणों की समरथ ओ गुरुवर।चरणों की मिल जाए जो रज चित्त हर्ष मन हो घनेरा,
पुलक हृदय प्रेम विभोर चक्षु से हटे कुंप अंधेरा।पल में जन्मों के सुलझा दे गुत्थी अनसुलझी गॉंठ,
उलझ-उलझ कर पड़ी है जो धागों रूपी सॉंठ।निखर जाता जीवन साध के उसकी साधना,
कभी महापुरुष कभी दिव्य ज्योति रूप में होती जब आराधना।पूजनीय है प्रथम गुरु मां, जय, जगत, जननी,
धरा गा रही है महिमा जय पावन गुरु पूर्णिमा की।
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गुरु पूर्णिमा पर कविता (Poem on Guru Purnima)
गुरू ही जीवन का आधार
शिक्षक दिवस मनायें भ्राता,
राधाकृष्णन् से है नाता।
शिक्षा हो उद्देश्य तुम्हारा,
शिक्षा से होता उजियारा।
गुरु समान न दूजा है,
प्रथम गुरु माता है सबकी,
शिक्षा जग की पूजा है।।
शिक्षित होकर बच्चो तुम सब,
करना जग से प्यार।।
द्वितीय गुरु हैं पिता तुम्हारे।
आदि से लेकर अन्त समय तक,
कुम्भकार सा जीवन वारे।
वही गुरु है श्रेष्ठ तुम्हारा,
तम हरता, देता उजियारा।।
एकलव्य, अरुणि जैसे शिष्य होते हैं बलिहार।।
अज्ञानी को ज्ञानवान् कर,
निर्दय-हृदय, दयावान कर।
मूरख को विद्वान बनाकर,
मानव को गुणवान बनाकर।
सभ्य श्रेष्ठ इसान बनाकर,
मनुजों को भगवान बनाकर।।
गुरुवर जब कृपा करते हैं, होते भव से पार ।
शिक्षा को यदि अपनाओगे,
कभी नहीं धोखा खाओगे।
यदि परिश्रम करते जाओगे,
प्रगति पर बढ़ते जाओगे।
अन्त समय तक जीवन का सुख,
शिक्षा से ही तुम पाओगे।।
पढ़ लिखकर के तुम मद में न,
होना कभी उलार।।
निज गुरुओं को प्रणाम करो,
वृद्धों का भी सम्मान करो।
खाली मत बैठो, काम करो,
जग में अपना कुछ नाम करो।
दुखियों की पीड़ा हरा करो,
देश-धर्म पर मरा करो।।
का आशीर्वाद, जीवन भर मिले अपार।
शिक्षा अग-जग का नारा है,
शिक्षा ही लक्ष्य तुम्हारा है।
भारत का अब हर इसान,
शिक्षित होकर बने महान।
शिक्षा से पावें उपहार,
कम बच्चे हों वृक्ष हजार ।।
जन-जन में यह भाव भरे,
तब सुखी रहे संसार।।
Guru Purnima Kavita In Hindi
जन्म माँ-बाप से मिला
ज्ञान गुरु से दिला दिया
ड्रेस, किताबे, बस्ता,
माँ-बाप से मिला
पढ़ना गुरु ने सीखा दिया
माँ ने जीवन का पहला पाठ पढ़ाया
दूसरा तीसरा चौथा गुरु ने पढ़ा दिया”
Hindi Poem on Guru
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन, हर्षित सब नर नार।अनगढ़ माटी के घड़े, बन इस जग में आय।
संस्कार की सीख से, जीवन दिया तपाय।
प्रथम गुरू माता पिता, दूजा ये संसार।
गुरु कृपा यदि साथ तो, जीवन धन्य अपार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन, हर्षित सब नर नार।दूर करे मन का तमस, करे दुखों का नाश।
अध्यातम की लौ जला, उर में भरे प्रकाश।
गुरु बिन ये मन नहि सधे, गुरू ज्ञान भंडार।
मिले गुरू आशीष जब, भवसागर से पार ।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन, हर्षित सब नर नार।।श्रद्धा अरु विश्वास से, चित्त साध लें आज।
गुरु कृपा बिन होय कब, पूरन मङ्गल काज।
गुरू बिना हम कुछ नहीं, गुरु जीवन आधार।
अन्तस में जोती जले, महिमा अपरम्पार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन, हर्षित सब नर नार।।
गुरु पूर्णिमा की कविता | Guru Purnima Ki Poem
गुरु से ही ज्ञान यहाँ
गुरु बिन मिलता ज्ञान कहा
जिसके ज्ञान का आदि न अंत
उसके पास होता है, गुरु सा संत
गुरु ने शिक्षा जहा
खिलते है, फूल वहा
इमानदारी की मूर्त वहा
गुरु बिन ज्ञान का महत्व ही कहा..
इस संसार में आवगत करवाया
सभी से स्वागत करवाया.
भले बुरे अच्छे भले की पहचान सिखाई
जीवन में जीने की राह दिखाई..
गुरु पूर्णिमा पर कुछ दोहे | Guru Purnima PR Dohe in Hindi
गुरु अमृत है जगत में, बाकी सब विषबेल,
सतगुरु संत अनंत हैं, प्रभु से कर दें मेल।
दूर करें अज्ञान सब, देकर ज्ञान प्रकाश ।
गुरु ही करते हैं सदा, अनपढ़ता का नाश ।।
गुरु की कृपा हो शिष्य पर, पूरन हों सब काम,
गुरु की सेवा करत ही, मिले ब्रह्म का धाम।
गुरु ही चारों वेद हैं, गुरु हैं सभी पुराण ।
शिक्षा देकर कर रहे, सबका ही कल्याण ।।
गुरु कृपाल कृपा जब किन्हीं, हिरदै कंवल बिगासा।
भागा भ्रम दसौं दिस सुझ्या, परम जोति प्रकासा।
Guru Purnima PR Dohe
गुरु अनंत तक जानिए, गुरु की ओर न छोर,
गुरु प्रकाश का पुंज है, निशा बाद का भोर।
सच्चे मन से जो करे, अपने गुरु का ध्यान ।
पड़े नहीं विपदा कभी, जीवन हो आसान ।
गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दिशा अजान,
गुरु बिन इन्द्रिय न सधें, गुरु बिन बढ़े न शान।
शब्दों में संभव नहीं, गुरु महिमा का गान ।
पहले गुरु को पूजिए, फिर पूजो भगवान ।।
शिष्य वही जो सीख ले, गुरु का ज्ञान अगाध,
भक्तिभाव मन में रखे, चलता चले अबाध।