Saraswati Puja Muhurat 2023:- बसंत पंचमी (Vasant Panchami) नई शुरुआत के बारे में है और भारत (India) में एक शुभ दिन माना जाता है।Vasant Panchami के रूप में भी जाना जाने वाला त्योहार Vasant Season के पहले दिन मनाया जाता है और माघ महीने के पांचवें दिन पड़ता है। बसंत पंचमी होली की तैयारी (Preparation of Holi) की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो त्योहार के चालीस दिन बाद आती है। यह त्योहार ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती (Goddesses Saraswati) को समर्पित है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा मंदिरों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों द्वारा की जाती है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी (Shree Panchami) और सरस्वती पंचमी (Saraswati Panchami) के नाम से भी जाना जाता है।बसंत पंचमी को देश भर में थोड़ी अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
इस दिन स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं और उनका आनंद लिया जाता है। जबकि North India में, विशेष रूप से Punjab और Hariyana में, लोग पतंग उड़ाते हैं, West Bengal जैसे देश के पूर्वी हिस्से में इसे सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। दक्षिणी राज्यों में इसे श्री पंचमी के नाम से जाना जाता है। Gujarat में, आम के पत्तों के साथ फूलों को सेट करके गुलदस्ते तैयार किए जाते है औरउपहार के रूप में आदान-प्रदान किए जाते है। Maharashtra , मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश राज्यों में लोग इस दिन शिव (God Shiva) और पार्वती (Goddesses Parvati) की पूजा करते हैं।
Saraswati Puja Muhurat 2023
टाइटल | सरस्वती पूजा मुहूर्त 2023 |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
साल | 2023 |
सरस्वती पूजा कब है | 26 जनवरी |
सरस्वती पूजा के दिन किसकी पूजा होती है | माता सरस्वती |
कहां मनाई जाती है सरस्वती पूजा | पूरे भारत देश में |
सरस्वती पूजा के दिन किस रंग का महत्व है | पीले रंग |
खात तौर पर कौन करता है सरस्वती पूजा | छात्र |
सरस्वती पूजा मुहूर्त शुरु | सुबह 7 बजकर 07 मिनट |
सरस्वती पूजा मुहूर्त खत्म | दोपहर 12 बजकर 35 मिनट |
सरस्वती पूजा 2023 शुभ मुहूर्त कब है? | Saraswati Puja Muhurat
Vasant Panchami का त्यौहार Goddesses Saraswati को समर्पित है। इस दिन माता सरस्वती की पूजा करने से संगीत, कला (Art) और विज्ञान (Science) के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को निपुणता हासिल होती है। हिंदू पंचांग के हिसाब से हर साल माघ शुल्क की पंचमी तिथि को Vasant Panchami मनाई जाती है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु की आगमन का प्रतीक भी होता है। साल 2023 में बसंत पंचमी 26 जनवरी के दिन मनाई जाएगी। Vasant Panchami के दिन Goddesses Saraswat की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि Goddesses Saraswat ज्ञान और विद्या की देवी है तो इस दिन माता की पूजा करने से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है।
वही बुद्धि और विवेक में भी वृद्धि होती है। साल 2023 को इस बार बसंत पंचमी की तिथि 25 जनवरी को अपराह्न 12 बजकर 34 मिनट शुरु होगी जो कि 26 जनवरी 2023 को सुबह 10:28 तक चलेगी। ऐसे में बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा। Saraswati Puja Muhurat सुबह 07:07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। बसंत पंचमी की पूजा अवधि 5 घंटे 28 मिनट तक की होगी। इस बीच माता सरस्वती की पूजा करके माता के भक्त उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। वैसे तो बसंत पंचमी का पूरा दिन ही बहुत शुभ माना जाता है। नए कार्य करने के लिए किसी भी शुभ मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती है पर बसंत पंचमी की पूजा आप सुबह 7:07 से लेकर 12:35 तक कर सकते हैं।
सरस्वती पूजा कैसे की जाती है? | Saraswati Puja Vidhi
- 26 जनवरी को देश भर में Vasant Panchami यानि की सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) मनाई जाएगी। इस दिन प्रात काल स्नान आदि करके साफ पीले या सफेद रंग के कपड़े पहन लें, जिसके बाद Saraswati Puja का संकल्प लें।
- पूजा स्थान पर Goddesses Saraswati की मूर्ती या तस्वीर स्थापित करें। गणेश जी सबसे पहले पूजे जाते है तो उनकी भी मूर्ती या तस्वीर स्थापित करें, उसके बाद उनको फूल,धूप,गंध आदि चढ़ा कर पूजा करें।
- माता की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। जिसके बाद उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद उन्हें पीले रंग का है चंदन लगाएं फिर उन पर अक्षत चढ़ाएं फिर पीले फूल चढ़ाएं, पीला गुलाल चढ़ाएं धूप दीप गंध चढ़ाएं। क Goddesses Saraswati को गेंदे की माला जरुर चढ़ाएं।
- Saraswati Puja के दिन पीले रंग का बहुत ही महत्व होता है। तो जब आप पूजा करें तो माता सरस्वती को बेसन के लड्डू या फिर बर्फी या फिर ऐसी मिठाई जिसका रंग पीला हो वह भोग में लगाएं । अगर यह उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो आप सफेद बर्फी या की या फिर मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं।
- इसके बाद आप सरस्वती वंदना एवं मंत्र से Goddesses Saraswati की आराधना करें । पूजा के समय आप सरस्वती कवच का भी पाठ कर सकते हैं।
- कला संगीत और शिक्षा में सफलता के लिए Goddesses Saraswati के मंत्रों का जाप करना बहुत जरूरी है। मां सरस्वती की कृपा आपको यश एवं कीर्ति प्रदान करेगी।
- सबसे आखिर में Saraswati Puja का हवन करें। हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें। इसके बाद ओम श्री सरस्वताय नमः स्वाहा मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। हवन पूरा करने के बाद अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
- आरती के दीपक को घर या स्कूल के चारों और लेकर जाएं, ताकि उसकी लौ से नकारात्मक प्रभाव दूर हो सकें।
सरस्वती पूजा पर क्या नहीं करना चाहिए?
26 जनवरी के दिन पूरा देश गणतंत्र दिवस (Republic Day) के साथ ही Saraswati Puja का त्यौहार भी मनाएगा। इस दिन छात्र बुद्धि और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा करते हैं। Maa Saraswati से प्रार्थना करते हैं कि वह उनके ज्ञान की वृद्धि करें । सरस्वती पूजा के दिन पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह दिन इतना शुभ होता है कि इस दिन बिना किसी मुहूर्त के नए कार्य संपन्न किए जाते हैं। वही हम आपको बताने जा रहे हैं कि सरस्वती पूजा के दिन क्या चीज नहीं करनी चाहिए।
- Saraswati Puja के दिन कभी भी काला लाल या कोई दूसरे रंग बिरंगी वस्त्र धारण नहीं करनी चाहिए। माता सरस्वती को पीला रंग बहुत ही प्रिय है तो ध्यान रहे कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाए। काला रंग भूलकर भी ना पहने क्योंकि यह नकारात्मकता को दर्शाता है।
- Saraswati Puja के दिन नॉनवेज बिल्कुल नहीं खाना चाहिए, वही शराब से भी दूरी बनाए रखनी चाहिए। वसंत पंचमी के दिन मास मदिरा का सेवन वर्जित है। इस दिन अपने मन में कोई भी नकारात्मक विचार ना आने दे। अच्छी सोच रखें। इस दिन खास तौर पर स्वच्छता और पवित्रता का पूरा ध्यान रखें।
- सरस्वती पूजा के दिन पेड़ पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए। Saraswati Puja बसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है, इसलिए कहा जाता है कि Vasant Panchami के दिन पेड़ पौधे की कटाई नहीं करना चाहिए।
- कोशिश करना चाहिए कि Saraswati Puja के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके Maa Saraswati की पूजा करने उसके बाद ही कुछ ग्रहण करें। पूजा में समय हो फलअहार भी ले सकते हैं और पूजा करने के बाद कुछ ग्रहण कर सकते हैं। वैसे तो इस दिन लोग माता सरस्वती को खुश करने के लिए व्रत रखते हैं पर अगर आपके लिए संभव ना हो तो आप पूजा के बाद कुछ ग्रहण कर सकते हैं।
सरस्वती पूजा आरती | Saraswati Puja Aarti in Hindi
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ||
मैया जय सरस्वती माता ||
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी |
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ||
मैया जय सरस्वती माता ||
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला |
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ||
मैया जय सरस्वती माता ||
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया |
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ||
जय सरस्वती माता ||
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो |
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ||
मैया जय सरस्वती माता ||
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो |
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ||
जय सरस्वती माता ||
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे |
हितकारी सुखकारी
ज्ञान भक्ति पावे ||
मैया जय सरस्वती माता ||
जय सरस्वती माता,
मैया जय जय सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ||
मैया जय सरस्वती माता ||
बोलो सरस्वती मैया की जय | माता सरस्वती की जय | वीणावादिनी की जय |
FAQ’s Saraswati Puja Muhurat 2023
Q. सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल कब आता है ?
Ans.सरस्वती पूजा हर साल माघ माह की शुक्ल पंचमी पर आता है
Q.सरस्वती पूजा के दिन कौन सा रंग पहनना चाहिए ?
Ans.पीला रंग सरस्वती पूजा के दिन पहनना चाहिए, मां शारदा को पीला रंग प्रिय है।
Q.सरस्वती पूजा के दिन कौन सा रंग भूल के भी ना पहने ?
Ans.काला रंग भूल के भी सरस्वती पूजा के दिन ना पहनने।