P T Usha Biography in Hindi:- आज अगर भारत में किसी से भी तेज दौड़ने वाली महिला के बारे में पूछा जाए तो बच्चे बच्चे के मुंह से सबसे पहले पीटी उषा का नाम आता है। पीटी ऊषा ने लगभग दो दशकों तक भारत को एथलीट के खेल में सम्मान दिलाया है। P.T. Usha को किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम के जगह पर हुआ। उन्होंने ट्रैक पर अपने तेज दौड़ने का जादू कुछ इस तरह बिखेरा कर उन्हें “क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक” नाम दिया गया। पीटी ऊषा का पूरा नाम “पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा” हैं। अगर आप पी. टी. ऊषा के बारे में जानना चाहते हैं तो आज इस लेख में पीटी ऊषा बायोग्राफी के जरिए इस महान हस्ती के कुछ खास बातों को सरल शब्दों में बताने का प्रयास किया गया है।
पीटी उषा ने लगभग दो दशक तक सबसे तेज दौड़ने वाली महिला के रूप में भारत को बहुत सम्मान दिलाया है। उन्होंने एथलीट के खेल में ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है। आज पीटी ऊषा केरल में एक एथलीट स्कूल चलाती है और अन्य बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद करती है। पीटी उषा की एक आधिकारिक वेबसाइट है जहां से आप इनके स्कूल के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
P T Usha Short Profile
खिलाड़ी का नाम | पी. टी. उषा |
उपनाम (nickname) | The golden girl |
जन्मतिथि | 27 जून 1964 |
जन्म स्थान | पय्योली, केरल |
देश | भारत |
प्रचलित कार्य | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता |
पीटी ऊषा का पूरा नाम | पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा |
पीटी उषा जीवन परिचय | PT Usha Biography in Hindi
पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा है। उनका जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम की एक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम ई पी एम पीतल है, उनके माता का नाम टीवी लक्ष्मी है। पीटी उषा बचपन से बहुत पतली और शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर थी। मगर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान उन्होंने अपने स्वास्थ्य को सुधारा और उसके बाद लोगों को उनके अंदर एक एथलीट नजर आने लगा। 1976 में केरल के कन्नूर में सरकार ने एक सरकारी अथिलीट सेंटर शुरू किया। उस वक्त पीटी ऊषा 12 साल की थी जब उनका चयन कुन्नूर के इस एथलीट सेंटर में अन्य 40 महिलाओं के साथ हुआ था। यहां पर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने 1979 में पहली बार नेशनल एथलीट कंपटीशन में जीत हासिल की। यह वह समय था जब पीटी उषा ने पहली बार दौड़ के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल करके अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया।
इसके बाद पीटी उषा ने अलग-अलग तरह की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया और हर जगह हर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतावाया। पीटी उषा को उनके एथलीट प्रदर्शन की वजह से अलग-अलग तरह के नाम से सम्मानित किया गया।
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पी टी उषा क्वीन ऑफ़ इंडियन ट्रैक
पीटी उषा को क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक या गोल्डन गर्ल के नाम से जाना चाहता है। इसके अलावा उन्हें खेल के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। पीटी उषा ने उस दौर में भारत को ओलंपिक और अन्य खेल में गोल्ड मेडल जितवाया जब भारत देश में महिलाओं को अधिक छूट नहीं दी जाती थी। पीटी उषा ने सबसे पहले 1979 में सबसे पहले नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीतकर खुद को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के काबिल बताया। इसके बाद 1980 में “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” में एथलीट के तौर पर हिस्सा लेकर उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। कराची में उन्होंने भारत को लगातार 4 गोल्ड मेडल जीतवाया। पाकिस्तान में भारत को पीटी उषा ने चार स्वर्ण पदक एथलीट में दिलवाया जिसके बाद वह भारत में एक प्रचलित एथलीट बन गई।
पीटी उषा की उपलब्धियाँ | Achievements of PT Usha
- 1982 में पीटी ऊषा वर्ल्ड इनविटेशन मीट में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में हिस्सा लिया जिसमें 200 मीटर में उन्होंने स्वर्ण पदक और 100 मीटर वाले में ब्रोंज मेडल जितवा कर देश का नाम वहां भी रोशन किया। इसके बाद एशिया ट्रैक एंड फील्ड नाम के रेस में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और वहां 400 मीटर की रेस में एक नया रिकॉर्ड कायम किया साथ ही गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 1984 में पीटी उषा ने लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और बहुत थोड़े से मार्जिन के लिए हार गई और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल भी नहीं मिल पाया।
- इसके बाद 1985 में इंडोनेशिया के एशिया ट्रैक वर्ल्ड चैंपियन में उन्होंने हिस्सा लिया और 5 गोल्ड मेडल लगातार जीता। इसके बाद उन्होंने सियोल ओलंपिक में हिस्सा लिया मगर अचानक उनके पैर में चोट लग जाने की वजह से ओलंपिक खेल में सही तरीके से अपना प्रदर्शन नहीं दे पाई। इसके बाद 1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में उन्होंने हिस्सा लिया उस में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने अखिलेश के खेल से संन्यास ले लिया। इसके बाद 1991 में उन्होंने श्रीनिवासन से शादी कर ली। जिसके कुछ सालों बाद सबको चौक आते हुए 1998 में 34 साल की उम्र में उन्होंने दोबारा से कमबैक किया। कुछ खेलों में भाग लेने के बाद 2000 में उन्होंने फाइनली एथलीट से पूरी तरह सन्यास ले लिया।
पीटी उषा के रिकॉर्ड | PT Usha Records
पीटी उषा के अंदर एथलीट की कला कूट-कूट कर भरी थी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उन्होंने बहुत कम उम्र में बहुत सारे एथलीट रिकॉर्ड को कायम किया।
- मात्र 13 साल की उम्र में 1977 में पीटी उषा ने केरल राज्य में राष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया।
- इसके बाद 1980 में 16 साल की उम्र में उन्होंने मॉस्को ओलंपिक में एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद वह सबसे कम उम्र वाली महिला बनी जिन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लिया।
- भारत की वह पहली महिला एथलीट बनी जिन्होंने एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और फाइनल में अपना स्थान बनाया।
- लॉस एंजिलिस ओलंपिक में यह पहली बार महिलाओं के लिए बाधा दौड़ को लाया गया। जिसमें 400 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लेकर इस रेस को 55.42 सेकंड में खत्म करके इसे इंडिया का नेशनल रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है।
- 34 साल की उम्र में 1998 में उन्होंने बीजिंग में हुए एशियन गेम्स में हिस्सा लिया और अधिक उम्र में रेस जीतने वाली भारत की महिला बनी।
ओलंपिक में पीटी उषा का प्रदर्शन
पीटी उषा ने कुल 2 बार ओलंपिक के खेल में हिस्सा लिया है। दोनों बार उनका प्रदर्शन इतना अच्छा रहा है कि आज भी उस खेल को याद करके लोग दांतो तले उंगली दबा लेते है। ओलंपिक में पीटी उषा का प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है जिस इतिहास के बारे में एक संक्षिप्त विवरण नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है।
पीटी ऊषा और ओलंपिक की कहानी 1980 में शुरू हुई है उस वक्त पीटी ऊषा मात्र 16 साल की थी। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने अपना स्थान ओलंपिक के खेल में बनाया। मॉस्को ओलंपिक में उन्होंने इस ओलंपिक में बाधा दौड़ के खेल में हिस्सा लिया। इस खेल को उन्होंने 55.42 सेकंड में पूरा किया जो आज भी भारत का नेशनल रिकॉर्ड है। मगर इस ओलंपिक में उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकी इस वजह से उन्होंने अपने खेल में बहुत सुधार किया और 1984 में ओलंपिक के खेल में दोबारा हिस्सा लिया।
P.T. Usha Big Achievements
1984 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक में पीटी ऊषा ने 400 मीटर के रेस को सेमीफाइनल में अच्छे से पूरा किया और एथलीट प्रतियोगिता में फाइनल में जाने वाली पहली महिला भारतीय महिला बनी। मगर इस ओलंपिक के फाइनल में भी 1/100 के मार्जिन से वह फाइनल नहीं जीत सकी। उनके पूरे कैरियर का यह सबसे शानदार खेल था जिसमें लोग उनके दीवाने हो गए उन्होंने हारी हुई बाजी को भी जीत में बदलने की पूरी तैयारी कर ली थी मगर हल्की सी चूक की वजह से वह जीत नहीं सकी।
इसके बाद पीटी उषा ने अलग-अलग खेल में हिस्सा लिया और अपने दौड़ने की कला को बहुत हद तक बदला। 1988 में सियोल ओलंपिक के लिए उन्होंने जम कर तैयारी की मगर मैच से पहले पैर की एड़ी में चोट लगने की वजह से वह मैच में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। हालांकि चोट लगने के बावजूद उन्होंने खेल में जिस तरह का प्रदर्शन दिखाया उसे देखकर बड़े-बड़े दिग्गज भी हैरान रह गए।
P T Usha Career in Athlete Competition
इसके बाद पीटी ऊषा की शादी हो गई और उन्होंने इस खेल से संन्यास ले लिया। मगर सब कुछ चौक आते हुए अचानक 1998 में 34 वर्षीय पीटी ऊषा दोबारा बिजी एशियन गेम्स में हिस्सा लेती है। अधिक उम्र की वजह से वह इस खेल में गोल्ड मेडल नहीं जीत पाती मगर 3 सिल्वर मेडल अपने नाम कर ती है। इस खेल के दौरान 200 मीटर की रेस में पीटी उषा का प्रदर्शन भारत में 200 मीटर की रेस का एक नया नेशनल रिकॉर्ड कायम करता है।
हालांकि बढ़ती उम्र को एक कारण बताकर पीटी उषा सन 2000 में एथलीट के खेल से पूर्ण रुप से सन्यास लेती है। भारतीय सरकार की तरफ से पीटी उषा को भारत रत्न जैसे सबसे महान सम्मान से सम्मानित किया जाता है। आज पीटी उषा एक एथलीट स्कूल केरल में चला रही है जहां वह अपने जैसे प्रभावी बच्चों को ओलंपिक के खेल में जीत हासिल करने का मार्गदर्शन देती हैं।
पीटी उषा को गोल्ड गर्ल क्यों कहा जाता है | PT Usha Gold Girl
पीटी उषा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 102 मेडल जीते है, जिसमें 46 गोल्ड मेडल है। उषा एक ही प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली खिलाड़ी है। इसके अलावा एथलीट के क्षेत्र में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का भी श्रेय पीटी उषा को दिया गया है। इस वजह से पीटी उषा को गोल्ड गर्ल का नाम दिया गया है।
हालांकि पीटी उषा का प्रदर्शन हर अथिलीट खेल में इतना बेहतर रहता था कि लोग पीटी उषा के दीवाने हो जाते थे। चाहे वह उनका अच्छा प्रदर्शन ना भी रहता हो मगर पी टी उषा सब की फेवरेट बन जाती थी। पीटी उषा के प्रदर्शन को देखकर उन्हें अलग अलग तरह का नाम दिया गया है जिनमें – पय्योली एक्सप्रेस, द गोल्डन गर्ल, और अन्य नाम शामिल है।
पीटी उषा का राजनीतिक परिचय | P.T. Usha Political Career
पीटी उषा वर्तमान समय में राज्यसभा का अध्यक्ष है। यह पद उन्हें सीधा राष्ट्रपति के तरफ से मिला है क्योंकि वह एथेलेट के खेल में बहुत अच्छी है। अभी हाल ही में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में पीटी उषा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रहने वाली भाजपा सरकार के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की सभी पार्टियां पसंद है वह किसी एक पार्टी के साथ जुड़कर दूसरे पार्टी को नाराज नहीं करना चाहती।
इस वक्त पीटी ऊषा बिना किसी पार्टी का चयन किए सरकार की तरफ से दिए गए राज्यसभा के पद को बखूबी निभाती है। वर्तमान समय में इनका राजनीतिक कैरियर सिवाय एक राज्यसभा अध्यक्ष के कुछ भी नहीं है। विभिन्न प्रकार के मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने यह बात साबित की है कि उन्हें किसी भी तरह से राजनीति में अपना कैरियर नहीं बनाना है।
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FAQ’s P.T. Usha Biography in Hindi
Q. पीटी उषा का जन्म कब हुआ था?
Ans. पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल में हुआ था। जिसके उनकी वर्तमान उम्र 58 वर्ष है।
Q. पीटी ऊषा ने कुल कितने पदक जीते हैं?
Ans. पीटी उषा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मिलाकर कुल 102 पदक जीते हैं जिसमें से 46 गोल्ड मेडल है। जिनमे से 13 अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल है।
Q. पीटी उषा का पूरा नाम क्या है?
Ans. पीटी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है।
Q. पीटी उषा को उड़न परी क्यों कहा जाता है?
Ans. पीटी उषा ने बेहतरीन एथलीट करियर की वजह से विभिन्न प्रकार के नाम खिताब में हासिल किया है। जिनमें भारत के लिए लगातार 6 गोल्ड मेडल जीतने की वजह से queen of track का नाम और केरल के छोटे से गांव से आकर इतना बड़ा काम करने के लिए पय्योली एक्सप्रेस और उड़न पारी के नाम दिया गया।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने आपको पीटी ऊषा बायोग्राफी समझाने का प्रयास किया। इसके अलावा हमने आपको पीटी उषा और उनके खेल से जुड़ी कुछ रोचक बातों को भी बताया। इस लेख में बताई गई सभी प्रकार की जानकारियों को पढ़ने के बाद आप यह समझ गए होंगे की क्यों पीटी उषा भारत की एक महान हस्ती के रूप में सदैव प्रचलित रहेंगी।
अगर हमारी इस लेख के जरिए आप भारत की शान पीटी उषा के बारे में सब कुछ समझ पाए हैं और उनके एथलीट करियर को एक अलग नजरिए से देख पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें। इसके अलावा अगर आपके मन में पीटी उषा के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो उसे कमेंट में पूछना ना भूले।