Sant Ravidas Jayanti 2024: संत रविदास जी का जीवन परिचय, जयंती, दोहे, अनमोल वचन

Sant Ravidas

Sant Ravidas Jayanti 2024: इस दोहे के रचनाकार भारत देश के प्रख्यात संत रविदास जी है। भारत देश (India) को संत महात्माओं की भूमि कहा जाता है। भारत की धरती पर कई बड़े संतों ने जन्म लिया है। इन महान संतों में रविदास जी (Sant Ravidas) एक विशेष महत्वपूर्ण संत माने गए हैं। जातिवादी (Casteism) को छोड़कर प्यार करना रविदास जी ने इस दुनिया को सिखाया है। रविदास जी ने हमेशा ही अपने दोहों और रचनाओं के जरिए लोगों को समाज में फैली बुराइयों और कुरीतियों के बारे में बताया है और इन्हें दूर करने के लिए प्रोत्साहित (Inspire) किया है। रविदास जी ने सभी को भगवान की भक्ति के लिए प्ररित किया है इसके साथ ही सच्चाई की राह पर चलने की भी प्रेरणा दी है।

संत रविदास जी (Sant Ravidas ji) ने सबको एकता के सूत्र में चलाने की भी कोशिश की है। रविदास जी ने अपनी काव्य रचनाओं को सरल और व्यवहारिक ब्रजभाषा में लिखा है। संत रविदास जी ने अपनी रचनाओं में अक्सर खड़ी बोली, राजस्थानी उर्दू फारसी अवधि जैसी भाषाओं के शब्दों का उपयोग किया है।

“जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।” …Sant Ravidas

संत रविदास जयंती कब हैं | Sant Ravidas Jayanti 2024

संत रविदास जी का जन्म सन 1398 में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। रविदास जी का जन्म रविवार के दिन होने के कारण इनका नाम रविदास रखा गया। इन्हें रामानंद जी का शिष्य भी माना जाता है। रविदास जयंती हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2024 में रविदास जयंती 24 फरवरी को मनाई जाएगी।

संत रविदास जी का जीवन परिचय

संत शिरोमणि रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा को उत्तर प्रदेश (uttarpradesh) के वाराणसी (Varanasi) शहर के गोबर्धनपुर(Gobardhanpur) गांव में हुआ था। संत रविदास जी के पिता का नाम संतोष दास था, वही माता का नाम कर्मा देवी था। उनके दादाजी का नाम श्री कालूराम जी वही दादी जी का नाम श्रीमती लखपति जी था। रविदास जी की पत्नी का नाम श्रीमती लोना जी और पुत्र का नाम श्री विजय दास जी है। कवि रविदास जी चमका कुल से वास्ता रखते हैं जो कि जूते बनाते थे। उन्हें यह कार्य करके बहुत खुशी होती थी। वह बड़ी लगन और मेहनत के साथ अपना कार्य करते थे।।दरअसल, रविदास जी के पिता चमड़े का व्यापार करते थे, वह जूते भी बनाया करते थे।

See also  सुखविंदर सिंह सुक्खू का जीवन परिचय | Sukhwinder Singh Sukhu Biography in Hindi

जब रविदास जी का जन्म हुआ उस समय उत्तर भारत(North India) के कुछ क्षेत्रों में मुगलों का शासन था और हर तरफ अत्याचार गरीबी(Poverty) भ्रष्टाचार(Corruption) और अशिक्षा(Illiteracy) का माहौल था। उस समय मुस्लिम शासकों का प्रयास रहता था कि वह ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं को मुस्लिम बनाएं। रविदास जी की ख्याति दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी, जिसके चलते उनके लाखों भक्त थे। जिसमें हर जाति के लोग शामिल थे। इसको देखकर एक परिद्ध मुस्लिम सदना पीर उनको मुस्लिम बनाने आया था। उसका मानना था कि यदि उसने रविदास जी को मुस्लिम बना लिया तो उनसे जुड़े लाखों भक्त भी मुस्लिम(Muslim) बन जाएंगे। मुसलमान बनाने को लेकर हर प्रकार का दबाव रविदास जी पर बनाया गया, लेकिन संत रविदास जी तो संत थे। उन्हें किसी धर्म से मतलब नहीं था उन्हें तो सिर्फ मानवता(Humanity) से मतलब था।

Also Read: योगी आदित्यनाथ का सम्पूर्ण जीवन परिचय

संत रविदास जी का इतिहास

संत रविदास जी बहुत ही दयालु और दानवीर थे। रविदास जी के करीब 40 पद सिख धर्म (Sikh Religion) के पवित्र धर्म ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) में भी सम्मिलित किए गए हैं। बताया जाता है कि स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्ति धारा के महान संत हैं, वह रविदास जी के शिष्य थे। रविदास जी को संत कबीर का गुरभाई भी माना जाता है। कबीर दास जी द्वारा खुद रविदास जी को संतन में रविदास कहकर मान्यता दी गई है। राजस्थान की मशहूर कृष्ण भक्त मीरा बाई भी, उनकी शिष्य रह चुकी है।

कहा जाता है कि चित्तौड़गढ़ के राणा सांगा (Rana Sanga) की पत्नी झाली रानी भी उनके शिष्य रह चुकी है। चित्तौड़गढ़ में संत रविदास जी की छतरी भी बनी हुई है कहा जाता है कि मैं चित्तौड़गढ़ (Chittaurgarh) में ही स्वर्ग रोहन कर गए थे। इसका कोई आधिकारिक विवरण नहीं है लेकिन ऐसा कहा जाता है कि वाराणसी में 1540 ईसवी में उन्होंने अपना देह छोड़ दिया था। वाराणसी(Varanasi) में संत रविदास जी का एक भव्य मंदिर और मठ है जहां हर जाति के लोग दर्शन करने जाते हैं वही वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क भी है जो उनकी याद में बनाया गया था।

See also  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जीवन परिचय | CM Hemant Soren Biography Hindi | शिक्षा, परिवार, राजनितिक करियर, नेटवर्थ, सोशल मीडिया, मोबाइल नंबर

संत रविदास जी के अनमोल वचन

  1.  इंसान छोटा या बड़ा अपने जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मों से होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचा बनाते हैं.
  2. अज्ञानता के कारण सभी लोग जाति और पंथ के चक्र में फंस गए हैं. अगर वह इस जातिवाद से बाहर नहीं निकला तो एक दिन जाति की यह बीमारी पूरी मानवता को निगल जाएगी.
  3.  किसी की जाति नहीं पूछनी चाहिए क्योंकि सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं. यहां कोई जाति, बुरी जाति नहीं है.
  4.  भले ही कोई हजारों वर्षों तक भगवान का नाम लेता रहे, लेकिन जब तक मन शुद्ध न हो, तब तक ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है.
  5. जो मनुष्य केवल शारीरिक स्वच्छता और बाहरी सुंदरता पर ध्यान देता है और मन की पवित्रता पर ध्यान नहीं देता है, वह निश्चित रूप से नरक में जाएगा.
  6. जो मनुष्य केवल शारीरिक स्वच्छता और बाहरी सुंदरता पर ध्यान देता है और मन की पवित्रता पर ध्यान नहीं देता है, वह निश्चित रूप से नरक में जाएगा.
  7. जब तक क्षमता है, मनुष्य को ईमानदारी से कमाना और खाना चाहिए.
  8.  केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई ब्राह्मण नहीं हो जाता. असली ब्राह्मण वही है जो ब्रह्म (ब्रहात्मा) को जानता है.

Also Read: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय 

संत रविदास जी के दोहे

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात

हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस।
 ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास

करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै

कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा
वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा

 जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड मेँ बास
प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास

रैदास कहै जाकै हदै, रहे रैन दिन राम
सो भगता भगवंत सम, क्रोध न व्यापै काम

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच।
नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।।

Sant Ravidas ji Ke Dohe

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय।।

मन ही पूजा मन ही धूप।
मन ही सेऊं सहज स्वरूप।।

रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्‍यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय।।

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन।
पूजिए चरण चंडाल के जो होवे गुण प्रवीन।।


वर्णाश्रम अभिमान तजि, पद रज बंदहिजासु की।
सन्देह-ग्रन्थि खण्डन-निपन, बानि विमुल रैदास की।।

 रैदास कनक और कंगन माहि जिमि अंतर कछु नाहिं।
तैसे ही अंतर नहीं हिन्दुअन तुरकन माहि।।

हिंदू तुरक नहीं कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा।
दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा।।

कह रैदास तेरी भगति दूरि है, भाग बड़े सो पावै।
तजि अभिमान मेटि आपा पर, पिपिलक हवै चुनि खावै।

चरन पताल सीस असमांना,
सो ठाकुर कैसैं संपटि समांना।

बांधू न बंधन छांऊं न छाया,
तुमहीं सेऊं निरंजन राया।।

“गुरु मिलीया रविदास जी दीनी ज्ञान की गुटकी।
चोट लगी निजनाम हरी की महारे हिवरे खटकी।।

FAQ’s Sant Ravidas Biography in Hindi

Q. रविदास जी का जन्म कब हुआ था ?
Ans. रविदास जी का जन्म सन 1398 में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था।

Q. रविदास जी के नाम के पीछे कारण?
Ans. रविदास जी का जन्म रविवार के दिन हुआ था, इसलिए उनका नाम रविदास पड़ा

Q. रविदास जी का जन्म कहां हुआ था?
Ans. रविदास जी का जन्म वाराणासी के गांव गोबर्धनपुर में हुआ था
 
Q. क्या मीरा बाई रविदास जी की शिष्या थी?
Ans. जी हां, मीरा बाई रविदास जी की शिष्या थी।



See also  कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जीवन परिचय | (शिक्षा, प्रमुख रचनाएँ, पुरस्कार व सम्मान) Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja