छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी | Shivaji Maharaj Biography in Hindi

Shivaji Maharaj Biography

Shivaji Maharaj Biography in Hindi:-छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati  Shivaji Maharaj) एक महान भारतीय शासक थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) खड़ा किया था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वे बहादुर, बुध्दिमान और दयावान राजा थे। उन्होंने देश के निर्माण के लिेए बहुत काम किए । उनकी देशभक्ति की चर्चा तो पूरे भारत में हुआ करती थी। वे राष्ट्र के लिए अपना जीवन तक न्योछावर करने के लिए तैयार रहते थे। आइए जानते हैं, ऐसे ही महान शासक के बारे में । इस लेख में हम आपको शिवाजी महाराज का जीवन परिचय देंगे, जिसमें हमने छत्रपति शिवाजी का जीवन परिचय ,Shivaji Biography in Hindi ,छत्रपति शिवाजी कौन थे?,छत्रपति शिवाजी का जन्म कब व कहाँ हुआ था,chhatrapati shivaji ka jivan parichay,छत्रपति शिवाजी का परिवार,शिवाजी महाराज पूर्वज,छत्रपति शिवाजी क्यों प्रसिद्ध है?,छत्रपति शिवाजी का इतिहास ,शिवाजी महाराज की मृत्यु कैसे हुई इन सभी पॉइन्ट पर चर्चा करेंगे।

Also Read: छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती कब मनाई जाती है?

Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography in Hindi

टॉपिकछत्रपति शिवाजी का जीवन परिचय 
लेख प्रकारजीवनी
साल2023
छत्रपति शिवाजी जन्म19 फरवरी 1630
कितनी पत्नी थीचार
कितने बच्चे थेआठ
छत्रपति शिवाजी कब मनाई जाती है19 फरवरी
छत्रपति शिवाजी मृत्यु3 अप्रैल 1680

छत्रपति शिवाजी कौन थे? (Shivaji Maharaj Biography in Hindi in Hindi)

Biography of Shivaji;-शिवाजी भोसले (1630-1680ई.) भारत के एक महान राजा और रणनीतिकार थे, जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा सम्राज्य की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगजेब से संघर्ष किया। 1674 ई. में ही रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह “छत्रपति” बने। छत्रपति महाराज ने अपनी सेना की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने युध्द विद्या में कई नवाचार किए। छापामार युध्द की नई शैली “शिवसूत्र” विकसित की। उन्होंने मराठी और संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। 

Shivaji Maharaj Biography in Hindi – Overview

नामछत्रपति शिवाजी 
पूरा नामशिवाजी शाहजी भोसले
जन्म19 फरवरी 1630
जन्म स्थानशिवनेरी दुर्ग, पुणे
पिता का नामशाहजी भोंसले
माता का नामजीजाबाई
भाई का नामइकोजी (सौतेला भाई)
गोत्रकश्यप
पत्नीसाईंबाई, सकवरबाई, पुतलाबाई, सोयराबाई
बेटे-बेटीसंभाजी भोसले, राजाराम, दिपाबाई, सखुबाई, राजकुंवरबाई, रानुबाई, कमलाबाई, अंबिकाबाई
छत्रपति शिवाजी कौन थेमराठा शासक
छत्रपति शिवाजी मृत्यु3 अप्रेल 1680
छत्रपति शिवाजी मृत्यु स्थानरायगढ़ किला,पुणा

Also Read: छत्रपति शिवाजी कैसे बने महान

छत्रपति शिवाजी का जन्म कब और कहां हुआ?। Shivaji Birth & Birth Place)

Shivaji Maharaj Biography:-शिवाजी का जन्म पुणे(Pune) जिले के जुन्नार गांव में 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले (Shivneri durg) में हुआ था। शिवाजी का नाम उनकी माता ने स्थानीय देवता शिवाई के नाम पर रखा था, जिन्हें वो बहुत मानती थीं। शिवाजी के पिता बीजापुर (Bijapur) के जनरल थे, जो उस समय डेक्कन(Deccan) के सुल्तान के हाथों में था ।शिवाजी अपनी मां के बेहद करीब थे, उनकी माता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की थी, जिसका प्रभाव शिवाजी पर भी पड़ा।

उन्होंने रामायण(Ramayan) और महाभारत (Mahabharat) को बहुत ध्यान से पड़ा और उससे बहुत सारी बातें सीखकर अपने जीवन में उतारी थी। शिवाजी को हिंदुत्व का बहुत ज्ञान था, उन्होंने पूरे जीवन में हिंदू धर्म को दिल से माना और हिंदुओं के लिए बहुत से काम किए। शिवाजी के पिता ने दूसरी शादी कर ली और कर्नाटक चले गए, बेटे शिवाजी और पत्नी जीजाबाई को किले की देख-रेख करने वाले दादोजी कोंडदेव के पास छोड़ दिया था।

See also  गुरु अर्जुन देव जी की जीवन परिचय 2023 | Guru Arjan Dev Ji Biography in Hindi (जीवन,शिक्षा,प्रसिद्धि ग्रंथ,रचनाएं,संगीत)

शिवाजी महाराज की शिक्षा | Shivaji Maharaj Education

शिवाजी को हिंदू धर्म की शिक्षा कोंडदेव (दादा) से भी मिली थी। कोंडा जी ने उन्हें सेना के बारे में, घुड़सवारी और राजनीति के बारे में भी बहुतसी बातें सिखाईं थी। शिवाजी बचपन से ही बुध्दिमान व तेज दिमाग के थे। उन्होंने ज्यादा शिक्षा तो नहीं ली, लेकिन जितना भी उन्हे बताया और सिखाया जाता था वे उसे बहुत मन लगाकर सीखते थे । 12 साल की उम्र में शिवाजी बंगलौर गए जहां उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।

शिवाजी महाराज का परिवार । Family Of Shivaji Maharaj

शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी भोसले था, जो बीजापुर (Bijapur) के जनरल थे। उनकी मां का नाम जीजाबाई था, जो बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। शिवाजी का अपनी मां से बहुत प्रेम था, इसी वजह से वे उनके बहुत करीब थे। शिवाजी को धर्म और राज-पाट का बहुत सा ज्ञान अपने दादा कोंडदेव से मिला। उनका 12 वर्ष की आयु में साईंबाई से विवाह हो गया था। इसके अलावा उन्होंने सकरवरबाई, पुतलाबाई, सोयराबाई, सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, गुंवांताबाई इंगले से भी विवाह हुआ। साईबाई से जो संतानें हुईं उनमें संभाजी, रानूबाई, सखूबाई, अंबिकाबाई हैं। सोयराबाई से राजाराम और दीपाबाई ने जन्म लिया। इनमें से बाद में संभाजी ने उत्तराधिकार संभाला और मराठा साम्राज्य को आगे बढाया।

शिवाजी महाराज क्यों प्रसिध्द हैं? 

शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) एक योध्दा राजा थे। वे अपनी बहादुरी, रणनीति और प्रशासनिक कौशल के लिए काफी प्रसिध्द थे। उन्होंने हमेशा स्वराज्य और मराठा विरासत पर ध्यान केंद्रित किया था। शिवाजी महाराज, गुरू रामदास से काफी प्रभावित थे, जिन्होंने उन्हें अपनी मातृभूमि पर गर्व करना सिखाया था। मराठा राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज को उनके प्रशासन, साहस और युध्द कौशल के लिए जाना जाता है । 

17 वीं शताब्दी की शुरुआत में नए योध्दा वर्ग मराठों का उदय हुआ तब पूना जिले के भोंसले परिवार को सैन्य के साथ-साथ अहमदनगर साम्राज्य (Ahmednagar Empire) का राजनीतिक लाभ भी मिला था। भोंसले ने अपनी सेनाओं में बड़ी संख्या में मराठा सरदारों और सैनिकों की भर्ती की थी, जिसके कारण उनकी सेना में बहुत अच्छे लड़ाके सैनिक हो गए थे। वह अपनी मराठा सेना के जरिए गुरिल्ला पध्दति (guerrilla method) से युध्द लड़ने वाले पहले व्यक्ति थे। अपने बढ़ते वर्षों के दौरान मराठा राज्य में गिरावट के साथ, उन्होंने मुगल शासन और दक्कन सल्तनत (Deccan Sultanates) को सफलता पूर्वक एक समृध्द मराठा साम्राज्य खोजने के लिए चुनौती दी। औरंगजेब के साथ उसकी लड़ाई जगजाहिर थी। औरंगजेब कभी भी इस साहसी नायक को अपने अधीन नहीं कर पाया। 

शिवाजी महाराज के पूर्वज । Shivaji Maharaj’s Ancestors

जिस समय अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji)ने चित्तौड़ दुर्ग पर हमला किया था तब मेवाड़ की गुहिलों की रावल शाखा का अंत हो गया था। उस समय बहुत से राजपूत परिवार चित्तौड़ छोड़ देश के अलग-अलग भागों में चले गए थे। तब गुहिल वंश का एक क्षत्रिय राजकुमार सज्जन सिंह या सुजान सिंह दक्षिण भारत आया और यहीं रहने लगा। उसके कुछ वंशज खेती करके और कुछ दक्षिण के शासकों के लिए लड़कर आजीविका प्राप्त करने लगे।सज्जन सिंह की पांचवी पीढ़ी में अग्रसेन नामक वीर के दो पुत्र कर्णसिंह और शुभकृष्ण हुए। कर्णसिंह के पुत्र भीमसिंह को बहमनी राज्य के सुल्तान ने राजा घोरपड़े की उपाधि एवं मुधौल में 84 गांवों की जागीर प्रदान की। इस वजह से भीमसिंह के वंशज घोरपड़े कहलाए। 

See also  (Wipro) अजीम प्रेमजी का जीवन परिचय | Azim Premji Biography in Hindi, Foundation, Education, Family, Net Worth

वहीं शुभकृष्ण के वंशज भौंसले कहलाए, जिसमें शुभकृष्ण का पौत्र बापूजी भौंसले हुआ। बापूजी भौंसले का परिवार बेरुल गांव में काश्तकारी एवं पटेली का काम करता था। बापूजी भौंसले के दो पुत्र मालोजी और बिठोजी थे। मालोजी का विवाह पलटनपुर के देशमुख या जगपाल राव नायक निम्बालकर की बहिन दीपाबाई से हुआ। 

मालोजी के यहां एक फकीर की कृपा से एक बालक हुआ जो शाहजी कहलाया। एक बार मालोजी अपने बड़े पुत्र शाहजी को जाधवराव के महल में ले गया। वहीं जाधवराव की पुत्री जीजाबाई बैठी हुई थीं। सभी होली खेल रहे थे, तभी दोनों ने एक-दूसरे पर रंग डाला, जिसे देखकर जाधवराव के मुंह से निकला कि कितनी अच्छी जोड़ी है। उसने अपनी पुत्री से पूछा कि क्या तुम इस लड़के से विवाह करोगी? यह सुनते ही मालोजी उत्साह से भर गया और खड़े होकर बोला, सुना आप सबने, जाधवराव ने अपनी पुत्री का विवाह मेरे पुत्र से कर दिया। जाधवराव बच्चों से परिहास कर रहा था। मालोजी का यह दुस्साहस देखकर उसे सेवा से हटा दिया। 

Shivaji Maharaj’s Ancestors

मालोजी अपने भाई बिठूजी के साथ गांव में खेतीबाड़ी करने लगे। एक दिन अचानक उन्हें कुछ खजाना हाथ लगा, जिससे उसने एक हजार सैनिकों की एक वेतन-भोगी सेना तैयार कर अहमदनगर के शासक निजामशाह (nizamshah ) की सेवा में भर्ती हो गया। जब 1619 ई. में मालोजी का निधन हुआ, तो उसकी सभी जागीरें शाहजी को मिलीं। शाहजी ने अपने चचेरे भाई के साथ निजाम के लिए, मुगलों के खिलाफ कई युध्द जीते। 

भटवाड़ी के युध्द में मिली जीत के बाद शाहजी का कद भारत की राजनीति में बहुत बड़ गया। उसे पूना और सूपा की जागीरें मिलीं। शाहजहां हर हालत में शाहजी को अपनी सेवा में लाना चाहता था, लेकिन शाहजी ने मना कर दिया। मुगलों ने शाहजी को हराने के लिए पूरी शक्ति लगा दी और उसे चारों ओर से घेर लिया। अंत में उसके पास पांच दुर्ग रह गए।

बीजापुर शासक आदिलशाह, शाहजी की वीरता से काफी प्रभावित था। उसने शाहजी को प्रस्ताव भेजा कि वह बीजापुर की सेवा ग्रहण कर ले, जिसे स्वीकार कर लिया गया। उसे 92 हजार सवारों का सेनापति और कर्नाटक की ओर एक बड़ी जागीर दी गई। पूना और सूपा भी उसके पास बनी रहीं। उन दिनों मुगल (Mughal)हिंदू राज्यों को नष्ट करके हिंदुओं पर अत्याचार कर रहा था। कुछ समय बाद शाहजी ने बीजापुर के ये इलाके अपने अधीन कर लिए, जिससे हिंदू प्रजा को बचाया जा सके। 

 छत्रपति शिवाजी का इतिहास । History of Shivaji Maharaj

शिवाजी के जन्म के वक्त भारत में मुगलों का साम्राज्य फैल चुका था। (Shivaji Jayanti) शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ जंग छेड़ दी और कुछ ही समय में पूरे महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) खड़ा कर दिया। शिवाजी ने मराठियों के लिए बहुत काम किए, जिस वजह से महाराष्ट्र में शिवाजी को भगवान की तरह पूजा जाता है। 

See also  महादेवी वर्मा का जीवन परिचय | Mahadevi Verma Biography in Hindi [ रचनाएं, पुरस्कार,अवार्ड, रोचक तथ्य मृत्यु ]

15 साल की उम्र में शिवाजी ने पहला युध्द लड़ा, उन्होंने तोरना किले में हमला कर उसे जीत लिया । इसके बाद उन्होंने कोंडाना और राजगढ़ किले में भी जीत का झंडा फहराया। शिवाजी के बढ़ते पॉवर को देख बीजापुर के सुल्तान ने शाहजी को कैद कर लिया, शिवाजी व उनके भाई संभाजी ने कोंडाना के किले को वापस कर दिया और फिर उनके पिताजी को छोड़ दिया गया। अपनी रिहाई के बाद शाहजी अस्वस्थ रहन लगे और 1664-65 के करीब उनकी मौत हो गई।

इसके बाद शिवाजी ने पुरंदर और जवेली की हवेली में भी मराठा का ध्वज लहराया। बीजापुर के सुल्तान ने 1659 में शिवाजी के खिलाफ अफजल खान की एक बहुत बड़ी सेना भेज दी और हिदायत दी कि शिवाजी को जिंदा या मरा हुआ लेकर आए। अफजल खान ने शिवाजी को मारने की कोशिश कूटनीति से की, लेकिन शिवाजी ने अपनी चतुराई से अफजल खान को ही मार डाला। बीजापुर सुल्तान ने रुस्तम जमान के नेतृत्व में एक बार फिर सेना भेजी, जिसे शिवाजी ने कोल्हापुर में हरा दिया था। 

छत्रपति शिवाजी की मुगलों से लड़ाई (Shivaji fights with Mughals)

जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए उनके दुश्मन भी बढ़ते गए। शिवाजी के सबसे बड़े दुश्मन मुगल थे। 1657 में शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी। उस समय मुगल शासक औरंगजेब था। औरंगजेब ने शाइस्ता खान की सेना को शिवाजी के खिलाफ खड़ा कर दिया। उन्होंने पूना में अधिकार जमा लिया और विस्तार किया। शिवाजी ने रात में अचानक हमला कर दिया, जिसमें हजारों मुगल सैनिक मारे गए, लेकिन शाइस्ता खान भाग निकला। इसके बाद शिवाजी ने सूरत में अपना झंडा फहराया। 

पुरंदर की संधि (Purandar sandhi)

औरंगजेब ने हार नहीं मानी और इस बार उसने अम्बर के राजा जय सिंह और दिलीर सिंह को शिवाजी के खिलाफ खड़ा किया। जय सिंह ने उन सभी किलों को जीता और शिवाजी को हरा दिया । इस हार से शिवाजी महाराज को मुगलों के साथ समझौता करना पड़ा। 

छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु कैसे हुई । Shivaji Maharaj Death

शिवाजी बहुत कम उम्र में ही दुनिया को छोड़ चल बसे थे। राज्य की चिंता को लेकर उनके मन में काफी असमंजस था, जिस वजह से शिवाजी की तबियत खराब होने लगी थी और लगातार तीन सप्ताह तक वे तेज बुखार में रहे। 3 अप्रैल 1680 में उनका देहांत हो गया था। मात्र 50 वर्ष की आयु में ही उनकी मौत हो गई थी। उसके बाद भी उनके वफादारों ने उनके साम्राज्य को संभाला और मुगल एवं अंग्रेजों से लड़ाई जारी रखी। शिवाजी ने हिंदू समाज को नया रूप दिया, अगर वे ना होते तो आज देश हिंदू ना होता, मुगल पूरी तरह से हमारे ऊपर शासन करते। यही वजह है कि शिवाजी को लोग भगवान मानते हैं।

FAQ’s Shivaji Maharaj Biography in Hindi

Q. छत्रपति शिवाजी कौन थे?

Ans. मराठा साम्राज्य के संस्थापक और महान शासक।

Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती कब है?

Ans. 19 फरवरी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है ।

Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाए जाने की शुरुआत किसने की थी?

Ans. 19 फरवरी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाएं जाने की शुरुआत ज्योतिबा फुले द्वारा की गई थी।

Q. साल 2023 में आने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज की कौन सी जयंती है?

Ans. 19 फरवरी 2023 में आने वाली छत्रपति शिवाजी महाराज की 393 वीं जयंती है।

Q. छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म कब हुआ?

Ans. 19 फरवरी 1630 में शिवारी महाराज का जन्म हुआ था।

Q. छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु कब हुई?

Ans. 3 अप्रैल 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हई थी।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja