Ahoi Ashtami 2023 | अहोई अष्टमी क्या है? ये कब व क्यों मनाई जाती है, जानें (तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि, व्रत कथा)

Ahoi Ashtami 2023

Ahoi Ashtami 2023 : इस वर्ष में अहोई अष्टमी 5 नवंबर को मनाया जाएगी। अहोई अष्टमी का त्यौहार मनाने से संतान के ऊपर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त हो सकें। इस त्यौहार को मनाने के पीछे पौराणिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित है। उसके मुताबिक ही इस त्यौहार को मनाया जाता हैं। अहोई अष्टमी त्योहार माता अपने  बच्चों के कल्याण के लिए कठोर व्रत का पालन करती है। ताकि उसकी संतान की रक्षा हो सके। ऐसे में अगर आप भी 2023 में अहोई अष्टमी कब है? और इसका शुभ मुहूर्त क्या है? क्यों मनाया जाता है ? अहोई अष्टमी पूजन विधि क्या है? ऐसे तमाम सवाल अगर आप इंटरनेट पर तलाश रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट पर आ गए हैं। क्योंकि आज के पोस्ट में हम आपको Ahoi Ashtami 2023 से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे। अहोई अष्टमी के बारे में सब कुछ जानने के लिए इस लेख को आखिर तक पढ़े।

अहोई अष्टमी क्या है? Ahoi Ashtami Kya Hai

अहोई अष्टमी हिंदू धर्म के माता के द्वारा मनाया जाने वाला एक धार्मिक त्योहार है। इस त्यौहार के माध्यम से माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा और लंबी उम्र का आशीर्वाद माता अहोई देवी से प्राप्त करती हैं।

अहोई अष्टमी क्यों मनाई जाती है? (Ahoi Ashtami Kyu Manai Jati Hai)

एक माता अपने संतान की रक्षा के अहोई अष्टमी व्रत को रखती है। इस त्यौहार के द्वारा उसके बच्चे की उम्र लंबी होगी और इसके अलावा उसके बच्चे के ऊपर किसी प्रकार का कोई भी संकट या विपत्ति नहीं आएगी। इसके अलावा जिन महिलाओं के संतान नहीं है अगर वह इस त्यौहार को मानती है तो उन्हें संतान की भी प्राप्ति होगी |

 अहोई अष्टम की तिथि (Ahoi Ashtami Date, Time)

Ahoi Ashtami Date, Time

अष्टमी तिथि का समय- 05 नवंबर, दोपहर 1:00 बजे से शुरू होकर 06 नवंबर, सुबह 3:18 बजे तक

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त– 05 नवंबर शाम 5:42 बजे से शुरू होकर 05 नवंबर शाम 7:00 बजे तक.

तारों को देखने का समय – शाम 05:58 (5 नवंबर 2023)

अहोई अष्टमी का महत्व (Importance of Ahoi Ashtami)

अहोई अष्टमी हिंदू समुदाय के द्वारा मनाया जाता है विशेष तौर पर यह त्यौहार माताओं के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई मां इस त्यौहार को मानती है तो उसके बच्चों के ऊपर कोई भी विपत्ति नहीं आती है और उसके बच्चे को  देवी अहोई माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और बच्चे का जीवन खुशी और समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।

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अहोई अष्टमी पूजन विधि (Ahoi Ashtami Pooja Vidhi)

Ahoi Ashtami Pooja Vidhi
  • प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करना है उसके बाद आप कुछ फल का सेवन करें।
  • अब आप मंदिर या घर में ही पूजा शुरू करें।
  • पूरे दिन आपको निर्जला व्रत का पालन करना होगा।
  • इसके बाद शाम के समय बच्चों के साथ बैठकर अहोई अष्टमी माता  पूजा विधि को शुरू करेंगे।
  • घर की दीवारों पर आप को अहोई अष्टमी माता की तस्वीर लगाएंगे।
  • शाम को तारा निकलते ही उसको जल व खाना अर्पण करके ही व्रत खोलते हैं।

अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha)

इस व्रत को मनाने के पीछे 2 कथाएं प्रचलित है जिसके मुताबिक की अहोई व्रत को मनाया जाता है,जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं:-

पहली कथा (First Katha)

प्राचीन काल में एक नगर में एक साहब का रहता था उसके साथ लड़के थे दीपावली से पहले साहूकार की पत्नी ने घर की रंगाई के लिए मिट्टी लेने वाले खदान में गई थी जहां उसके हाथों से  कुदाल से मिट्टी खोदने के दौरान  गलती से मिट्‌टी के अंदर मौजूद सेह का बच्चा उसके हाथों से भूल से मारा जाता है इसका पश्चाताप साहूकार की पत्नी को होता है लेकिन घर आने के बाद कुछ दिनों के भीतर उसके साथ तो बेटे मृत्यु को प्राप्त होते हैं।  इसके बाद साहूकार के पत्नी दिन रात अपने किए गए कामों के लिए विलाप करती है और वह करती है किसने जानबूझकर कोई भी पाप नहीं किया है गलती से मिट्‌टी की खदान में मेरे हाथों एक सेह के बच्चे की मृत्यु हो गई थी  इसके बाद उसके पड़ोसी एक महिला ने कहा कि  तुम्हारे पश्चाताप से तुम्हारा आधा पाप धुल चुका है ऐसे में तुम्हें कार्तिक माह के कृष्ण के पक्ष अष्टमी के दिन सेह और सेह के बच्चों फोटो बनाकर बनाकर उसकी पूजा विधि विधान तुम्हें करना चाहिए और साथ में अपने द्वारा  किए गए गलती के लिए क्षमा याचना करो इससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे  इसके बाद साहूकार की पत्नी ने ऐसा किया प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से पूजा और क्षमा याचना करने लगी इसके बाद उसे फिर से उसे 7 संतानों की प्राप्ति हुई  तभी अहोई व्रत  बनाने की परंपरा की शुरुआत हुई जो आज तक कायम हैं।

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Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Download:-

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दूसरी कथा (Second Katha)

 एक गांव में एक औरत अपने साथ बेटों के साथ रहा करते थे एक दिन वह जंगल में मिट्टी लेने के लिए जाती है और उसके हाथों से एक पशु के बच्चे की मृत्यु हो जाती हैं। इसके कुछ दिनों के भीतर है उसके सातों बेटों की मृत्यु हो जाती है जिसके बाद औरत दिन रात विलाप करती है एक दिन उसके पड़ोस में रहने वाले एक औरत ने उसे देखा और उसे जाकर कहा कि तुमने जो भी किया है तुम्हारे द्वारा गलती से हुआ है इसलिए  तुम्हें अपने गलती का प्रायश्चित करना होगा सबसे पहले तुम उसे पशु के बच्चे का चित्र बनाओ तुम्हारे हाथों से मारा गया और फिर उसे चित्र को माता अहोई के साथ रखकर विधि विधान के साथ पूजा करो औरत ने 7 साल तक विधि विधान के साथ पूजा किया जिसके फल स्वरुप उसे फिर से 7 संतानों की प्राप्ति हुई उसके बाद से ही अहोई त्योहार मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई

अहोई अष्टमी पर क्या करें और क्या नहीं

हम इस पॉइन्ट के जरिए बताएंगे कि इस व्रत के दिन आपको कौन से काम करने चाहिए और कौन से काम को करने से दूर रहना चाहिए। अहोई अष्टमी पर क्या  करें और क्या नहीं आईयें जानते हैं-

 कौन से काम करने चाहिए

  • ‘अहोई माता’ की पूजा करने से पहले  भगवान गणेश जी की पूजा जरूर करें।
  • ‘अहोई अष्टमी’ का व्रत तारों को देखकर खोला जाता है इसलिए तारा देखने के बाद ही आप इस व्रत को खोलें।
  • कथा सुनते समय सात प्रकार के अनाज अपने हाथों में रखेंगे और पूजा जैसे ही समाप्त होगा उसे अनाज को गाय को खिला देंगे।
  • अहोई अष्टमी’ के व्रत पूजा करते समय बच्चों अपने साथ जरूर बिठाएंगे और माता ‘अहोई ’ को भोग लगाने के बाद वो प्रसाद अपने बच्चों को जरूर खिलाएं।
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कौन से काम नहीं करने चाहिए

  • अहोई अष्टमी के दिन मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • प्रसाद में लहसुन और प्याज बिल्कुल ना डालें।
  • मिट्टी का कार्य ना करें।
  • नीले और काले वस्त्र  नहीं पहनना चाहिए।
  • सिलाई का  काम बिल्कुल ना करें।
  • बच्चों का रखें ख्याल।

निष्कर्ष:

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल Ahoi Ashtami 2023  आपको पसंद आएगा। ऐसे में आर्टिकल से जुड़ा कोई भी सवाल या सुझाव है तो आप कमेंट सेक्शन में आकर पूछे उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में।

FAQ’s: Ahoi Ashtami 2023

Q. अहोई अष्टमी में हम क्या खा सकते हैं?

Ans.इस व्रत में निर्जल व्रत रखना उत्तम माना गया हैं। शाम को तारे को अर्घ्य देकर भोजन  करना अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर  कोई महिला निर्जल व्रत रखने में असमर्थ है तो कंदमूल जैसे मूली, गाजर और आलू खा सकती हैं। शाम को भोजन पका हुआ करना चाहिए जैसे पूरी सब्जी और मालपुए का सेवन कर सकती है।

Q. अहोई अष्टमी व्रत में पानी पी सकते हैं क्या?

Ans. जी नहीं इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत का पालन करती है पूजा समापन होने के बाद ही वह जल ग्रहण करती हैं

Q. अहोई अष्टमी के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

इस व्रत के दौरान मछली मांस और ना ही. शराब का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रत के दिन घर पर बनाए खाने में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल ना करें |

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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