छठ पूजा उत्तर भारत के लोगों का एक पवित्र त्यौहार हैं। विशेष और पर छठ पूजा की धूम बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में आपको ज्यादा ही दिखाई देती है। क्योंकि यहां पर रहने वाले लोग इस पर्व को काफी धूमधाम के साथ मनाते हैं। इसका पर्व का इंतजार लोगों द्वार साल भर से बेसब्री से करते हैं। 2023 में छठ पूजा 17 नवंबर से शुरू होगा और इसका समापन 20 नवंबर को होगा। छठ पूजा चार दिनों का त्यौहार हैं। इस पर्व में महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत का पालन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भी महिला छठ पूजा विधि विधान के साथ अगर करती है तो उसके संतान की उम्र लंबी होती हैं। इसके अलावा जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति अभी तक नहीं हो पाई है अगर वह छठ पूजा करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति भी होती हैं। यही वजह है कि छठ पूजा की महिमा अपरंपार हैं। छठी मैया सबके मनोकामना की पूर्ति करती हैं। छठ पूजा के संबंध में कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है।
पहली और पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव अपना राज पाठ हार गए थे तब उनकी पत्नी द्रोपदि ने प्रण लिया था कि अगर उनके पति को राज पाठ की प्राप्ति होती है, तो छठ मैया की पूजा करेगी। दूसरी कथा के मुताबिक कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम अयोध्या वापस आए थे तो अपनी पत्नी सीता के साथ सरयू नदी में जाकर उन्होंने भगवान सूर्य की पूजा की थी। उसके बाद से ही छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई। इसलिए आज के आर्टिकल में हम आपको Chhath Puja 2023 से संबंधित जानकारी आपसे शेयर करेंगे आर्टिकल हमारा पूरा पढ़ेंगे आईए जानते हैं-
Chhath Puja Ki Kahani
त्यौहार का नाम | छठ पूजा |
साल | 2023 |
कहां मनाया जाएगा | पूरे भारतवर्ष में |
कब मनाया जाएगा | 17 नवंबर 2023 से लेकर 20 नवंबर तक |
कौन सा धर्म के लोग मनाते हैं | हिंदू धर्म के |
क्यों मनाया जाता है | परिवारिक कथाओं के अनुसार कारण अलग-अलग है | |
छठ पूजा क्यों मनाई जाती हैं | Chhath Puja Kyu Manaya Jata Hai
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है इसके संबंध में कई मान्यता प्रचलित है कहा जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत द्वापर युग में हुई थी जब महाभारत का युद्ध घटित हुआ था जब जुआ में पांडव अपना पूरा राज पाठ हार गए तो उनकी पत्नी दो पति ने एक प्रण लिया कि अगर उन्हें दुबारा से राजपाट की प्राप्ति होती है तो तब छठ मैया की पूजा विधि विधान के साथ करेंगे जिसके फलस्वरूप जब महाभारत में पांडवों की जीत हासिल हुई तो त्रिपाठी ने काफी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ माता छठ की पूजा की सभी से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हो गई इस संबंध में दूसरी कहानी यह है कि जब श्रीराम ने रावण का वध किया और अथवा वापस आए तुमने अपनी पत्नी सीता के साथ जाकर सरयू नदी पर भगवान सूर्य देव की पूजा उपासना की तभी से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हो गई क्योंकि भगवान सूर्य की पूजा भी छठ पूजा के दिन की जाती है और छठ मैया और भगवान सूर्य आपस में भाई बहन है I
छठ पूजा कैसे मनाई जाती हैं Chhath Puja Kaise Manayi Jati Hai
छठ पूजा चार दिनों का महापर्व है और 4 दिनों में निम्नलिखित प्रकार के विधि विधान के साथ छठ पूजा का समापन किया जाता है उन सभी 4 दिनों में छठ पूजा कैसे की जाती है और कैसे मनाई जाती है उसका पूरा विवरण हम आपको नीचे बिंदु अनुसार देंगे आइए जानते हैं-
पहला पड़ाव: नहाय खाय
पहला दिन छठ पूजा ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है इस दिन छठ पूजा करने वाली महिलाएं सबसे पहले अच्छी तरह से स्नान करती हैं और अपने आप को पवित्र करती हैं उसके बाद घर में शुद्ध शाकाहारी भोजन बनाया जाता है भोजन में कद्दू भात और दाल प्रमुख तौर पर बनाए जाते हैं उसके बाद व्रत रखने वाली महिला सबसे पहले खाने को खाएगी उसके बाद ही घर के दूसरे लोग खाएंगे इसके बाद प्रसाद का वितरण सभी लोगों के बीच में किया जाएगा I
दूसरा पड़ाव: खरना
दूसरे दिन दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में चावल का खीर और रोटी बनाया जाएगा उसके बाद उससे माता छठ मैया को अर्पित किया जाएगा और फिर छठ पूजा करने वाली महिला खाएगी इसके बाद उसका वितरण प्रसाद के रूप में सभी लोगों के घर में जाकर किया जाएगा और लोगों को घर पर आमंत्रित करुणा प्रसाद दिया जाएगा सबसे महत्वपूर्ण बातें कि इस दिन चीनी और नमक दोनों का इस्तेमाल नहीं होता है खीर बनाने के लिए मीठे का प्रयोग होता है I इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
तीसरा पड़ाव: संध्या अर्घ्य (डूबते सूरज की पूजा करना)
तीसरे दिन सभी लोग गंगा घाट जाते हैं छठ मैया पूजा के लिए प्रसाद के रूप में ठेकुआ, और चावल के बनाए जाएंगे उसके बाद विभिन्न प्रकार के पांच प्रकार के फल यहां पर प्रसाद के रूप में माता छठ मैया को अर्पित किए जाते हैं इसके बाद बांस की टोकरी में सभी प्रसाद को सूप सजाया जाता है और व्रत रखने वाले के साथ परिवार तथा पास के लोग पैदल चलते हैं और फिर गंगा घाट जाकर सभी लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं इसके बाद व्रत रखने वाली महिला गंगा में प्रवेश करती हैं इसके बाद सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इसके बाद लोग दोबारा घर वापस आकर रात को छठ मैया संबंधित गाने सुनते हैं
चौथा पड़ाव: सुबह का अर्घ्य (उगते सूरज की पूजा करना)
चौथे दिन सुबह के समय जब सूर्य निकलता है तो उसकी पूजा की जाती है पूरी प्रक्रिया तीसरे दिन जैसी होगी यहां पर सबसे अंतिम में व्रत रखने वाली महिला अपने भारत को तोड़ेंगे उसके लिए कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूरा करती हैं और घर आकर चावल और कई सब्जियों को मिलाकर बनाया गया सब्जी खाएंगे इस प्रकार छठ पूजा का समापन सफलतापूर्वक हो जाता है I
छठ पूजा का इतिहास Chhath Puja History in Hindi
मान्यताओं के अनुसार, वेद और शास्त्रों के लिखे जाने से पहले से ही इस पूजा मनाया जाता था प्राचीन काल में ऋषि मुनि भगवान सूर्य की पूजा के द्वारा छठ पूजा की शुरुआत करते थे हालांकि छठ पूजा का इतिहास भगवान श्रीराम से जुड़ा हुआ है लोक कथा के अनुसार सीता और राम दोनों ही शुभ देव की उपासना करते थे जब श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद और जा में आए तो उन्होंने सबसे पहले सरयू नदी जाकर भगवान सूर्य देव की पूजा की उसके बाद से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हो गई जो आज तक कायम है |
छठ पूजा कथा/कहानी Chhath Puja katha
छठ पूजा कथा के बारे में अगर हम चर्चा करें तो इसके संबंध में कई प्रकार की मान्यता और परंपरा प्रचलित है सबसे पहला प्रथा इसके बारे में यह प्रचलित है कि जब पांडव का राजपाट जुए में हारने के बाद चला गया था तो द्रौपदी ने छठ पूजा करने का प्रण लिया था और उन्होंने कहा था कि अगर दोबारा से राजपाट की प्राप्ति होती है तो वह माता छठ मैया की पूजा हर्षोल्लास के साथ करेंगे और महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत के बाद द्रौपदी.ने माता छठ मैया की पूजा काफी विधि विधान के साथ पूरा किया तभी से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई पूजा का सामान भगवान श्रीराम से भी है I
जब भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी नगर वापस आए तो अपनी पत्नी सीता के साथ सरयू नदी पर जाकर भगवान सूर्य देव को जल अर्पित किया और उनकी पूजा भी की इसके बाद से छठ पूजा मनाने का प्रथा शुरू हुआ क्योंकि भगवान सूर्य माता छठ मैया के भाई थे और दोनों के बीच में काफी प्यार है I दानवीर कर्ण के बारे में आप लोगों ने सुना ही होगा दानवीर कर्ण भी भगवान सूर्य के उपासक थे वह नियमित रूप से उन को जल अर्पित करते थे उसके वजह से भी छठ पूजा मनाई जाती है क्योंकि छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा भी की जाती है I छठ पूजा के संबंध में एक और भी कहानी प्रचलित है ऐसा कहा जाता है कि प्रियंवद और मालिनी राजा और रानी हुआ करते थे उनकी कोई संतान नहीं थी
उन्होंने कहा कि कड़ी तपस्या के बाद एक संतान की प्राप्ति के लेकिन जब संतान का जन्म हुआ तो उसकी मृत्यु तत्काल में हो गई इसके बाद राजा उसको वियोग में अपने प्राण त्यागने के लिए श्मशान घाट चले गए तभी भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं उन्होंने राजा से कहा कि वह मेरी पूजा विधि विधान के साथ करें अगर वह ऐसा करते हैं तो उनकी संतान जीवित हो जाएगी इसके बाद राजा ने काफी हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ देवी देवसेना की पूजा की और जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ और तब से ही छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हो शुरू हो गई क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि छठ पूजा करने पर पुत्र की उम्र लंबी होती है I
छठ पूजा की कहानी (Chhath Puja Story in Hindi)
छठ माता की कहानी के बारे में अगर हम चर्चा करें तो या काफी पुरानी और थोड़ा रीत है ऐसा कहा जाता है कि जब पांडव अपना सब राजपाट जुए में हार गए तब उनकी पत्नी द्रोपदी ने छठ मां की पूजा करने का प्रण लिया और उन्हें कहा कि अगर सभी राज्यपाल उन्हें वापस मिल जाएंगे तो वह छठ माता की पूजा करेंगे उसके बाद युद्ध में जब पांडवों ने कौरवों को हराकर राजपाट हासिल कर लिया तो उसके बाद द्रोपति ने माता छठ की पूजा की तभी से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हो गई इसके अलावा रावण वध के बाद श्रीराम 14 साल बाद अयोध्या लौटे थे और अयोध्या में दिवाली के छठे दिन सरयू नदी के तट पर अपनी पत्नी सीता के साथ षष्ठी व्रत रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था। इसके अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उन्होंने राज पाठ का कार्यभार संभाला तभी से छठ पूजा मनाने की प्रथा शुरू हुई |
छठ पूजा की सम्पूर्ण कहानी (Chhath Puja Ki Puri Kahani)
पूजा के अगर हम संपूर्ण कहानी के बारे में बात करें तो छठ पूजा के संबंध में चार प्रकार की कहानियां काफी प्रचलित है और उनके अनुसार ही छठ पूजा का पर अब पूरे हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है I पूजा का सामान पांडव भगवान श्री राम और प्रियंवद और मालिनी की कहानी और दानवीर कर्ण से संबंधित है और उनके द्वारा ही छठ पूजा उत्सव का शुभारंभ हुआ था जो आज तक कायम है और आने वाले भविष्य में भी कायम रहेगा |
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FAQ’s छठ पूजा की कहानी
Q: छठ पूजा कब मनाया जाता है?
Ans: छठ पूजा 17 नवंबर से लेकर 20 नवंबर के बीच मनाया जाएगा I
Q: छठ पूजा कितने दिनों का त्यौहार है?
Ans: छठ पूजा चार दिनों का त्यौहार है |
Q: छठ पूजा कहां मनाया जाता है?
Ans: आज पूजा पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार में यह पूजा काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है I
Q . छठ माँ कौन है?
Ans.भगवान सूर्य की बहन का नाम छठ मैया है। यही वजह है कि छठ पूजा को सूर्य पर्व कहा जाता हैं। यह पर्व परिवार में सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है।
Q. छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई?
Ans.माता सीता ने अपने पति भगवान श्री राम के लंबी उम्र के लिए बिहार के मुंगेर जिला स्थित मुद्गल ऋषि आश्रम के नजदीक स्थित गंगा किनारे सबसे पहले छठ पूजा का सूर्य भगवान की उपासना की थी तभी से छठ पूजा पर्व की शुरुआत हुई आज भी उसे घाट पर माता सीता के पैरों के निशान हैं।
Q. छठ माता के पति का क्या नाम है?
Ans. छठ माता के पति का नाम कार्तिकेय हैं।
Q. छठ में सूर्य की पूजा क्यों होती है?
Ans.छठ महापर्व में भगवान सूर्य और छठ मैया की आराधना की जाती है। ऐसा कहा जाता हैं कि छठ पूजा में भगवान सूर्य की पूजा करने से आपको सुख और समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होगी और आपके ऊपर हमेशा भगवान सूर्य की विशेष कृपा बनी रहेगी।