Why are Dhanteras And Narak Chaturdashi Celebrated? पूरे भारत में दिवाली के त्योहार के आगमन से पहले धनतेरस और नरक चतुर्दशी का आगमन होता है। ये दो त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से हैं और परंपरागत महत्व रखते है। इस साल धनतेरस का त्योहार 10 नवंबर को मनाया जाएगा।
२०२३ में दिवाली आने ही वाली है, तो चलिए बात करते हैं धनतेरस और नरक चतुर्दशी के दिनों का महत्व, इन त्योहारों की महत्वपूर्ण पूजा विधियों, और इन दिनों में की जाने वाली खरीदारी के बारे में ।
धनतेरस के दिन का महत्व (Importance of Dhanteras Day)
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है और इसे दिवाली के पहले दिन मनाया जाता है। इस दिन धनतेरस पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसे लोग धन, सुख, और समृद्धि के लिए कार्यकुशलता के साथ मनाते हैं। धनतेरस की पूजा विधि में लक्ष्मी पूजा, धन्वंतरि पूजा, और कुबेर पूजा की जाती है, जिन्हें विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Pooja Vidhi)
पूजा के लिए निम्नलिखित धनतेरस पूजा सामग्री (Brass Pooja Items) की आवश्यकता होती है:-
- भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति (Laxmi Ganesh Saraswati Murti)
- कपूर
- दीपक (घी की दिया)
- पानी से भरा कलश
- मौलवी
- हल्दी
- अक्षत(चावल)
- पंचमेवा (घी, शक्कर या गुढ़ सहित )
- कपूर, धूप या अगरबत्ती
दिवाली धनतेरस की पूजा की शुरुआत गौरी पूजा से होती है, जिसमें मूर्तियों की सफाई और सजावट की जाती है। फिर धनतेरस की श्रीलक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे लोग धन और संपत्ति की देवी मानते हैं। धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ धन्वंतरि पूजा भी की जाती है, जिसमें आरोग्य और उपचार के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस फोटो के लिए आप श्री लक्ष्मी जी की फोटो इस्तेमाल कर सकते है।
पूजा शुरू करने से पहले ध्यान रखने वाली कुछ बातें:-
- घर की सफाई कर अच्छी तरह से सजाना चाहिए।
- धनतेरस पूजा विधि के लिए एक स्थिर और पवित्र स्थान तैयार करें, जैसे कि पूजा कमरा या मंदिर।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति (Laxmi Idol) को सजाने के लिए विशेष ध्यान दें, जैसे कि लक्ष्मी गणेश मूर्ति (Laxmi Ganesh Murti) या एकांकी लक्ष्मी मूर्ति का चयन करें।
- पूजा के दौरान, अपने ग्रह काल में पूजा करने का अभ्यास करें और मन्त्रों का जाप करें।
- पूजा के बाद, खाने के लिए खास बनाया गया खाना सर्व को भोग लगाया जाता है, जिसके बाद सभी परिवारजन इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं।
धनतेरस पूजा के दिन की महत्वपूर्ण बातें:-
- धनतेरस को विशेष धूप, दीपक, और मिठाई के साथ मनाना शुभ माना जाता है।
- घर की पूजा स्थल पर दीपक और दाना रखना अत्यंत शुभ होता है।
- लक्ष्मी पूजा के समय, घर के दरवाजे और खिड़कियों को खुले रखना शुभ माना जाता है, ताकि देवी लक्ष्मी आसानी से घर में प्रवेश कर सकें।
- इस दिन धन्वंतरि भगवान के चित्र की पूजा की जाती है और आरोग्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
धनतेरस के दिन ख़रीदे – शुभ वस्त्र और आभूषण
शुभ धनतेरस के दिन लोग शुभ वस्त्र और आभूषण खरीदने के भी महत्वपूर्ण मान्यता रखते हैं। इस दिन लोग बर्तन और ताँबे का सामान भी ख़रीदते है। सोना और चाँदी के आभूषण, किचन का सामान, बर्तन, बही खाता, और झाड़ू खरीदने का भी बहुत महत्व है। ये सोना और चाँदी के आभूषण वर्षभर खास अवसरों पर पहने जाने चाहिए और इसीलिए धनतेरस के दिन इसे खरीदने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन का महत्व
नरक चतुर्दशी दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है, और इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इसे भगवान कृष्ण के नरकासुर के वध की प्रतिष्ठा में मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी, भारतीय उपमहाद्वीप में मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है, जो दिवाली के अगले दिन, यानी छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी के अवसर पर लोग मिठाई और नमकीन बनाते हैं, और खुशियों के साथ इसे दिनभर के मिनी-दिवाली के रूप में मनाते हैं।
नरक चतुर्दशी के महत्वपूर्ण तथ्य
- नरकासुर के वध का उपलक्ष्य: नरक चतुर्दशी का प्रमुख महत्व उसे भगवान कृष्ण के नरकासुर के वध के रूप में माना जाता है। इस दिन, भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मारकर मानवता की रक्षा की और अधर्म का विनाश किया।
- मिठाई और नमकीन: इस दिन घरों में विशेष प्रकार की मिठाई और नमकीन बनाई जाती है, जिन्हें दिनभर के खाने-पीने के आयोजनों में सम्मिलित किया जाता है। यह मिठाई और नमकीन परिवार और दोस्तों के साथ बाँटने का अच्छा अवसर होता है और खुशियों का माहौल बनाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन का महत्वपूर्ण बातें:-
- नरक चतुर्दशी के दिन घर के सभी सदस्य नहाकर विशेष धूप, दीपक, और नरकासुर के प्रति प्रणाम करते हैं।
- इस दिन अधर्म को प्रहार करने के साथ-साथ धर्म की रक्षा के संकल्प को भी मजबूती से लिया जाता है।
- लोग इस दिन विशेष प्रकार की मिठाई, नमकीन, और खास व्यंजन बनाते हैं और दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं।
नरक चतुर्दशी के महत्वपूर्ण तथ्य
छोटी दिवाली का मान्यता: छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, दीपावली के दूसरे दिन के रूप में मनाई जाती है।
नरकासुर के वध का कथा: इस कथा के अनुसार, नरकासुर एक दुष्ट राक्षस था जो बोहरा के राजा नरक के पुत्र था। उसने पृथ्वी पर अत्याचार किया और देवताओं के साथ युद्ध किया। उसका अत्याचार विशेष रूप से स्त्रियों के प्रति होता था। भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मात द्वारका के द्वार पर मर दिया और उसके प्राणों की मुक्ति दिलाई।
दीप पूजा: छोटी दिवाली के दिन, घरों में अनेक दीपक जलाए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य नरक चतुर्दशी के अवसर पर प्रकाश का प्रतीक बनना है। घर के सभी कोनों में दीपक जलाने से अंधकार का अन्धकार टूटता है और प्रकाश की ओर जाने की सिद्धि होती है।
पारंपरिक आचरण: छोटी दिवाली के दिन लोग घरों की सफाई करते हैं और खास तरीके से तैयारी करते हैं। घर की सजावट, पूजा स्थल, और दीपों की देखभाल की जाती है।
विशेष खानपान: छोटी दिवाली के दिन लोग विशेष तरीके से बनाई गई मिठाईयों और नमकीनों का स्वाद लेते हैं। दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ इन खानों का आनंद लिया जाता है। जैसा की हम जानते है धनतेरस और नरक चतुर्दशी भारतीय परंपराओं में महत्वपूर्ण पर्व हैं, जो सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, हमें यह पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए। धनतेरस को धन के देवता धन्वंतरि की पूजा के रूप में मनाया जाता है, और लोग इस दिन धन, स्वास्थ्य और धर्मिक सुख की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार की खरीददारी करते हैं। नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण ने दानवराज नरकासुर को मारकर मानवता को मुक्त किया था। यह पर्व आदिकाल से ही हमारे समाज के मूल्यों और परंपराओं का हिस्सा रहा है, और यह हमें समृद्धि, सुख, और धार्मिक साधना के माध्यम के रूप में मनाने का अवसर प्रदान करता है।