नवरात्रि 2023: जानिए नवरात्रि के बारे में रोचक तथ्य, इसका इतिहास और महत्व (Know Interesting Facts About Navratri, Its History & Importance)

Interesting Facts About Navratri, Its History & Importance

Navratri 2023 : नवरात्रि, भारतीय पौराणिक और धार्मिक महत्व के अनुसार एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जो की प्रतिवर्ष माघ, चैत्र, आषाढ,अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि शब्द का अर्थ है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति/देवी/दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। 
नवरात्रि का पर्व मुख्य रूप से साल में 2 बार मनाये जाते है एक चैत्र मास में और दूसरी अश्विन मास में, पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलते है। 

नवरात्रि के अवसर पर, मां दुर्गा की प्रतिमाएं (Durga Maa Idol) स्थापित की जाती हैं, और कई स्थानों पर नवरात्रि के दौरान गरबा और रामलीला भी आयोजित की जाती हैं. इस महापर्व के पहले दिन, कलश स्थापना (Kalash Sthapna) के रूप में घट की स्थापना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान, पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और मां दुर्गा आरती (Maa Durga Aarti) की जाती है, और व्रत भी रखा जाता है, और दशमी तिथि को मां दुर्गा की प्रतिमा (Durga Maa Murti) के विसर्जन के साथ समाप्त होते है। 

इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर, 2023 को शुरू होकर, 23 अक्टूबर, 2023 को समाप्त होंगे और 24 अक्टूबर का दशहरा 2023 (Dussehra 2023) मनाया जायेगा।  

शारदीय नवरात्रि का इतिहास (History of Shardiya Navratri)

लंका युद्ध के समय एक दिन राम जी के सेना में चिंता का माहौल था, दूसरी ओर रावण के खेमे में आनंद की लहर दौड़ रही थी, उस समय अपने सेनापति को चिंतित देखकर  जामवंत जी ने श्री राम से पूछा की प्रभु आप की चिंता का कारण हैं एक दिन युद्ध में रावण का पलड़ा भारी हुआ तो क्या हुआ आपके पास वही तरकश और वही धनुष हैं हो  सकता है कल युद्ध में हमारा पलड़ा भारी हो। 

तब श्री राम ने कहा मेरी चिंता का कारण कुछ और है, मैंने देखा रावण के साथ शक्ति लड़ रही है और शक्ति के होते हुए हम कैसे विजयी हो सकते है,  हो सकता है उसने शक्ति की आराधना की हो, तब जामवंत जी ने कहा की फिर तो आपको भी शक्ति की आराधना करनी चाहिए और आराधना का जवाब आराधना से ही देना चाहिए।  

तब दूसरे दिन के युद्ध के लिए लक्ष्मण जी को सेनापति बनाया गया और श्री राम ने हनुमान जी से नदी में से 108 नीलकमल तोड़ कर लाने के लिए कहा और राम ध्यान में बैठ गए।  

जब राम जी के ध्यान का नवां दिन आया तब शक्ति ने सोचा की राम का अपने लक्ष्य के प्रति कितना ध्यान है इसकी परीक्षा लेती हूँ जब राम जी नवें दिन 108वां कमल चढ़ाने वाले थे तो उन्होंने देखा की ये आखरी कमल थाली में से गयाब है तब राम जी ने निश्चय किया कि मैं पूजा को अधूरा नहीं छोडूंगा।  तब उन्होंने कहा बचपन में मेरी माँ कौशल्या मुझे राजीव नयन कहकर पुकारा करती थी। 

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इसलिए अभी तो मेरे पास दो कमल और है मैं इनमे से एक आँख को समर्पित करके अपनी पूजा पूरी करुँगा, तब जैसे ही राम जी ने तरकश से बाण निकाला तो शक्ति ने प्रकट होकर राम जी का हाथ पकड़ लिया और उन्हें वरदान दिया की इस युद्ध में तुम्हारी ही विजय होगी। फिर दसवें दिन जब श्री राम और रावण का युद्ध हुआ तब राम जी ने रावण का वध किया और उस दिन को हम विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाते है।

अन्य कथाएं (Other Stories)

इस पर्व से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके उनसे  ये वरदान माँगा की मुझे कोई भी इंसान, देवता और ना ही कोई जानवर मार पाए। इस वरदान को पाकर महिषासुर ने स्वर्गलोक पर आक्रमण किया और देखते ही देखते उसने तीनो लोको को जीत लिया और त्रिलोकाधिपति बन गया।

इसके परिणामस्वरूप, महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने उन्हें माता शक्ति से प्रार्थना करने की सलाह दी। प्रार्थना के परिणामस्वरूप, शक्ति प्रकट हुई और उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु, शिव, और इंद्र, आदि देवताएं अपने अस्त्र-शस्त्र देवी को प्रदान किए, और फिर देवी ने महिषासुर का वध कर दिया।

नवरात्रि का महत्व (Importance of Navratri):


नवरात्र, जिसे 9 विशेष रात्रियां के रूप में जाना जाता है,’रात्रि’ शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस समय को शक्ति के 9 रूपों की उपासना का प्रमुख अवसर माना जाता है। शक्ति के नौ रूप इस प्रकार है:-

क्रम संनवरात्रा के 9 देवियों के नाम
1.शैलपुत्री (Shailputri)
2.ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini)
3.चन्द्रघण्टा (Chandraghanta)
4.कूष्माण्डा (Kushmanda)
5.स्कंदमाता (Skandamata)
6.कात्यायनी (Katyayani)
7.कालरात्री (Kalaratri)
8.महागौरी (Mahagauri)
9.सिद्धिदात्री (Siddhidatri)

प्रत्येक साल में 4 नवरात्रा (4 Navratri) होते हैं, जिनमें विद्वानों ने वर्ष में 2 बार नवरात्रों में आराधना का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन, अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक, यानी 9 दिनों तक, नवरात्र मनायें जाते है। इसके ठीक 6 महीने बाद, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक, यानी विजयादशमी (Vijayadashami) के एक दिन पहले तक, देवी की पूजा की जाती है। इस नवरात्र को सिद्धि और साधना की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर, लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजा और योग-साधना आदि करते हैं।

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मुख्य रूप से, शक्ति की उपासना आदिकाल से चली आ रही है। वास्तविक रूप से, श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में देवासुर संग्राम का विवरण दुर्गा की उत्पत्ति के रूप में उल्लेखित है, समस्त देवताओं की शक्ति का समुच्चय जो आसुरी शक्तियों से देवत्व को बचाने के लिए एकत्रित हुआ था | और उसकी आराधना दुर्गा-पूजा (Brass Pooja Items) के रूप में आज भी चली आ रही है। 

हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण, और तमोगुण – तीन प्रकार के गुण व्याप्त हैं। प्राकृतिक रूप से, इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहा जाता है। इन 9 दिनों के दौरान, पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की पूजा की जाती है, दूसरे तीन दिन रजोगुणी प्रकृति की पूजा की जाती है, और अंत में तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की पूजा की जाती है। आखिरी दिन, हम विजयोत्सव मनाते हैं क्योंकि हम तीनों गुणों के परे, त्रिगुणातीत अवस्था में पहुंच जाते हैं, और काम, क्रोध, मद, लोभ, और अन्य राक्षसी प्रवृतियों का हनन करके विजय का उत्सव मनाते है। 

नवरात्रि से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Some Interesting Facts Related to Navratri)

  1. देवी को अष्ट भुजाओ वाली क्यों माना जाता है? (Why is the Goddess Considered to Have Eight Arms?)

मां दुर्गा को शास्त्रों में आठ भुजाओं वाली और कुछ जगह पर दस भुजाओं वाली बताया गया है। वास्तु शास्त्र में आठ महत्वपूर्ण दिशाएं होती हैं, हालांकि कई स्थानों पर दस कोणों या दस दिशाएं भी बताई जाती है। ये दिशाएँ निम्नलिखित हैं: प्राची (पूर्व), प्रतीची (पश्चिम), उदीची (उत्तर), अवाची (दक्षिण), ईशान (उत्तर-पूर्व), वायु (उत्तर-पश्चिम), अग्निया (दक्षिण-पूर्व), नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम), ऊर्ध्व (आकाश की ओर), और अधरस्त (पाताल की ओर)। कुछ स्थानों पर आकाश और पाताल की दिशा को दिशा का दर्जा नहीं दिया जाता है, तथा इस कारण से ही कुछ स्थानों पर केवल आठ दिशाएं मानी जाती हैं। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा सभी दिशाओं से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं, और इसी कारण उनकी आठ भुजाएं होती हैं।

  1. शेर पर सवारी ही क्यों? (Why Ride on a lion?)

देवी का वाहन शेर होता है और वह इस पर सवार होती हैं। शेर को अतुल्य शक्ति से जोड़कर देखा जाता है, और यह माना जाता है कि शेर पर सवार होकर दुर्गा मां दुख और बुराई का अंत करती हैं।

  1. पितृपक्ष के अंत में नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? (Why is Navratri Celebrated at the End of Pitru Paksha?)

पितृपक्ष के बाद घर की शुद्धि होती है, और इसके बाद देवी पक्ष, जिसे नवरात्रि कहा जाता है का आगमन होता है और सभी प्रकार के अन्य त्योहारों की शुरुआत भी होती है। माना जाता है कि देवी पक्ष के पहले दिन मां दुर्गा पृथ्वी की ओर यात्रा करना शुरू करती हैं।

  1. नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों होता है? (Why is Kanya Pujan Done During Navratri?)
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हिन्दू धर्म में नवरात्र महापर्व के दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) और नवमी तिथि को कन्या पूजन का आयोजन होता है। इस दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित कर भोजन कराने की प्रथा है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन (Kanya Pujan 2023) के दिन कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती (Maa Bhagwati) प्रसन्न होती हैं और धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शास्त्रों में कन्या पूजन के महत्व को आयु के अनुसार विस्तार से वर्णित किया गया है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि इस दिन आयु के अनुसार कन्याओं को भोजन कराने से भक्तों को विशेष लाभ होता है। 

  1. नवरात्रि में  गरबा रास और डांडिया का आयोजन क्यों ? (Why Organize Garba Raas and Dandiya During Navratri?)

नवरात्रि में गरबा रास और डांडिया का आयोजन नवरात्रि पूजा (Navratri Pooja) और महानवमी के अवसर पर किया जाता है। यह समाज में एकता, आदर, और आनंद का प्रतीक होता है, जो देवी दुर्गा की महत्वपूर्ण भक्ति और साथ में उत्सव का हिस्सा है।

निष्कर्ष (Conclusion):

नवरात्रि 2023 (Navratri 2023) के बारे में इस लेख से हमें यह सीख मिलती है कि यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जो प्रतिवर्ष चैत्र और अश्विन मास में मनाया जाता है। इसका महत्व इसलिए है क्योंकि इस समय माँ दुर्गा की मूर्ति (Durga Maa Statue) या माँ दुर्गा की फोटो (Maa Durga ki Photo) स्थापित कर उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है और विजयदशमी के दिन राम के रावण पर विजय का उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व के माध्यम से लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाते हैं और दुष्ट शक्तियों के प्रति जीत प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही, हमें देवी की आठ भुजाओं वाले रूप में उपासना का अद्वितीय महत्व और शेर की सवारी का सार्थक तात्पर्य भी मिलता है। कन्या पूजन के द्वारा, हम युवा कन्याओं का सम्मान करते हैं।
नवरात्रि में गरब रास और डांडिया का आयोजन एकता और आनंद का संकेत है। इस पर्व के माध्यम से हम सभी शक्ति के महत्व को याद करते हैं और उसकी आराधना करके अपने जीवन में नई शक्ति का स्वागत करते हैं। नवरात्रि के साथ ही हम भारतीय संस्कृति की धरोहर को भी याद करते हैं और उसे आज के समय में जीवंत रखने का प्रयास करते हैं। यह त्योहार एकता, आदर, और खुशी का प्रतीक है और हमारे समाज को समृद्धि की ओर अग्रसर करने में मदद करता है। हमारी ओर से आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं (Happy Navratri)

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