भगवान श्री राम पर निबंध | Essay On Bhagwan Shree Ram:-मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के दसवे अवतार में से सातवें अवतार माने जाते हैं। पृथ्वी पर भगवान श्री राम का जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ था। उनके मानव रूपी जीवन का प्रमुख उद्देश्य रावण जैसे अत्याचारी राक्षस का अंत करके पृथ्वी पर धर्म और शांति की स्थापना करना था। भगवान श्री राम करुणा त्याग और समर्पण के प्रतिमूर्ति माने जाते हैं। भगवान श्री राम के पिता का नाम दशरथ जी और माता का नाम कौशल्या था। जब भगवान श्री राम को अयोध्या का राजा घोषित करने की घोषणा राजा दशरथ के द्वारा की गई थी तब उनकी सौतेली मां ने राजा दशरथ के माध्यम से उन्हें 14 सालों का वनवास दिलवाया था। वनवास पूर्ण होने के बाद जब वह अयोध्या वापस आए तो उन्हें अयोध्या का राजा बनाये गए। ऐसे में यदि आप एक विद्यार्थी हैं और आप भगवान श्री राम के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं तो आज के आर्टिकल में हम आपको Essay On Bhagwan Shree Ram से जुड़ी जानकारी आपको विस्तार पूर्वक प्रदान करेंगे। इसलिए हमारा आर्टिकल को आप पूरा पढ़े ताकि आप भी भगवान श्री राम के ऊपर निबंध लिख सके, चलिए जानते हैं:-
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Essay On Shree Ram– Overview
आर्टिकल का प्रकार | निबंध |
आर्टिकल का नाम | भगवान श्री राम पर निबंध |
भगवान श्री राम को कितने सालों का वनवास हुआ था. | 14 साल |
भगवान श्री राम कितने भाई थे | चार भाई थे |
भगवान श्री राम के पत्नी का नाम क्या था? | सीता |
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भगवान श्री राम पर (100 शब्दों में निबंध) Shree Ram Essay in 100 Words (Class 1,2,3)
भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ जी के घर हुआ था। उनकी माता जी का नाम कौशल्या था। जब इनका जन्म अयोध्या नगरी में हुआ तो अयोध्या नगरी के वासी काफी प्रसन्न हो गए थे। जब भगवान श्री राम का राजा का पद संभालने का समय आया तो रानी कैकई के कहने पर भगवान श्री राम को दशरथ ने 14 साल का वनवास दे दिया।14 वर्ष वनवास के दौरान रावण ने भगवान श्री राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था। इसके पश्चात ही भगवान श्री राम ने रावण का वध कर दिया। रावण का वध करके लंका नगरी को राक्षसों से मुक्त कर दिया और वनवास के 14 वर्ष पूर्ण के बाद आयोध्या नगरी वापस आ गए।
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भगवान श्री राम पर (300 शब्दों में निबंध) Shree Ram Essay On 300 Words (Class 4, 5, 6, 7)
Ram ji Par Nibandh:- भगवान श्री राम का हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण स्थान है। भगवान श्री राम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। भगवान श्री राम त्याग ,बलिदान, परंपरा, धैर्य एवं मर्यादा का पूरे विश्व में सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या के महाराज दशरथ के घर हुआ था। इसलिए इनका जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की नवमी तिथि को मनाया जाता है। महाराज दशरथ के तीन रानियां थी:- कौशल्या ,केकई, सुमित्रा। महारानी कौशल्या के द्वारा भगवान श्री राम, महारानी कैकई के द्वारा भरत, महारानी सुमित्रा के द्वारा लक्ष्मण और शत्रुघ्न जन्मे थे। महाराज दशरथ जी को बड़ी तपस्या करने के बाद इन चारों पुत्रों की प्राप्ति हुई।
भगवान श्री राम बचपन से ही विनयशील स्वभाव के थे। भगवान श्री राम का अयोध्या के महाराज दशरथ अर्थात अपने पिताजी से अधिक लगाव था। वह महाराज दशरथ के नजरों से एक पल के लिए भी नहीं हटते थे। यह अपनी सौतेली माता कैकई को सबसे अधिक प्रेम एवं स्नेह करते थे। भगवान श्री राम कि नजरों में तीनों माता का एक सम्मान थी। साथ ही साथ वह अपने भाइयों से भी अत्यधिक प्रेम एवं स्नेह रखते थे।
श्री राम बचपन से ही पराक्रमी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुनि के आश्रम से ग्रहण की थी। भगवान श्री राम चरित्र के दयालु प्रवृत्ति के महापुरुष थे। उनके हृदय के अंदर काफी सुंदर शिष्टाचार बसा हुआ था। मिथिला नगरी के राजा ने अपनी सुपुत्री सीता के विवाह के लिए एक स्वयंवर रचा था। स्वयंवर में महाराज ने यह घोषणा की कि जो भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसकी उनकी बेटी की शादी कर दी जाएगी। विभिन्न जगहों से आए राजा महाराजा ने कोशिश की लेकिन कोई भी महाराज भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा नहीं पाएं। जिसके बाद भगवान श्री राम ने भगवान शिव के धनुष पर ना सिर्फ प्रत्यांचा चढ़ाई बल्कि ऐसा करते वक्त धनुष दो भाग में टुक गया और इस प्रकार माता सीता का साथ उनका विवाह हो गया।
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भगवान श्री राम पर (500 शब्दों में निबंध) Shree Ram Per Nibandh
प्रस्तावना
Ram Bhagwan Par Nibandh:- प्रभु श्री राम का जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। वह अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं- कौशल्या, कैकेयी और सबसे छोटी सुमित्रा। बहुत जप-तप के बाद राजा दशरथ को पुत्र प्राप्त हुए थे। उनकी तीन रानियों से चार पुत्र पैदा हुए थे। सबसे बड़ी रानी कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे। बचपन से ही श्री राम (Shree Ram) बहुत दयालु और विनम्र थे और अपने पिता के सबसे करीब थे। या यूं कहें कि वह राजा दशरथ की कमजोरी थे। राजा दशरथ उन्हें एक क्षण के लिए भी अपनी दृष्टि से दूर नहीं करना चाहते थे। सौतेली माँ होने पर भी वे कैकेयी को सबसे अधिक स्नेह और आदर देते थे। उनके लिए उनकी तीनों माताएं एक समान थीं। सबसे बड़े होने के कारण वे अपने सभी छोटे भाइयों का बहुत ख्याल रखते थे।
माता सीता का स्वयंवर
एक बार गुरु विश्वामित्र भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला चले गए जहां पर राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था। राजा जनक का भगवान शंकर के बहुत बड़े भक्त थे । इसलिए उनको भगवान शंकर से शिव धनुष मिला था। राजा जनक ने स्वयंवर में शर्त रखी थी कि जो भगवान शंकर के शिव धनुष धनुष उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा पायेगा, केवल वही राजकुमारी सीता से विवाह कर पाएगा। बारी-बारी से सभी राजकुमारों ने शिव धनुष को उठाने का प्रयास किया सभी असफल साबित हुए, राजा जनक को बहुत चिंता हुई कि इस ब्रह्मांड में ऐसा कोई नहीं है जो भगवान शिव शंकर के धनुष को उठा सके। महाबली रावण ने भी धनुष को उठाने का प्रयास किया लेकिन वह असफल हो गया था।जब सभी राजकुमार शिव धनुष को उठा पाने में असफल साबित हुए तब श्री राम का राजा जनक के दरबार में प्रवेश होता है। उनके तेज से दरबार का पूरा माहौल प्रकाशित हो जाता हैं। भगवान श्री राम ने अपने गुरु का आशीष लिया और वह क्षण मात्र में धनुष उठा लेते हैं और उनके स्पर्श मात्र से शिव धनुष टूटकर दो भाग में विभाजित हो जाता है । इस प्रकार स्वयंवर जो शर्त निर्धारित किया गया था, उसे भगवान श्री राम ने पूरा किया इसके उपरांत भगवान श्री राम का विवाह सीता के साथ करवाया गया।
भगवान राम का वनवास
भगवान श्री राम का जब विवाह सीता के साथ पूरा हो गया तो अपने नगरी अयोध्या वापस आ गए, जहां पर उनका स्वागत किया गया । इसके बाद उनके पिता दशरथ ने भगवान श्री राम को अयोध्या का राजा घोषित करने की घोषणा की। लेकिन राम की सौतेली मां अपने बेटे भरत को राजा बनना चाहती थी । इसलिए उन्होंने, राजा दशरथ को राम को 14 साल के लिए वनवास भेजने के लिए कहा। राजा दशरथ अपने वचन से बंधे हुए थे। इसलिए उन्होंने राम को वनवास जाने के लिए आदेश जारी किया। जब राम बनवास जा रहे थे ‘ उनकी पत्नी सीता ने भी कहा कि मैं भी आपके संग वनवास चलूंगी। जब राम अयोध्या से वनवास के लिए प्रस्थान करने लगे तो उनके भाई लक्ष्मण ने भी भगवान राम से अनुरोध किया कि वह उन्हें भी अपने साथ वनवास के लिए लेकर जाए।इसके बाद राम सीता और लक्ष्मण तीनों वनवास को चले गए ।
भगवान राम द्वारा रावण का अंत
जब लक्ष्मण ने रावण की बहन सूर्पनखा की नाक काट दी तो रावण काफी क्रोधित हुआ और उसने अपनी बहन का अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण किया। हालांकि उस समय राम के भक्त जटायु ने अपनी पूरी ताकत लगाकर रावण के साथ युद्ध किया, लेकिन वह परास्त हो गया। इसके बाद रावण ने माता सीता को लंका की एक अशोक वाटी में कैद कर दिया l इसके बाद भगवान राम ने सीता को रावण के चंगुल से बचने के लिए उनके साथ भीषण युद्ध किया। इस युद्ध में राम ने रावण का वध कर माता सीता को मुक्त करवा के अपनी पत्नी सीता के साथ अयोध्या लौट गए।
उपसंहार
भारत के धार्मिक शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि भगवान राम विष्णु के अवतार थे । इस पृथ्वी पर रावण का विनाश करने के लिए मानव रूप में जन्म लिया था भगवान श्री राम हिंदुओं के आस्था के प्रतीक हैं। उनको मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता हैं। श्री राम हिंदू धर्म के लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं।
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भगवान श्री राम पर निबंध | Essay On Shree Ram in Hindi
प्रस्तावना
श्री राम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या के महाराज दशरथ जी के घर में हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के नवमी तिथि को भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्री राम भगवान को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्री राम त्याग बलिदान मर्यादा आदर्शवादी के के लिए सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। भगवान श्री राम से लोगों को प्रेरणा प्राप्त होती है।
भगवान श्री राम का माता सीता के साथ विवाह
भगवान श्री राम ,छोटे भाई लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ आए थे। जहां पर माता सीता का स्वयंवर का आयोजन किया जा रहा था। इस स्वयंवर में महाराज जनक ने माता सीता के विवाह के लिए एक प्रतियोगिता रखी थी। यह प्रतियोगिता यह थी कि जो भी भगवान शिव के धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसका विवाह मेरी पुत्री सीता के साथ कर दिया जाएगा। लेकिन इस स्वयंवर में उपस्थित सभी राजा रखी गई शर्त को पूरा नहीं कर सके। तब महाराज जनक काफी चिंतित हो गए और वह दरबार में यह बात कही कि ऐसा कोई भी महान योद्धा नहीं है जो इस धनुष को हिला सके। तभी महर्षि विश्व मित्र ने भगवान श्री राम को राजा जनक के दरबार में धनुष उठाने की आज्ञा दी। इसके बाद भगवान श्री राम ने महर्षि विश्वामित्र को प्रणाम करके भगवान शिव के धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दी , जिससे भगवान शिव का धनुष टूट गया और इस प्रकार शर्त के अनुसार महाराजा जनक ने अपनी पुत्री सीता का विवाह भगवान श्री राम के साथ कर दिए।
भगवान श्री राम का वनवास कल
भगवान श्री राम का माता सीता के साथ विवाह होने के बाद महाराजा दशरथ ने भगवान श्री राम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया । लेकिन भगवान श्री राम की सौतेली मां कैकेई ने अपने पुत्र भारत को अयोध्या का राजा बनाने का फैसला कर लिया था। माता कैकेई ने महाराज दशरथ को भगवान श्री राम को 14 साल वनवास भेजने को कहा। तब महाराज दशरथ अपने दिल पर पत्थर रखकर यह बात भगवान श्री राम को 14 साल वनवास जाने को कहा और इस प्रकार भगवान श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण एवं अपनी पत्नी सीता को लेकर 14 साल के लिए वनवास चले गए।
भगवान श्री राम और भरत का मिलन चित्रकूट के वनों में
जब भगवान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण एवं अपनी पत्नी सीता को लेकर यमुना नदी पार करके चित्रकूट के वनों में एक कुटिया बनाकर रहते थे। कुछ दिन बीतने के बाद भारत एवं राज्य के राज परिवार एवं गुरु एवं अपने सैनिकों के साथ भगवान श्री राम के कुटिया में पधारे थे और इसी दौरान भगवान श्री राम को उनके पिता महाराज दशरथ की मृत्यु की जानकारी प्राप्त हुई थी। यह सुनकर भगवान श्री राम एवं उनके भाई लक्ष्मण और माता सीता काफी दुखी हो गए थे। इसके बाद भारत ने भगवान श्री राम को वापस चलने के लिए विनती की लेकिन भगवान श्री राम ने अपने पिता को यह वचन दिया था कि वह 14 साल का वनवास पूर्ण करके ही वापस लौटेंगे। इसलिए उन्होंने वापस लौटने से इनकार कर दिया था क्योंकि भगवान श्री राम वचनबद्ध थे।जिसके बाद भरत भगवान राम की चरण पादुका लेकर वापस आयोध्या लौट आएं थे।
भगवान श्री राम के द्वारा रावण का वध
भगवान श्री राम के वनवास के दौरान जब लक्षमण ने रावण की बहन सूर्पनखा की नाक काट दी थी। तब सूर्पनखा रोती हुई अपने भाई खरदूषण के पास पहुंची तब खरदूषण भगवान श्री राम से बदला लेने के लिए 14000 सैनिकों को लेकर युद्ध करने के लिए पहुंचे। तब श्री राम ने इस युद्ध में खरदूषण का वध कर दिया। तब रावण ने भगवान श्री राम से बदला लेने के लिए योजना बनाई और रावण ने भगवान श्री राम से बदला लेने के लिए माता सीता को अपहरण कर उन्हें लंका लेकर आ गया । इसके बाद भगवान श्री राम लंका जाने का निश्चय किया।
- राम सेतु का निर्माण समुद्र पर:- भगवान श्री राम अपने सहयोगी एवं राम भक्त हनुमान के साथ लंका जाने के लिए समुद्र मार्ग का चुनाव किया। इस विशाल समुद्र पर राम भक्त हनुमान ने पत्थरों पर राम लिखकर इन पत्थरों से राम सेतु का निर्माण किया गया और इसी रामसेतु के जरिए भगवान श्री राम एवं उनके वानर भक्त के साथ लंका प्रवेश किया।
- भगवान श्री राम को रावण के द्वारा चुनौती:- भगवान श्री राम को रावण ने यह चुनौती दी थी कि युद्ध में उसे पराजय करें और अपनी पत्नी सीता को लेकर चल जाए। तब भगवान श्री राम ने धार्मिकता एवं अच्छाई को जीवित रखने के लिए उनके चुनौती को स्वीकार कर लिए। इसी उपरांत भगवान श्री राम ने रावण के भाई कुंभकरण एवं रावण के पुत्र को पराजय कर दिया।
- रावण का मृत्यु:- रावण का काफी बलवान थे रावण के पास 10 सिर होने के कारण उन्हें मारना है काफी असंभव था। लेकिन भगवान श्री राम ने रावण के भाई विभीषण के सहायता से रावण का अंत करके अपनी पत्नी सीता एवं अपने भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौट गए।
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उपसंहार
भगवान श्री राम को विष्णु का अवतार माने जाते हैं। इस अवतार में भगवान श्री राम ने राक्षस राज रावण का अंत कर दिए और इस प्रकार संसार में धर्म एवं सच्चाई की जीत हुई। भगवान श्री राम त्याग और बलिदान के आदर्श है और वह विश्व में सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। भगवान श्री राम से हम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारे हिंदू धर्म में सभी भगवानों में भगवान श्री राम को लोकप्रिय भगवान माना जाता है।
भगवान श्री राम पर 10 वाक्य | 10 Lines On Shree Ram
- भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है।
- भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में अयोध्या के महाराज दशरथ जी के घर में हुआ था।
- भगवान श्री राम का जन्मोत्सव चैत्र मास के नवमी तिथि को मनाया जाता है।
- भगवान श्री राम, भगवान विष्णु के अवतार है।
- भगवान श्री राम के पिता अयोध्या के महाराज दशरथ जी थे।
- महाराज दशरथ जी की तीन पत्नियों थी कौशल्या, केकई ,सुमित्रा।
- भगवान श्री राम के तीनों भाइयों का नाम भारत ,लक्ष्मण, शत्रुघ्न है।
- भगवान श्री राम का शिक्षा दीक्षा वशिष्ठ ऋषि के पास हुई जहां उन्होंने अस्त्र-शस्त्र को चलाने की शिक्षा ग्रहण किया।
- भगवान श्री राम अयोध्या नगरी के सबसे बड़े पुत्र थे।
- माता सीता ,भगवान श्री राम की पत्नी थी।
भगवान श्री राम पर निबंध (Lord Rama Essay PDF Download)
Summary:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल Essay On Lord Shree Ram | श्री राम पर निबंध आपको पसंद आया होगा। ऐसे में आर्टिकल से संबंधित कोई भी सवाल या आपका सुझाव है तो कमेंट सेक्शन में जाकर पूछिए उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!
FAQ’s: Lord Rama Nibandh in Hindi
Q. भगवान श्री राम को कितने सालों का वनवास हुआ था?
Ans. भगवान श्री राम को 14 सालों का वनवास हुआ था।
Q. भगवान श्री राम के भाइयों के क्या नाम थे?
Ans. भगवान श्री राम के चार भाई थे उनके नाम लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत थे।
Q. भगवान श्री राम किसके अवतार थे?
Ans. भगवान श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे।
Q. भगवान राम के परम भक्त कौन थे?
Ans. भगवान राम के परम भक्त भगवान हनुमान जी थे।