Subhash Chandra Bose Essay in Hindi:- नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं। इतिहास में सुभाष चंद्र बोस जैसे देशभक्त व्यक्ति बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे देशभक्त थे, जो सेनापति, वीर सैनिक, कुशल राजनैतिज्ञ होने के साथ ही एक कुशल नेतृत्वकर्ता भी थे। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, जो हम सब के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत रहेगा। इन्हीं देशहित और आजादी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले महान देशभक्त को भारत ने हर साल 23 जनवरी के दिन सुभाष चंद्र बोस जयंती (Subash Chandra Bose Jayanti) मनाने का ऐलान किया।
इस दिन देश भर में विभिन्न देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस लेख में हम आपको निबंध पेश करेंगे, जिसके जरिए आप सुभाष चंद्र बोस के बारे में सारी जानकारी पा सकते है। इस निबंध को हमने सुभाष चंद्र बोस पर निबंध, हिंदी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध, Subhash Chandra Bose Essay in Hindi, सुभाष चंद्र बोस के बारे में निबंध,सुभाष चंद्र बोस पर निबंध PDF, सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्द, सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन बिंदुओं पर आधारित है, नेता जी के बारे में सारी जानकारी पाने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े।
Subhash Chandra Bose Essay in Hindi- Overview
Subhash Chandra Bose Jayanti 2024 | Similar Articles |
पराक्रम दिवस 2024 | यहाँ क्लिक करें |
पराक्रम दिवस पर निबंध | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस जयंती 2024 | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर शायरी | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चन्द्र बोस के अनमोल वचन | यहाँ क्लिक करें |
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose Essay 100 Words
हर साल की तरह इस साल भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) के जन्मदिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। साल 2023 में, सुभाष चंद्र बोस की जयंती रविवार को मनाई गई थी, वहीं इस साल 2024 में यह सोमवार को मनाई जाएगी। इस साल नेताजी के जन्म की 127वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। भारत देश को आजादी दिलाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अहम योगदान रहा है। उन्होंने अपने क्रांतिकारी कार्यों से भारत में आजादी के लिए लोगों में ज्वलंत नेतृत्व की भावना को बनाए रखा था।
उनके द्वारा बनाए गए संगठन ने देश के कई हिस्सों को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्त कराने का अहम प्रयास किया था। अपने बेहतरीन कूटनीति के द्वारा उन्होंने यूरोप के कई देशों से संपर्क करके उनसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग देने का प्रस्ताव रखे थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी (mahatma Gandhi), जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), लाला लाजपत राय, भगत सिंह (Bhagat Singh), चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) आदि जैसे प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे।
टॉपिक | सुभाष चंद्र बोस |
लेख प्रकार | निबंध |
साल | 2024 |
पराक्रम दिवस | 23 जनवरी मंगलवार |
पराक्रम दिवस कब से मनाया जा रहा है | 2021 |
2023 में सुभाष चंद्र बोस की कौन सी जयंती मनाई जाएगी | 127वीं |
सुभाष चंद्र बोस का जन्म | 23 जनवरी 1897 |
सुभाष चंद्र बोस का जन्मस्थान | कटक, उड़ीसा |
सुभाष चंद्र बोस पिता नाम | जानकीनाथ बोस |
सुभाष चंद्र बोस पिता का पेशा | वकील |
सुभाष चंद्र बोस प्रसिद्ध भाषण | तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा |
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु | 18 अगस्त 1945 |
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु स्थान | जापान |
सुभाषचंद्र बोस के बारे में निबंध | Subhash Chandra Bose Essay 200 Words
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को बंगाल प्रांत (Bangal Residency) के उड़ीसा (Odisha) प्रभाग के कटक शहर में हुआ था, इस दौरान पूरे भारत (India) में ब्रिटिश राज्य था। नेताजी (Netaji) की माता का नाम प्रभावती देवी और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। इनके पिता पेशे से वकील थे और उन्हें रायबहादुर की उपाधि प्राप्त थी। जनवरी 1902 में सुभाष चंद्र बोस ने प्रोटोस्टेट यूरोपियन स्कूल में एडमिशन लिया था। इसके बाद इन्होंने रेनवेर्शा कॉलेजिएट स्कूल और फिर प्रेसिडेंसी कॉलेज में साल 1913 में मैट्रिक की परीक्षा में द्वितीय श्रेणी प्राप्त करने के बाद प्रवेश लिया ।
इनका राष्ट्रवादी चरित्र नेताजी की पढ़ाई के बीच में आ गया, जिस वजह से इन्हें स्कूल से निष्काषित कर दिया गया। इसके बाद इन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज (Scottish Church College) और फिर कैम्ब्रिज स्कूल में सिविल की परीक्षा में शामिल होने के लिए गए। इसके बाद उन्होंने सिविल परीक्षा (Civil Service) में चौथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन इन्होंने ब्रिटिश सरकार के अधीन रहकर काम करने से मना कर दिया। अंत में सिविल की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और भारत आ गए, जहां इन्होंने बंगाल प्रांत की (Congress Committee) कांग्रेस समिति के प्रमोशन के लिए स्वराज्य समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया।
Also Read: गांधी जयंती पर भाषण
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध | Subhash Chandra Bose Essay (Pdf Download)
सुभाष चंद्र बोस का पढ़ाई में बहुत मन था। इन्होंने उच्च शिक्षा के लिए विदेशों तक का सफर किया और (civil service) सिविल सेवा में नौकरी तक की है। राष्ट्रवादी विचारधारा के चलते नौकरी तो छोड़ी ही इसके अलावा कई तरह की परेशानियों का डटकर सामना भी किया। 1937 में इन्होंने (Austria) आस्ट्रिया में एमिली शेंकल, जो कि एक पशु चिकित्सक की बेटी थी, के साथ शादी की थी।
सन 1920-30 के दौरान ये (Indian National Congress) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताथे और साल 1938-39 में इसके अध्यक्ष चुने गए थे। वो अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के साथ-साथ बंगाल राज्य के कांग्रेस के सचिव के तौर पर भी चुने गए थे। वो फॉर्वर्ड समाचार पत्र के संपादक बन गए और (Kolkata) कलकत्ता के नगर निगम के सी.ई.ओ. के रूप में कार्य किया और ब्रिटिश सरकार के द्वारा घर में ही नजरबंद कर दिए गए। फिर उन्होंने ब्रिटिश शासन (British Rule) से भारत को आजाद कराने के लिए सहयोग के तौर पर जर्मनी और जापान तक की यात्रा की ।
आखरी में 22 जून 1939 को अपने राजनीतिक जीवन को फॉर्वर्ड ब्लॉक (Forward Block) से संयोजित कर लिया। मुथुरलिंगम थेवर इनके बहुत बड़े राजनीतिक समर्थक थे। इन्होंने मुंबई में एक विशाल रैली का आयोजन किया। साल 1941-43 तक ये बर्लिन में रहे। नेताजी ने “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” जैसे अपने प्रख्यात नारे के जरिए आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया । 6 जुलाई 1944 में इन्होंने अपने भाषण में महात्मा गांधी mahatma Gandhi) को “राष्ट्रपिता” कहा था, जिसका प्रसारण सिंगापुर आजाद हिंद फौज के द्वारा किया गया था। उनका एक और प्रसिध्द नारा “दिल्ली चलो” आई.एन.ए. की सेनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए था।
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्द (Subhash Chandra Bose Essay 500 Words)
भारत की आजादी में उनके बहुमूल्य योगदान को देखते हुए प्रतिवर्ष 23 जनवरी के दिन उनकी जयंती(jayanti) के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन देश के विभिन्न स्थानों पर उनके स्मारकों तथा प्रतिमाओं पर राजनेताओं, विशिष्ट अतिथिगण तथा आम जनता के द्वारा माला पहनाई जाती है। इसके साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में कई तरह के देशभक्ति कार्यक्रम किए जाते हैं।
इसमें बच्चों के द्वारा रैली निकालने के अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) के जीवन पर भाषण तथा निबंध जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें बच्चों द्वारा रैली निकालने के साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर भाषण तथा निबंध जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन का सबसे भव्य इंतजाम पश्चिम बंगाल(West Bengal )में किया जाता है। जहां इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत कई तरह के स्वास्थ्य शिविर, निशुल्क भोजन शिविर जैसे कार्यों का आयोजन किया जाता है।
23 जनवरी 1897 का दिन विश्व इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक के प्रसिध्द वकील के यहां हुआ था। उनके पिता ने अंग्रेजों के दमन चक्र के विरोध में ‘रायबहादुर’ की उपाधि लौटा दी। इस से सुभाष चंद्र बोस के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत ने घर कर लिया, तब सुभाष अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने का आत्म संकल्प ले लिया और राष्ट्रकर्म की राह पर चल पड़े। इस बात पर उनके पिता ने उनका उत्साह बढ़ाते हुए कहा ‘जब तुमने देश सेवा का व्रत ले ही लियाहै, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना।’
आजाद हिंद फौज | Azad Hind Fauj
5 जुलाई 1943 को आजाद हिंद फौज(Azad Hind Fauj) का विधिवत गठन हुआ। उन्होंने एशिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीय का सम्मेलन कर उसमें अस्थाई स्वतंत्र भारत सरकार की स्थापना कर नेताजी ने आजादी प्राप्त करने के संकल्प को साकार किया। 12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास की स्मृति पर नेता जी ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है, आप मुझे खून दो और मैं आपको आजादी दूंगा। यही वाक्य देश के नौजवानों में जान फूंकने वाला वाक्य था,
जो भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में भी अंकित है। 16 अगस्त 1945 को टोक्यो(Tokyo) के लिए निकलने पर ताईहोकु हवाई अड्डे पर यह वीर हमेशा के लिए हमें छोड़कर चला गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन(Indian independence movement) के एक अग्रणी नेता थे। बोस जी ने जनता के बीच राष्ट्रीय एकता, बलिदान और साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना को जागृत किया था।
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 10 पंक्ति | Subhash Chandra Bose Essay 10 Lines
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक, उड़ीसा में हुआ था।
- वे अपने माता-पिता की नौ वीं संतान थे।
- नेताजी ने बी.ए. की परीक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में पास की थी।
- नेताजी ने प्रशासनिक सेवा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।
- स्वामी विवेकानंद व अन्य से प्रभावित नेताजी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
- नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी नायकों में से एक थे।
- भगत सिंह को फांसी होने के बाद इनका गांधी जी से राजनीतिक मतभेद शुरू हो गया।
- लगभग 40 हजार भारतीयों के साथ नेताजी ने आजाद हिंद फौज बनाई थी।
- एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 में नेताजी की मृत्यु हो गई थी।
- नेताजी के जन्म दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है।
FAQ’s Subhash Chandra Bose Essay in Hindi 2024
Q. सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम क्या था?
Ans. एमिली शेंकल सुभाष चंद्र बोस की पत्नी का नाम था।
Q. सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ था ?
Ans. 23 जनवरी 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था।
Q. सुभाष चंद्र बोस ने पिता कौन थे?
Ans. सुभाष चंद्र बोस के पिता पेशे से वकील थे।
Q. सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में कितने लोग शामिल हुए?
Ans. 40,000 लोगों ने सुभाष चंद्र बोस की आजादी हिंदी फौज में शामिल हुए थे।