Parakram Diwas 2023 | जानिए पराक्रम दिवस कब हैं? क्यों मनाया जाता है?

पराक्रम दिवस क्या है? | पराक्रम दिवस कब मनाया जाता है | सुभाष चंद्र बोस जयंती पर पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है? | Parakram Divas Kab Hai
By | जनवरी 21, 2023

Parakram Diwas 2023:- नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की 126वीं जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाया जाता है . जिसे पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रूप में मनाया जाता है। सशस्त्र बलों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति तथा जनजातीय नृत्य महोत्सव “आदि शौर्य – पर्व पराक्रम का” 23 एवं 24 जनवरी 2023 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (Jawahar Lal Nehru Stadium) में आयोजित किया जाएगा। पराक्रम दिवस 2023, Parakram Diwas ,पराक्रम दिवस क्या है? 23 जनवरी को पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है? पराक्रम दिवस कब मनाया जाता है? पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है? इन सभी के बेसिस पर इस निबंध को तैयार किया है, यदि आप पराक्रम दिवस पर निबंध की तलाश कर रहे है तो अपनी तलाश कफी हद तक पूरी हो गई है और बाकि की इस निबंध को पढ़ने के बाद हो जाएगी।

ads

Parakram Diwas 2023

Subhash Chandra Bose Jayanti 2023Similar Articles
पराक्रम दिवस 2023यहाँ क्लिक करें
पराक्रम दिवस पर निबंधयहाँ क्लिक करें
सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023यहाँ क्लिक करें
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर शायरीयहाँ क्लिक करें
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी मेंयहाँ क्लिक करें
सुभाष चन्द्र बोस के अनमोल वचनयहाँ क्लिक करें

पराक्रम दिवस क्या है?

भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला 2021 में किया है। इस आशय की गजट अधिसूचना जारी की गई। इस दौरान एक समिति का गठन किया गया, जो कोलकाता और भारत के साथ-साथ विदेशों में नेताजी (netaji) एवं आजाद हिंद फौज (azad hind fauj) से जुड़े हुए अन्य स्थानों पर स्मरणोत्सव गतिविधियों के लिए मार्गदर्श प्रदान करेगी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस(netaji shubhash Chandra bose) के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए वीरता भरे योगदानों और प्रयासों को याद करते हुए वर्ष 2021 से ही हर साल 23 जनवरी को जन्मदिवस को मनाने के लिए एवं इस दिन को असीम साहस और वीरता का सम्मान करने के लिए ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

यह दिवस लोगों में देशभक्ति की भावना का संचार करने के लिए प्रेरित करने के लिए भी अहम भूमिका अदा करेगा।  नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक में 23 जनवरी को जानकीनाथ बोस और प्रभाती दत्त के यहां हुआ था। नेताजी की याद में प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 से हर साल इनके जन्मदिन पर पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की। 

READ  Hemkund Sahib Yatra 2023 | हेमकुंड साहिब के कपाट कब खुल रहे हैं? यात्रा कैसे करें श्री हेमकुंड साहिब का इतिहास, मान्यता
टॉपिकपराक्रम दिवस 2023
लेख प्रकारआर्टिकल
साल2023
पराक्रम दिवस 2023 कब है23 जनवरी
वारसोमवार
2023 में कौन सा पराक्रम दिवस मनाया जाएगातीसरा
पराक्रम दिवस की शुरुआत2021
पराक्रम दिवस किस की याद में मनाया जाता हैसुभाषचंद्र बोस
सुभाष चंद्र बोस का जन्म23 जनवरी 1897
सुभाष चंद्र बोस का जन्म स्थानकटक, उड़ीसा राज्य, ब्रिटिश भारत
सुभाष चंद्र बोस माता नामप्रभावती देवी
सुभाष चंद्र बोस पिता नामजानकीनाथ बोस
सुभाष चंद्र बोस पत्नी नामएमिली शेंकल
सुभाष चंद्र बोस के बच्चे1
सुभाष चंद्र बोस बेटी का नामअनीता बोस फाफ
प्रसिध्द नारातुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा
सुभाष चंद्र बोस जन्मदिवस का रूप‘पराक्रम दिवस’ के रूप में 
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु18 अगस्त 1945
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु स्थानजापान

पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है? 

नेताजी ने जिस तरह अनगिनत अनुयायियों के बीच राष्ट्रवाद के उत्साह को बढ़ाया एवं राष्ट्र के प्रति नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अदम्य भावना और निस्वार्थ सेवा को सम्मान देने और याद रखने के लिए भारत सरकार ने युवाओं को प्रेरित करने के लिए नेताजी के जन्मदिन को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया है। 

सुभाष चंद्र बोस का जीवन (Subhash Chandra Bose Biography)

सुभाष चंद्र बोस का जन्म कटक, उड़ीसा (odisha)के बंगाली परिवार में हुआ था, उनके 7 भाई और 6 बहनें थीं। अपनी माता-पिता के वे नौं वी संतान थे। नेताजी अपने भाई शरदचंद्र के बहुत करीब थे। उनके पिता जानकीनाथ कटक के मशहूर और सफल वकील थे, जिन्हें राय बहादुर नाम का उपाधि दी गई थी। नेता जी को बचपनसे ही पढ़ाई में बहुत रुचि थी। 

वे बहुत मेहनती और अपने टीचर के प्रिय थे, लेकिन नेता जी को खेल कूंद में कभी रुचि नहीं रही। नेता जी ने स्कूलकी पढ़ाई कटक से ही पूरी की थी। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे कलकत्ता चले गए, वहां प्रेसीडेंसी कॉलेज से फिलोसफी(philosophy) में BA किया। इसी कॉलेज में एक अंग्रेज प्रोफेसर के द्वारा भारतियों को सताए जाने पर नेता जी बहुत विरोध करते थे। उस समय जातिवाद का मुद्दा बहुत उठाया गया था। यह पहली बार था, जब नेता जी के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू हुई थी। 

READ  शिव रात्रि क्यों मनाई जाती हैं? | महाशिवरात्रि मानाने के पीछे वैज्ञानिक, आध्यात्मिक महत्व | Shivratri 2023

नेताजी सिविल सर्विस(civil service) करना चाहते थे, अंग्रेजों के शासन के चलते उस समय भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था, तब उनके पिता ने इंडियन सिविल सर्विस(Indian civil service) की तैयारी के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया। इस परीक्षा में नेता जी चौथे स्थान पर आए, जिसमें इंग्लिश में उन्हें सबसे ज्यादा नंबर मिले। 

पराक्रम दिवस कब मनाया जाता है? | Parakram Diwas

नेताजी, स्वामी विवेकानंद (swami vivekananda) को अपना गुरू मानते थे, वे उनकी बातों का बहुत अनुसरण करते थे। नेता जी के मन में देश के प्रति प्रेम बहुत था, वे उसकी आजादी के लिए चिंतित थे, जिसकेचलते 1921 में उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की नौकरी ठुकरा दी और भारत लौट आए। भारत लौटते ही नेताजी स्वतंत्रता की लड़ाई में कूंद गए, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian national congress) पार्टी ज्वाइन की । शुरुआत में नेता जी कलकत्ता में चितरंजर दास के नेतृत्व में काम करते रहे। नेता जी चितरंजनदास को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। 1922 में चितरंजन दास ने मोतीलाल नेहरू के साथ कांग्रेस को छोड़ अपनी अलग पार्टी स्वराज पार्टी बना ली थी। 

जब चितरंजन दास अपनी पार्टी के साथ मिलकर रणनीति बना रहे थे, नेता जी ने उस बीच कलकत्ता के नौजवान, छात्र-छात्रा व मजदूर लोगों के बीच अपनी खास जगह बना ली थी। वे जल्द से जल्द पराधीन भारत को स्वाधीन भारत के रूप में देखना चाहते थे। अब लोग सुभाषचंद्र बोस को नाम से जानने लगे थे। उनके काम की चर्चा चारों ओर फैल रही थी। नेताजी (netaji) एक नौजवान सोच लेकर ऐए थे, जिससे वो यूथ लीडर के रूप में चर्चित हो रहे थे। 1928 में गुवाहाटी में कांग्रेसकी एक बैठक के दौरान नए व पुराने मेम्बर्स के बीच बातों को लेकर मदभेद उत्पन्न हुआ । नए युवा नेता किसी भी नियम पर नहीं चलनाचाहते थे। वे स्वयं के हिसाब से चलना और काम करना चाहतेथे। जबकि पुराने नेता ब्रिटिश सरकार के बनाए नियमके मुताबिक आगे बढ़ना चाहते थे। 

Parakram Diwas Kab Manaya Jata Hai

सुभाष चंद्र बोस और गांधीजी (Gandhi ji) के विचार बिल्कुल अलग थे। नेता जी गांधी जी की अहिंसावादी विचारधारा से सहमत नहीं थे, उनकी सोच नौजवान वाली थी, जो हिंसा में भी विश्वास रखते थे। दोनों की विचारधारा अलग थी, लेकिन मकसद एक था, दोनों ही भारत देश की आजादीजल्द से जल्द चाहते थे। 1939 में नेता जी राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए, इनके खिलाफ गांधी जी ने पट्टाभि सीतारमैया(pattabhi sitaramayya) को खड़ा किया था, जिसे नेता जी ने हरा दीया था। गांधी जी को यह हार अपनी हार लगी थी, जिससे वे दुखी हुए थे, नेता जी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। विचारों का मेल ना होने की वजह से नेता जी लोगों की नजर में गांधी विरोधी होते जा रहे थे, जिसके बाद उन्होंने खुद कांग्रेस छोड़ दी थी। 

READ  7 Feb to 14 Feb Valentine Week 2023 | वैलेंटाइन डे सप्ताह क्या हैं? Valentine Day Week क्यों मनाया जाता हैं? | Valentine Week Shayari

23 जनवरी को पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?  

भारतीय राष्ट्रीय सेना

  • जुलाई 1943 में वे जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर(singapur) पहुंचे, जहां उन्होंने अपना प्रसिध्द नारा “दिल्ली चलो” जारी किया और 21 अक्टूबर 1943 को ‘आजाद हिंद सरकार’ तथा ‘भारतीय राष्ट्रीय सेना’ के गठन की घोषणा की।
  • भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इविची फुजिवारा के नेतृत्व में कियागया था तथा इसमें मलायन अभियान के दौरान सिंगापुर में जापान द्वारी कैद किए गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युध्द बंदियों को शामिल किया गया था। 
  • साथ ही इसमें सिंगापुर की जेल में बंद भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशियाके भारतीय नागरिक भी शामिल थे। इसकीसैन्य संख्या बढ़कर 50,000 हो गई थी। 
  • INA ने साल 1944 में इम्फाल Imphal और बर्मा में भारत की सीमा के भीतर मित्र देशों की सेनाओं का मुकाबला किया। 
  • नवंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार द्वारा INA के सदस्यों पर मुकदमा चलाए जाने के तुरंत बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब व कैसे हुई?

18 अगस्त 1945 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिस प्लेन से जा रहे थे, वो लापता हो गया। जापान दूसरा विश्वयुध्द हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे, जिसके बाद उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी, इसके बाद किसी को फिर वो कहीं दिखाई नहीं दिए । 

पांच दिन बाद टोक्यो रेडियो ने जानकारी दी कि नेताजी जिस विमान से जा रहे थे, वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास क्रैश हो गया। इस हादसेमें नेताजी बुरीतरह से जल गए। ताइहोकू सैनिक अस्पताल में उनका निधन हो गया । उनके साथ विमान में सवार बाकी लोग भी मारे गए । आज भी उनकी अस्थियां टोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा कि नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में हुई, जबकि 1999 में तीसरा आयोग मुखर्जी कमीशन ने रिपोर्ट जारी की कि ताइवान सरकार के हवाले से कहा गया कि 1945 में कोई प्लेन क्रैश घटना हुई ही नहीं, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था। 

FAQ’s Parakram Diwas

Q.सुभाष चंद्र बोस का जन्म कब हुआ?

Ans. 23 जनवरी 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था।

Q. सुभाष चंद्र बोस कहां के रहने वाले हैं? 

Ans. कटक, उड़ीसा के सुभाष चंद्र बोस रहने वाले हैं।

Q. पराक्रम दिवस कब मनाया जाएगा ?

Ans. 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाएगा ।

Q. पराक्रम दिवस मनाने की शुरूआत कब हुई ?

Ans. 23 जनवरी 2021 को पराक्रम दिवस मनाने की शुरुआत की गई।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *