Sheetla Mata Ki Kahani | शीतला माता की कहानी एवं व्रत कथा

Sheetla Mata Ki Kahani 

शीतला माता का पर्व यानि की शीतला अष्टमी आने को है, इस साल 15 मार्च को पूरे भारत में इस पर्व को मनाया जाएगा। माता कि पूजा करते वक्त शीतला माता की कहानी (Sheetla Mata Ki Kahani) सुनने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि बिना कहानी और कथा (Sheetla Mata Ki Katha) सुन पूजा पूरी नहीं होती है। अगर पर शीतला अष्टमी का व्रत रख रहे है पर आपको शीतला माता की कहानी नहीं मिल रही है तो फिक्र ना करें, इस लेख के जरिए हम आपके इस समस्या को झठ में ही खत्म कर देंगे।

इस लेख में आपके लिए हम शीतला माता की कहानी के साथ है आपके साथ शीतला अष्टमी व्रत कथा भी साझा करेंगे, जो आपके व्रत और पूजा विधि के लिए अवश्यक है। इस साथ ही इस लेख को कई बिंदूओं के आधार पर तैयार किया गया है, जैसे कि शीतला अष्टमी कब मनाई जाती है? इस पॉइन्ट में हम आपको इस साल और तिथि के हिसाब से शीतला अष्टमी कब मनाई जाती है।

शीतला माता पूजा मुहूर्त, विधि, आरती

शीतला अष्टमी कब मनाई जाती है? 

शीतला अष्टमी का पर्व चैत्र (पूर्णिमांत)/फाल्गुन (अमावस्यांत) कैलेंडर के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष के दौरान अष्टमी तिथि (दिन 8) को मनाया जाता है।ये पर्व माता शीतला को समर्पित है, जो स्त्री शक्ति का अवतार है।शीतला माता देवी पार्वती का अवतार हैं। उनका वाहन गधा है। गौरतलब है कि हिंदू धर्म में प्रत्येक देवता का एक वाहक होता है, जिसे आमतौर पर वाहन के रूप में जाना जाता है और यह देवी के आसन के रूप में कार्य करता है।हथियार और कलश धारण करने वाली अन्य हिंदू देवी-देवताओं के विपरीत, शीतला माता के दाहिने हाथ में झाड़ू और बाएं हाथ में एक औषधीय जल का बर्तन है।

झाड़ू से वे रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं को दूर भगाती हैं और चेचक और अन्य रोगों को ठीक करने के लिए औषधीय जल का उपयोग करती हैं।चिकनपॉक्स और चेचक जैसी बीमारियों से सुरक्षित और सुरक्षित रहने के लिए देवी शीतला की प्रार्थना करने के लिए इस दिन की पूजा की जाती है। शीतला शब्द का अर्थ शीतलता या ठंडक होता है। त्योहार उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है।देश के दक्षिणी भागों में, देवता को देवी मरिअम्मन या देवी पोलेरम्मा के रूप में पूजा जाता है। इसलिए, यह त्योहार आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के क्षेत्रों में पोलाला अमावस्या के नाम से भी मनाया जाता है।

शीतला माता की कहानी | Sheetla Mata Ki Kahani

के लिए शीतला माता ने धरती में आने का निर्णय लिया और धरती में आते ही शीतला माता ने एक बुजुर्ग महिला का रूप ले लिया। तभी शीतला माता राजस्थान के डूंगरी गांव में पहुंची और इधर-उधर की गलियों में घूमने लगी।

जैसे ही शीतला माता गलियों में घूम रही थी तभी अचानक से उनके ऊपर किसी महिला ने चावल का उबलता हुआ पानी डाल दिया। उबला हुआ पानी डालने के कारण शीतला माता की शरीर में छाले निकल आए, जिसके कारण शीतला माता को बहुत जोर से जलन होने लगी और पूरे शरीर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। जिसके कारण शीतला माता गलियों में सभी के पास गई और कहने लगी मेरी मदद करो, मेरे ऊपर किसी ने गर्म पानी डाल दिया है, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही है कोई मेरी मदद करो

See also  100+ रक्षाबंधन पर शायरी | Rakhi Shayari in Hindi 2023 | Raksha Bandhan Shayari Images For Brother &Sister

लेकिन किसी ने भी शीतला माता की मदद नहीं की और सभी ने उनको अनदेखा कर दिया। लेकिन थोड़ी दूर चलने के बाद जब शीतला माता एक कुम्हार के पास पहुंची तो उस कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता को देखा कि इनके शरीर में तो बड़े-बड़े छाले पड़े हैं और माताजी ने कुम्हार की पत्नी से कहा मेरी मदद करो, मेरे शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही है और बहुत तेज जलन हो रही है।

जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता को अपने पास बुलाया और उनसे कहा मा जी आप यहां बैठ जाइए। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी शीतला माता पर एक मटके से ठंडा पानी डाला, जिससे उनको जलन में थोड़ी शांति प्रदान हुई। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता से कहा मा जी मेरे घर में रबड़ी और दही रखा है, जो कल रात का है। आप इसको खा लीजिए, जिसके बाद शीतला माता जी कुम्हार की पत्नी के दिए हुए रात के बासी खाने को खाया।

Sheetla Mata Ki Kahani 

जिससे उनको दर्द में आराम मिल गई। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता से कहा कि मां जी आपके बाल तो चारों तरफ से बिखर गए हैं लाइये मैं आपके बाल को बांध देती हूं। जैसे ही कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता के बालों को बांधना शुरू किया तो उसने देखा कि उस बुजुर्ग महिला के पीछे भी एक आंख है, जिसको देखकर कुम्हार की पत्नी बहुत डर गई और वहां से भागने लगी। तभी शीतला माता ने कुम्हार की पत्नी को रोका और उनसे कहा कि तुम मुझसे डरो नहीं मैं शीतला माता हूं।

मैं यहां देखने आई थी, यहां पर मेरी कौन-कौन पूजा करता है और ऐसा बोल कर शीतला माता अपने असली रूप में आ गई। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने जैसे ही शीतला माता को असली रूप में देखा तो वह तुरंत शीतला माता के पास गई और कहने लगी माता मैं आपको अपने घर में कहां पर बिठाऊं, मेरे घर के चारों तरफ तो गंदगी फैली हुई है और बैठने तक की जगह नहीं है।

जिसके बाद शीतला माता उस कुम्हार की पत्नी के पाले हुए गधे पर बैठ गई और फिर उन्होंने कुम्हार के घर की साफ सफाई कर कुम्हार के घर की दरिद्रता को एक डलिया में भरकर बाहर फेंक दिया। जिसके बाद शीतला माता ने उस कुम्हार की पत्नी से खुश होकर कहा कि मांगो तुम्हें जो वरदान मांगना हो, मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं।तभी कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता से कहा माता आप हमें वरदान के रूप में इतना दीजिए कि आप हमारे राजस्थान के डूंगरी गांव में ही निवास करें और जो भी मनुष्य सप्तमी और अष्टमी को आपकी पूजा करें, व्रत रखें और आपको ठंडे भोजन से भोग लगाएं, आप उनके घर की गरीबी भी खत्म करें और जो भी महिला आपकी पूजा सच्चे मन से करें आप हमको अपना आशीर्वाद दें और सभी लोगों को रोग से मुक्त करें।

शीतला माता की कथा | Sheetla Mata Ki Khata

जिसके बाद शीतला माता ने कुम्हार की पत्नी की बात मान कर कहा तथास्तु तुम्हारा यह वर जरूर पूरा होगा। जिसके बाद शीतला माता ने कुमार की पत्नी से कहा कि तुम अपने घर में इस घड़े के पानी को चारों ओर से छिड़क लेना, क्योंकि कल पूरे गांव में आग लगेगी। लेकिन तुम्हारे घर में नहीं लगेगी। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता की बात मानकर घड़े के पानी को अपने घर के चारों ओर छिड़क लिया।जब अगला दिन शुरू हुआ तो सबके घर में आग लग गई, लेकिन कुम्हार के घर में आग नहीं लगी। जिसको देखकर सभी लोग आश्चर्य चकित हो गए और वह सभी लोग राजा के पास गए। उनको सारी बात बताई कि हमारे घर में आग लगी है और कुम्हार के घर में आग नहीं लगी है। राजा भी यह सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हो गया। जिसके बाद राजा ने अपने सेवक को भेजकर उस कुम्हार की पत्नी को अपने दरबार में बुलवाया

See also  Onam 2023 | ओणम कब व कहां मनाया जाता है? जानें पूजा विधि महत्व, और शुभ मुहूर्त (Pooja Vidhi, Shubh Muhurat)

जब कुम्हार की की पत्नी राजा के दरबार में पहुंची है तब राजा ने उससे पूछा कि तुम्हारे घर को छोड़कर बाकी सभी घर में आग कैसे लगी है, तुम्हारे घर में आग क्यों नहीं लगी। तब कुम्हार की पत्नी ने बताया कल मेरे घर में शीतला माता आई थी और उन्हीं की कृपा से ऐसा हुआ है। यह सुनकर राजा और सभी गांव वाले एकदम स्तब्ध रह गए।फिर राजा ने पूरे गांव में सभी लोगों से कहा आज से सभी लोग शीतला माता की पूजा करेंगे और तभी से डूंगरी गांव का नाम शीत की डूंगरी पड़ गया और राजस्थान में शीतला माता का बहुत बड़ा मंदिर बनाया गया है, जहां पर हर साल मेला लगता है, बहुत सारे लोग मेले में आते हैं।

शीतला माता को चेचक और बहुत से रोगों की देवी बोला जाता है, जिन लोगों को चेचक जैसे रोग हो जाते हैं, उनको शीतला माता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। शीतला माता की पूजा करने के लिए सभी को उठ कर अपने पानी में गंगा जल मिलाकर, उससे स्नान करना चाहिए और स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। फिर पूजा करने के लिए एक थाली में सप्तमी के दिन की बनी खीर नमक व बाजरा की बनी रोटी मठरी रखें।दूसरी थाली में आटे के बने दीपक, रोली वस्त्र, चावल और एक लोटे में ठंडा जल भी रखें। फिर शीतला माता की मूर्ति को स्नान करवाए और उसके बाद हल्दी और रोली से उनको टीका लगाए। थाली में रखी सभी वस्तुएं,उनको अर्पण करें और फिर एक दीपक को बिना जलाएं रखें। उनको भोग लगाएं और उनकी आरती गाए। शीतला माता की पूजा चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।

शीतला माता व्रत कथा | Sheetla Mata Vart Katha

एक गावं में ब्राह्मण पती पत्नी रहते थे ।उनके दो बेटे थे व दो बहुऐ थी। दोनो बहुएं के बहुत समये के बाद पुत्र हुए थे। इतने समये मे शीतला सप्तमी आ गयी। शीतला अष्टमी के पहला दिन ही घर में ठण्डा भोजन तयार किया गया। दोनों बहुओं को लगाकि वो ठण्डा भोजन ग्रहण करेगी तो वो बिमार हो जायेगी और ‌‌‌हमारे बेटे अभी बहुत छोटे है ।‌‌‌ इस गलत विचार के केरण दोनों बहुओं ने चुपके से दो बाटी तयार कर ली।

सास और दोनो बहुएं शीतला माता की पुजा करकर कथा सुनी । बाद में सास तो माता शीतला के भजन करने के लिये बेठ गई। दोनो बहुएं अपने बेटे के रोने के बहाना से घर की ओर आ गई ।दाने के बरतन से गरमा गरम रोटी निकालकर चुरमा किया व अपना अपना ‌‌‌पेट भर लिया । सास ने घर आकर भोजन करने को कहा बहुएं बहुत ठण्डा भोजन करने का बहाना करकर अपने काम में लग गई।

See also  Janmashtami 2023 | जन्माष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए | व्रत धारण एवं पारण विधि, व्रत कथा

सास ने कहा बच्चे कब से सोये हे उन्हें जगाकर भोजन करा लो।बहुएं जेसे हि अपने अपने बेटे को जगाने गयी तो ‌‌‌उसे मरा हुआ पाया । बहुओं की वजह से यह शीतला माता काप्रकोप था। और जैसे ही सास को इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुई और बोली ………. तुम्हारी वजह से बेटे मर गए और जिन बैटों की बदौलत तुमने धन कमाया और तुमको नाज है । अब तुम जाओ और उनको जिंदा करके वापस लाओ ।

‌‌‌उसके बाद मरे हुए बेटों को टोकरों के अंदर उठाकर दोनों निकल गई उसके बाद रस्ते के अंदर एक खेजड़ी का पेड़ आया ।उसके नीचे ओरी व शीतला दो बहिने बैठी हुई थी। उनके बालों के अंदर बहुत सारी जुंए थी। उसके बाद दोनो बहूओं ने उन दोनों बहनों के सिरकी जुएं को निकाला ।उसके बाद दोनों बहनों ने सर के अंदर शीतलता का अनुभव किया तो वे बोली ……….जिस तरह से तुमने हमारे सर को शीतल किया है।वैसे ही तुम दोनों को पेट की शांति मिले ।

उसके बाद दोनो बहुएं एक साथ बोली कि पेट का दिया हुआ ही तो लेकर हम हर जगहपर मारी मारी फिर रही हैं।शीतला माता को काफी तलास किया लेकिन अभी तक उनके दर्शन नहीं हुए हैं। शीतला माता ने उसके बाद कहा ……….तुम दोनों पापीनी हो दूष्ट हो ,दुराचारिणी हो,तुम्हारा तो दर्शन करना ही सही नहीं है। तुम दोनों ने शीतला सप्तमी के दिन तुम दोनों को ठंडा भोजन करना चाहिए था लेकिन उसके बाद भी गर्म भोजन कर लिया ।‌‌यहबात सुनकर दोनो बहुएं शीतला माता को पहचान गई और बोली ..हम तो भोली भाली हैं ,अजनाने के अंदर गर्म भोजन खालिया था ,आपके प्रभाव को नहीं जानती थी। हम अपनी गलती को स्वीकार करती हैं।आप हमे क्षमा प्रदान करें दुबारा हम ऐसा कार्य कभी नहीं करेंगी । ‌‌‌उनके पश्चाताप से भरे शब्दों को सुनने के बाद शीतला माता बहुत अधिक प्रसन्न हो गईं और उनकी याचना के बाद उन्होंने दोनो मर चुके पुत्र को जीवित कर दिया ।

‌‌‌उसके बाद दोनों बहुए अपने बेटों को लेकर गांव आ गई। गांव वालों को जब इस बात का पता चला कि उनको शीतला माता के साक्षात दर्शन हुए हैं तो गांव वालों ने उन बेटो और बहुओं का स्वागत किया । ‌‌‌उसके बाद बहुओं ने गांव के अंदर शीतला माता का मंदिर बनाया और सब लोग शीतला माता को पूजने लगे । शीतला माता ने बहुओं पर जैसी अपनी दृष्टि की वैसी कृपा सब पर करें। श्री शीतला मां सदा हमें शांति,शीतलता तथा आरोग्य प्रदान करने की क्रपा करे ।

श्री शीतला मात की जय

FAQ’s Sheetla Mata Ki Kahani

Q. साल 2023 में शीतला अष्टमी कब मनाई जाएगी ?

Ans. साल 2023 में शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनाई जाएगी।

Q. शीतला माता का जन्म कैसे हुआ था?

Ans. देवी शीतला का जन्म भगवान ब्रह्मा द्वारा आयोजित एक यज्ञ से हुआ था।

Q. शीतला अष्टमी का त्यौहार कौन से महीने में मनाया जाता है ?

Ans. शीतला अष्टमी का त्यौहार चैत्र के महीने में मनाया जाता है।

Q. शीतला अष्टमी को और किस नाम से जाना जाता है ?

Ans. शीतला अष्टमी को बसोड़ा पूजा के नाम से जाना जाता है

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja