Who is Sam Manekshaw | फील्ड मार्शल कौन है? जाने इनसे जुड़े कुछ दिलचस्प क़िस्से

Who is Sam Manekshaw

Sam Manekshaw कौन थे? सैम मानेकशॉ भारतीय थल भारतीय सेना के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं | सैम मानेकशॉ का पूरा नाम सैम होरमूजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। सैम मानकेशॉ का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को पंजाब अमृतसर में हुआ था। उनका संबंध पारसी परिवार से है | उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर में की थी। उसके बाद शेरवुड कॉलेज में उन्होंने दाखिला लिया, इसके बाद वह उत्तराखंड के देहरादून में स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी में भर्ती हुए और वहां पर उन्होंने इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग ली। मानेकशॉ भारतीय सेना अध्यक्ष बने और 1 जनवरी 1973 को उन्हें फील्ड मार्शल उपाधि दी गई। 1973 में भारत पाक युद्ध में उनकी भूमिका अहम रही थी। हाल के दिनों में सैम बहादुर नाम की फिल्म भी रिलीज हुई है। जो उनके जीवन पर आधारित है। जिसमें विकी कौशल ने सैम बहादुर भूमिका निभाई है।

ऐसे में लोगों के मन में उनके निजी जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता तेजी के साथ बढ़ रही है कि कौन है फील्ड मार्शल Sam Manekshaw? जाने इनसे जुड़े कुछ दिलचस्प क़िस्से पूरी जानकारी के लिए आप हमारे साथ लेख पर बने रहे हैं आईए जानते हैं:- 

फील्ड मार्शल कौन है? Who is Sam Manekshaw 

Sam Manekshaw Kon Hai? 14 अप्रैल1914 को अमृतसर में सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम होर्मिज़द मानेकशॉ है’ जो एक डॉक्टर थे, उनके माता का नाम हिल्ल है। सैम बहादुर मानेकशॉ ने हिंदू सभा कॉलेज जिसे आज की तारीख में हिंदू कॉलेज, अमृतसर के नाम से जाना जाता है, वहां उन्होंने दाखिला लिया। अप्रैल 1932 में पंजाब विश्वविद्यालय में विज्ञान में तीसरी श्रेणी प्राप्त करते हुए अपनी अंतिम परीक्षा पूरी की।1931 में गठित भारतीय सैन्य कॉलेज समिति ने सलाह दी कि सेना में भारतीय अधिकारियों की नियुक्ति के लिए एक संस्थान कि स्थापना की जाए। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने प्रशिक्षण संस्थान को स्थापित किया था। इसमें उम्मीदवारों का चयन लोक सेवा आयोग की परीक्षा के आधार पर किया जाएगा। जब परीक्षा की अधिसूचना जारी हुई सैम मानेकशॉ ने एक परीक्षा के लिए नामांकन किया और परीक्षा सफलतापूर्वक दी। हालांकि उनके इस फैसले का पिता ने विरोध किया, इसके बावजूद भी उन्होंने इस परीक्षा को उत्तीर्ण की।

सैम मानेकशॉ का सैन्य करियर | Military Career of Sam Manekshaw

  • 1 अक्टूबर, 1932 को खुली कंपटीशन के माध्यम से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ सिलेक्शन इंडियन फोर्स में हुआ।
  • प्रशिक्षण के बाद उन्हें 4 फरवरी, 1935 को  रॉयल स्कॉट्स की दूसरी बटालियन का दायित्व दिया गया।
  • 1938 में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को बर्मा 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में शामिल किया गया। 
  • 1939 में, द्वितीय विश्व युद्ध का शुभ आरंभ हुआऔर इस युद्ध में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ भी शामिल हुए।
  • 4 फरवरी, 1942 को सैम मानेकशॉ को ब्रिटिश अधिकृत इंडियन फोर्स का मूल कप्तान नियुक्त किया गया। 
  • 1942 में वर्मा अभियान में उनका योगदान अतुल्य था, जिसके लिए उन्हें सैन्य क्रॉस प्रदान किया गया। 
  • सिट्टांग नदी पर जापानी सेना के साथ लड़ाई के दौरान वह बुरी तरह घायल हो गये थे। इसके बाद उन्हें तत्काल इलाज के अस्पताल लाया गया था जहां पर डॉक्टर ने कहा कि उन्हें बचा पाना मुश्किल है। हालांकि की उनकी जान बच गई थी।
  • देश कि आजादी के बाद सैम को 8वीं गोरखा राइफल्स की जिम्मेदारी दी गई थी। 
  •  तीसरी बटालियन 5 गोरखा राइफल्स के कमांडिंग कमांडर के रूप में उन्हें नियुक्त किया गया |
  • 1957 में सैम मानेकशॉ को उन्नत कमांड प्रशिक्षण के लिए लंदन भेजा गया। 
  •  मानेकशॉ को 1 मार्च 1959 को  मेजर जनरल नियुक्त किया गया था।
  • अक्टूबर 1959 में, तमिलनाडु के वेलिंगटन जगह पर स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज का कमांडेंट सैम मानेकशॉ को नियुक्त किया गया।
  • 8 जून 1969 को मानेकशॉ को 8 सेनाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया।
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1971 के भारत-पाक युद्ध में सैम मानेकशॉ की भूमिका | Role of Sam Manekshaw

1971 के भारत पाक युद्ध में सैम मानेकशॉ कि भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही थी।उन्होंने अपने कुशल युद्ध नीति के बल पर भारत को युद्ध में जीत दिलाई थी। सन 1971 में एक नया देश बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। युद्ध में उन्होंने 93,000 पाकिस्तानी जवानों को Surrender करने के लिए मजबूर किया था। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें डिफेंस ऑफ स्टाफ नियुक्त करने की घोषणा की थी। लेकिन राजनीतिक कारण से इंदिरा गांधी अपने फैसले को लागू नहीं कर पाई ‘फिर भी “इंदिरा गांधी” ने उन्हें फील्ड मार्शल के पद से नामित किया था।

सैम मानेकशॉ के किस्से (Tales of Sam Manekshaw)

सैम मानेकशॉ के जीवन से जुड़े हुए कई प्रकार के महत्वपूर्ण और रोचक किस्से भी है, जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं:-

लड़की बुला रही है : 

एक शाम इंदिरा गांधी ने उन्हें फोन किया उनसे पूछा कि सैम मानेकशॉ क्या बिजी हो ? मानेकशॉ ने कहा कि, ‘एक आर्मी चीफ हमेशा बिजी रहता है’ लेकिन इतना भी नहीं कि उसके पास प्रधानमंत्री से बात करने का समय ना हो’ फिर इंदिरा गांधी ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया’ इस पर ‘’ मानेकशॉ ने अपने एडीसी से कहा कि, ‘लड़की (इंदिरा गांधी) बुला रही है, जल्दी गाड़ी निकालो।

इंदिरा गांधी का तख्तापलट :

उनके ऊपर इस प्रकार के आरोप लगाए गए थे’ कि वह  सरकार आर्मी की मदद से  इंदिरा गांधी सरकार गिराने वाले हैं। इसके बाद इंदिरा गांधी काफी परेशान हो गई थी। तब मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी को भरोसा दिलाया था कि’ उनका राजनीति में आने का कोई भी इरादा नहीं है ‘और साथ में उन्होंने इंदिरा गांधी से कहा मेरा काम सेना को संभालना है  और आपका काम देश को सुचारू रूप से चलना।

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तैयार हूं स्वीटी  

1971 में जब इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान पर हमले करने की योजना के बारे में उनसे पूछा कि’ क्या हमें और भी तैयारी का वक्त लेना चाहिए या अभी हमला कर देना चाहिए। इस पर मानेकशॉ ने  इंदिरा गांधी से कहा’ अगर हम अभी हमला करते हैं तो हमारी हार निश्चित है । इसलिए हमें अपनी तैयारी अच्छी तरह से करनी होगी उसके बाद सबसे आखिर में जब इंदिरा गांधी ने उनसे तैयारी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि, ‘मैं हमेशा तैयार हूं, स्वीटी।‘

सैम मानेकशॉ कोट्स (Sam Manekshaw Quotes in Hindi)

मुझे सामान्य ज्ञान के साथ एक पुरुष या महिला दें और जो बेवकूफ नहीं है और मैं विश्वास दिलाता हूं कि आप उसमें से एक नेता बना सकते हैं।”

“अगर कोई आदमी कहता है कि उसे मरने का डर नहीं है, तो वह या तो झूठ बोल रहा है या फिर गोरखा है।”

“मुझे आश्चर्य है कि क्या हमारे राजनीतिक आकाओं में से जिन्हें देश की रक्षा का प्रभारी बनाया गया है, वे एक मोटर से मोर्टार, एक हॉवित्जर से एक बंदूक, एक गोरिल्ला से एक गोरिल्ला को अलग कर सकते हैं, हालांकि महान कई बाद वाले के समान हैं।”

“आपको लड़ने के लिए लड़ना होगा और जीतने के लिए लड़ना होगा। हारने वालों के लिए छत नहीं है। हार गए तो वापस मत आना। आपने देश को बदनाम किया होगा और देश आपको स्वीकार नहीं करेगा।

“पेशेवर ज्ञान और पेशेवर क्षमता नेतृत्व के मुख्य गुण हैं।”

“एक ‘हाँ आदमी’ एक खतरनाक आदमी है। वह एक खतरा है। वह बहुत दूर जाएगा। वह मंत्री, सचिव या फील्ड मार्शल बन सकता है लेकिन वह कभी नेता नहीं बन सकता और न ही कभी उसका सम्मान किया जा सकता है।

“जब तक आप नहीं जानते, और जिन पुरुषों को आप आज्ञा देते हैं, वे जानते हैं कि आप अपना काम जानते हैं, आप कभी भी नेता नहीं होंगे।”

“पेशेवर ज्ञान को कठिन तरीके से हासिल करना होगा। यह निरंतर अध्ययन है और आप इसे आज की तेजी से भागती तकनीकी दुनिया में कभी हासिल नहीं कर सकते, जिसमें आप रह रहे हैं।”

Summary: उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित अगर आपका कोई भी सवाल या सुझाव है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!

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FAQ’s: Sam Manekshaw Kon Hai?

Q. मानेकशॉ फील्ड मार्शल कब बने?

Ans  1 जनवरी 1973 को उन्हें भारत का पहला फील्ड मार्शल बनाया गया। उनको यह सम्मान 1971 का युद्ध जीतने के बाद, दिया गया था।

Q. उनके जीवन पर बनी फिल्म का क्या नाम है?

Ans. उनके जीवन पर बनी फिल्म का नाम सैम बहादुर है, जिसमें विकी कौशल ने उनकी भूमिका निभाई है। 

Q. मानेकशॉ कब सेवानिवृत्त हुए थे?

Ans. वह लगभग चार दशकों के करियर के बाद 15 जनवरी 1973 को सक्रिय सेवा से सेवानिवृत्त हुए।

Q. सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल के रूप में कब पदोन्नत किया गया था?

Ans. 1972 में उन्हें फील्ड मार्शल के पद के रूप में नामित किया गया था। उनको फील्ड मार्शल का पद 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनके कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण ही उनको दिया गया था।

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