लाचित दिवस 2023 | Lachit Divas 2023 : हर साल 24 नवंबर भारत में लाचित दिवस (Lachit Divas) के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन को अहोम सेना के जनरल लाचित बोरफुकन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं। उन्होंने जिस प्रकार अपनी बहादुरी और वीरता से मुगल को हराया था, उसको याद करने के लिए ही असम में 24 नवंबर लचित दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। सन 1999 से हर साल रक्षा अकादमी के सर्वोच्च कैडेटों को ‘लाचित बोरफुकन गोल्ड मेडल’ प्रदान किया जाता है। असम में लाचित पुरस्कार महान हस्तियों और सम्मानित व्यक्तियों को दिया जाता हैं। इसके अंतर्गत ₹50,000 की राशि और एक तलवार दी जाती हैं। 1671 में सराय घाट का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में लाचित बोरफुकन ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए मुगल सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने जिस प्रकार अपनी बहादुरी और युद्ध कौशल का परिचय देते हुए विशाल मुगल सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया था, वह काबिले तारीफ हैं।
उनके द्वारा हमें इस बात की प्रेरणा मिलती है कि जीवन में आप कभी भी किसी परिस्थिति से घबराएं नहीं हैं। बल्कि उसका सामना करें तभी जाकर आपको जीत हासिल होगा। ऐसे में अगर आपके मन में लाचित बोरफुकन के बारे में जानने कि इच्छा पैदा हुई है तो इस आर्टिकल को ज़रा भी मिस ना करें। आज के आर्टिकल में हम आपको Lachit Divas 2023 के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे। इस आर्टिकल के साथ आखिर तक बने रहे और लाचित बोरफुकन के बारे में सब कुछ जानें।
लाचित बोरफुकन कौन थे? Borphukan Kon Tha?
लाचित बोरफुकन कुशल महानायक और एक कुशल सेनापति थे। उनके नेतृत्व में 1671 में सरायघाट की लड़ाई की गई थी, जिसमें उन्होंने विशाल मुगल सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था।हम आपको बता दें कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने रामसिंह प्रथम को एक विशाल मुगल सेवा का एक कमांड प्रदान किया था, ताकि अहोम साम्राज्य पर कब्जा किया जा सके। लेकिन उनकी इस योजना को असफल करने में लाचित बोरफुकन कि भूमिका काफी अहम रही थी। इसलिए उन्हें असमिया महानायक भी कहा जाता हैं। असम में उनकी बहादुरी और वीरता को याद करने के लिए महाबीर लाचित पुरस्कार असम के प्रतिष्ठ व्यक्तियों को दिया जाता हैं।
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बोरफुकन की लघु जीवनी | Lachit Borphukan Short Biography
लाचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को हुआ था। लाचित का जन्म असम के चराइदेव जिले में एक ताई अहोम परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम मोमाई तमुली बोरबरुआ था। वह ऊपरी असम के पहले बोरबरुआ होने के साथ-साथ राजा प्रताप सिंह के अधीन अहोम सेना के प्रमुख कमांडर थे।अपने प्रमुख वर्षों के दौरान वह एक बोरफुकन अहोम साम्राज्य कमांडर थे। उनके नेतृत्व में सरायघाट की लड़ाई लड़ी गई थी जहां पर उन्होंने मुगल सेना को हराया था। लेकिन दुर्भाग्य से सरायघाट की लड़ाई समाप्त होने के एक साल बाद लाचित बोरफुकन की 25 अप्रैल 1672 को 49 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी।
लाचित दिवस क्यों मनाया जाता है? Why Lachit Divas is Celebrate
लाचित बोरफुकन ने जिस प्रकार सराईघाट की लड़ाई में असमिया सेना को जीत दिलाई थी। उस जीत को याद करने के लिए ही असम में हर साल 24 नवंबर उनकी याद में पूरे राज्य में हर साल नवंबर महीने की 24 तारीख को लाचित दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। इसके अलावा इस दिन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित मैडल से सम्मानित किया जाता हैं। उन्होंने जिस प्रकार वीरता और बहादुरी का परिचय देकर अपने राज्य पर अहोम मुगलों के आक्रमण को विफल किया था। उनके इस योगदान को ही याद करने के लिए असम में 24 नवंबर लाचित दिवस के रूप में मनाया जाता है, असम में उनकी याद में 150 फीट का ब्रोंज स्टैचू स्थापित किया गया हैं।
लाचित दिवस इतिहास | Lachit Divas History
17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर हावी था। दक्षिण भारत में दक्कन के पठार से लेकर उत्तर में अफगानिस्तान और कश्मीर तक फैले इस साम्राज्य की योजना असम पर भी थी, जो अहोम साम्राज्य का हिस्सा था। लाचित असम के एक सेनापति (बोरफुकन) थे जिन्होंने असम में मुगल साम्राज्य के विस्तार को रोकने के लिए लगातार लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने मुगल क्षेत्रीय प्रभाव को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया। सन 1671 में मुगल और अहोम साम्राज्य के बीच सरायघाट भयंकर युद्ध लड़ा गया था। आज के समय यह स्थान गुवाहाटी में हैं। इस युद्ध में मुगलों सेना का आकार काफी बड़ा था इसके बावजूद भी उन्होंने अपने कुशल रणनीति और युद्ध कौशल के बल पर मुगलों को हराया। उन्होंने मुगलों को हराने के लिए गोरिल्ला युद्ध रणनीति का इस्तेमाल किया था। सरायघाट युद्ध के लगभग एक साल बाद अप्रैल 1672 में लाचित बोरफुकन की प्राकृतिक कारणों से मृत्यु हो गई। उनके अवशेष जोरहाट के पास लाचित मैदाम में हैं।
लाचित दिवस महत्व | Lachit Divas Significance
लाचित दिवस असम राज्य में विशेष महत्व है।इस दिवस को महानायक और जांबाज सेनापति लाचित बोरफुकन की याद में मनाया जाता है। क्योंकि उन्होंने अपनी बहादुरी और वीरता से 1671 में मुगलों को हराया था। भारत में जिस समय मुगल काल का समय चल रहा था तो उसे समय मुगलों की योजना थी कि भारत के प्रत्येक राज्य पर उनका अधिकार हो। इसके लिए उन्होंने विस्तारवाद नीति का इस्तेमाल किया था। इसी क्रम में औरंगजेब ने राम सिंह को अहोम साम्राज्य पर आक्रमण करने के लिए नियुक्त किया था। मुगल सेना अहोम सेना से बड़ी और शक्तिशाली थी, लेकिन लाचित ने इलाके के अपने शक्तिशाली उपयोग, नेतृत्व कौशल और गुरिल्ला युद्ध के साथ सरायघाट को मुगल आक्रमण से बचाया, जो वर्तमान में गुवाहाटी में है। उनके इस योगदान को याद करने के लिए ही असम में 24 नवंबर Lachit Divas के रूप में मनाया जाता हैं।
लाचित दिवस कैसे मनाया जाता है? How Lachit Divas is Celebrated
लाचित दिवस के दिन असम राज्य में महान योद्धा की याद में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और राज्य भर में उनकी प्रतिमाओं पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।असमिया इतिहास के नायक को श्रद्धांजलि देते हुए, राज्य सरकार ने हाल ही में घोषणा की कि वह सभी स्कूली पाठ्यपुस्तकों में लाचित बोरफुकन पर एक अध्याय शुरू करने की पहल करेगी। ताकि असम के हर एक युवा और बच्चों को इस महान योद्धा के जीवन के बारे में जानकारी मिल सकें |
लाचित दिवस थीम 2023 | Lachit Divas 2023 Theme
2023 में लाचित दिवस किस Theme के अंतर्गत मनाया जाएगा उसके बारे में अभी तक कोई आधिकारिक अधिसूचना असम सरकार के द्वारा जारी नहीं की गई है जैसे ही जानकारी आएगी हम आपको तुरंत अपडेट करेंगे।
लाचित दिवस शुभकामनाएं संदेश | Lachit Divas Best Wishes
लाचित दिवस के अवसर पर असम के लोगों को शुभकामनाएं संदेश।
प्रसिद्ध अहोम सेना के जनरल लाचित बोरफुकन की जयंती मनाई जा रही है, जिन्होंने 1671 में सरायघाट की लड़ाई में मुगलों पर शानदार जीत के लिए अपने सैनिकों का नेतृत्व किया था। लाचित बोरफुकन को जन्मदिन की शुभकामनाएं छवियां बीर लाचित बरफुकन का नाम इतिहास के इतिहास में वीरता और देशभक्ति के प्रतीक के रूप में उज्ज्वल है। उनकी वीरता की गाथाओं ने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। महान अहोम जनरल को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि।
लचित दिवस की शुभकामनाएं संदेश
“देखो कोई मोमाई डांगोर नोहोई”
सभी को लचित दिवस की शुभकामनाएं
अहोम साम्राज्य में सैन्य जनरल और बोरफुकन (फु-कोन-लुंग) लाचित बोरफुकन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।
लाचित बोरफुकन ने 1671 में सरायघाट की लड़ाई में असम को जीतने के मुगलों के सपने को विफल करते हुए उन्हें करारी हार दी।
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निष्कर्ष:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया Lachit Divas 2023 पसंद आएगा। आर्टिकल से जुड़ा कोई भी सुझाव या आपका प्रश्न है तो कमेंट सेक्शन में आकर पूछे हम उसका उत्तर आपको जरूर देंगे। तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!
FAQ’s: Lachit Divas 2023
Q. भारत में लाचित दिवस समारोह कैसे मनाया जाता है?
Ans. हर 24 नवंबर को असम सरायघाट में लाचित बोरफुकन और मुगल सेना के बीच लड़ाई में असम की सेना की जीत की याद में लाचित दिवस मनाया जाता है।
Q. भारत में लाचित दिवस 2023 कैसे मनाया जाएगा?
Ans. बहादुर अहोम सेना के जनरल लाचित बोरफुकन की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 24 नवंबर को असम में लाचित दिवस मनाया जाता है। इस दिन को राजकीय अवकाश घोषित किया गया है। महान योद्धा की याद में विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है, ताकि लोगों को इस महान योद्धा के बारे में पूरी जानकारी मिल सकें।
Q. भारत में पहला लाचित दिवस राष्ट्रीय उत्सव कब आयोजित किया गया था?
Ans. लाचित दिवस का पहला राष्ट्रीय उत्सव 2017 में हुआ था।
Q.लाचित दिवस राष्ट्रीय उत्सव 2023 का थीम क्या है?
Ans. लाचित दिवस राष्ट्रीय उत्सव 2023 का थीम अभी तक निर्धारित नहीं किया गया हैं। जैसे ही थीम जारी होगा उसके बारे में हम आपको अपडेट करेंगे।