बाल दिवस पर कहानी | Children’s Day Story in Hindi

Bal Diwas Par Kahani

बाल दिवस पर कहानी:- जैसा कि आप लोग जानते हैं कि 14 नवंबर को भारत में उत्साह और हर्षोल्लास के साथ बाल दिवस मनाया जाएगा इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें बच्चे सम्मिलित होकर बाल दिवस का आनंद उठाएंगे बाल दिवस पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है इसी दिन उनका जन्म हुआ था नेहरू जी को बच्चों से विशेष प्रेम और लगाव था जिसके कारण उनका अधिकांश में बच्चों के साथ ही व्यतीत होता था जब उनकी मृत्यु 1964 में हुई तो उस समय के सरकार ने इस बात की घोषणा की कि भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि पंडित नेहरू का बच्चों के प्रति काफी स्नेह था  बाल दिवस भारत में 14 नवंबर को मनाया जाने लगा अगर आप Bal Diwas Par Kahani बच्चों को सुनाना चाहते हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है कि बाल दिवस पर कौनसे कहानी आप छोटे बच्चों को सुना सकते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि हमारे पोस्ट पर आखिर तक बनी रहे हैं चलिए शुरू करते हैं

Children’s Day Story in Hindi

दिवस का नामबाल दिवस
साल2022
कब मनाया जाएगा14 नवंबर को
कहां मनाया जाएगापूरे भारतवर्ष में
विश्व में बाल दिवस कब मनाया जाता है20 नवंबर को
बाल दिवस का प्रमुख उद्देश्यछोटे बच्चों को अधिकारों के प्रति जागरूक करना
Children’s Day (Bal Diwas)Similar Content
बाल दिवस कब मनाया जाता है? इतिहास व महत्व जानेClick Here
बाल दिवस पर भाषण हिंदी मेंClick Here
बाल दिवस पर स्टेटस, शायरी, कोट्सClick Here
बाल दिवस पर कविता हिंदी मेंClick Here
बाल दिवस पर निबंध हिंदी मेंClick Here
बाल दिवस पर कहानीClick Here
बाल दिवस पर गीत Click Here

बाल दिवस पर कहानियाँ Children’s Day Stories

बाल दिवस पर आप पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी हुई कहानियों को पढ़ सकते हैं हम उन सभी कहानियों का विवरण आपको नीचे बिंदु अंसा देंगे आइए जानते हैं –

शिष्टाचार और नेहरूजी

बात उन दिनों की है जब पंडित जवाहरलाल नेहरू लखनऊ की सेंट्रल जेल में थे। लखनऊ सेंट्रल जेल में खाना तैयार होते ही मेज पर रख दिया जाता था। सभी सम्मिलित रूप से खाते

एक बार एक डायनिंग टेबल पर एक साथ सात आदमी खाने बैठे। तीन आदमी नेहरूजी की तरफ और चार आदमी दूसरी तरफ।

एक पंक्ति में नेहरूजी थे और दूसरी में चंद्रसिंह गढ़वाली। खाना खाते समय शकर की जरूरत पड़ी। बर्तन कुछ दूर था चीनी का, चंद्रसिंह ने सोचा- ‘आलस्य करना ठीक नहीं है, अपना ही हाथ जरा आगे बढ़ा दिया जाए।’

See also  संविधान दिवस 2022 | संविधान दिवस कब, क्यों, कैसे मनाया जाता है?

चंद्रसिंह ने हाथ बढ़ाकर बर्तन उठाना चाहा कि नेहरूजी ने अपने हाथ से रोक दिया और कहा- ‘बोलो, जवाहरलाल शुगर पॉट (बर्तन) दो।’ वे मारे गुस्से के तमतमा उठे। फिर तुरंत ठंडे भी हो गए और समझाने लगे- ‘हर काम के साथ शिष्टाचार आवश्यक है। भोजन की मेज का भी अपना एक सभ्य तरीका है, एक शिष्टाचार है।

यदि कोई चीज सामने से दूर हो तो पास वाले को कहना चाहिए- ‘कृपया इसे देने का कष्ट करें।’

शिष्टाचार के मामले में नेहरूजी ने कई लोगों को नसीहत प्रदान की थी।

चाचा नेहरू की विनोदप्रियता

एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ पुस्तिका नेहरूजी के सामने रखते हुए कहा- साइन कर दीजिए।

बच्चे ने ऑटोग्राफ देखे, देखकर नेहरूजी से कहा- आपने तारीख तो लिखी ही नहीं!

बच्चे की इस बात पर नेहरूजी ने उर्दू अंकों में तारीख डाल दी!

बच्चे ने इसे देख कहा- यह तो उर्दू मेंएक बार एक डायनिंग टेबल पर एक साथ सात आदमी खाने बैठे। तीन आदमी नेहरूजी की तरफ और चार आदमी दूसरी तरफ।

एक पंक्ति में नेहरूजी थे और दूसरी में चंद्रसिंह गढ़वाली। खाना खाते समय शकर की जरूरत पड़ी। बर्तन कुछ दूर था चीनी का, चंद्रसिंह ने सोचा- ‘आलस्य करना ठीक नहीं है, अपना ही हाथ जरा आगे बढ़ा दिया जाए।’

चंद्रसिंह ने हाथ बढ़ाकर बर्तन उठाना चाहा कि नेहरूजी ने अपने हाथ से रोक दिया और कहा- ‘बोलो, जवाहरलाल शुगर पॉट (बर्तन) दो।’ वे मारे गुस्से के तमतमा उठे। फिर तुरंत ठंडे भी हो गए और समझाने लगे- ‘हर काम के साथ शिष्टाचार आवश्यक है। भोजन की मेज का भी अपना एक सभ्य तरीका है, एक शिष्टाचार है।

यदि कोई चीज सामने से दूर हो तो पास वाले को कहना चाहिए- ‘कृपया इसे देने का कष्ट करें।’

शिष्टाचार के मामले में नेहरूजी ने कई लोगों को नसीहत प्रदान की थी।

आत्म निर्भर भारत

नेहरूजी इंग्लैंड के हैरो स्कूल में पढ़ाई करते थे। एक दिन सुबह अपने जूतों पर पॉलिश कर रहे थे तब अचानक उनके पिता पं. मोतीलाल नेहरू वहां जा पहुंचे। जवाहरलाल को जूतों पर पॉलिश करते देख उन्हें अच्छा नहीं लगा। उन्होंने तत्काल नेहरूजी से कहा- क्या यह काम तुम नौकरों से नहीं करा सकते। जवाहरलाल ने उत्तर दिया- जो काम मैं खुद कर सकता हूं, उसे नौकरों से क्यों कराऊं? नेहरूजी का मानना था कि इन छोटे-छोटे कामों से ही व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है

बाल दिवस पर कहानी हिंदी में | Children’s Day Kahani

1. बगीचे का फूल

एक बार की बात है जब पण्डित जवाहर लाल नेहरू अपने निवास त्रिमूर्ति भवन के बगीचे में पेड़-पौधों के बीच से गुजरते घुमावदार रास्ते पर टहल रहे थे. प्रधानमंत्री के रूप में यह भवन उनका सरकारी आवास था. चारों ओर पेड़-पौधों की हरियाली और ठण्डी नम हवा में वे खोए हुए ही थे कि उन्हें एक नन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी. चाचा ने आसपास देखा तो बेलों और पेड़ों के झुरमुट में एक गोलमोल सा बच्चा दिखा, जो पूरे जोर से रो रहा रहा था.

See also  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, बधाई सन्देश, अनमोल विचार प्रेरणादायक कोट्स | Narendra Modi Birthday Wishes, Status, Quotes in Hindi

चाचा ने सोचा कि इसकी मां कहां होगी ? शायद माली के साथ मे बगीचे में ही कहीं काम कर रही होगी या फिर बच्चे को छांव में सुलाकर वह कहीं दूर काम पर निकल गई होगी. चाचा काफी देर तक शायद ये सोचते रहते लेकिन बच्चे की रुलाई उनका ध्यान अपनी ओर खींचे जा रही थी, चाचा उसके रोने से विचलित हो गए. उन्होंने तय कर लिया कि जो भी हो बच्चे को मां का प्यार चाहिए. उन्होंने मां की भूमिका निभाने की मन में ठान ली.

और धीरे-धीरे थपकियां दीं. तो कुछ ही देर में बच्चा चुप हो गया और उसके पोपले मुंह में मुस्कान खिल गई. उसे खुश देखकर चाचा भी खुश हो गए. थोड़ी ही देर में धूल-पसीने से लथपथ बच्चे की मां भी वहां आ पहुंची, उसने अपना बच्चा प्रधानमंत्री की गोद में देखा तो अपनी आंखो पर विश्वास नहीं हुआ. उसकी आंखों का तारा प्रधानमंत्री की गोद में था, जहां चाचा नेहरू मां की भूमिका निभा रहे थे और बच्चा बड़ी सहजता से टुकर-टुकर उनके मुह की ओर देखकर मुस्कुरा रहा था.

2. राष्ट्रध्वज से प्रेम

नेहरू जी में अपने देश के प्रति राष्ट्रीयता की भावना कूट-कूट कर भरी थी. इसके साथ ही उनमें राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज के प्रति भी अगाध श्रद्धा थी. किसी भी स्थिति में इन प्रतीकों का वे अपमान सहन नहीं कर सकते थे. एक बार किसी छोटे कस्बे में उन्हें एक समारोह में राष्ट्रध्वज फहराना था, लेकिन एक मौके पर ध्वज की घिर्री में कुछ खराबी आ गई और वह खुल ही नहीं रही थी जिससे ध्वज खुलकर हवा में लहरा नहीं रहा था. कड़ी धूम थी. सभी परेशान थे. तभी कुछ स्थानीय पदाधिकारियों ने नेहरू जी से कहा, ‘यह घिर्री ठीक हो जाएगी, तब तक आप क्यों धूप में खड़े रहते हैं, आप वहां छाया में विश्राम कीजिए.’ पर नेहरूजी नहीं माने, और वे तब तक वहां पर डटे रहे, जब तक कि घिर्री दुरूस्त न कर ली गई. इसके बाद ध्वज फहराने और उसे सलामी देने के बाद ही वहां से हटे.

Bal Diwas Par Kahaniyan

3. एकता का महत्व

एक बार पण्डित जी किसी सभा को संबोधित करने वाले थे. जब वे वहां पहुंचे तो देखा कि मौसम बारिश का सा हो रहा था. एक बार तो सभी लोग चिंतित हो गए कि नेहरूजी ऐसे मौसम में भाषण भी देंगे या नहीं? सही समय पर नेहरू जी ने अपना भाषण आरंभ किया. इतने में बारिश भी होने लगी. लोग जमे रहे और भाषण भी निर्बाध रूप से चलता रहा. कुछ व्यक्तियों ने बारिश के कारण अपने छाते खोल लिए. इससे सभा में कुछ अव्यवस्थता फ़ैलने लगी. कुछ लोग छाता लेकर नेहरूजी की ओर भी आए. नेहरू जी ने अपने लिए छाता अस्वीकार करते हुए कहा, ‘एकता का महत्व बहुत बड़ा होता है. कुछ लोग छाता लगाकर रहें और बाकि बिना छाते के रहें. यह उचित नहीं है.’ नेहरू जी की यह बात सुनकर लोगों ने तुरंत ही अपने खुले छाते बन्द कर लिए और चुपचाप वे भी भाषण सुनने लगे

See also  नेशनल डॉक्टर्स डे पर स्लोगन, नारे, पोस्टर, संदेश |  National Doctors Day Slogan, Poster Message, Quotes in Hindi

4. गुब्बारे वाले चाचा (बाल दिवस पर कहानी)

एक बार जब चाचा नेहरू दक्षिण भारत में तमिलनाडु की यात्रा पर गए. जिस सड़क से उनकी सवारी गुजर रही थी, उसके दोनों ओर उनको देखने वालों की भीड़ खड़ी थी. जो अपने प्यारे प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए आतुर थे. इनके अलावा कुछ दीवारों पर, कुछ छज्जों पर और कुछ भीड़ के पीछे से भी उचक-उचक कर चाचा के लवाजमे को देखना चाह रहे थे. यहां तक कि इमारतों की बालकनियों पर लोग जमा थे. बच्चों का तो कहना ही क्या, वे तो पेड़ों की टहनियों और तनों पर भी लूम रहे थे. इस भीड़ के पीछे एक गुब्बारे वाला खड़ा था, जो तरह-तरह के रंगों और डिजाइनों के गुब्बारे लिए पंजों के बल खड़ा चाचा को देखने का प्रयास कर रहा था.

रंगीन गुब्बारे भी इधर-उधर डोल रहे थे, जैसे वे भी चाचा को देखने के लिए उतावले हों. जब चाचा की गाड़ी वहां से गुजरी, तो उनकी नजर गुब्बारे वाले पर पड़ी. अचानक उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवाई और उतरकर चल दी गुब्बारे वाले की ओर. अपनी ओर प्रधानमंत्री को देख गुब्बारेवाला तो घबरा गया कि क्या गलती हो गई? चाचा के पास आने पर उसने एक सलाम करके चाचा को गुब्बारा भेंट किया. इस पर चाचा बोले कि मुझे एक नहीं सारे गुब्बारे चाहिए. इसके बाद उन्होंने अपने तमिल जानने वाले साथी से कहा कि सारे गुब्बारे खरीद लो और बच्चों में बांट दो. बच्चों की तो मौज हो गई. गुब्बारे वाला दौड़-दौड़ कर खुद ही बच्चों को गुब्बारे थमाने लगा. चाचा नेहरू होठों पर संतुष्टि की मुस्कान लिए खड़े थे. जब तक वह पूरे गुब्बारे बांटता, तब तक चाचा अपनी गाड़ी में सवार होकर चल पड़े थे. उनके पीछे चाचा नेहरू जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे.

FAQ’s बाल दिवस पर कहानी

Q: बाल दिवस कब मनाया जाएगा?

Ans: बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाएगा?

Q: बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?

Ans: बाल दिवस पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है I

Q: बाल दिवस पर बच्चों को क्या दिया जाता है?

Ans: बाल दिवस पर बच्चों को मिठाइयां खिलौने कपड़े और किताबें भेंट की जाती हैं I

People Also Search:- बाल दिवस पर कहानियाँ | बाल दिवस पर चाचा नेहरू की कहानियाँ | Bal Diwas Par Chacha Nehru Ki Kahaniyan | Baal Divas Story in Hindi

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja