Gangaur Festival 2023 | गणगौर क्यों मनाई जाती है? | गणगौर पर्व पर किसकी पूजा की जाती है?

Ganagaur parv

Gangaur Festival 2023:- गणगौर पर्व हर साल चैत्र के महिने में मनाया जाने वाला त्यौहार है। साल 2023 में ये पर्व 24 मार्च को मनाया जाएगा . गणगौर हिंदुओं द्वारा मनाएं जाने वाला बहुत ही लोकप्रिय त्योहार है जो भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार में विवाहित और अविवाहित महिलाएं उपवास रखती हैं और सुखी और धन्य वैवाहिक जीवन के लिए गौरी (देवी पार्वती) और शिव से प्रार्थना करती हैं।

गणगौर दो शब्दों के मेल से बना है- गण जो भगवान शिव का एक पर्याय है और गौरी, भगवान शिव की पत्नी, जिन्हें पार्वती के नाम से भी जाना जाता है, से लिया गया है। त्योहार चैत्र मास में मनाया जाता है जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में मार्च या अप्रैल का महीना होता है।

हम इस लेख में आपको गणगौर से जुड़ी सारी जरुरी जानकारियां देंगे जो आपको इस पर्व के बारे में विस्तार से समझाएंगी। इस लेख को कई आधार बिंदूओं के माध्यम से तैयार किया गया है, जो कि इस लेख में आपके सब मिल जाएगा। इस लेख में जोड़ी गई बिंदूएं हैं गणगौर पर्व कब हैं गणगौर पर्व 2023 में कब मनाई जाएगी, गणगौर क्यों मनाई जाती हैं, गणगौर पर्व का महत्व, गणगौर का इतिहास हैं जो आप जब आगे लेख पढ़ेंगे उसमें आपको मिलेंगी। इस लेख को पूरा पढ़कर गणगौर पर्व के बारे में विस्तार से जाने

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Gangaur Festival 2023

गणगौर त्यौहार कब है? | Gangaur Festival 2023

Gangaur Festival:- गणगौर पर्व हर साल भारत में मार्च या अप्रैल के महीने में होली के एक दिन बाद शुरू होता है। गौरतलब है कि ये अठारह दिनों तक चलतने वाला पर्व है। हम आपको बता दें कि चैत्र की तृतीया तिथि के दौरान गणगौर पूजा की जाती है। इस साल 2023 में होली का पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा और उसके ठीक एक दिन बाद गणगौर पर्व शुरु हो जाएगा।

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24 मार्च पूरे देश में धूमधाम के साथ गणगौर पर्व मनाया जाएगा। होली के बाद शुरु होने वाले 18 दिन के गणगौर पर्व में औरतों द्वारा उपवास रखने कि प्रथा है, जिससे विवाहित महिलाओं के साथ ही अविवाहित महिलाओं द्वारा भी रखा जाता है। इस समय औरते पूरे दिन उपवास रखती है और रात को खाना खाकर अपना उपवास खोलती है। विवाहित महिलाओं द्वारा अच्छे विवाहित जीवन के इस उपवास को रखा जाता है, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे पति कि कामना से इस व्रत का पालन करती है।महिलाएं सौभाग्य की निशानी के रूप में अपनी हथेलियों पर मेहंदी लगाती है और अच्छे कपड़े और गहने पहन कर बन ठन कर तैयार होती है।

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गणगौर क्यों मनाई जाती हैं? | Gangaur Kyon Manae Jaate hai?

Gangaur parv:- गणगौर पर्व मनाया जाता है यह बात तो हम बरखूबी जान चुके है, पर गणगौर क्यों मनाई जाती हैं इसको लेकर सवाल अभी भी बरकरार है। इस बिंदू के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि गणगौर क्यों मनाई जाती हैं। दरअसल गणगौर महोत्सव देवी गौरी और उनके अनुयायियों की पूजा करने के बारे में है। गणगौर के शुभ अवसर पर विवाहित या अविवाहित महिलाएं प्रेम और विवाह के पवित्र बंधन को निभाने के लिए व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की वृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएं देवी से बेहतर जीवनसाथी पाने का आग्रह करती हैं।

गणगौर कृपा, रंग, परंपराओं और सुंदरता का त्योहार है। गणगौर के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि राजस्थान के शाही परिवारों के सदस्य भी आम जनता के साथ उत्सव में भाग लेते हैं। गणगौर के दौरान आप राजस्थान के असली सार से रूबरू होते है।राजस्थान के लोग गणगौर को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। गणगौर के शानदार त्योहार को देखने के लिए विदेशी सहित हजारों पर्यटक राजस्थान आते हैं।

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गणगौर पर्व का महत्व | Gangaur Parv Ka Mahatv

हर हिंदू उत्सव के पीछे कोई ना कोई महत्व जरुर होता है,इसकी कड़ी में गणगौर पर्व का महत्व है। प्रागैतिहासिक काल में राजस्थान में गणगौर उत्सव और जुलूसों की शुरुआत हुई। तत्कालीन शाही परिवार ने इस त्योहार को मनाना शुरू किया जो आज तक मनाया जाता है। सौभाग्य या वैवाहिक आनंद के इस त्योहार में भगवान शिव और देवी पार्वती से जुड़ी एक प्यारी कहानी है। कहानी के अनुसार, देवी पार्वती ने कड़ी तपस्या की और भगवान शिव से विवाह करने की प्रार्थना की। भगवान शिव का अवतार मानी जाने वाली, उनका सपना सच हो गया और उन्होंने बड़ी धूमधाम से भगवान शिव से शादी कर ली।

गणगौर का त्योहार शादी के बाद उनका आशीर्वाद लेने और उनके साथ अच्छा समय बिताने के लिए अपने माता-पिता के घर वापस जाने का प्रतीक है। एक शाही दावत के बाद, उसे अपने पति के घर वापस जाने के लिए भव्य विदाई दी जाती है। गणगौर को एक बहुत ही शुभ दिन भी माना जाता है, जो शादी की तारीख तय करने के लिए एकदम सही है। गणगौर के दिन, विवाहित और अविवाहित महिलाएं विस्तृत गणगौर पूजा करती हैं। यह पूजा देवताओं का आशीर्वाद लेने और जोड़ों के वैवाहिक सुख के लिए की जाती है। विवाहित महिलाएं अपने पति के लिए लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य और खुशियां मांगती हैं। अविवाहित महिलाएं अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं। यहां गणगौर महोत्सव के प्रमुख आकर्षण या आकर्षण हैं।

गणगौर का इतिहास | Gangaur History  

अब इस बिंदू में हम आपको गणगौर का इतिहास के बारे में बताएंगे। गणगौर का इतिहास शिव पार्वती के समय का है। गणगौर का इतिहास कुछ ऐसा है कि एक बार की बात है, भगवान शिव और देवी पार्वती नारद मुनि के साथ पास के एक गाँव में एक छोटी सी यात्रा के लिए गए। जब ग्रामीणों को उनके बारे में पता चला, तो गाँव की महिलाएँ देवताओं के लिए भोज की तैयारी करने लगीं। गाँव की कुछ महिलाएँ पहले अपनी तैयारी के साथ आईं और शिव, गौरी और नारद को भोग लगाया। इससे प्रसन्न होकर, देवी पार्वती ने उन महिलाओं को आशीर्वाद दिया और उनके लंबे और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए उन पर “सुहागरा” छिड़का।

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जब गांव की औरतें अपना बनाया हुआ खाना लेकर आईं तो गौरी ने सारे सुहागरे खा लिए थे। यह देखकर भगवान शिव मुस्कुराए और गौरी से पूछा कि अब वह क्या करेंगी। देवी पार्वती मुस्कुराई और उत्तर दिया कि वह इन महिलाओं को अपने रक्त से आशीर्वाद देंगी। उसने फिर अपनी उंगली की नोक को खरोंच कर उन महिलाओं पर खून छिड़का और उन्हें वैवाहिक सुख का आशीर्वाद दिया। तब से इस गणगौर पर्व की शुरुआत हो गई और महिलाओं द्वारा माता पर्वती के आशीर्वाद को पाने के लिए इस पर्व को मनाया जाने लगा।

FAQ’s Gangaur Festival 2023

Q. साल 2023 में गणगौर पर्व कब मनाया जाएगा?

Ans. साल 2023 में गणगौर पर्व 24 मार्च को मनाया जाएगा।

Q. गणगौर का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं?

Ans. गणगौर पर्व विवाहित और अविवाहित महिलाएं दोनो द्वारा मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं और वहीं अविवाहित महिलाएं एक अच्छे पति की कामना करने के लिए इस पर्व को मनाती है।

Q. गणगौर पर्व कौन से तिथि से शुरु होता है?

Ans.गणगौर पर्व चैत्र माह कि तृतीया तिथि से शुरु होता है जो कि इस साल 23 मार्च शाम 6 बजकर 20 मिनट पर शुरु होगी।

Q. गणगौर पर्व पर किसकी पूजा की जाती है?

Ans. गणगौर पर्व पर माता पर्वती और शंकर जी की पूजा की जाती है।

Q. गणगौर पर्व को और किस नाम से जाना जाता है?

Ans. गणगौर पर्व को मेवाड़ पर्व के नाम से भी जाना जाता है, जोकि राजस्थान के उदयपुर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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