Lala Lajpat Rai Jayanti 2023 | लाला लाजपत राय जयंती कब है व क्यों मनाई जाती हैं?

Lala Lajpat Rai Jayanti

Lala Lajpat Rai Jayanti: लाला लाजपत राय एक स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर राजनेता थे भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में उनकी भूमिका अहम रही थी I जैसा की आप लोगों को मालूम है कि 28 जनवरी को लाला लाजपत राय की जयंती देश भर में मनाया जाएगा इस दिन उन्हें लोगों के द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी  I ऐसे में लोगों के मन में उनके जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जानने की उत्सुकता बहुत तेजी के साथ बढ़ रही होगी कि, लाला लाजपत राय जयंती कब मनाई जाएगी? लाला लाजपत राय का जीवन परिचय, शिक्षा परिवार राजनीतिक सफर, किताबें, उनका मशहूर नारा, राजनीतिक विचार अगर आप भी इन सब के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं तो हम आपसे निवेदन करेंगे कि आर्टिकल पर आखिर तक बने रहे हैं चलिए शुरू करते हैं-

सुभाषचंद्र बोस जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?

Lala Lajpat Rai Jayanti 2023

आर्टिकल का प्रकारमहत्वपूर्ण जयंती
आर्टिकल का नामलाला लाजपत राय जयंती
कहां मनाया जाएगापूरे भारतवर्ष में
साल2023
कब मनाया जाएगा28 जनवरी को
क्यों मनाया जाता हैलाला लाजपत राय का जन्म हुआ था

लाला लाजपत राय जयंती कब मनाई जाती है? | Lala Lajpat Rai Jayanti 2023

लाला लाजपत राय जयंती 28 जनवरी 2023 को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा I इस दिन विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे I जिनमें लाला लाजपत राय के जीवन के सभी प्रमुख पहलुओं के बारे में लोगों को बताया जाएगा  ताकि लोगों को भी मालूम चल सके कि लाला लाजपत राय की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या भूमिका रही और उन्होंने किस प्रकार देश के आजादी के लिए अपने प्राण निछावर कर दिए I

लाला लाजपत राय का परिचय परिचय | Lala Lajpat Rai Biography

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब राज्य के मोगा जिले में स्थित दुधिके नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही उनके मन में देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने की भावना विकसित हो गई और उन्होंने अपने जीवन का प्रण लिया कि जब तक वह भारत को अंग्रेजों से मुक्ति नहीं करवाएंगे तब तक चैन की सास नहीं लेंगे I

लाला लाजपत राय की शिक्षा | Lala Lajpat Rai Education

लाला लाजपत राय की प्रारम्भिक शिक्षा सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से हुई थी। वे बचपन से पढ़ाई में काफी मेधावी थे उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सन 1880 में कानून की पढ़ाई के करने के लिए लाहौर के सरकारी कॉलेज में एडमिशन ले लिया और वहीं से उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरा किया I

See also  महिला दिवस पर शायरी | Women's Day Shayari in Hindi

लाला लाजपत राय का परिवार | Lala Lajpat Rai Family

पिता का नाममुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल
माता का नामगुलाब देवी अग्रवाल
भाई का नामलाला धनपत राय
पत्नी का नामराधा देवी अग्रवाल
बच्चों का नामअमृत राय अग्रवाल, प्यारेलाल अग्रवाल और एक बेटी पार्वती अग्रवाल

लाला लाजपत राय राजनितिक सफर | Lala Lajpat Rai Political Journey

लाला लाजपत राय का बचपन का सपना था, कि वह अपने देश के लिए काम करें और उन्होंने अपने देश अंग्रेजों से मुक्त करवाए इसलिए 1886 में लाला लाजपत राय जी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर हिसार जिले में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक शाखा की स्थापना की 1888 और 1889 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए अपने चार सहयोगियों के साथ हिसार से उन्होंने इलाहाबाद की यात्रा की और बैठक में सम्मिलित हुए I  1892 में, लाला जी फिर लाहौर उच्च न्यायालय के समक्ष वकालत करने के लिए लाहौर आए. उन्होंने अपनी बात लोगों तक पहुंचने के लिए अखबार में उन्होंने आर्टिकल लिखना शुरू किया. उन्होंने द ट्रिब्यून समेत कई अखबारों में लेख लिखे। 1914 में उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और देश को ब्रिटिश सरकार से मुक्त करवाने के लिए देश के प्रति अपने आप को समर्पित किया 1914 में वह ब्रिटेन चले गए I

1917 में उन्होंने अमेरिका में रहते हुए कई दूसरे देशों से भारत को आजाद करवाने के लिए समर्थन हासिल करने का अपना अभियान शुरू किया इसके लिए उन्होंने  न्यूयॉर्क में इंडियन होम रूल लीग, एक मासिक पत्रिका यंग इंडिया और हिंदुस्तान सूचना सेवा संघ की स्थापना की।1919 में, लाला लाजपत राय भारत वापस आए और कांग्रेस के विशेष सत्र का हिस्सा बने, जिसमें असहयोग आंदोलन शुरू करने की बात कही गई। 1920 में जब कोलकाता में राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ तो उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना गया जलियांवाला हत्याकांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ पंजाब में विद्रोह प्रदर्शन का नेतृत्व किया 1920 में जब गांधी जी ने अशोक आंदोलन की शुरुआत की उन्होंने आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया उसके लिए उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया

See also  बालिका दिवस पर कविता हिंदी में | Balika Diwas Poem in Hindi

भारतीय राजनीति में लाला लाजपत राय का योगदान

1921 से लेकर 1923 के बीच लाला लाजपतराय जेल में बंद थे जब चोरी चोरी हत्याकांड हुआ तो गांधी जी ने अपना असहयोग आंदोलन वापस लिया उन्होंने गांधी जी के इस फैसले का विरोध किया था 1927 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा भारतीय संविधान के कामकाज पर रिपोर्ट करने के लिए साइमन कमीशन का स्थापना की गई थी जिसमें कुल मिलाकर 7 सदस्य इसमें कोई भी भारतीय प्रतिनिधि को सम्मिलित नहीं किया गया था ऐसे में लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन का विरोध किया था30 अक्टूबर, 1928 को जब आयोग भारत आया, लाला राजपत राय ने गो बैक साइमन कमीशन का नारा लगाया और उनका यह आंदोलन शांतिपूर्ण था ,लेकिन पुलिस अधीक्षक पुलिस अधीक्षक, जेम्स ए. स्कॉट ने लाठीचार्ज का आदेश दे दिया. जिससे लाला लाजपत राय बहुत घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने लोगों को संबोधित किया और कहा: “मैं घोषणा करता हूं कि आज मुझ पर हमला भारत में ब्रिटिश शासन के ताबूत में आखिरी कील होगा.”

लाला लाजपत राय की उपलब्धियां | Lala Lajpat Rai Achievement

लाला लाजपतराय बहुत ही छोटी उम्र में स्वतंत्र आंदोलन से जुड़ गए उन्होंने 23 साल की उम्र में 1888 में प्रयाग के कांग्रेस सम्मेलन में भाग लिया 1906 में उन्हें राजनीतिक गतिविधियों के कारण 6 महीने के लिए निर्वासित कर दिया गया I  प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने भारत के स्वतंत्रता के पक्ष में अमेरिकन जनता का समर्थन लेने के लिए अमेरिका चले गए लाला लाजपत राय ब्रिटिश सरकार के महान आलोचकों में से एक थे 1907 को उन्हें बर्मा भेज दिया गया वापस आने पर गांधी जी के द्वारा शुरू किया गया असहयोग आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया और इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा I  कांग्रेस द्वारा साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का फैसला किया गया। जब वह लाहौर ने प्रदर्शन कर रहे थे। तब उन पर कई बार उनके ऊपर लाठीचार्ज किया गया जिसके कारण उन्हें गंभीर चोटें लगी और 3 सप्ताह बाद उनकी मृत्यु हो गई उनकी मृत्यु के बाद देश में शोक की लहर हो गई और लोगों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश था। उनकी मृत्यु स्वतंत्रता आंदोलन के लिए बहुत ही बड़ा आघात था। उनके साहस के लिए उनको आज भी याद किया जाता है I

See also  International Picnic Day | अंतरराष्ट्रीय पिकनिक दिवस 2023 | इतिहास, थीम, महत्व (History, Theme, Importance)

लाला लाजपत राय की किताबें | Lala Lajpat Rai Books

  • यंग इंडिया (1916) (Young India)
  • दुखी भारत (1928) (Unhappy India)
  • भारत पर इंग्लैंड का कर्ज (1917) (England Debt to India)
  • आर्य समाज (1915) (Arya Samaj)
  • भारत का राजनीतिक भविष्य (1919) (The Political Future of India)
  • सही माननीय डेविड लॉयड जॉर्ज को एक खुला पत्र (1917) (An Open letter to the Right Honorable David Lloyd George)
  • भारत की राष्ट्रीय शिक्षा की समस्या (1920) (The Problem of National Education of India)
  • भगवद गीता का संदेश (1908) (The Message of the Bhagavad Gita)
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: एक हिंदू प्रभाव (1916) (The United States of America: A Hindu Impression ( 1916 )
  • उन्होंने मैजिनी, गैरीबाल्डी, शिवाजी और श्रीकृष्ण की जीवनी भी लिखी।

लाला लाजपत राय का नारा | Lala Lajpat Rai Slogan

साइमन कमीशन वापस जाओ”

“मेरे सिर पर लाठी का एक-एक प्रहार,
अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा”

लाला लाजपत राय के राजनितिक विचार | Lala Lajpat Rai Political Thoughts

लाला लाजपत राय गर्म राष्ट्रवादी विचारों के समर्थक और प्रतीक बने रहे. वह स्वदेशी के पक्ष में थे और सभी आयातित वस्तुओं के बहिष्कार के समर्थक थे।

FAQ’s Lala Lajpat Rai Jayanti

Q. लाला लाजपत राय का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans.लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को जगराओं, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था।

Q. लाला लाजपत राय की मृत्यु कैसे हुई थी?

लाला लाजपत राय की मृत्यु 17 नवंबर 1928 को साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध के दौरान लाठीचार्ज के कारण गंभीर रूप से घायल होने के कारण हुई थी।

Q. लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु कौन थे?

लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु इटैलियन क्रांतिकारी Giuseppe Mazzini थे।

Q. लाला लाजपत राय के माता-पिता का क्या नाम था?

लाला लाजपत राय के पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण अग्रवाल और माता का नाम गुलाब देवी अग्रवाल था।

Q. लाला लाजपत राय ने कौन सा नारा दिया था?

साइमन कमीशन वापस जाओ (लाल लाजपत राय)

मेरे सिर पर लाठी का एक-एक प्रहार, अंग्रेजी शासन के ताबूत की कील साबित होगा (लाला लाजपत राय)

Q. लाला लाजपत राय का उपनाम क्या है?

Ans .लाला लाजपत राय का उपनाम पंजाब केसरी है I

Q. लाला लाजपत राय कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?

1920 के कलकत्ता अधिवेशन में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Optimized with PageSpeed Ninja