डॉ. राधाकृष्णन सर्वपल्ली का जीवन परिचय | Dr. Radhakrishnan Biography In Hindi | शिक्षा में योगदान, पुस्तकें, शैक्षणिक विचार, राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi

Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi:- हम डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के रूप में जानते है। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1975 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तुर्माणी नाम के गांव में हुआ था। राधाकृष्णन का परिवारिक ब्राह्मण गरीब परिवार था उनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी अपने गांव के सबसे ज्ञानी पंडित माने जाते थे। यही कारण था कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन से ही ज्यादा सुख सुविधाएं तो नहीं मिल सकी मगर ज्ञान अपने परिवार से बहुत मिला उन्हें बचपन से ही अलग अलग तरह की किताबें पढ़ने का शौक था। धीरे-धीरे उन्होंने अपने ज्ञान का वर्चस्व पूरे विश्वभर में इस प्रकार बिखेरा की एक पक्ष नेता राजनेता किया और अब भारत के सबसे महान राष्ट्रपति के रूप में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया।

अगर आप Dr. Radhakrishnan Sarvepalli Biography ढूंढ रहे हैं तो आज इस लेख में हम डॉक्टर सर्वपल्ली के बारे में कुछ ऐसी जानकारियां से आपको अवगत करवाएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। हम शिक्षक दिवस के पीछे का कारण भी आपको बताना चाहेंगे कि आखिर क्यों 1962 से शिक्षक दिवस की परंपरा को सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर शुरू किया गया। भारत के महान राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में अधिक जानकारी जानने के लिए हमारे लेख के साथ अंत तक बने रहे। 

Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi- Overview

नामडॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
जन्म तिथि5 सितंबर 1888
जन्म स्थानभारत के तमिलनाडु के तुर्माणी गांव 
शिक्षक दिवस कब से मनाया जा रहा है5 सितंबर 1962 से
कार्यभारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति
प्रचलित होने का कारणएक सफल शिक्षक और सफल राष्ट्रपति 
शिक्षाMA in Psychology
पत्नीशिवमूक
मृत्यू13 अप्रैल 1975
सम्मन1975 में भारत रत्न

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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन | Dr. Radhakrshanan Parichay

Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi:- सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को भारत के तमिलनाडु में स्थित एक छोटे से गांव तुर्माणी में हुआ था। सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे जिस वजह से उनके परिवार में अधिक सुख सुविधाएं नहीं थी मगर उनके पिता गांव के सबसे बड़े ज्ञानी माने जाते थे जिनकी संगत में सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन से ही किताबें पढ़ने का शौक हुआ था। 

अलग-अलग तरह के धर्म ग्रंथ के अलावा उस जमाने के अंग्रेजी किताबों को भी उन्होंने पढ़ना शुरू किया। मगर गांव में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था ना होने के कारण उनके पिता ने तिरुपति के लूथरसन मिशन में अपने बच्चे का दाखिला करवा दिया। 1886 ताकत तिरुपति में रहकर उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण किया। जब वह तिरुपति में पढ़ाई कर रहे थे तो उसी दौरान महज 16 साल की आयु में उनका विवाह उनकी दूर की चचेरी बहन सिवकमू से करा दिया गया। इनसे उन्हें पांच बेटी और एक बेटा हुआ। इनके बेटे सर्वपल्ली गोपाल भारत के बहुत जाने-माने इतिहासकार बने। भारत के प्रचलित क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण इन्ही के खानदान से ताल्लुक रखते थे।

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Dr. Radhakrishnan Short Biography | Dr. Radhakrshanan Jivan Parichay in Hindi

Dr. Radhakrshanan Jeevan Parichay:- इसके बाद 1900 तक वेल्लूर में जाकर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी कॉलेज की शिक्षा को पूरा किया। यहां उन्होंने राजनीति में स्नातक की डिग्री हासिल की इसके बाद 1906 में मद्रास यूनिवर्सिटी से उन्होंने दर्शनशास्त्र में MA की डिग्री को हासिल किया। उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा छात्रवृति से प्राप्त की इसके बाद उन्होंने 1909 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अध्यापक के रूप में चुने गए। इसके बाद 1916 में मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त हुए। इनके पढ़ाने के तरीके इतने प्रचलित हो चुके थे कि इन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए बुलाया गया और वहां के बच्चों को इनके पढ़ाने का तरीका इतना पसंद आया कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया।

मगर विदेश में उनका मन नहीं लगा इस वजह से वह वापस मद्रास के उसी कॉलेज में लौट आए जहां से उन्होंने MA की डिग्री की थी। उनकी प्रतिभा को देखते हुए मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में उन्हें वाइस चांसलर बना दिया गया मगर 1 साल के अंदर उन्होंने इस कॉलेज को छोड़ दिया और बनारस विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के रूप में नियुक्त हुए। इस तरह शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करते हुए जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजनीति में कदम रखते हैं और भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में देश को अपना जीवन समर्पित करते हैं। 

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिवार | Dr. Radhakrshanan Family

जैसा कि हमने आपको बताया सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विवाह उनके दूर के चचेरी बहन शिवकामू से करा दिया गया था। जिनसे उन्हें पांच बेटी और एक बेटा हुआ था उनके बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल था जो भारत के प्रचलित इतिहासकार बने थे। इसके बाद भारत के प्रचलित क्रिकेटर वी एस लक्ष्मण सर्वपल्ली राधाकृष्णन के परिवार से ही ताल्लुक रखते थे। उनके परिवार में मुख्य रूप से उनके माता-पिता पत्नी 5 बेटी और एक बेटा था।

तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में वह अपने बड़े से परिवार में रहते थे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जब पढ़ने गए तो कुछ साल के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वहीं बस गए थे। मगर उन्हें विदेश उतना रास नहीं आया इस वजह से अपने परिवार के साथ हो वापस मद्रास अपने गांव लौट आए थे।

डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली का शिक्षा में योगदान

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक थे। दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में स्वामी विवेकानंद उनके आदर्श थे। उन्होंने दर्शनशास्त्र को समझाने के लिए स्वामी विवेकानंद के तरीके का इस्तेमाल किया जिस तरह से स्वामी विवेकानंद उस वक्त अपने भाषण दिया करते थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन उसी से प्रभावित होकर दर्शनशास्त्र पढ़ाने का प्रयास करते थे।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजनीति और दर्शनशास्त्र में स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। शिक्षा को एक बेहतरीन ढंग से बच्चों के बीच लाने की कोशिश की थी जिसके लिए हर शिक्षक उन्हें अपना आदर्श मानने लगा था। उस वक्त दर्शनशास्त्र इतने बेहतरीन तरीके से सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पढ़ाया था कि अमेरिका के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के तरफ से उन्हें दर्शनशास्त्र पढ़ाने के लिए बुलाया गया था।

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डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पुस्तकें | Dr. Radhakrshanan Books

Dr. Radhakrishnan Sarvepalli Books:- जैसा कि हमने आपको बताया डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दार्शनिक थे। जिन्होंने अलग-अलग विश्वविद्यालय और कॉलेज में दर्शनशास्त्र की शिक्षा दी है। उन्होंने अपने करियर में दर्शनशास्त्र की अलग-अलग पुस्तकों को भी लिखा है।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने पूरे जीवन में 60 से अधिक दर्शनशास्त्र की किताबों को लिखा है। आज भी सर्वपल्ली राधाकृष्णन के द्वारा लिखी गई दर्शनशास्त्र के किताबों को अलग-अलग कॉलेज और विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है। सभी पुस्तकों में से तीन पुस्तकें विश्व भर में बहुत प्रचलित हुई थी – 

  • 1923 में लिखी गई पुस्तक The Indian Philosophy डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • महात्मा गांधी बाय डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  • 1948 में लिखी गई पुस्तक भगवत गीता, बाय सर्वपल्ली राधाकृष्णन

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शैक्षणिक विचार

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन अपने बढ़ाने की प्रक्रिया में कुछ बेहतरीन शिक्षण विचारों को बच्चों को समझाते थे। उनके शैक्षणिक विचार को नीचे सूचीबद्ध किया गया है ताकि आप इस महान शिक्षक के विचारों को समझ सके और उसके आधार पर अपने जीवन में को निर्मित कर सकें – 

  • एक शिक्षक वह नहीं जो छात्रों के दिमाग में तथ्य ठूस दें, बल्कि एक अच्छा शिक्षक वह है जो बच्चों को आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार कर सके।
  • अगर हम विश्व इतिहास को ध्यान से देखें तो पाएंगे कि वास्तविक सभ्यता का निर्माण उन लोगों के हाथों से हुआ है जो स्वयं विचार करने का सामर्थ्य रखते हैं, जो देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते है और अपने ज्ञान का इस्तेमाल लोक कल्याण के लिए करते हैं।
  • कोई भी आजादी तब तक सच्ची आजादी नहीं है जब तक विचार करने की आजादी ना मिले, और किसी भी परिस्थिति में आपके विचारों को आजादी आपके ज्ञान या अनुभव के आधार पर दी जाती है। जीवन में आप जितना अधिक ज्ञान हासिल करेंगे उतनी ही अधिक आजादी के हकदार होंगे।
  • पुस्तक वह साधन है जिसके इस्तेमाल से हम विभिन्न संस्कृति के बीच एक पुल का निर्माण करते हैं।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विद्यार्थियों को संदेश

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बच्चों को शिक्षा देने के दौरान विभिन्न प्रकार का संदेश भी देते थे वह अपने संदेश में बताते थे कि किस प्रकार जीवन को ज्यादा सुखद और बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने अपने छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रकार का ज्ञान दिया है जिसमें से कुछ बेहतरीन संदेश की सूची नीचे प्रस्तुत की गई है – 

  • सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे कि ज्ञान सबसे बड़ा धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता इसलिए आपको धन संचय के रूप में ज्ञान का संचय करना चाहिए।
  • जीवन में सुख आजादी से आता है सबसे बड़ी आजादी आपके विचारों की आजादी होती है। किसी भी परिस्थिति में या जीवन के किसी भी मोड़ पर आपको विचारों की आजादी आपके अनुभव और ज्ञान के आधार पर दी जाती है। आपके पास जिस परिस्थिति का जितना अधिक अनुभव या जितना अधिक ज्ञान होगा आप उस परिस्थिति में उतने ही अधिक आजादी के हकदार होंगे। अगर जीवन की परिस्थिति में खुश रहना है और बेहतरीन जीवन को पाना है तो अपने अनुभव और अपने ज्ञान को बढ़ाइए।
  • ज्ञान और विज्ञान दो अलग चीजें हैं और दोनों पर आप जितना अधिक काबू करेंगे आपका जीवन उतना ही आनंद में होगा। 
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डॉ राधाकृष्णन का राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

1947 में जब देश आजाद हुआ तब देश के नियम कानून और गणतंत्र मजबूत नहीं थे इस वजह से जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर एक सफल व्यक्ति के रूप में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को राजनीति में आने का निमंत्रण दिया गया। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1947 से 1949 तक स्वाधीनता निर्मात्री सभा में राजदूत के रूप में काम किया और सोवियत संघ रूस के एक राजदूत के रूप में भारत के तरफ से भारत का प्रतिनिधित्व किया। 

इसके बाद 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक लगातार दो बार भारत के उपराष्ट्रपति बने और भारतीय राजनीति में उस वक्त जितने भी लोग थे सब डॉक्टर सर्वपल्ली से बहुत प्रभावित थे और उनकी प्रशंसा करते थे। इसी दौरान 5 सितंबर 1962 को उनके जन्म दिवस को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाने की तैयारी की जा रही थी जिस वक्त उन्होंने अपने जन्मदिवस को देश के सभी शिक्षकों को समर्पित करने का निवेदन किया। जिसके बाद 5 सितम्बर 1962 से डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।

इसके बाद 1962 में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत का दूसरा राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। मगर डॉ राजेंद्र प्रसाद की तुलना में इनका कार्यकाल ज्यादा चुनौती भरा था क्योंकि यह वह दौर था जब भारत पाकिस्तान और चीन से लड़ाई लड़ रहा था। 1962 में चीन के साथ भारत का एक युद्ध हुआ जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा और उसी दौरान पाकिस्तान से लगातार दो बार भारत को युद्ध करना पड़ा। हालांकि पाकिस्तान के साथ भारत ने दोनों बार जीत हासिल की और उसके बाद भारत के 2 प्रधानमंत्री का निधन सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कार्यकाल के दौरान ही हुआ जिस वजह से बहुत सारे राजनीतिक गतिविधियों में उन्हें अलग-अलग प्रकार के विवाद का सामना करना पड़ा।

मगर 1972 में उन्होंने स्वयं को राजनीति से अलग कर लिया और बहुत अधिक बीमार रहने लगे मगर 13 अप्रैल 1975 को वे बीमारी के साथ अपनी जंग हार गए और परम समाधि में लीन हो गए। उसी साल मरणोपरांत उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

FAQ’s: Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi

Q. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म कब हुआ?

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तुर्माणी गांव में हुआ था।

Q. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की पत्नी कौन थी?

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का विवाह महज 16 वर्ष की उम्र में शिवमुक से हुआ था जिनसे उन्हें पांच बेटी और एक बेटा हुआ।  

Q. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहां के शिक्षक थे?

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज के शिक्षक रहे इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र पढ़ाया और इसके बाद मद्रास यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और बनारस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे।

Q. शिक्षक दिवस कब से मनाया जा रहा है?

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस 5 सितंबर 1962 से भारत में इस दिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जा रहा है।

निष्कर्ष

आशिक में हमने आपको Dr. Radhakrishnan Biography in Hindi सरल शब्दों में समझाने का प्रयास किया। उम्मीद करते हैं इस लेख को पढ़ने के बाद अब डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन को एक नए नजरिए से देख पाए होंगे उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में शिक्षा और दर्शनशास्त्र को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। साथ ही चुनौती भरे वक्त में भारत के एक बेहतरीन राष्ट्रपति के रूप में भारत का नेतृत्व भी किया। अगर इस लेख को पढ़ने के बाद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से आप कुछ सीख पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथी अपने सुझाव और विचार को कमेंट में बताना ना भूलें।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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