Rajasthan Pashu Mela:- राजस्थान का पशु मेला पूरी दुनिया में फेमस है। यहां पर कई शहरों में पशु मेले का आयोजन किया जाता है, जिसकी तारीख अलग-अलग है। Rajasthan के प्रत्येक अंचल में उत्साह एवं उमंग के साथ पशु मेले आयोजित किए जाते हैं। राजस्थान में Cattles को एक परिवार के सदस्य के रूप में रखा जाता है। पशुपालन की परंपरा यहां काफी देखने को मिलती है। देश ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग यह मेला देखने यहां आते हैं। इन मेलों के नाम लोक देवता के नाम पर रखे जाते हैं, जिसमें भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने कहा था – एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आंका जा सकता है कि वहां जानवरों से कैसा व्यवहार किया जाता है। ‘पशु’ किसान का धन है, यह मेले पर्यटन और पशुपालन के लिए भी अहम स्थान रखते हैं। Rajasthan में हर साल 250 पशु मेले का आयोजन होता है। है।यहां पर भिन्न-भिन्न तरह के हजारों जानवरों को खरीदा और बेचा जाता है। इस लेख में हम आपको पशु मेला,राजस्थान,महाशिवरात्रि,पशु मेला करौली,बलदेव पशु मेला,पुष्कर पशु मेला,राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला, mallinath pashu mela,पशु मेला की विशेषताएं इन सबके बारे में बताएंगे।
RAJASTHAN PASHU MELA 2023
टॉपिक | पशु मेला राजस्थान |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
साल | 2023 |
पशु मेला कहा लगता है | राजस्थान |
राजस्थान में कितने पशु मेले लगते है | 250 |
दुनिया का इकलोता पशु मंदिर कहां है | पुष्कर |
भारत की कुल पशु संपदा में राजस्थान का स्थान | दूसरे |
भारत की कुल पशु संपदा में राजस्थान कितना फीसदी है | 11.27 फीसदी |
राजस्थान का सबसे बड़ा पशु मेला | Biggest cattle fair of Rajasthan
भारत की कुल पशु संपदा में राजस्थान की भागीदारी,राजस्थान की पशु संपदा अतुलनीय है और आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। देश भर में ऊटों और बकरियों की संख्या के लिहाज से राजस्थान का स्थान देश में सिरमौर बना हुआ है। भारत की कुल पशु संपदा में 11.27 फीसदी भागीदारी के साथ राजस्थान राज्य दूसरे स्थान पर है। श्री रामदेव पशु मेला, नागौर (World Famous Ramdev Cattle Fair in Nagaur)पूरे भारत में सुंदर और आकर्षक नागौरी नस्ल के बैल विख्यात है। इस नस्ल के बैलों का पशु मेला श्री रामदेव पशु मेले के नाम से राजस्थान के नागौर जिला मुख्यालय पर लगता है। हिंदी पंचांग के मुताबिक हर साल माघ शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक लोक परंपराओं के अनुसार इस मेले का आयोजन होता है।
फिलहाल अभी तक कोई तिथि तो नहीं आई, लेकिन संभावित तारीख 22 जनवरी से 5 फरवरी तक इस पर मुहर लग सकती है। पशु पालन विभाग ने इस पशुमेला की तैयारियां शुरू कर दी हैं। टेंडर निकाले जाने के बाद विभाग सफाई के इंतजाम में जुट गया है। इसलिए लगता है मेला – यहां एक कहावत है नागौर शहर की सीमा से लगे हुए मानासर गांव के समतल भू-भाग पर बाबा रामदेव की प्रतिमा स्वत: प्रकट हुई। श्रध्दालुओं ने इस भूमि पर छोटे से मंदिर का निर्माण कराया। मेले में आने वाले पशुपालक यहां बने मंदिर में लोक देवता श्री रामदेव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने पशुओं के स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
श्री शिवरात्रि पशु मेला करौली | Pashu Mela Karauli Rajasthan
राजस्थान के सिध्द क्षेत्र करौली में श्री शिवरात्रि पशु मेला आयोजित किया जाता है। मेले का आयोजन करौल परकोटे के बाहर दक्षिण-पूर्व स्थित शिव मंदिर के सामने, मेला मैदान में शुक्ल पूर्णिमा से फाल्गुन कृष्ण सप्तमी तक हर साल लगता है।सदियों से करौली गौवंश रक्षक भगवान श्री कृष्ण के यदुवंश की राजधानी भी रहा है। सप्ताह भर तक चलने वाले इस मेले में शामिल होने के लिए Rajasthan, Haryana, Uttar Pradesh और Madhya Pradesh से भी पशुपालक आते हैं। इस मेले में हरियाणा नस्ल के बैलों की बेहद मांग रहती है। मेले में पशुपालकों के मनोरंजन हेतु प्राचीन परंपरागत लोक संगीत, लांगुरिया नृत्य, हैलाख्याल दंगल, नौटंकी, कवि सम्मेलन आदि का आयोजन भी किया जाता है। मेले में आने वाले पशुपालक कैलादेवी, मदनमोहन जी तथा जैन मंदिर का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अतीत में यहां जवाहरात की दुकानें भी लगती थी।
Mallinath Pashu Mela | मल्लीनाथ पशु मेला 2023
वीर योध्दा रावल मल्लीनाथ जी की स्मृति में आयोजित होने वाले इस पशु मेले का आयोजन हरसाल चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक किया जाता है। इस पशु मेले में कांकरेज नस्ल के बैल, मालानी नस्ल के घोड़े और ऊंटों की बिक्री होती है। इस मेले का आयोजन मार्च में किया जाएगा।
बलदेव पशु मेला | Baldev Sashu Mela
इसका आयोजन नागौर जिले में हर साल तीन राज्य स्तरीय पशुमेले के तौर पर किया जाता है। लोकप्रिय किसान नेता श्री बलदेव राम मिर्धा की स्मृति में इसका आयोजन होता है। यह हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तक आयोजित होता है। यह अप्रेल महीने में आयोजित होगा।
श्री गोमती सागर पशु मेला, झालरापाटन (झालावाड़)/ Gomtisagar Pashu Mela Jhalawar
झालावाड़ जिले के झालरापाटन नामक नगर में प्रतिवर्ष श्री गोमती सागर पशु मेला, वैशाख शुक्ल त्रयोदशी से ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी तक भरता है। यह पशु मेला हाड़ौती क्षेत्र का एक प्रसिध्द मेला है, जहां मालवी नस्ल के बैलों की खरीद-बिक्री होती है। यहां आने वाले लोग पवित्र गोमती सागर तट पर स्नान करते हैं और सूर्य मंदिर में दर्शन करते हैं।
वीर तेजाजी पशु मेला, परबतसर (नागौर)/ Veer Tejaji Cattle Fair
कृषि कार्यों और गौरक्षक देवता के रूप में पूजनीय लोक देवता वीर तेजाजी की स्मृति में यह मेला परबतसर में लगता है। हिंदी पंचांग के मुताबिक यह प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक लगता है।
श्री गोगामेड़ी पशु मेला, गोगामेड़ी (हनुमानगढ़)/ Gogamedi Cattle Fair
श्री गोगामेड़ी पशु मेला हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक लोक देवता गोगाजी की स्मृति में हर साल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक लगता है। हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील में गोगामेड़ी नामक जगह पर इसका आयोजन होता है। यहां पर ऊंटों की भारी संख्या में खरीद-बिक्री होती है। यह स्थान गुरू गोरखनाथ और गोगा जी के शिष्यों के लिए काफी पवित्र स्थल है।
श्री जसवंत प्रदर्शनी एवं पशु मेला, भरतपुर / Jaswant Pradarshni and Cattle Fair Bharatpur
यह मेला हर साल आश्विन शुक्ल पंचमी से आश्विन शुक्ल चतुर्दशी तक भरतपुर मे भरता है। मेले में खेलकूद प्रतियोगिताएं एवं विशाल कुश्ती दंगल के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत नौटंकी, कव्वाली एवं कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है।
पुष्कर पशु मेला ( Pushkar Pashu Mela 2023)
ब्रम्हा् जी ने पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक यज्ञ किया था, जिसकी स्मृति में यहां पर अनादिकाल से यहा कार्तिक मेला लगता है। यहां का पशु मेला काफी लोकप्रिय है, जो प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया तक लगता है। पूरी दुनिया से यहां पर लोग इस मेले को देखने आते हैं।
नाग पहाडियों के बीच बसा यह तीर्थ गुरू पुष्कर सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा् की यज्ञस्थली और ऋषियों की तपस्थली रहा है। यहां हर साल विश्वविख्यात कार्तिक पशु मेला लगता है। इसी जगह पर महर्षि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र और आचार्य भरत ने नाट्यशास्त्र की रचना की थी। इस जगह पर जमदाग्नि ऋषि और अगस्त्य मुनि ने तप किया था। पुष्कर को धार्मिक नगरी भी कहा जाता है। यहां की पुष्कर झील में स्नान करना शुभ माना जाता है। यहां की असीम शांति और पवित्रता की वजह से विदेशी पर्यटकों का यहां जमावड़ा हर वक्त देखने को मिलता है।
पशु मेले की विशेषताएं
1. मेले में पशुओं की खरीद-फरोख्त आसानी से की जाती है।
2. लोगों को कम दाम पर अच्छे नस्ल के पशु मिल जाते हैं।
3. पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
4. देश-विदेश से लोग मेले को देखने आते हैं और मनोरंजन करते हैं।
5. दुनिया का सबसे बड़ा ऊंट का मेला पुष्कर में काफी भव्य आयोजन किया जाता है।
FAQ’s Rajasthan Pashu Mela
Q. विश्व प्रसिध्द ब्रम्हा् जी का मंदिर कहां है?
Ans. पुष्कर में विश्व प्रसिध्द ब्रम्हा् जी का मंदिर है।
Q. श्री गोगामेड़ी पशु मेला कहां आयोजित होता है?
Ans. हनुमानगढ़ जिला में श्री गोगामेड़ी पशु मेला आयोजित होता है
Q. श्री रामदेव पशु मेला कहां लगता है?
Ans. नागौर में श्री रामदेव पशु मेला लगता है।
Q. राजस्थान में कुल कितने मेले लगते हैं?
Ans. राजस्थान में कुल 250 मेले लगते हैं।