Gangaur Puja 2023:- जैसे कि हम जानते है कि साल 2023 को होली का त्योहार मनाया जाएगा। होली के ठीक दूसरे दिन से गणगौर पूजा 2023 पूरे भारत में धूम धाम से मनाएं जाने की शुरुआत हो जाएगी। गणगौर पूजा पूरे 18 दिन का त्योहार होता है। वहीं गणगौर पूजा 2023, 24 मार्च को मनाई जाएगी। गणगौर पूजा के लिए महिलाओं द्वारा 18 दिन तक उपवास रखा जाता है। इस लेख में हम आपको गणगौर पूजा से जुड़ी सारी जानकारी देंगे। इस लेख में आपको हम ये बताएंगे कि गणगौर पूजा कब हैं। वहीं इसके साथ ही आपको पता लगेगा कि गणगौर की पूजा क्यों की जाती है।
अब Gangaur Puja गणगौर पूजा कब है और गणगौर की पूजा क्यों की जाती है के बारे में जानने के बाद गणगौर पूजा विधि के बारे में भी आपको बताया जाएगा, क्योंकि हिंदू धर्म में हर पूजा विधि विधान के साथ की जाती है। जैसे कि गणगौर पूजा विधि के साथ की जाती है वहीं इस पूजा को करने का मुहूर्त होता है। इस लेख में हम आपको गणगौर पूजा मुहूर्त के बारे में भी जानकारी देंगे। इसके साथ ही इस लेख में आपको गणगौर की कहानी भी मिल जाएगी। इस लेख में आपको हम गणगौर पूजा से जुड़ी सारी जानकारियां देंगे जिससे आपका इस पर्व को लेकर ज्ञान और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।इस लेख को पूरा पढ़े और गणगौर पूजा 2023 के बारे में सब कुछ जानें।
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Gangaur Puja 2023
गणगौर पूजा कब हैं? | Gangaur Pooja Kab Hai
जैसे कि हमने अपने लेख कि शुरुआत में बताया था कि इस आर्टिकल में आपके कई सवालों के जवाब दिए जाएंगे। इस पॉइन्ट में हम आपको बताएंगे कि गणगौर पूजा कब है। वैसे तो हर साल आने वाली गणगौर पूजा की तारीख फिक्स नहीं होती है क्योंकि ये तिथि के बेसिस पर इस पर्व को मनाया जाता है। Gangaur Puja गणगौर पूजा चैत्र महीने कि तृतीय पर मनाया जाता है। साल 2023 में ये तिथि 24 मार्च को पड़ रही है, तो पूरा भारत में इस दिन गणगौर पूजा मनाई जाएगी। गौरतलब है कि गणगौर का त्योहार राजस्थान के सबसे रंगीन और प्रमुख त्योहारों में से एक है।
गणगौर राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार में विवाहित और अविवाहित दोनों तरह की महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की सुख-समृद्धि और सुख-समृद्धि के लिए गौरी की पूजा करती हैं, जबकि अविवाहित स्त्रियाँ सुहागिन वर पाने के लिए उनकी पूजा करती हैं।देवी पार्वती को अनुग्रह, पत्नी, वैवाहिक प्रेम और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए महिलाओं के लिए गणगौर का बहुत महत्व है।
टॉपिकl | गणगौर पूजा 2023 |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
साल | 2023 |
गणगौर पूजा 2023 | 24 शुरु |
वार | शुक्रवार |
तिथि | चैत्र माह तृतीया |
तिथि शुरुआत | 23 मार्च शाम 6 बजकर 20 मिनट |
तिथि समापन | 24 मार्च शाम 4 बजकर 59 मिनट |
किसकी पूजा | शिव-पार्वती |
कौन पूजा करता है | विवाहित और अविवाहित महिलाएं |
गणगौर की पूजा क्यों की जाती हैं? | Gangaur Puja Kyo Ki Jathi Hai
हिंदू संस्कृति में तीज का महत्व अपार है। यह एक ऐसा दिन है जो भगवान शिव और देवी पार्वती के बीच विवाह और प्रेम का जश्न मनाता है। ऐसा माना जाता है कि कई दिनों और महीनों के अलगाव के बाद ही देवी पार्वती का भगवान शिव के साथ पुनर्मिलन हुआ था। विवाहित महिलाएं गौरी पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करती हैं जबकि अविवाहित महिलाएं एक आदर्श जीवन साथी के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं। कहा जाता है कि गौरी तीज मनाने और उसका पालन करने वाले भक्तों को सुख, समृद्धि और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
गणगौर पूजा मुहूर्त | Gangaur Puja Muhoort
गणगौर पूजा हर हिंदू पूजा कि तरह मुहूर्त पर की जाती है। इस बिंदू में हम आपको गणगौर पूजा मुहूर्त के बारे में बताएंगे। जैसे कि हम आपको पहले ही बता चूकें है कि गणगौर पूजा चैत्र महीने की तृतीया तिथी पर की जाती है।साल 2023 में चत्र माह कि तृतीया तिथि शुरु 23 मार्च को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर शुरु होगी जोकि दूसरे दिन यानि की 24 मार्च शाम 04 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। इसलिए इस साल 24 मार्च के दिन Gangaur Puja गणगौर पूजा मनाई जाएगी। गणगौर का त्योहार 16-18 दिन का पर्व होता है जोकि होली के दूसरे दिन से शुरु हो जाती है। 18 दिन तक महिलाओं द्वारा पूजा की जाती है और उपवास भी की जाती है।
गणगौर पूजा विधि | Gangaur Puja Vidhi
गणगौर पूजा विधि के बारे में हम इस पॉइन्ट में आपको बताएंगे। लेकिन उससे पहले हम फिर से बता दें कि ये 18 दिन कि पूजा की जाती है। पूजा करने से पहले महिलाएं ना कुछ खाती है ना ही कुछ पी सकती है। वहीं गणगौर का व्रत कुछ महिलाओं द्वारा पूरे 18 दिनों के लिए रखा जाता है वहीं कुछ महिलाएं आखिरी दिन इसका उपवास करती है। आगे हम आपको एक के बाद एक गणगौर पूजा विधि के बारे में बता रहे है जो कुछ इस प्रकार है।
- गणगौर की मूर्ति को लकड़ी के “पाटा” या चबूतरे पर साफ सुथरे स्थान पर स्थापित करें। वैकल्पिक रूप से गणगौर चार्ट को उस दीवार पर चिपकाएं जहां पूजा की जाएगी। इसके साथ ही एक सादा सफेद कागज भी मूर्ति के पास चिपका दें।
- अपने माथे पर “तिलक” या “कुमकुम” और चावल लगाएं।
- हरी घास (दूब) लें और उनके किनारे से क्रमश: सभी मूर्तियों के लिए 8 तीलियां निकाल लें। अविवाहित लड़कियों के लिए, यह प्रत्येक के लिए 16 है। इन छड़ियों का उपयोग मूर्तियों के लिए टूथब्रश के रूप में किया जाता है, इसलिए प्रत्येक मूर्ति के लिए इसके साथ थोड़ा पानी लें और उन्हें अपने मुंह से लगाएं।
- गणगौर पूजा Gangaur Puja करने के लिए कुछ और घास लें और इसे पूजा होने तक अपने हाथ में रखें।
- मूर्ति के माथे पर तिलक लगाएं।
- मोली या लाल धागा और फूल अर्पित करें और मोली को अपने हाथ में बांध लें।
- मूर्तियों को फल चढ़ाएं।
- सादे सफेद कागज पर कुमकुम, मेहंदी और काजल की 8-8 छोटी-छोटी बिंदियां बनाएं और अविवाहित लड़कियों और नवविवाहित महिलाओं के लिए 16-16-16 बिंदु बनाएं।
- अपने हाथों में दूब वाला कुछ जवारा लें और उन्हें ताजे पानी के कलश में डुबोएं और उस जल को जवारे से मूर्तियों पर छिड़कें। गणगौर गीत गाते हुए यही क्रिया करते रहें और कहानी सुनते हुए अपने हाथ में रख लें।
Gangaur Puja Vidhi
- कहानी समाप्त होने के बाद दूब और जवारा से अपने सिर पर जल छिड़कें। ये दूब और जवारा मूर्ति को अर्पित करें और कुछ टुकड़े अपने दोनों हाथों की चूड़ियों में बांध लें।
- गणगौर को छींटे लगाने के बाद महिलाओं को अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कना चाहिए।
- अंत में, मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनें।
- इसके बाद आपको शाम को शुभ मुहूर्त में गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में इनका विसर्जन कर देना चाहिए।
- लड़कियां और महिलाएं मूर्तियों को तैयार करती हैं, विवाहित महिलाएं देवी गौरी की मूर्ति को अपने सिर पर ले जाती हैं और शुभ घंटों के दौरान आयोजित जुलूस में प्रस्थान गीत गाती हैं।
- पहले दो दिन देवी पार्वती की मूर्ति को वापस घर लाया जाता है। जुलूस के तीसरे और आखिरी दिन, महिलाएं अपने सिर पर मूर्तियों रख कर ले जाती हैं।
- इस दिन, दूल्हा-शंकर अपनी दुल्हन देवी पार्वती के साथ स्वर्ग जाते हैं। आने वाले वर्ष में गणगौर को और अधिक जोश और भव्यता के साथ मनाने की उम्मीद में भक्तों द्वारा अश्रुपूरित विदाई दी जाती है।
गणगौर की कहानी | Gangaur Story
एक बार भगवान शिव तथा माता पार्वती, नारदजी के साथ भ्रमण को निकले। चलते-चलते वे एक गाँव में पहुँच गए। उनके आगमन का समाचार सुनकर गांव की श्रेष्ठ कुलीन स्त्रियाँ उनके स्वागत के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने लगी। भोजन बनाते-बनाते उन्हें काफी विलंब हो गया।तब तक साधारण कुल की स्त्रियां श्रेष्ठ कुल की स्त्रियों से पहले ही थालियों में हल्दी तथा अक्षत लेकर पूजन हेतु पहुंच गई। पार्वतीजी ने उनके पूजा भाव को स्वीकार करके सारा सुहाग रस उन पर छिड़क दिया जिससे वे सभी स्त्रियां अखंड सुहाग का वर प्राप्त करके वापस आई। तत्पश्चात उच्च कुल की स्त्रियां भी अनेक प्रकार के पकवान लेकर माता गौरा और भगवान शिव की पूजा करने के लिए पहुंच गई। तब भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि सारा सुहाग रस तो तुमने साधारण कुल की स्त्रियों को ही दे दिया। अब इन्हें क्या दोगी?
Gangaur Story in Hindi
तब पार्वतीजी ने उत्तर दिया- ‘प्राणनाथ! आप इसकी चिंता मत कीजिए। उन स्त्रियों को मैंने केवल ऊपरी पदार्थों से बना रस दिया है। इसलिए उनका रस धोती से रहेगा। परंतु मैं इन उच्च कुल की स्त्रियों को अपनी उंगली चीरकर अपने रक्त का सुहाग रस दूंगी। यह सुहाग रस जिसके भाग्य में पड़ेगा, वे मेरे ही समान सौभाग्यवती हो जाएगीं। जब सभी स्त्रियों का पूजन पूर्ण हो गया, तब पार्वती जी ने अपनी उंगली चीरकर उन पर छिड़क दी। जिस पर जैसा छींटा पड़ा, उसने वैसा ही सुहाग पा लिया।
तत्पश्चात भगवान शिव की आज्ञा लेकर पार्वतीजी नदी तट पर स्नान करने चली गई और बालू से भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर पूजन करने लगी। पूजन के बाद बालू के पकवान बनाकर शिवजी को भोग लगाया। प्रदक्षिणा करके नदी तट की मिट्टी से माथे पर तिलक लगाकर दो कण बालू का भोग लगाया। इसके बाद उस पार्थिव लिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और माता पार्वती को वरदान दिया की जो कोई भी इस दिन पूजन और व्रत करेगा उसका पति चिरंजीवी होगा। यह सब करते-करते पार्वती जी को काफी समय लग गया।
Gangaur Ki Kahani
जब वे वापस उस स्थान पर आई जहां शिव जी और नारद जी को छोड़कर गई थी। शिव जी ने पार्वती जी से देर से आने का कारण पूछा। तो माता पार्वती ने कहा की वहां पर मेर भाई भाभी आदि पीहर के लोग मिलने आए थे, उन्हीं से बाते करने में विलंब हो गया। उन्होंने मुझ दूध भात खाने को दिया। भगवान शिव को भलिभांति सब ज्ञात था। तब दूध भात खाने के लिए शिव जी भी नदी की तट की ओर चल दिए। माता पार्वती ने मन ही मन भोलेशंकर से ही प्रार्थना की। कि है प्रभु यदि मैं आपकी अनन्य दासी हूँ तो आप इस समय मेरी लाज रखिए। उन्हें दूर नदी के तट पर माया का महल दिखाई दिया।
उस महल के भीतर पहुँचकर वे देखती हैं कि वहाँ शिवजी के साले तथा सलहज आदि सपरिवार उपस्थित हैं। उन्होंने गौरी तथा भगवान शंकर का भाव-भीना स्वागत किया। वे दो दिनों तक वहाँ रहे। जब तीसरा दिन आया तो पार्वती जी ने शिव जी से चलने के लिए कहा, पर शिवजी तैयार न हुए। वे अभी यहीं रूकना चाहते थे। तब पार्वती जी रूठकर अकेली ही चल दी। ऐसे में शिव जी को पार्वती जी के साथ चलना पड़ा। नारदजी भी साथ-साथ चल दिए। चलते-चलते वे बहुत दूर निकल आए। उस समय संध्या होने वाली थी। भगवान सूर्य पश्चिम की ओर जा रहे थे। तभी अचानक भगवान शंकर पार्वतीजी से बोले कि मैं तुम्हारे मायके में अपनी माला भूल आया हूं।
Gangaur History in Hindi
भगवान शिव की बात सुनकर पार्वती जी ने कहा कि ठीक है, मैं ले आती हूँ, परंतु भगवान ने उन्हें जाने की आज्ञा न दी और इस कार्य के लिए नारद जी को वहां भेज दिया। जब नारद जी वहां पहुंचते है तो देखते हैं कि चारो ओर जंगल ही जंगल है और वहां कोई महल नहीं है। तब वे मन ही मन विचार करते हैं कि कही मैं रास्ता तो नहीं भटक गया कि तभी बिजली चमकती है और नारदजी को शिवजी की माला एक पेड़ पर टंगी हुई दिखाई देती है। तब वे माला लेकर शिव जी के पास पहुंचते हैं और सारा हाल कह सुनाते हैं।
तब शिवजी ने हंसकर कहा- ‘नारद! यह सब पार्वती की ही लीला है। इस पर माता पार्वती बोली- ‘मैं किस योग्य हूं। ये सब तो आपकी ही कृपा है। तब नारदजी ने सिर झुकाकर कहा- ‘माता! आप पतिव्रताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं। यह सब आपके पतिव्रत का ही प्रभाव है, और इस तरह से नारद जी ने मुक्त कंठ से माता पार्वती की प्रशंसा करते हुए कहा, मैं आशीर्वाद रूप में कहता हूं कि जो स्त्रियां इसी तरह गुप्त रूप से पति का पूजन करके मंगलकामना करेंगी, उन्हें महादेवजी की कृपा से दीर्घायु वाले पति का संसर्ग मिलेगा, इसलिए गणगौर पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजन किया जाता है।
FAQ’s गणगौर पूजा 2023 | गणगौर पूजा कब हैं?
Q. गणगौर महोत्सव का आयोजन कब किया जाता है?
Ans. भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित यह लोकप्रिय त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार तृतीया तिथि, शुक्ल पक्ष, चैत्र माह में मनाया जाता है। गणगौर महोत्सव 2023 08 मार्च 2023 – 24 मार्च 2023 को मनाया जा रहा है।
Q. गणगौर पर्व की तृतीया तिथि साल 2023 में कब से शुरू होगी?
Ans. गणगौर पर्व की तृतीया तिथि 23 मार्च को शाम 6:20 बजे से शुरु होगी जो कि 24 मार्च शार्म 04 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।
Q. हम गणगौर का त्यौहार क्यों मनाते हैं?
Ans. विवाहित महिलाएं सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं और अविवाहित महिलाएं एक अच्छे पति की कामना करती हैं।
Q. गणगौर पर्व के लिए महिलाओं द्वारा कितने दिनों का उपवास रखा जाता है?
Ans. गणगौर पर्व के लिए महिलाओं द्वारा 18 दिनों तक का उपवास रखा जाता है।