तुलसीदास जी का जीवन परिचय | Tulsidas ji ka Jeevan Parichay: तुलसीदास के गिनती भक्ति काल के सर्वश्रेष्ठ कवियों में किया जाता है उन्होंने अपने दोहे और चौपाईयों के माध्यम समाज में एक नई जागृति दिलाने का प्रयास किया है उन्होंने रामचरितमानस काव्यशास्त्र लिखे थे जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म के आराध्य भगवान राम के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया है रामचरित मानस का आम जनमानस पर विशेष प्रभाव रहा है इस पवित्र काव्यशास्त्र को पढ़ने के बाद आप भगवान राम को और भी करीब से जान पाएंगे | भारत में तुलसीदास के जन्मदिन को Tulsidas jayanti के रूप में 23 अगस्त को मनाया जाता है हम सभी लोग अपने घर में जो हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं उसकी रचना भी गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा की गई है तुलसीदास को मशहूर ऋषि बाल्मीकि का अवतार माना जाता है |
ऐसा कहा जाता है कि रामचरितमानस की रचना करने में उनकी मदद भगवान हनुमान जी के द्वारा की गई थी | उन्होंने रामचरितमानस के अलावा रामलीला नहछु, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका, कृष्ण गीतावली, गीतावली आदि। ऐसे में आप भी गोस्वामी तुलसीदास के जीवन के प्रत्येक पहलू के बारे में जानना चाहते हैं जैसे-: तुलसीदास जी का परिवार (family): Tulsi Das Education, tulsidas ka jivan parichay ‘तुलसीदास जी प्रसिद्ध कथन (Quotes) संबंधित चीजों के बारे में हम आपको विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्ध करवाएंगे इसलिए आपसे अनुरोध है कि हमारे आर्टिकल को आखिर तक पढ़े:-
Tulsi Das ka Jivan Parichay | Tulsidas Biography in Hindi– Overview
पूरा नाम | गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulasidas) |
बचपन का नाम | रामबोला |
उपनाम | गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि |
जन्मतिथि | 1511 ई० इतिहासकारों के अनुसार |
उम्र | मृत्यु के समय 112 वर्ष |
जन्म स्थान | सोरों शूकरक्षेत्र, कासगंज , उत्तर प्रदेश, भारत |
मृत्यु की तारीख | 1623 ई० |
मृत्यु का स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
गुरु | नरसिंहदास |
कौन से धर्म के थे | हिन्दू |
पत्नी का नाम | रत्नाबाली |
तुलसीदास जी प्रसिद्ध कथन (Quotes) | सीयराममय सब जग जानी।करउँ प्रणाम जोरि जुग पानी ॥(रामचरितमानस १.८.२) |
प्रसिद्ध साहित्यिक रचनायें | रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, हनुमान चालीसा, वैराग्य सन्दीपनी, जानकी मंगल, पार्वती मंगल, इत्यादि |
तुलसीदास जी का परिवार (Family)
पिता का नाम (Father) | आत्माराम शुक्ल दुबे |
माँ का नाम (Mother) | हुलसी दुबे |
पत्नी का नाम (Wife) | बुद्धिमती (रत्नावली) |
बच्चो के नाम (Children) | बेटा – तारकशैशवावस्था में ही निधन |
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Tulsi Das ji ka Jivan Parichay | तुलसीदास जी (रामबोला) का बचपन (Early life)
तुलसीदास के जन्म को लेकर अलग-अलग मत व्यक्त किए गए हैं इनका जन्म 1511 में कासगंज , उत्तर प्रदेश में एक सर्यूपारिय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इनका जन्म चित्रकूट में हुआ था इतिहास में इनके जन्म को लेकर अलग-अलग प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं जन्म के समय इनके मुंह से सबसे पहले राम निकला था जिसके बाद ही इनका नाम रामबोला रखा गया | जन्म के बाद ही उनके माता का स्वर्गवास हो गया जिसके बाद पिता ने इन्हें मनहूस समझकर त्याग दिया था | इनके पिता का नाम आत्माराम शुक्ला दुबे और माता का नाम हुलसी दुबे था | तुलसीदास के जन्म से संबंधित एक काफी रोचक प्रसंग है कहा जाता है कि तुलसीदास का जन्म 12 महीने गर्भ में रहने के बाद हुआ था जन्म के समय उनके मुंह में दांत था जिसे देखकर लोग आश्चर्य चकित हो गए थे |
तुलसीदास जी की शिक्षा (Education)
Tulsidas Education: गोस्वामी तुलसीदास की प्राथमिक शिक्षा गुरु नरसिंह दास जी के आश्रम में जाकर उन्होंने प्राप्त किया आश्रम में तुलसीदास 14 से 15 साल तक रहे इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की। गोस्वामी तुलसीदास का नामकरण इन के गुरु नरसिंह दास के द्वारा किया गया था शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह अपने निवास स्थान चित्रकूट चले गए जहां लोगों को राम और महाभारत कथा सुनाते थे |
तुलसीदास का विवाह | Tulsidas Biography in Hindi
Tulsidas Vivah : तुलसीदास के उम्र जब 29 साल से तो उनकी शादी रत्नावली नाम की लड़की के साथ हुआ है तो काफी खूबसूरत थी शादी के बाद तुलसीदास पूरी तरह से अपनी पत्नी की प्यार में खो चुके थे | लेकिन एक बार उनकी पत्नी मायके चली गई अपनी पत्नी का भी और उनसे सहा नहीं गया और अपने पत्नी से मिलने का उन्होंने निश्चय किया लेकिन उस समय काफी तेज बारिश हो रही थी ऐसे में उन्होंने बारिश की परवाह किए बिना अपने पत्नी के घर पहुंचे परंतु वहां पर दरवाजा बंद था इसके बाद उन्होंने घर की दीवार के द्वारा अपने पत्नी कक्षा में प्रवेश किया जब पत्नी ने उन्हें देखा तो वह काफी क्रोधित हुए और उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आप मेरे प्यार में इतना खो गए हैं अगर आप उसका कुछ प्रतिशत भगवान श्री राम के भक्ति में खो जाते हैं तो आपका जीवन धन्य हो जाता है पत्नी की इस बात को सुनने के बाद उनका मन सांसारिक मोह माया से भंग हो गया जिसके बाद उन्होंने अपना घर त्याग कर राम की भक्ति में अपना पूरा जीवन उन्होंने समर्पित कर दिया |
तुलसीदास का तपस्वी बनना | Tulsidas ka Janm kab aur kahan hua
तुलसीदास तपस्वी कैसे बने उसके संबंध में एक कथा प्रचलित है कहा जाता है कि जब तुलसीदास का विवाह रत्नावली नाम की एक सुंदर कन्या से हुआ तो तुलसीदास उसके प्यार में पूरी तरह से खो चुके थे हर वक्त उन्हें अपने पत्नी का ख्याल आता था | एक बार उनकी पत्नी मायके चली गई जिसके बाद उनका मन काफी व्याकुल हो गया और वह अपने पत्नी से मिलने का निश्चय किया परंतु वर्षा अधिक हो रही थी इसके बावजूद भी उन्होंने वर्षा की परवाह किए बिना उस घन घोर अंधेरी रात में पत्नी के घर पहुंचे परंतु पत्नी के घर का दरवाजा बंद था तो उन्होंने दीवार पार कर कर अपने पत्नी के कमरे में प्रवेश किया तुलसीदास को अपने कमरे में देखकर उनकी पत्नी काफी क्रोधित हुई उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का मोह और प्यार उन्हें इस हाड मास के बने हुए शरीर से है अगर उतना ही मोह और प्यार भगवान श्रीराम से करते तो आपका जीवन सुधर जाता पत्नी के इस बात का उनके हृदय पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा और उन्हें उसी वक्त सांसारिक मोह माया त्याग कर भगवान श्रीराम की खोज के लिए निकल पड़े जिसके बाद वह भारत के विभिन्न जगहों पर भ्रमण करने लगे और 14 साल तक उन्होंने कठिन तपस्या की इस प्रकार तुलसीदास तपस्वी बन गए
तुलसीदास गुरु का नाम | Tulsi Das Ke Guru
Tulsi Das Ke Guru Name: तुलसीदास के गुरु का नाम नरसिंह दास जी है उनके माध्यम से उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी जैसा की आप लोगों को मालूम है कि तुलसीदास का नाम राम बोला था ऐसे में उनका नाम तुलसीदास उनके गुरु ने रखा था |
तुलसीदास जी की हनुमान जी से मुलाक़ात | Tulsidas Ji Hanuman Ji Se Mulakat
इस आर्टिकल में तुलसीदास के बारे में कहा जाता है कि उनकी मुलाकात भगवान हनुमान जी से हुई थी इस संबंध में वह लिखते हैं कि एक बार में बैराग्य धारण कर वाराणसी में रह रहे थे 1 दिन हुआ बनारस की घाट पर जा रहे थे तभी रास्ते में मुलाकात एक साधु से हुई जो भगवान राम का जाप कर रहा था इसके बाद तुलसीदास ने कहा है कि मैं आपको पहचान गया हूं आप कौन हैं! इसलिए मैं आपको जाने नहीं दूंगा मेरा तो जीवन धन्य हो गया आपके दर्शन पाकर | जिसके बाद साधु ने कहा कि हे तपस्वी आपका भला भगवान श्रीराम करेंगे और मैं आपको आशीर्वाद देता हूं कि आप जब भी चित्रकूट में आएंगे आप को भगवान श्री राम के साक्षात दर्शन प्राप्त होंगे
तुलसीदास जी की भगवान रामजी से मुलाक़ात | Ram Ji Bhagwan Se Mulakat
Ram Ji Bhagwan Se Mulakat : तुलसीदास जी को भगवान श्री राम के दर्शन भी प्राप्त हुए थे इस संबंध में एक कहानी प्रचलित है कहा जाता है कि जब चित्रकूट में तुलसीदास आश्रम बनाकर रहते थे तो 1 दिन तुलसीदास कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने गए हुए थे। वहां पर उन्होंने दो राजकुमारों को घोड़े पर सवार होकर जाते हुए देखा लेकिन तुलसीदास उन्हें पहचान ना सके इस घटना को घटित होने के एक दिन बाद सुबह गंगा घाट के किनारे तुलसीदास चंदन का लेप बना रहे थे तब दो राजकुमार साधु का भेष धारण कर उनके पास आए जिसे देखकर तुलसीदास समझ गए कि यह और कोई नहीं बल्कि भगवान श्री राम और उनके भाई लक्ष्मण है | जिसके बाद तुलसीदास ने भगवान श्री राम को प्रणाम किया और अपने कुटिया में आने का आग्रह किया इसके बाद भगवान श्रीराम ने तुलसीदास चंदन का तिलक मांगा | तुलसीदास जी भगवान श्री राम के माथे पर चंदन का तिलक लगाया और पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया इस प्रकार तुलसीदास की मुलाकात भगवान श्री राम के साथ हुई थी |
तुलसीदास जी प्रसिद्ध कथन कोट्स | Tulsi Das Quotes
सुंदर वेष देखकर न केवल मूर्ख अपितु चतुर मनुष्य भी धोखा खा जाते हैं। सुंदर मोर को ही देख लो उसका वचन तो अमृत के समान है लेकिन आहार साँप का है। -आचार्य तुलसी
हे मनुष्य ,यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखरूपी द्वार की जीभरुपी देहलीज़ पर राम-नामरूपी मणिदीप को रखो। – आचार्य तुलसी
शत्रु को युद्ध में उपस्थित पा कर कायर ही अपने प्रताप की डींग मारा करते हैं। – आचार्य तुलसी
स्वाभाविक ही हित चाहने वाले गुरु और स्वामी की सीख को जो सिर चढ़ाकर नहीं मानता ,वह हृदय में खूब पछताता है और उसके हित की हानि अवश्य होती है। – आचार्य तुलसी
मुखिया मुख के समान होना चाहिए जो खाने-पीने को तो अकेला है, लेकिन विवेकपूर्वक सब अंगों का पालन-पोषण करता है। – आचार्य तुलसी
मंत्री, वैद्य और गुरु – ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से (हित की बात न कहकर) प्रिय बोलते हैं तो (क्रमशः) राज्य,शरीर एवं धर्म – इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है। – आचार्य तुलसी
मीठे वचन सब ओर सुख फैलाते हैं। किसी को भी वश में करने का ये एक मन्त्र होते हैं इसलिए मानव को चाहिए कि कठोर वचन छोडकर मीठा बोलने का प्रयास करे। – आचार्य तुलसी
धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। – आचार्य तुलसी
धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। – आचार्य तुलसीदास
आग्रह हर समन्वय को कठिन बनाता है, जबकि उदारता उसे सरल।
प्रलोभन और भय का मार्ग बच्चों के लिए उपयोगी हो सकता है। लेकिन सच्चे धार्मिक व्यक्ति के दृष्टिकोण में कभी लाभ हानि वाली संकीर्णता नहीं होती।
मनुष्य की धार्मिक वृत्ति ही उसकी सुरक्षा करती है। – आचार्य तुलसी
धार्मिक व्यक्ति दुःख को सुख में बदलना जानता है। – आचार्य तुलसी
धार्मिक वृत्ति बनाये रखने वाला व्यक्ति कभी दुखी नहीं हो सकता और धार्मिक वृत्ति को खोने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। – आचार्य तुलसी
आग्रह हर समन्वय को कठिन बनाता है, जबकि उदारता उसे सरल। – आचार्य तुलसी
लक्ष्य निश्चित हो, पाव गतिशील हों तो मंजिल कभी दूर नहीं होता।- आचार्य तुलसी
धर्म का काम किसी का मत बदलना नहीं , बल्कि मन बदलना है। – आचार्य तुलसी
सफलता का सबसे बड़ा सूत्र है व्यक्ति का अपना पुरुषार्थ।- आचार्य तुलसी
मानव वह होता है जो नए पाठ का निर्माण करे। – आचार्य तुलसी
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तुलसीदास का जीवन परिचय कक्षा 10 (Tulsidas Short Jivan Parichay in Hindi
Tulsidas Short Jivan Parichay in Hindi:- आप दसवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं और आप को Tulsidas Short Jivan Parichay in Hindi लिखना चाहते हैं तो हम आपको आसान भाषा में Tulsidas short Biography के बारे में जानकारी देंगे हम आपको बता गोस्वामी तुलसीदास का जन्म 15 अगस्त सन् 1532 ई० में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में राजापुर गाँव में हुआ था. तुलसीदास के जन्म के समझ में कहा जाता है कि जब इनका जन्म हुआ तो इनके मुंह से पहला शब्द राम निकला जिसके कारण उनका नाम राम बोला रखा गया | जन्म के समय इनके मुख में 32 दांत थी जिसके कारण इनके पिता ने इन्हें मनहूस समझ कर इनका परित्याग कर दिया | गोस्वामी तुलसीदास के गुरु का नाम स्वामी नरहरिदास था उनकी देखरेख में ही इन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण ग्रहण किया इसके बाद तुलसीदास ने रत्नावली नाम के सुंदर कन्या से विवाह किया विवाह होने बाद तुलसीदास अपनी पत्नी से बहुत ज्यादा प्रेम करते थे परंतु पत्नी के अपमानित किए जाने के कारण सांसारिक मोह माया छोड़कर भगवान श्री राम की खोज में निकल पड़े भारत के कई जगहों का उन्होंने भ्रमण किया और भगवान राम के भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित और हनुमान चालीसा जैसे महाकाव्य ग्रंथों लिखे थे | तुलसीदास ने अपना आखिरी जीवन काशी अयोध्या और चिरकुट में गठित किया 31 जुलाई सन 1623 में काशी के अस्सी घाट में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया
रामचरितमानस की रचना | Ramcharitmanas Ki Rachna
गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना 16 शताब्दी में किया गया था इस महा ग्रंथ में तुलसीदास ने दोहा और चौपाई के माध्यम से राम के पूरे जीवन का वर्णन काफी मनमोहक और सरल तरीके से किया है इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप अपने आराध्य राम को आसानी से जान सकते हैं इस महाकाव्य को अवधी भाषा में लिखा गया था|
गोस्वामी तुलसीदास की प्रसिद्ध साहित्यिक रचनायें
गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा कई प्रकार के प्रसिद्ध साहित्यिक रचना उनके द्वारा लिखी गई है जिसका पूरा विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं आइए जानते हैं-:
रचनायें | प्रकाशित वर्ष |
रामचरितमानस | 1574 ईस्वी |
रामललानहछू | 1582 ईस्वी |
वैराग्यसंदीपनी | 1612 ईस्वी |
सतसई | – |
बरवै रामायण | 1612 ईस्वी |
हनुमान बाहुक | – |
कविता वली | 1612 ईस्वी |
गीतावली | – |
श्रीकृष्णा गीतावली | 1571 ईस्वी |
पार्वती-मंगल | 1582 ईस्वी |
जानकी-मंगल | 1582 ईस्वी |
रामाज्ञाप्रश्न | – |
दोहावली | 1583 ईस्वी |
विनय पत्रिका | 1582 ईस्वी |
छंदावली रामायण | – |
कुंडलिया रामायण | – |
राम शलाका | – |
झूलना | – |
हनुमान चालीसा | – |
संकट मोचन | – |
करखा रामायण | – |
कलिधर्माधर्म निरूपण | – |
छप्पय रामायण | – |
कवित्त रामायण | – |
रोला रामायण | – |
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तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी लघु रचनाएँ
तुलसीदास के द्वारा निम्नलिखित प्रकार के लघु रचनाएं रचित की गई थी जिसका विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं आइए जानते हैं- तुलसीदास का जीवन परिचय और उनकी रचनाएँ
● वैराग्य संदीपनी’
● ’रामलला नहछू’,
● ’जानकी मंगल’,
● ’पार्वती मंगल’
● ’बरवै रामायण’
तुलसीदास जी का निधन (Death) | Tulsidas ki Mrityu
Tulsidas ki Mrityu: तुलसीदास की मृत्यु के संबंध में इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मृत्यु के अंतिम समय में तुलसीदास वाराणसी में रहा करते थे और आखरी जीवन के क्षणों में उन्होंने अपना पूरा जीवन राम के भक्ति में समर्पित कर दिया था 112 साल की उम्र में 1623 ईस्वी में उन्होंने अपने शरीर का त्याग कियाजबकि कुछ दूसरे इतिहासकार मानते हैं कि तुलसीदास की मृत्यु 1680 ईस्वी को 126 साल की उम्र में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में विनय पत्रिका पुस्तक लिखा था जिस पर भगवान श्री राम के हस्ताक्षर थे |
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Tulsidas ka Jivan Parichay (About Tulsidas in Hindi)
तुलसीदास जीवन परिचय(Tulsidas jivan Parichay): के बारे में बात करें तुलसीदास (Tulsidas Birth) का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश के बॉंदा जिले के राजापुर नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी देवी था | बाल अवस्था में उनके माता की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें अशुभ समझकर त्याग दिया इनका बचपन का भी अभाव ग्रस्त और तकलीफों में गुजरा था इसका लालन पोषण एक महिला ने किया था | इनकी प्रारंभिक शिक्षा गुरु नर सिंह दास जी के आश्रम में हुई थी जब उनकी उम्र 7 साल के हो गए तभी ने शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के लिए नरहरि बाबा) के आश्रम भेज दिया था। जहां पर 14 से 15 साल तक की उम्र तक इन्होंने सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की | उनके गुरु के द्वारा इनका नाम रामबोला की जगह गोस्वामी तुलसीदास कर दिया था | 29 साल की उम्र में इनका विवाह वाली नाम की कन्या के साथ हुआ था विवाह होने के बाद तुलसीदास उनके प्यार में पूरी तरह से डूब चुके थे एक दिन उनकी पत्नी मायके चली गई इसके बाद तुलसीदास काफी उदास रहने लगे उन्होंने निश्चय किया कि वह अपनी पत्नी से मिलने के लिए ससुराल जाएंगे लेकिन बहुत ही तेज बारिश हो रही थी इसके बावजूद भी वह अपने पत्नी के घर पहुंचे पत्नी उन्हें देखकर काफी ज्यादा कोई थोड़ी और उन्होंने कहा कि जिस प्रकार आपको हार मास से बने प्यार है वैसे मैं अगर आप भगवान राम से प्रेम करेंगे तो आपका जीवन सुधर जाएगा पत्नी की इस बात को सुनकर तुलसीदास ने सांसारिक मोह माया को छोड़कर भगवान श्री राम की खोज में निकल पड़े उन्होंने कई सालों तक कड़ी तपस्या की और इस दौरान उन्होंने कई ग्रंथों का निर्माण भी किया रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं गोस्वामी तुलसीदास ने 31 जुलाई 1623 को अपना शरीर त्याग कर पंचतंत्र में विलीन हो गए |
तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download
तुलसीदास का जीवन परिचय PDF Download:
Tulsidas Wikipedia in Hindi | तुलसीदास का जीवन परिचय
Tulis Jeevan parichay Hindi के बारे में बात करेगा तो:
तुलसीदास( Tulidas) के जन्म के संबंध में कई प्रकार के अलग-अलग धारणाएं प्रमाण के तौर पर प्रस्तुत किए गए हैं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इनका जन्म 15 अगस्त सन् 1532 ई० में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में राजापुर गाँव में हुआ था. तुलसीदास के जन्म के संबंध में कहा जाता है कि इनका जन्म 12 महीने गर्भ में रहने के बाद हुआ था जन्म समय इनके मुख में दांत था जिसे देखने के बाद लोग काफी आश्चर्यचकित हो गए जन्म के ठीक बाद माता की मृत्यु हो गई जिसके फल स्वरुप पिता के द्वारा इनका परित्याग कर दिया गया तुलसीदास ने अपनी शिक्षा अपने गुरु नरहरिदास के शरण में ग्रहण किया | तुलसीदास का विवाह रत्नावली कन्या के साथ हुआ था शादी होने के बाद तुलसीदास अपने पत्नी के प्यार में दिन रात दुबे रहते थे उनसे एक पल की जुदाई भी वह बर्दाश्त नहीं कर पाते थे 1 दिन उनकी पत्नी मायके चली गई और उनकी याद में पीछे-पीछे तुलसीदास तेज बारिश ने उनके घर पहुंच गए जिसे देखकर उनके पत्नी काफी क्रोधित हो गई पत्नी ने तुलसीदास से कहा कि जिस प्रकार आप मेरे प्यार में दिन रात खोए रहते हैं ऐसे में आप अगर भगवान श्री राम के प्यार में अपना जीवन समर्पित कर दे तो आपका पूरा जीवन धन्य हो जाएगा पत्नी के इस बात को सुनने के बाद तुलसीदास ने सांसारिक बंधन परित्याग किया और भगवान श्री राम की खोज में निकल गए | कई सालों तक भारत के विभिन्न जगहों के भ्रमण करने के बाद उन्होंने अपने आप को भगवान श्री राम के भक्ति के प्रति समर्पित कर दिया उन्होंने अपने भक्ति के शक्ति के द्वारा ही रामचरितमानस ग्रंथ लिखा जिसमें भगवान श्री राम के चरित्र के सभी पहलुओं के बारे में दोहा और चौपाई के माध्यम से वर्णन किया गया है 31 जुलाई सन 1623 में काशी के अस्सी घाट में उन्होंने अपना देह त्याग दिया |
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निष्कर्ष:
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल तुलसीदास जी का जीवन परिचय | Tulsidas ji ka आपको पसंद आया होगा इस आर्टिकल में हमने आपको तुलसीदास के जीवन से जुड़े हुए सभी पहलुओं के बारे में विस्तार पूर्वक विवरण दिया है इसके बावजूद भी अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो हमारे कमेंट बॉक्स में आकर आप कमेंट कर सकते हैं हम आपके कमेंट का अतः शीघ्र जवाब देने का भरसक प्रयास करेंगे और बायोग्राफी संबंधित लेटेस्ट जानकारी आप नियमित रूप से प्रयास करना चाहते हैं तो आप हमारे वेबसाइट को बुकमार्क कर लीजिए जैसे कोई बायोग्राफी संबंधित पोस्ट हमारे वेबसाइट पर पब्लिश होगी उसकी जानकारी आपको तुरंत मिल जाएगी तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में
FAQs: Tulsidas Biography in Hindi
Q. तुलसीदास जी के बचपन का क्या नाम था ?
Ans. तुलसीदास जी के बचपन का नाम रामबोला था।
Q. तुलसीदास जी की पत्नी का क्या नाम था ?
Ans. आपकी जानकारी के लिए बता दें की तुलसीदास की धर्मपत्नी का नाम रत्नावली था।
Q. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना कब की ?
Ans. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना 1631 में चैत्र मास की रामनवमी से लेकर 1633 में मार्गशीर्ष के बीच उन्होंने किया था
Q. हनुमान चालीसा का वर्णन हमें किस पुरातन ग्रथ में मिलता है ?
Ans. हनुमान चालीसा का वर्णन रामचरितमानस में तुलसीदास के द्वारा किया गया है
Q. तुलसीदास जी की प्रसिद्ध रचनाएं कौन – कौन सी हैं
रामचरितमानस, कवितावली, संकट मोचन और वैराग्य संदीपनी आदि तुलसीदास की कुछ प्रमुख प्रसिद्ध रचनायें हैं।
Q. तुलसीदास के आराध्य देव कौन है?
Ans. तुलसीदास के आराध्य भगवान श्रीराम थे उन्होंने उनके भक्ति में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था |
Q. tulsidas kiske bhakt the?
Ans तुलसीदास भगवान राम के भक्त थे
Q. tulsidas ka janm kab aur kahan hua?
Ans. तुलसीदास का जन्म 15 अगस्त सन् 1532 ई० में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में राजापुर गाँव में हुआ
Q. Tulsidas ki mrityu kab hui thi | तुलसीदास की मृत्यु कब हुई ?
Tulsidas ki mrityu 31 जुलाई सन 1623 में काशी के अस्सी घाट में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था
Q. tulsidas ke mata pita ka naam?
Ans. तुलसीदास आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी देवी था |
Q. Tulsidas ki Mrityu?
Ans. 30 July 1623, Assi Ghat, Varanasi
Q.तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ
Ans. तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं
- रामचरितमानस
- रामललानह
- वैराग्य-संदीपनी
- बरवै रामायण
- पार्वती-मंगल
- जानकी-मंगल
- रामाज्ञाप्रश्न
- दोहावली