Parakram Diwas Essay in Hindi:- नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती को ही ‘पराक्रम दिवस’(parakram diwas) कहा जाता है। केंद्र सरकार ने हर साल 23 जनवरी को इस दिवस को मनाने का फैसला लिया है। बोस की वर्षगांठ को चिंहित करने के लिए साल भर के प्रोग्रामों की योजना बनाने के लिए प्रधानमंत्री (Prime minister) की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति भी गठित की गई थी। भारत सरकार (Indian government) ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देने के लिए (Subhash Chandra Bose)‘ सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ की स्थापना की गई है।
आज की पीढ़ी को भले ही आजादी के महत्व के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन इस भारत भूमि को आजाद कराने के लिए जिन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दी, उन्हें और उस वक्त के लोगों को बहुत अच्छे से पता है कि आजादी का मतलब क्या होता है।
ऐसे अनेक वीर हमारे देश में पैदा हुए हैं, जिन्होंने भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना तन-मन और धन समर्पित कर दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी उन्हीं वीर सपूतों में से एक व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत माता को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाने के लिए आजाद हिंद फौज(azad hind fauj) की स्थापना की थी। इसके अलावा कई क्रांतिकारियों की सहायता भी की थी। नेताजी (Netaji) सुभाष चंद्र बोस की याद में ही सरकार ने पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की है।
पराक्रम दिवस पर निबंध हिंदी में (Parakram Diwas Par Nibandh)
जैसा कि हम सभी को पता है कि हर साल 23 जनवरी को वह दिन होता है, जब भारत माता के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस(Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती को पूरे भारत वर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। सरकार ने यही दिन पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) मनाने के लिए चयनित किया। जिसके बाग से 23 जनवरी के दिन को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के साथ ही पराक्रम दिवस कहकर भी बुलाया जाने लगा है।
लोगों को, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के द्वारा किए गए देश भक्ति से संबंधित कामों के बारे में जानकारी हासिल हो, साथ ही लोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कभी भी भुला ना सकें और लोग उन्हें सम्मान की निगाहों से देखें। इसी बात को देखते हुए सरकार ने इस दिन को पराक्रम दिवस(parakram diwas) मनाने की घोषणा की है, जिससे कि भारत के युवा वर्ग को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी से प्रेरणा मिले और उनके अंदर भी देशभक्ति की भावना का जागरण हो।
टॉपिक | पराक्रम दिवस पर निबंध |
लेख प्रकार | निबंध |
साल | 2024 |
दिवस | राष्ट्रीय पराक्रम दिवस |
घोषणाकर्ता | पीएम नरेंद्र मोदी |
तारीख | 23 जनवरी |
संबंध | नेताजी सुभाष चंद्र बोस |
उद्देश्य | नेताजी को याद कर सम्मान देना |
शुरुआत | 2021 |
अन्य नाम | पराक्रम दिवस, शौर्य दिवस, बोस जयंती, देशनायक दिवस |
पराक्रम दिवस पर निबंध PDF | Parakram Diwas Essay in Hindi PDF
हिंदुस्तान(Hindustan) ने सदियों तक गुलामी का दौर देखा है। एक या दो बार नहीं बल्कि सैकड़ों बार आताताइयों ने हिंदुस्तान जैसे विशाल और समृध्द देश को लूटा है, लेकिन इतने अत्याचारों के बाद भी वर्तमान समय में भारत विकास के एक नए पथ पर निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जो बारंबार क्षति पहुंचने के बाद भी उठ खड़ा हुआ हो। भारतीय मिट्टी उन महापुरुषों के बलिदान और संघर्ष से रंगी हुई है, जिन्होंने अपने जीवन में कभी घुटने टेकना नहीं सीखा, उन्हीं में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी हैं ।
नेताजी के बलिदान और संघर्षों से पूरी दुनिया अवगत है। पराक्रम की प्रति मूर्ति तथा सुभाष चंद्र बोस देश के युवाओं के लिए बेहद उच्च व्यक्तित्व के मार्गदर्शक, कूटनीतिज्ञ और प्रभावशाली वक्ता के रूप में जाने जाते हैं। केंद्र में भारतीय जनता पार्टी(BJP) की सरकार द्वारा सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरुआत की गई।
पराक्रम दिवस पर निबंध (500 शब्द)
प्रत्येक वर्ष 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के उपलक्ष्य में पराक्रम दिवस मनाया जाता है । पराक्रम दिवस को मनाए जाने की शुरुआत नेताजी की 125वीं जयंती से हुई थी। आने वाले साल 2024 में नेताजी की 127वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाएगी। नेताजी के सभी कार्य और लक्ष्य आज भी युवाओं के रगों में एक प्रेरणा बनकर दौड़ रहे हैं। फौलादी इरादों वाले ऐसे महान व्यक्तित्व के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
जब भारत अंग्रेजों के जुल्म को सह रहा था, तब कई हिंदुस्तानी या तो अंग्रेजों के तलवे चाट रहे थे या फिर विदेशों में अपने परिवार के साथ शांति से रह रहे थे। एक ओर जहां हिंदुस्तान रक्तरंजित हो रहा था, वहीं अपने देश और विदेशों में रह रहे कुछ भारतीय अपनी आंखें मूंदे बैठे थे । सुभाष चंद्र बोस वे शख्सियत थे, जिन्होंने विदेशों में जाकर भारतीयों की चेतना को झकझोर दिया था। नेताजी Netaji) ने भारतीयों को देश के लिए जीने का जज्बा सिखाया और देश के लिए मरने का मकसद दिया । दुनिया में जब भारत को सपेरे और गरीबों का देश कहा जाता था और महिलाओं के सामान्य अधिकारों पर चर्चा की जाती थी, तब नेता जी ने रानी झांसी रेजीमेंट(Rani Jhansi Regiment) का गठन करके महिलाओं को अपने साथ संघर्ष में जोड़ा।
इस रेजीमेंट (Regiment) में हर जाति, मजहब और क्षेत्र के लोगों को जगाकर अपने साथ शामिल किया और उसे आजाद हिंद फौज का नाम दिया। जब तथाकथित अन्य नेताओं और अहिंसा वादियों ने सुभाष चंद्र बोस(subhash Chandra bose) जी जैसे शख्सियत की कदर नहीं की और उनके विचारों से सहमति नहीं जताई तो वे अकेले ही पथ पर चल दिए।
Parakram Diwas Essay 500 Word in Hindi
हर भारतीय के लिए यह गर्व की बात है कि उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारी प्राप्त हुए हैं, जिन्होंने भारत को एक नई दिशा प्रदान की। लोग कहीं अपने सुख शांति में इतने न लिप्त हो जाए कि वे अपने देश के बारे में सोचनाही छोड़ दें, इसलिए पराक्रम दिवस जैसे उत्सवों को मनाने की खास जरूरत है।
सन 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अंडमान निकोबार(Andaman Nicobar) के एक द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा और देशवासियों को सुभाष चंद्र बोस के अतुलनीय संघर्ष को सदा के लिए याद दिलाने के लिए उनके कुछ गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक कर दिया। देशवासियों की भावनाओं को समझते हुए भारतीय सरकार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने का आह्वान किया ।
यदि गुलामी के अंधेरे कालखंड में मशाल दिखाकर देश को आजाद करवाने वाले नेताजी बोस ना होते तो शायद हमें आजादी पाने में दशकों लग जाते। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में नेताजी(netaji) कई बार जेल भी गए, जहां उन्हें कई यातनाओं से भी गुजरना पड़ा था। उन्होंने इंडियन सिविल सर्वसेज(Indian Civil Services) की परीक्षा में अपना नाम दर्ज कराकर बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। यदि वे चाहते तो अपना जीवन सुख सुविधाओं में बिताकर सुरक्षित रह सकते थे, लेकिन एक सच्चे देशभक्त के नाते उनके अंदर स्वार्थ कभी नहीं आया। परिणाम स्वरूप उन्होंने अंग्रेजों की दी हुई उपलब्धियों को त्याग दिया और स्वतंत्रता की आग में कूंद पड़े। नेताजी, स्वामी विवेकानंद(Swami Vivekananda) को अपना आध्यात्मिक गुरू और चितरंजन दास(Chittaranjan Das) को राजनीतिक गुरू मानते थे। नेताजी के कांग्रेसी नेता और गांधी जी से विचार मेल नहीं खाते थे।
पराक्रम दिवस पर 10 लाइन (10 Line On Parakram Diwas)
- पराक्रम दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के मौके पर की थी ।
- पराक्रम दिवस की शुरूआत 23 जनवरी 2021 को हुई थी ।
- सुभाष चंद्र बोस की जन्म दिवस जयंती को पराक्रम दिवस भी कहा जाता है।
- पराक्रम दिवस को शौर्य दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
- पराक्रम दिवस को बंगाल की सीएम ममता बनर्जी द्वारा देशनायक दिवस के नाम से मनाने की घोषणा की गई थी।
- पराक्रम के प्रतीक नेताजी बचपन से ही काफी साहसी और सच्चे देशभक्त थे।
- पराक्रम दिवस देश के युवा वर्ग को अपने जीवन में साहस और दृढ़तालाने को प्रेरित करता है।
- देश के हर हिस्से में इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
- पहले पराक्रम दिवस पर पुस्तक ‘letters of Netaji (1926-1936)’ का विमोचन किया गया।
- सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां रैंकोजी मंदिर में रखी हुई हैं।
FAQ’s Parakram Diwas Essay in Hindi
Q. पराक्रम दिवस मनाने का क्या अर्थ है?
Ans. पराक्रम का अर्थ “शौर्य” है। इसे शौर्य दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
Q. पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?
Ans. नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में देश में 23 जनवरी के दिन पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कौन सा नारा सबसे ज्यादा फेमस हुआ था ?
Ans. तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा नेता जी का सबसे फेमस नारा था ।
Q. नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कब जन्म लिया था?
Ans. 23 जनवरी 1897 को सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था ।