Subhash Chandra Bose Jayanti:-नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की देशभक्ति और उनके ऊर्जा से ओत-प्रोत विचारों ने युवाओं को दिशा दी। इसी के दम पर न सिर्फ आजादी की लड़ाई लड़ी गई, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिलाई गईं। आजादी के मतवालों के साथ ही उनके विचारों ने कई भारतीयों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। पूरा देश इस 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाएगा। Subhash Chandra Bose के बारे में और कई फैक्ट्स को जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़े, क्योंकि हमने इस लेख को नेता जी से जुड़ी कई बिंदूओं के आधार पर तैयार किया है।
इस लेख में हमने सुभाष चंद्र बोस जयंती 2024 Subhash Chandra Bose Jayanti, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती, सुभाष चंद्र बोस जयंती कब है?, सुभाष चंद्र बोस जयंती पर पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है, सुभाष चंद्र बोस का लघु जीवन परिचय,आजाद फौज का गठन ,सुभाष चंद्र बोस को किसने मारा,सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब हुई थी पर रेडी किया है।
Subhash Chandra Bose Jayanti 2024
Subhash Chandra Bose Jayanti 2024 | Similar Articles |
पराक्रम दिवस 2024 | यहाँ क्लिक करें |
पराक्रम दिवस पर निबंध | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस जयंती 2024 | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर शायरी | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चंद्र बोस पर निबंध हिंदी में | यहाँ क्लिक करें |
सुभाष चन्द्र बोस के अनमोल वचन | यहाँ क्लिक करें |
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती | Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को “आजाद हिंद फौज(Azad Hind Fauj)” के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। Netaji Subhash Chandra Bose का प्रसिध्द नारा है “तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूंगा”। 18 अगस्त 1944 को ताइवान के एक अस्पताल में एक विमान दुर्घटना में जलने के बाद नेताजी की मृत्यु हो गई थी। 2016 में प्रधानमंत्री मोदी(Prime Minister Modi) ने सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया, जो दिल्ली के राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं। नेताजी असाधारण नेतृत्व कौशल और करिश्माई वक्ता के साथ सबसे प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं। उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया था और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई योगदान दिए।
Also Read: पंडित जवाहर लाल नेहरू की जीवनी
टॉपिक | सुभाषचंद्र बोस जयंती 2024 |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
साल | 2024 |
सुभाषचंद्र बोस जयंती 2024 कब है | 23 जनवरी |
दिन | सोमवार |
सुभाष चंद्र बोस जन्म | 23 जनवरी 1897 |
सुभाष चंद्र बोस जन्मस्थान | कटक, उड़ीसा राज्य, ब्रिटिश भारत |
साल 2024 में सुभाषचंद्र बोस की कौन सी जयंती है | 126 वीं |
सुभाष चंद्र बोस पिता नाम | जानकीनाथ बोस |
सुभाष चंद्र बोस माता नाम | प्रभावती देवी |
सुभाष चंद्र बोस पत्नी नाम | एमिली शेंकल |
सुभाष चंद्र बोस बच्चे | 1 बेटी |
सुभाष चंद्र बोस की बेटी का नाम | अनीता बोस फाफ |
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु | 18 अगस्त 1945 |
सुभाष चंद्र बोस मृत्यु कहां हुई |
सुभाष चंद्र बोस जयंती कब है?
गणतंत्र दिवस (Republic day) समारोह 2024 के हिस्से के रूप में और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती को मनाने के लिए सशस्त्र बलों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति तथा जनजातीय नृत्य महोत्सव ‘आदि शौर्य – पर्व पराक्रम का’ 23 एवं 24 जनवरी 2024 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (Jawaharlal Nehru Stadium) में आयोजित किया जाएगा। दो दिवसीय उत्सव के दौरान सशस्त्र बलों की क्षमता और भारत की जनजातीय संस्कृति की विशिष्ट संस्कृति व सुंदरता का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम के लिेए मुफ्त टिकट www.bookmyshow.com पर उपलब्ध है।
इस प्रोग्राम में सशस्त्र बलों द्वारा संगीतमय प्रस्तुति (पैरामोटर ग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून, हॉर्स शो, मोटर साइकिल डिस्प्ले, एयर वारियर ड्रिल, नेवी बैंड) और देशभर से आए आदिवासी कलाकारों का एक घंटे का पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन (खुखरी नृत्य, गतका, मल्लखंब, कलारिपयतु, थंगटा) शामिल हैं। ग्रैंड फिनाले में प्रसिध्द गायक श्री कैलाश खैर (Kailash Khair) की प्रस्तुति होगी।
समारोह के आयोजन का उद्देश्य देश के बहादुरों के बलिदान को याद करना और समृध्द सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना है। इस प्रोग्राम के जरिए से नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की बहादुरी को मिलकर याद किया जाएगा; इसका उद्देश्य यह भी है कि हम भारत की सच्ची भावना को अपनाएं और एक सशक्त एवं समृध्द ‘नए भारत’ के निर्माण की प्रतिबध्दता को नवीनीकृत करें। रक्षा मंत्रालय(Ministry of Defence) और जनजातीय कार्य मंत्रालय(ministry of tribal affairs) संयुक्त रूप से इस प्रोग्राम का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें भारतीय तटरक्षक समन्वयक की भूमिका निभा रहे हैं।
Also Read: गांधी जयंती पर भाषण हिंदी में
सुभाष चंद्र बोस जयंती पर पराक्रम दिवस क्यों मनाया जाता है?
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी के अवसर पर हर साल पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) मनाया जाता है, 2021 में पहली बार भारत सरकार ने इस पराक्रम दिवस (valor day) मनाने की घोषणा की थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करने, करोड़ों लोगों को देशसेवा के लिए प्रेरित करने एवं नेताजी को श्रध्दांजलि अर्पित करने हेतु इस पराक्रम दिवस का आयोजन किया जाता है। साल 2024 में नेताजी की 126वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।
सुभाष चंद्र बोस का लघु जीवन परिचय | Subhash Chandra Bose Wikipedia
आजादी के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 फरवरी 18978 को ओडिसा राज्य के कटक(katak) शहर में हुआ था। इनके पिता जानकीनाथ कटक शहर के मशहूर वकील एवं माताजी प्रभावती आदर्श गृहणी थी। बचपन से ही बालक सुभाष को पढ़ाई में ज्यादा रुचि थी, यह वजह रहा कि वे सदैव पुस्तकों में ही खोए रहते। नेताजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पढ़ाई कटक एवं उच्च शिक्षा कोलकाता से पूरी की । बचपन से ही स्वामी विवेकानंद(Swami Vivekananda) को अपना आदर्श मानने वाले नेताजी बचपन से ही कट्टर देशप्रेमी थे। भारत को गुलामी की जंजीरों में जकड़ा देखकर उन्हें बड़ा दुख होता था।
उच्च शिक्षा पूरी करने के पश्चात नेताजी प्रशासनिक सेवा(administrative Services) की तैयारी के लिए इंग्लैंड चले गए। उन दिनों प्रशासनिक सेवा (administrative Services) में सिर्फ ब्रिटिश नागरिक ही चयनित होते थे। नेताजी ने ना सिर्फ इस परीक्षा को पास किया, बल्कि इसमें चौथा स्थानभी प्राप्त किया। हालांकि देशप्रेम की वजह से उन्होंने अंग्रेजी शासन की अपेक्षा देश सेवा के लिए कार्य करना बेहतर समझा एवं अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल होकर आजादी की लड़ाई में कूद गए। हालांकि वैचारिक मदभेदों के चलते उन्होंने वर्ष 1939 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद देश की आजादी के लिए नेताजी ने कई आंदोलनों का नेतृत्वकिया एवं देश के युवाओं को आजादी के संग्राम में सहयोग करने हेतु प्रेरित करने लगे। उनके विचारों से देश के स्वतंत्रता आंदोलन(independence movement) को नई दिशा मिली थी। साल 1945 में भारत मां का यह वीर सपूत ताइवान में हवाई जहाज दुर्घटना में शहीद हो गया। हालांकि इस दुर्घटना को प्रामाणिक नहीं माना गया है।
आजाद फौज का गठन | Formation of Azad Fauj
1943 ई. में नेता जी जर्मनी छोड़ साउथ-ईस्ट एशिया मतलब जापान जा पहुंचे। यहां वे मोहन सिंह से मिले, जो उस समय आजाद हिंद फौज(azad hind fauj) के मुख्य थे। नेता जी मोहन सिंह व रास बिहारी बोस के साथ मिलकर “आजाद हिंद फौज” का पुनर्गठन किया। इसके साथ ही नेता जी ‘आजाद हिंद सरकार’ पार्टी भी बनाई। 1944 में नेता जी ने अपनी आजाद हिंद फौज(azad hind fauj) को “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा दिया, जो देश भर में नई क्रांति लेकर आया।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब हुई थी?
सुभाष चंद्र बोस को किसने मारा, यह गुत्थी आज तक सुलझ नहीं पाई है, लेकिन उनके मौत के बारे में यह कहानी बताई गई है। 1945 में जापान जाते समय नेता जी का विमान ताईवान(Taiwan) में क्रेश हो गया, लेकिन उनकी बॉडी नहीं मिली थी। कुछ समय बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। भारत सरकार(Indian government) ने इस दुर्घटना पर बहुत सी जांच कमिटी भी बैठाई गईं, लेकिन आज भी इस बात की पुष्टि आज भी नहीं हुई है। मई 1956 में शाह नवाज कमेटी(Shah Nawaz Committee) नेता जी की मौत की गुत्थी सुलझाने जापान गई,
लेकिन ताईवान से कोई खास राजनीति रिश्ता नहीं होने से उनकी सरकार ने मदद नहीं की। 2006 में मुखर्जी कमीशन(Mukherjee Commission) ने संसद में बोला, कि नेता जी की मौत विमान दुर्घटनामें नहीं हुई थी और उनकी अस्थियां, जो रेंकोजी मंदिर(Renkoji Temple) में रखी हुई है, वो उनकी नहीं हैं, लेकिम इस बात को भारत सरकार ने खारिज कर दिया। आज भी इस बात पर जांच व विवाद चल रहा है।
FAQ’s Subhash Chandra Bose Jayanti 2024
Q. पराक्रम दिवस किस महापुरुष की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है?
Ans. सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर ।
Q. पराक्रम दिवस कब मनाया जाता है ?
Ans. 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है।
Q. पहला पराक्रम दिवस कब मनाया गया था ?
Ans. 2021 जनवरी को पहला पराक्रम दिवस मनाया गया था।
Q. सुभाष चंद्र बोस का जन्म कहां हुआ था ?
Ans. कटक, उड़ीसा में सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था ।