Swami Vivekananda Thoughts: हिंदू सन्यासी स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता शहर में हुआ था। स्वामी विवेकानंद एक देशभक्त एवं महान ज्ञानी, गुरु होने के साथ-साथ एक महान विचारक भी थे। स्वामी विवेकानंद के विचारों,आदर्श और जीवन शैली के द्वारा युवाओं को प्रोत्साहित कर देश के भविष्य को बेहतर बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए स्वामी विवेकानंद के जन्म जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के विचार कई वर्षों से युवाओं को प्रेरित करते आ रहा है और आगे भी करते रहेगा। स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों में एक अदृश्य शक्ति मौजूद होती है जो मनुष्य को अपने तरफ आकर्षित करती है। यदि देश के युवा स्वामी विवेकानंद के विचार को अपने जीवन में ग्रहण करते हैं तो जीवन में सफलता प्राप्त हो सकता है। 12 जनवरी 2024 में स्वामी विवेकानंद के जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
ऐसे में लोग स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों की जानकारी प्राप्त करना चाहते होंगे। तो आईए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द के विचार हिंदी में | Thought Of Swami Vivekananda in Hindi, स्वामी विवेकानन्द के विचार | Swami Vivekanand Ke Vichar, विवेकानन्द विचार हिंदी में | Vivekananda Thoughts in hindi,छात्रों के लिए स्वामी विवेकानन्द के कोट्स | Swami Vivekananda Quotes for Students संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान कर रहे हैं इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
स्वामी विवेकानंद का जन्म (Swami Vivekananda Birth)
Swami Vivekananda का जन्म सन् 1863 ई. में कलकत्ता (kolkata) नगर में हुआ था। इनका पूर्व नाम नरेंद्र नाथ दत्त (Narendranath dutta) था। वे काफी प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने अपने प्रधानाचार्य मिस्टर हेस्टी (mister hesty) से प्रेरित होकर दक्षिणेश्वर (Dakshineshwar) की यात्रा की। यहां उनकी मुलाकाल Ramkrishan Paramhans से हुई, जो बाद में उनके गुरू बने। गुरू की मृत्यु के बाद उन्होंने उनकी शिक्षाओं का प्रसार-प्रचार किया। स्वामी जी का जीवन-दर्शन आज भी हमारे लिए गौरवपूर्ण एवं प्रेरणादायक है। उनके अनुसार मनुष्य के जीवन में संघर्ष की प्रधानता होनी चाहिए। उनकी इस बात में काफी आस्था थी कि वीर, निर्भीक और कर्मठ व्यक्ति ही जीवन में कोई काम कर सकता है।
टाइटल | स्वामी विवेकानंद के विचार |
लेख प्रकार | आर्टिकल |
साल | 2023 |
स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम | नरेंद्र दत्ता |
स्वामी विवेकानंद किसका विरोध करते थे | यूरोपीकरण , ढोंग और पाखंड |
स्वामी विवेकानंद जन्म स्थान | कोलकाता |
मृत्यु के वक्त स्वामी विवेकानंद की उम्र | 39 |
स्वामी विवेकानंद किस के गुरु कौन थे | रामकृष्ण परमहंस |
स्वामी विवेकानंद ने कब साधु जीवन अपनाया | 25 साल की उम्र में |
स्वामी विवेकानंद कब है | 12 जनवरी |
2024 स्वामी विवेकानंद की कौन सी जयंती है | 39वीं |
स्वामी विवेकानंद जयंती कब से मनाई जा रही है | 1985 |
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स्वामी विवेकानन्द के विचार हिंदी में | Thought of Swami Vivekananda in Hindi
रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता शहर में हुआ था। बचपन से ही इनको भगवान को जानने की लालसा था। 25 वर्ष के आयु में सांसारिक मोह माया को त्याग कर संयासी बन गए। देश के युवा वर्ग इनको अपना प्रेरणा का स्रोत मानते हैं। क्योंकि इनके अनमोल विचार को अपने जीवन में सम्मिलित करने से जीवन को जीने का सही दिशा प्राप्त होता है। यदि आप लोग भी स्वामी विवेकानंद के विचार के द्वारा अपने जीवन को प्रेरित करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए Thought of Swami Vivekananda in Hindi के कलेक्शन के द्वारा अपने जीवन को प्रेरित कर सकते हैं।
हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति।
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
जब तक मनुष्य के जीवन में सुख – दुख नहीं आएगा तब तक मनुष्य को यह एहसास कैसे होगा कि जीवन में क्या सही है? और क्या गलत है?
कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।
दुनिया में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि विपरीत परिस्थितियां आने पर उनका साहस टूट जाता है और वह भयभीत हो जाते हैं।
जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।
वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता
“जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।”
सुख और दुःख सिक्के के दो पहलु है। सुख जब मनुष्य के पास आता है तो दुःख का मुकुट पहन कर आता है
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स्वामी विवेकानन्द के विचार | Swami Vivekanand Ke Vichar
रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद एक महान विचारक है। इनके विचार के द्वारा देश के युवा काफी प्रेरित होते हैं। इसलिए इनको प्रेरणा का स्रोत माना जाता है। यदि आप लोग भी अपने जीवन में स्वामी विवेकानंद के विचार को ग्रहण करते हैं तो आपका जीवन को जीने का सही मार्ग प्राप्त हो सकता है। हम आपको निम्न रूप से Swami Vivekanand ke Vichar के कलेक्शन प्रस्तुत कर रहे हैं जिनके द्वारा आप लोग प्रेरित हो सकते हैं।
सबसे बड़ा धर्म है अपने स्वभाव के प्रति सच्चे होना। स्वयं पर विश्वास करो।
एक नायक बनो, और सदैव कहो – मुझे कोई डर नहीं है।
अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।”
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
किसी की निंदा ना करें: अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं ; चमक उठती हैं।
एक विचार लो. उस विचार को अपना जीवन बना लो ; उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो, उस विचार को जियो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो, और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो. यही सफल होने का तरीका है।
किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह, गिरो तो बीज की तरह। ताकि दुबारा उगकर उसी मकसद के लिए जंग कर सको।
धन्य हैं वो लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।
विवेकानन्द विचार हिंदी में | Vivekananda Thoughts in Hindi
देश के युवाओं का प्रेरणा का स्रोत कहे जाने वाले स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता शहर में हुआ था। स्वामी विवेकानंद एक हिंदू सन्यासी होने के साथ-साथ एक अच्छे विचारक थे। यदि आप लोग स्वामी विवेकानंद के विचार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए Vivekananda Thoughts in Hindi के कलेक्शन को देख सकते हैं।
स्वतंत्र होने का साहस करो। जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।”
पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।”
खुद को धोखा देना सबसे बड़ा पाप है।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।
जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
चिंतन करो, चिंता नहीं, नए विचारों को जन्म दो।
सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यह है- वह पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता। पूर्ण रूप से निःस्वार्थ व्यक्ति, सबसे सफल हैं।
हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
दुनिया मज़ाक करे या तिरस्कार, उसकी परवाह किये बिना मनुष्य को अपना कर्त्तव्य करते रहना चाहिये।
छात्रों के लिए स्वामी विवेकानन्द के कोट्स | Swami Vivekananda Quotes for Students
प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद के जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। क्योंकि स्वामी विवेकानंद देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। वर्तमान समय भी देश के कई युवा वर्ग इनके विचार के द्वारा अपने जीवन को प्रेरित करते हैं। देश के प्रत्येक वर्ग के साथ-साथ देश के विद्यार्थी भी इनके विचार के द्वारा अपने शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरित होते हैं। यदि आप लोग भी किसी स्कूल के विद्यार्थी है तो नीचे दिए गए Swami Vivekananda Quotes for Students के कलेक्शनों के द्वारा अपने जीवन को प्रेरित कर सकते हैं।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं।
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
स्वामी विवेकानंद के शैक्षिक विचार
- जिस प्रकार Swami Vivekananda का जीवन दर्शन यथार्थवादी एवं विस्तृत है। उसी तरह से उनका शिक्षा दर्शन (Philosophy) भी विस्तृत और समन्वयवादी है। वे व्यवहारिक शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। वे कहते थे कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली मनुष्य को कायर बनाती है और अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं करती है। उनके अनुसार गीता समझने से पहले मनुष्य को शारीरिक रूप से सशक्त होना चाहिए।
- उनके अनुसार शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य भावना से ऊपर उठकर “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। “स्वामी जी बालकों को डांटने-फटकारने को पसंद नहीं करते थे। बच्चे की प्रवृत्तियों को ध्यान में रखकर बालक को शिक्षित किया जाना चाहिए। उनके अनुसार शिक्षक का चरित्र बहुत ऊंचा होता है। शिक्षक का कार्य मात्र बालक को अक्षर ज्ञान देना नहीं है। शिक्षक को अपना चरित्र पवित्र रखकर उसे प्रभावकारी मार्गदर्शन देना चाहिए।
Swami Vivekananda ऐसी शिक्षा व्यवस्था पर जोर देते हैं, जिसमें आदर्शवाद, समन्वयवाद और यथार्थवाद का एकत्रीकरण हो। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति की पूर्णता एवं देश का नव निर्माण हो। उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने की सर्वोत्तम विधि एकाग्रता बताई है। इसके लिए उपदेश देने, व्याख्यान विधि, विश्लेषणात्मक विधि एवं अनुकरण विधि, योग विधि का समर्थन किया। स्वामी जी प्रचीन गुरूकुल प्रणाली के समर्थक थे और शिक्षा में शिक्षक के स्थान को जरूरी मानते थे। वे शिक्षक को बालक का मित्र, गाइड और ईश्वर समान समझते थे ।
स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक विचार
स्वामी विवेकानंद ने वास्तव में भारत की आध्यात्मिकता को पूरे विश्व में व्यक्त किया और उनका जीवन देश की छवि को बदलने में भारतीय युवाओं की ताकत और क्षमता का गाइडेंस (Guidance) करता है। उनका मानना था कि हर धर्म उसी सत्य को पाने का रास्ता बताता है। उनका मानना था कि हमें पुरोहितवाद, धार्मिक कर्मकांड जैसी विसंगतियों को समाज से दूर करना चाहिए। वे कहते थे कि ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। खुद को कमजोर सबझना सबसे बड़ा पाप है।’
उन्होंने पश्चिम में एक महती सभा में कहा था कि ‘यदि एक धर्म सच्चा है, तब निश्चय ही अन्य सभी धर्म सच्चे हैं। अतएव हिंदू धर्म (Hindu Religion) उतना ही आपका है, जितना मेरा। इसी भाव को विशद करते हुए वे फिर कहते हैं कि “हम हिंदू केवल सहिष्णु ही नहीं हैं, हम अन्य धर्मों के साथ मुसलमानों की मस्जिद (Mosque) में नमाज पढ़कर, पारसियों की अग्नि की उपासना करके तथा ईसाइयों के क्रॉस के सामने झुककर उनसे एकात्म हो जाते हैं। हम जानते हैं कि सारे धर्म समान से रूप से असीम को समझने और उसका साक्षात्कार करने के विभिन्न प्रयास हैं।
स्वामी विवेकानंद के सामाजिक विचार
- वर्ण व्यवस्था का विरोध – वे भारत की प्राचीन वर्ण व्यवस्था (Caste System)के विरोधी थे। उनके अनुसार आधुनिक युग में वर्ण व्यवस्था सामाजिक अत्याचारों को प्रोत्साहन देने वाली है। इस वर्ण व जाति ने भारतीय समाज को खोखला कर दिया है। उन्होंने परंपरावादी ब्राम्हणों के पुरातन अधिकारवाद का खंडन किया। उनके अनुसार सभी मनुष्य बराबर हैं और सभी का हर क्षेत्र में समान अधिकार होना चाहिए।
- अस्पृश्यता की निंदा और गृहस्थ जीवन में आस्था – वे छुआछूत के विरोधी थे। ये सब व्यर्थ की बातें हैं। ईश्वर द्वारा बने सभी जीव समान हैं फिर कोई अस्पृश्य क्यों माना जाए । सन्यास होते हुए भी उनकी गृहस्थ जीवन में आस्था थी। गृहस्थ जो अपने सभी कर्तव्यों का पालन करते हैं, सबसे अच्छे हैं।
- भारत के यूरोपीकरण का विरोध – भारतीय संस्कृति पर उन्हें गर्व था। उनके अनुसार विदेशी समाजों की कार्य प्रणाली को अपनाना व्यर्थ है। वे भारत के यूरोपीकरण (Europeanization) के विरोधी थे।
- सामाजिक उत्थान के लिए धार्मिकता – उनके हिसाब से धर्म भारत के जातीय जीवन का मेरूदंड है। उनके अनुसार धार्मिकता के जरिए ही भारतीय समाज उन्नत हो सकता है।
Swami Vivekananda Thoughts in Hindi and English
In one word, this ideal is that you are Divine.
एक शब्द में कि, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।
That man has reached immortality who is disturbed by nothing material.
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
You can not believe in god until you believe in yourself.
जब तक तुम खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक तुम भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
Truth can be stated in a thousand different ways, yet each one can be true.
सत्य हजार तरीके से बताया जा सकता है, फिर भी वह हर बार सत्य ही होगा।
The world is the great gymnasium where we come to make ourselves strong.
विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
FAQ’s Swami Vivekananda Thoughts in Hindi
Q. स्वामी विवेकानंद के अनुसार कौन सा धर्म सच्चा है ?
Ans. स्वामी जी के अनुसार सभी धर्म सच्चे हैं ।
Q. स्वामी विवेकानंद किसके खिलाफ थे ?
Ans. स्वामी विवेकानंद ढोंग और पाखंड के खिलाफ थे ।
Q. स्वामी विवेकानंद किसके विरोधी थे ?
Ans. वे भारत में यूरोपीकरण करने के विरोधी थे।
Q. स्वामी विवेकानंद कैसी शिक्षा चाहते थे ?
Ans. वे गुरुकुल और शिक्षक में अच्छा व्यक्तित्व को देखना पसंद करते थे।
Q. स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम क्या था?
Ans.स्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।
Q.रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने किया था?
Ans.रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद जी ने किया था।
Q. स्वामी विवेकानंद कितने वर्ष के आयु में सन्यासी बने थे?
Ans.स्वामी विवेकानंद 25 वर्ष के आयु में सन्यासी बने थे।
Q.स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम क्या था?
Ans.स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
Q.स्वामी विवेकानंद का जयंती कब मनाया जाता है?
Ans.स्वामी विवेकानंद का जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।