Swami Vivekananda Speech: इस युवा दिवस पढ़े स्वामी विवेकानंद की Iconic Speech

Swami Vivekananda Speech

Swami Vivekananda Speech: स्वामी विवेकानंद कोलकाता में जन्मे देश के महान सामाजिक नेताओं में से एक माने जाते हैं। यह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ इस भक्ति एवं कुशल वक्ता थे। यह 25 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक मोह माया को त्याग संयासी बन गए। वह धर्म, दर्शन ,वेद, उपनिषद, साहित्य एवं पुराणों के ज्ञाता थे। प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को उनके जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि स्वामी विवेकानंद देश के सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत थे। इसलिए इनके जन्म जयंती को देश की युवाओं के लिए समर्पित कर दिया गया।संपूर्ण दुनिया में सनातन धर्म को पहचान दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। जैसे कि आप लोगों को पता है स्वामी विवेकानंद के जयंती के दिन कई स्कूल, कॉलेज एवं ऑफिस में भाषण प्रतियोगिता का कार्यक्रम होता है, ऐसे में यदि आप लोग भी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है या लेने वाले हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है।

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Swami Vivekananda Speech in Hindi

स्वामी विवेकानंद ने वैसे तो कई जगह भाषण दिए हैं, लेकिन शिकागो में दी गई स्पीच काफी फेमस रही और आज भी लोग उनकी यह स्पीच सुनने को उत्सुक रहते हैं। बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनके घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त का निधन 1884 में हो गया था, जिसके चलते घर की आर्थिक दशा बहुत खराब हो गई थी। मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी जी का निधन हो गया था।

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स्वामी विवेकानंद | Swami VivekanandaOverview

संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद की काफी रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। स्वामी जी ने तो 25 वर्ष की उम्र में ही वेद, पुराण, बाइबिल, कुरान, धम्मपद, तनख, गुरूग्रंथ साहिब, दास केपीटल, पूंजीवाद, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और दर्शन की तमाम तरह की विचारधारा को घोंट दिया था। वे जैसे-जैसे बड़े होते गए सभी धर्म और दर्शनों के प्रति अविश्वास से भर गए। संदेहवादी, उलझन और प्रतिवाद के चलते किसी भी विचारधारा में विश्वास नहीं किया। नरेंद्र की बुध्दि बचपन से ही तेज थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे ब्रम्ह समाज में गए, लेकिन वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ। 

टाइटलस्वामी विवेकानंद का भाषण
लेख आर्टिकल
साल2024
स्वामी विवेकानंद का जन्म कब हुआ था12 जनवरी
स्वामी विवेकानंद का जन्म स्थानकोलकाता
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु किस उम्र में हुई39 साल
स्वामी विवेकानंद ने कब भाषण दिया11 सितंबर 1893 
स्वामी विवेकानंद ने कहां अपना यादगार भाषणशिकागो (अमेरिका)

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रामकृष्ण परमहंस की शरण में 

अपनी जिज्ञासाएं शांत करने के लिए ब्रम्ह समाज के अलावा कई साधु-संतों के पास भटकने के बाद अंत में वे रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए। रामकृष्ण के रहस्यमय व्यक्तित्व ने उन्हें प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन बदल गया। रामकृष्ण को गुरू बनाने के बाद उनका नाम विवेकानंद हुआ। 

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स्वामी विवेकानन्द का शिकागो भाषण | Chicago Speech of Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद ए 11 सितंबर 1893 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देकर पूरे विश्व में भारत के मजबूत छवि को पेश किए थे। ऐतिहासिक भाषण का चर्चा वर्तमान समय में भी होता रहता है। इतना ही नहीं इस भाषण के समाप्त होने के बाद सम्मेलन में बैठे सभी लोग 2 मिनट तक तालिया के द्वारा इनका भाषण का स्वागत किए थे। लेकिन हम में से कई लोगों को क्या पता नहीं है कि इस भाषण में स्वामी विवेकानंद जी ने क्या कहा था। हम आपको बता दे की स्वामी विवेकानंद जी ने इस भाषण में निम्नलिखित खास बातें कही थी जो इस प्रकार के हैं:-

  • स्वामी विवेकानंद जी ने सर्वप्रथम विश्व धर्म सम्मेलन को मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों के द्वारा संबोधन करते हुए कहां की आपने स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है जिससे मेरा दिल भर आया है। मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं, मैं आपको अभी धर्म के जननी की ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं।
  • उन्होंने कहा कि मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच पर खड़े होकर कहां की दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।
  • मुझे अत्यंत गर्व है कि मैं उस देश से संबंध रखता हूं सभी धर्म के लोगों को शरण दी है।
  • उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए काफी गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में इसराइल के पवित्र स्मृतियों को संभाल कर रखे हैं जिनके धर्मस्थल को रोमन हमलावरों ने तोड़फोड़ के खंडहर में तब्दील कर दिया था इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।
  • स्वामी विवेकानंद जी अपने भाषण में रहते हैं कि जिस प्रकार नदिया अलग-अलग जगह से निकालकर अलग-अलग जगह से होते हुए समुद्र में मिलती है प्रकार मनुष्य जाति अपनी इच्छा के अनुसार अपने रास्ते को चुनते हैं भले ही यह रास्ते दिखने में अलग-अलग लगते हैं लेकिन यह सब ईश्वर तक ही जाती है।
  • उन्होंने कहा कि लंबे समय से पृथ्वी को कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि अपने शिकंजे में जकड़ा हुए हैं। इन सभी ने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कई बार धरती खून से लाल हुई है इसके अलावा कितनी सभ्यता नष्ट हुई है न जाने कितने देश बर्बाद हो गए हैं।
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स्वामी विवेकानन्द शिकागो भाषण | Swami Vivekananda Chicago Speech 

Swami Vivekananda Chicago Speech :- स्वामी विवेकानंद के द्वारा 11 सितंबर 1893 में अमेरिका के शिकागो में  दिया गया भाषण विश्व प्रसिद्ध है उस भाषण को इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी भाषा के माध्यम से किया था  उन्होंने अमेरिका के लोगों को मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों! शब्दों के माध्यम से संबोधित किया था आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया है उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा है। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परंपरा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं। धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं और सभी संप्रदायों एवं मतों के कोटि-कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं। मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन  सभी वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं  जिन्होंने आपको यह बतलाया है कि दुनिया में सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रचारित करना आवश्यक हैं।  मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता की भावना में विश्वास नहीं रखते हैं बल्कि हम सभी धर्म को सच्चा मानकर उसका आदर करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीडि़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता है कि हमने अपने देश में उन सभी यहूदियों को  स्थान दिया था  जो रोमन लोगों अत्याचार के पीड़ित थे। ऐसे धर्म का अनुयाई होने में मुझे गर्व महसूस हो रहा है बाल अवस्था की  स्तोत्र की कुछ पंक्तियां सुनाता हूं जिसकी आवृत्ति मैं बचपन से कर रहा हूं और जिसकी आवृत्ति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि जिस तरह नदी अलग-अलग जगह और विभिन्न रास्तों से होकर आखिर में समुद्र में आकर मिल जाती हैं’ ठीक मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है लेकिन सभी रास्ते ईश्वर तक जाते हैं |

स्वामी विवेकानंद कहां की मौजूदा सम्मेलन अब तक की सबसे पवित्र सभा में से एक है इसमें मैं गीता के कुछ उपदेशों का विवरण देना चाहता हूं उन्होंने कहा कि जो भी ”जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं. लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुंचते हैं.” सांप्रदायिकता, कट्टरता और  और इसके भयंकर वंशजों ने अपने धार्मिक  हठ ने  काफी समय से इस खूबसूरत धरती को  अपने कब्जे में रखा है जिसके फल स्वरुप पूरी धरती हिंसा और लड़ाई झगड़ों से भर चुकी है न जाने कितनी बार धरती खून से लाल हुई है कितनी सभ्यताएं बर्बाद हो चुकी हैं और देश नष्ट हो चुके हैं यदि इस पृथ्वी पर कोई भी भयंकर राक्षस नहीं होता तो मानव समाज आज के वक्त और भी ज्यादा विकसित और आधुनिक होता लेकिन मेरा मानना है कि अब हम सबको मिलकर कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश चाहे वह तलवार से हो या फिर कलम से करना होगा। 

स्वामी विवेकानन्द पर भाषण हिंदी में | Speech On Swami Vivekananda in Hindi

यहां उपस्थित सभी शिक्षकों और छात्रों को सुप्रभात। मैं यहां स्वामी विवेकानन्द पर भाषण देने आया हूं। स्वामी विवेकानन्द समकालीन भारत के एक प्रसिद्ध लेखक, विद्वान, विचारक, संत और दार्शनिक थे। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को आनंद के शहर कलकत्ता में हुआ था। उनका मूल नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक विद्वान व्यक्ति थे जिन्हें अंग्रेजी और फ़ारसी दोनों का गहन ज्ञान था। वह कलकत्ता के सर्वोच्च न्यायालय में एक सफल वकील थे। उनकी माँ एक धर्मपरायण महिला थीं जिनका प्रभाव उन पर बचपन से ही पड़ा। उन्होंने उनके चरित्र को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने सबसे पहले नरेन को अंग्रेजी का पाठ पढ़ाया और उन्हें बंगाली वर्णमाला से परिचित कराया।  उन्होंने 1884-1885 में अंग्रेजी विषय में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनकी माँ चाहती थीं कि वे कानून की पढ़ाई करें, लेकिन स्वामी विवेकानन्द की रुचि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की थी। वह अधिकतम समय साधु-संन्यासियों के साथ बातचीत करने में व्यतीत करता था और सत्य की खोज में अनावश्यक रूप से घूमता रहता था और उसे कभी भी शांति और संतुष्टि नहीं मिलती थी। फिर, वह श्री रामकृष्ण के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया और वह उनके कट्टर अनुयायी बन गए।  भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक समाज पर  स्वामी विवेकानंद विवेकानंद के शिक्षा का विशेष प्रभाव रहा था।  उनकी शिक्षाएँ मुख्य रूप से उपनिषदों और वेदों पर केंद्रित थीं, और उनका मानना ​​था कि  मानवता के लिए ज्ञान शक्ति और ऊर्जा का महान स्रोत थे। स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय धर्म और दर्शन के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त किया। उनकी शिक्षा का मुख्य सिद्धांत यह था कि मानवता की सेवा का अर्थ ईश्वर की सेवा करना है। उन्होंने रामकृष्ण मिशन नामक एक समूह का निर्माण और स्थापना की, जो जरूरतमंदों, कमजोरों और दुखी लोगों की मदद करने करने का कार्य करता है  स्वामी विवेकानंद ने कहा था शिक्षा एक ऐसा उपकरण है जो बेहतर जीवन स्तर प्रदान करता है। किसी देश की प्रगति और समृद्धि सीधे उसके सामाजिक जीवन पर निर्भर करती है।  हालाँकि, 4 जुलाई, 1902 को उनकी मृत्यु हो गई।मेरे प्यारे दोस्तों, स्वामी विवेकानंद का नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया है उनकी शिक्षा और विचारधारा सदैव दुनिया में जीवंत रहेगी

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स्वामी विवेकानन्द पर भाषण | Speech On Swami Vivekananda

प्रिय शिक्षकों और छात्रों!

सभी के लिए शुभकामनाएं। और मुझे स्वामी विवेकानन्द पर भाषण देने का मौका देने के लिए आप सभी को धन्यवाद। देवियो और सज्जनो, अब मैं  मशहूर भारतीय दार्शनिक, समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानन्द के बारे में बात करना चाहता हूँ। वर्ष 1863 में स्वामी विवेकानन्द का जन्म कलकत्ता, भारत में हुआ था।  उन्होंने वेदांत का गहन अध्ययन किया और उसका प्रचार प्रसार पश्चिमी सभ्यता में भी किया था वह बंगाली रहस्यवादी और धार्मिक व्यक्ति रामकृष्ण के अनुयायी थे  1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द की उद्घाटन प्रस्तुति उनके सबसे प्रसिद्ध व्याख्यानों में से एक है।  उन्होंने अपने इस भाषण में  धर्म की सार्वभौमिकता के साथ-साथ सहिष्णुता के बारे में भी दुनिया को अवगत करवाया उन्होंने धर्म के बारे में कहा कि सभी धर्म एक लक्ष्य  पर पहुंचने के लिए अलग-अलग रास्ते का अनुसरण करते हैं लेकिन उनकी मंजिल एक ही होती हैं। हम सभी लोग स्वामी विवेकानन्द के दर्शन और शिक्षाओं से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं।  स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा पर विशेष जोर दिया था उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही समाज का समुचित विकास किया जा सकता है अंततः, स्वामी विवेकानन्द एक दूरदर्शी नेता थे जिनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के लिए प्रेरणा और दिशा के स्रोत के रूप में काम करती हैं।  ऐसे महान व्यक्तित्व को हमारा शत-शत प्रणाम हैं। वे 39 साल की छोटी अवधि के लिए जीवित रहे परंतु समाज विकास के लिए उन्होंने जिस प्रकार का कार्य किया है हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे मैं अपने भाषण का समापन स्वामी विवेकानंद के द्वारा बोले गए उनके महान विचारक कथन  ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। के माध्यम से करेंगे 

धन्यवाद ! 

स्वामी विवेकानन्द के बारे में भाषण | Speech about Swami Vivekananda

प्रिय दोस्तों-आप सभी को नमस्कार!

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में था। भारत के लोग स्वामी विवेकानन्द के जन्म के उपलक्ष्य में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। उनका जन्म बंगाल में कायस्थ जाति के एक उच्च-मध्यम वर्गीय कुलीन परिवार में हुआ था। इनके पिता विश्वनाथ दत्ता कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील थे। और उनकी माँ, भुवनेश्वरी देवी, एक धार्मिक विचारधारा वाली महिला थीं। स्वामी विवेकानन्द का व्यक्तित्व और विचार उनके पिता के विवेकशील दृष्टिकोण और माता के धार्मिक स्वभाव से अत्यधिक प्रभावित थे।

नरेंद्र जब छोटे थे तभी से उनका रुचि अध्यात्म में था। वह एक प्रखर पाठक थे और दर्शन, धर्म, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, कला और साहित्य उनके पसंदीदा विषय थे। उन्होंने पुराणों, वेदों, उपनिषदों आदि सहित धार्मिक ग्रंथों के प्रति भी तीव्र उत्साह प्रदर्शित किया। उन्होंने अपना ख़ाली समय ध्यान और आध्यात्मिक अध्ययन में बिताया।

मानवता की सेवा करके हम ईश्वर का अनुभव कर सकते हैं, यह उनके गुरु द्वारा साझा किए गए ज्ञान का सबसे बड़ा टुकड़ा है। वेदों और उपनिषदों के विषय पर उनके ध्यान ने हमारे देश की सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, उन्होंने एक ईश्वर के शाश्वत सत्य के विचार को फैलाकर लोगों के बीच नफरत से बचने का प्रयास किया। उनके अनुसार मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है और वह चाहता था कि लोग अपने आप पर विश्वास करें।

स्वामी विवेकानन्द भाषण पीडीएफ | Swami Vivekananda Speech PDF

स्वामी विवेकानंद के ऊपर भाषण का पीडीएफ यदि आप प्राप्त करना चाहते हैं तो आर्टिकल में हम आपको  उसका पीडीएफ उपलब्ध करवाएंगे जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।  

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स्वामी विवेकानन्द का संक्षिप्त भाषण | Swami Vivekananda Short Speech

स्वामी विवेकानन्द भारत के मशहूर वक्ताओं, संतों और दार्शनिकों में से एक हैं। वह रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं,  जिसका प्रमुख उद्देश्य दुनिया में वेदांत का संदेश फैलाना और दूसरा  भारतीय लोगों की सामाजिक जीवन स्थितियों में सुधार करना। स्वामी विवेकानन्द एक क्रांतिकारी थे जो समाज में परिवर्तन लाने के इच्छुक थे। अपने प्रारंभिक जीवन में, वह 1828 में राम मोहन रॉय द्वारा स्थापित एक धार्मिक आंदोलन, ब्रह्म समाज के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने कई सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया और समाज से कम उम्र में विवाह की परंपरा को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा दिया  स्वामी विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। स्वामी विवेकानंद सभी धर्मों की एकता के पक्षधर रहे।

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उन्होंने दुनिया को खुले तौर पर बताया कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की राह पर हैं। स्वामी विवेकानन्द के शब्दों के अनुसार, “जिस प्रकार अलग-अलग स्रोत वाली विभिन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार विभिन्न प्रवृत्तियाँ, भले ही वे टेढ़ी-मेढ़ी या सीधी दिखाई देती हों,  लेकिन सभी रास्ते  ईश्वर तक ही जाती हैं। 

स्वामी विवेकानंद का प्रसिध्द भाषण | Famous Speech of Vivekananda

स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (chicago) (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जिक्र आता है, उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है। 

शिकागो में स्वामी विवेकानंद का भाषण

मेरे प्यारे अमेरिका के बहनो और भाइयो, 

आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा ह्रदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं । और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। 

स्वामी जी आगे कहते हैं कि, मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है, कि हमने अपने ह्रदय में उन इस्त्राइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर बना दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और अभी भी उन्हें पाल-पोस रहा है। भाइयो, मैं आपको एक श्लोक की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा, जिसे मैने बचपन से याद कर रखा और दुहराया है और जो रोज करोड़ों लोगों के द्वारा हर दिन दोहराया जाता है। 

Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

जिस तरह अलग-अलग स्त्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद्र में जाकर मिलती हैं, उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है। वे रास्ते देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें, पर सभी भगवान तक ही जाते हैं। वर्तमान सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, यह गीता में बताए गए इस सिध्दांत का प्रमाण है कि, “जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं।“ 

सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसके भयानक वंशज हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजे में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनास हुआ है और ना जाने कितने देश नष्ट हुए हैं। 

अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।  

स्वामी विवेकानंद के यादगार भाषण 

विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुध्द के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। वेदांत, बौध्द और गीता के दर्शन को मिलाकर उन्होंने अपना दर्शन गढ़ा ऐसा नहीं कहा जा सकता। उनके दर्शन का मूल वेदांत और योग ही रहा । विवेकानंद मूर्तिपूजा को महत्व नहीं देते थे, लेकिन वे इसके विरोधी भी नहीं थे। उनके अनुसार, “ईश्वर” निराकार है। ईश्वर सभी तत्वों में निहित एकत्व है। जगत ईश्वर की ही सृष्टि है। आत्मा का कर्तव्य है कि शरीर रहते ही ‘आत्मा के अमरत्व’ को जानना। मनुष्य का चरम भाग्य ‘अमरता की अनुभूति’ ही है। राजयोग ही मोक्ष का मार्ग है। उनके यादगार भाषण ने लोगों का दिल जीत लिया। 

 FAQ’s Swami Vivekananda Speech in Hindi

Que. स्वामी विवेकानंद के अनुसार ईश्वर कैसा है ?

Ans. स्वामी विवेकानंद के अनुसार ईश्वर निराकार है।

Que. स्वामी विवेकानंद ने किसे मोक्ष का मार्ग कहा है ?

Ans. स्वामी विवेकानंद ने राजयोग को मोक्ष का मार्ग कहा है।

Que. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भाषण कब दिया ?

Ans. 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भाषण दिया था।

Que. स्वामी विवेकानंद के प्रसिध्द भाषण की शुरुआत कैसे हुई ?

Ans. मेरे अमेरिका के भाइयो और बहनों से प्रसिद्ध भाषण की शुरुआत हुई थी।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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