नवरात्रि 2023 दुर्गा अष्टमी (Durga ashtami Puja 2023) :- जैसा कि आप लोगों को मालूम है कि 2023 में दुर्गा (Durga Festival) पूजा 20 अक्टूबर से शुरू होगा। हम आपको बता दे की दुर्गा अष्टमी को माता दुर्गा की पूजा काफी विधि विधान के साथ की जाती है अगर आप भी दुर्गा अष्टमी के दिन दुर्गा मां की पूजा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले दुर्गा अष्टमी पूजा विधि मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी होनी चाहिए | तभी जाकर आप (Durga Ashtami) दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की पूजा कर पाएंगे। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा नौ रूप धारण कर कर इस पृथ्वी पर निवास करती हैं।
नवरात्रि (Navaratri) में अष्टमी की तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है | यदि आप भी दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा को पसंद करना चाहते हैं तो उसकी पूजा विधि मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में आपको जानकारी हासिल करनी होगी तभी आप माता दुर्गा की पूजा अष्टमी के दिन विधि विधान से कर पाएंगे इसलिए आज के आर्टिकल में Durga Ashtami 2023 से संबंधित चीजों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी आपको प्रदान करेंगे आपसे अनुरोध है कि आर्टिकल पर बने रहे:-
दुर्गा अष्टमी 2023 तिथि कब है? Durga Ashtami Kab Hai
दुर्गा अष्टमी 2023 में 22 अक्टूबर की तिथि को शुरू होगा। इस दिन कन्या पूजन और मां महागौरी की उपासना होती हैं।
दुर्गा अष्टमी | Durga Ashtami 2023- Overview
आर्टिकल का प्रकार | त्योहार |
आर्टिकल का नाम | दुर्गा अष्टमी 2023 |
साल | 2023 |
कब बनाया जाएगा | 22 अक्टूबर 2023 को |
कहां मनाया जाएगा | पूरे भारतवर्ष |
दुर्गा अष्टमी का महत्व | Durga Ashtami Mahatav
दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व कहा जाता है कि इस दिन माता दुर्गा असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुई थी इसलिए दुर्गा अष्टमी का नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष महत्व है इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है ताकि माता दुर्गा के विशेष कृपा प्राप्त हो बता दे की दुर्गा अष्टमी के शुभ मुहूर्त पर कन्याओं को भोजन भी करवाए जाते हैं और साथ में उनके पास पानी से धोकर उनका आशीर्वाद दिया जाता है क्योंकि कन्याओं में माता दुर्गा का निवास होता हैं।
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दुर्गा अष्टमी मुहूर्त | Durga ashtami Puja Muhurat
दुर्गा अष्टमी के दिन आप माता दुर्गा की पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको सबसे पहले दुर्गा अष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या है उसके बारे में जानकारी लेना आवश्यक है तभी जाकर आपकी पूजा सफल मानी जाएगी दुर्गा अष्टमी के शुभ मुहूर्त का विवरण हम आपको नीचे दे रहे हैं:–
अभिजित मुहूर्त दिन में 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक
दुर्गा अष्टमी पूजा विधि | Durga Ashtami Pooja Vidhi
Durga Ashtami Pooja Vidhi:- दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की पूजा कैसे की जाती है, तो हम आपको बता दे की सुबह उठकर आपको स्नान करना है उसके बाद आप दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि को शुरू करेंगे सबसे पहले महा अष्टमी पर घी का दीपक जलाकर देवी महागौरी का आव्हान किया जाता है इस दिन माता को को रोली, मौली, अक्षत, मोगरा पुष्प चढ़ाया जाता है इसके अलावा लाल चुनरी में सिक्का और बताते रहकर भी माता को अर्पित किया जाता है इससे माता महागौरी पसंद होती हैं। हम आपको बता दे की दुर्गा अष्टमी के दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है प्रसाद के रूप में नारियल और नारियल से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है, इसके अलावा मंत्रों का जाप करें? सबसे आखिर में मां महागौरी की आरती करें | अष्टमी के दिन अगर आप कन्या पूजन और हवन करते हैं तो आपको अष्टमी का विशेष लाभ प्राप्त होगा और आपके ऊपर माता दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहेगी हम आपको बता दें की महा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा संध्या काल में अगर करते हैं तो आपको काफी लाभ प्राप्त होंगे |
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दुर्गाष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त | Durga Ashtami Pooja Ka Shubh Muhurat
1. अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:00 से 12:46 तक।
2. विजय मुहूर्त : दोपहर 02:19 से 03:05 तक।
3. अमृत काल : दोपहर 12:38 से 02:10 तक।
4. निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:58 से 12:48 तक।
5. सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06:35 से शाम 06:44 तक।
6. रवि योग : शशम को 06:44 से अगले दिन सुबह 06:35 तक।
दुर्गा अष्टमी मंत्र | Durga Ashtami Mantra
दुर्गा अष्टमी के दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा अगर आप करना चाहते हैं तो आपको दुर्गा अष्टमी मंत्र का उच्चारण विधि विधान के साथ करना होगा तभी जाकर मां दुर्गा पसंद होंगे |
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम ॥
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम् ॥
गौरी शंकरधंगी, यथा तवं शंकरप्रिया ।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्तकान्तम् सुदुर्लभं ।।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ॥
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा, आरती | Durga Ashtami Aarti PDF Download
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा:- Durga Ashtami Vrat Katha:
Durga Ashtami Vrat Katha PDF Download: दुर्गा अष्टमी के संबंध में एक कथा प्रचलित है की देवी सती ने पार्वती रूप में भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को कुछ ऐसा कह दिया जिससे पार्वती माता का मन आहत हुआ और वह कठोर तपस्या में विलीन हो गई जब बहुत दिनों तक माता पार्वती कैलाश पर्वत पर पर नहीं आई तो भगवान शंकर उन्हें खोजने के लिए निकल पड़े और वहां जाकर देखा की माता पार्वती कठोर तपस्या में विलीन हो चुके हैं । भगवान शिव आश्चर्यचकित रह गए। पार्वती जी का रंग बहुत ज्यादा ओझ पूर्ण था उनकी छटाचांदनी के समान सफेद फूलों के समान धवल दिखाई पड़ रही थी उनके वस्त्र आभूषण से पसंद होकर भगवान शिव ने उन्हें गौर वर्ण का वरदान दिया
दूसरी कहानी के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पानी के लिए देवी पार्वती ने कठोर तपस्या की थी उनका शरीर काला पड़ गया था माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होगा भगवान ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया उसके बाद उनके शरीर को गंगाजल से स्नान करवा तब देवी अत्यंत गौर वर्ण की हो जाती है तभी से इनका नाम गौरी पड़ा |
तीसरी कथा के मुताबिक एक दिन माता पार्वती कठोर तपस्या करी थी तभी एक शेर आया जिसको भोजन की तलाश करता उसने माता पार्वती को देखा तो उसके अंदर भोजन करने की और भी लालसा बढ़ गई परंतु शेर ने माता पार्वती का इंतजार किया कि वह कब तपस्या से उठे और समय के बाद जब माता पार्वती तपस्या से उठी देखा कि शेर की हालत काफी खराब हो गई है इसके बाद माता पार्वती ने शेर को अपना सवारी बना लिया क्योंकि इस प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल भी है और सिंह भी है।
दुर्गा अष्टमी आरती | Durga Ashtami Aarti
जय महागौरी जगत की माया
जय उमा भवानी जय महामाया
हरिद्वार कनखल के पासा
महागौरी तेरा वहा निवास
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता
चमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो
हैप्पी दुर्गा अष्टमी और नवरात्रि 2023 | Happy Durga Ashtami And Navratri
कुमकुम भरे कदमों से आएं मां दुर्गा आपके द्वार
सुख संपत्ति मिले आपको अपार
मेरी ओर से महाष्टमी की शुभकामनाएं करें स्वीकार
मां दुर्गा तू मुझे शक्ति दे
दिल में सदा तू भक्ति दे
करूं पूजा तेरी मैं हर दम
सभी बंधनों से तू मुझे मुक्ति दे
दुर्गा अष्टमी की शुभकामना
सरस्वती का हाथ हो मां गौरी का साथ हो
लक्ष्मी का निवास हो
मां दुर्गा के आशीर्वाद से
आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो
महाअष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
हे मां तुमसे विश्वास न उठने देना
तेरी दुनिया में भय से जब सिमट जाऊं
चारो ओर अंधेरा ही अंधेरा घना पाऊ
बन के रोशनी तुम राह दिखा देना
Happy Durga Ashtami 2023
मिलता है सच्चा सुख केवल
मैया तुम्हारे चरणों में
यह विनती है हर पल मैया
रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में
दुर्गाष्टमी 2023 की शुभकामनाएं
माता आई हैं, खुशियों के भंडार लाई हैं
सच्चे दिल से तो मांग कर देखो
मां की तरफ से कभी ना नहीं होगी
तो प्रेम से बोलो “जय माता दी”
महाअष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Summary: दुर्गा अष्टमी कब मनाई जाती है?
आशा करता हूं कि हमने आपको आर्टिकल में दुर्गा अष्टमी कब मनाई जाती है उसे संबंधित पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई है ऐसे में आर्टिकल से जुड़ा कोई भी सवाल या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!!