Shivratri kyon manae Jaati Hai:- भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु वार्षिक उत्सव के रूप में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को हलहाल विष से बचाया था। भक्तों की एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब सृष्टि हलहाल विष सुरक्षित हो गई तब भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था। भगवान शिव त्रिलोक के स्वामी है। पूरी सृष्टि के पालक एवं संहारकर्त्ता है। भगवान शिव की पूजा आराधना विधि विधान से करने तथा व्रत धारण करने पर भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं।
आइए जानते हैं महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? महाशिवरात्रि से जुड़ी कथा क्या है? शिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है? महाशिवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है? महा शिवरात्रि त्यौहार क्यों मनाया जाता है? इन सभी प्रश्नों के जवाब आप इस आध्यात्मिक शिवलेख में जानने वाले हैं। इसलिए अंत तक इस लेख में बने रहे।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है | Shivratri kyon manae jaati hai
महाशिवरात्रि मनाने का महत्व पुराणों तथा धर्म ग्रंथों में विदित है।आध्यात्मिक व धर्म ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं। आध्यात्मिक महत्व के तौर पर महाशिवरात्रि पर्व मनाने के पीछे अनेक मत है। अनेक मान्यताएं हैं, परंतु शिव पुराण आदि लेखों में शिवरात्रि को मनाने का महत्व बताया जाता है। कि इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने हेतु हलहाल विष को ग्रहण किया था और पूरी सृष्टि को इस भयंकर विष से मुक्त किया था।
इसी विष के मध्य में भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था। इसी नृत्य को भक्तजनों ने तथा शिव गणों ने बहुत महत्व दिया। हर वर्ष इसी दिन को भगवान शिव की पूजा आराधना करना शुरू कर दी। शिव गणों द्वारा शुरू की गई। इस प्रथा को आज भी शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है।
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शिवरात्रि मनाने का वैज्ञानिक महत्व | Scientific importance of celebrating Shivratri
जैसा कि आप सभी जानते हैं, भगवान शिव त्रिलोकी शक्तियों में एक है। साक्षात शक्ति का स्वरुप है। भगवान शिव को त्रिभुवन की व्यवस्थाओं में संहार का दायित्व दिया गया है। अतः भगवान शिव दुष्टों का विनाश करने, अधर्म पर धर्म की विजय स्थापित करने, असत्य पर सत्य की विजय स्थापित करने दुष्ट शक्तियों पर दिव्य शक्तियों का प्रभाव स्थापित करने हेतु संहार करते हैं। तथा उस शक्ति का ह्रास करते हैं। हरण करते हैं। जो सत्यता को अप्रकाशित करती है।
यदि हम वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है। कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु व्यक्ति को ऊर्जा कुंज के साथ सीधे बैठना पड़ता है। जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है और व्यक्ति एक सुपर नेचर पावर का एहसास महसूस करते हैं।
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शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
शिवरात्रि के दिन शिव भक्त सवेरे से लेकर शाम तक भगवान शिव का ध्यान करते हैं। जिससे आध्यात्मिक शक्ति उजागर होती है और प्रकाश पुंज का अवलोकन होता है। जब व्यक्ति अपने स्वभाव को भूलकर भगवान शिव में ध्यान लगाते हैं। तो उन्हें एक पूजा का एहसास होता है। जिससे उन्हें आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। धीरे-धीरे अध्यात्म में रुचि बढ़ना शुरू हो जाती है। अध्यात्म को जानना अध्यात्म को पढ़ना तथा आध्यात्मिक के बारे में चर्चा करना व्यक्ति का अध्यात्म दिमाग भी विकसित होता है। जिससे उस अलौकिक शक्ति का एहसास किया जा सकता है। जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। ऐसी शक्ति से व्यक्ति को सर्वांगीण विकास करने हेतु बहुत अत्यधिक महत्व रखती है।
Q. शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
Ans. भगवान शिव की पूजा आराधना करने हेतु बसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने हलाहल विष से दृष्टि की रक्षा की थी तथा कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भी बताया जाता है। कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। भगवान शिव ने सुंदर नृत्य किया था। जिससे शिव गणों ने प्रत्येक वर्ष भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनाना शुरू किया जो आज भी ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार प्रथा को जारी रखा गया है।
Q. महाशिवरात्रि का महत्व क्या है?
Ans. त्रिभुवन पति भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु शिव गणों द्वारा शिवरात्रि का पहला उत्सव मनाया गया था। जिसे आज भी करोड़ों वर्ष बाद भी मनाया जा रहा है। भगवान शिव अपने प्रति ऐसे त्योहार को देखकर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। जिससे व्यक्ति को आध्यात्मिक वैज्ञानिक लाभ प्राप्त होता है। यदि हम वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति पूरी रात भगवान शिव की आराधना में सीधी कमर से बैठते हैं। तो पीठ की हड्डी मजबूत होती है तथा एक सकारात्मक शक्ति का संचरण होता है।
Q. महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है?
Ans.महाशिवरात्रि बसंत ऋतु के फाल्गुनी मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। अमावस्या से 4 दिन पहले शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व सर्वप्रथम शिव गणों द्वारा मनाया गया था। जिसे आज भी आस्था का प्रतीक मानकर हिंदू द्वारा तथा शिव भक्तों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है और व्रत धारण किया जाता है।