ads

लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है? | लोहड़ी माता की कथा एवं पौराणिक घटना पढ़े

By | जनवरी 13, 2023

Lohari Mata Ki Katha:- लोहड़ी पर्व उत्तर भारत के प्रसिद्ध पर्व में से एक है और इसे राजस्थान हरियाणा पंजाब राज्य में अधिक मनाया जाता है। वर्ष 2023 में लोहड़ी पर्व है 13 जनवरी 2022 शुक्रवार के दिन मनाया जा रहा है। लोहड़ी पर्व (Lohri Parv) से नव वर्ष के त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। इसी के साथ पौष माह का भी समापन हो जाता है एवं माघ माह की शुरुआत हो जाती है। संपूर्ण देश में लोहड़ी पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पर इसका उत्साह अधिकतर पंजाब (Punjab) राज्य में देखने को मिलता है। इस दिन पंजाब निवासी आपस में इकट्ठे किए गए सूखे उपले को होली की तरह जलाए जाते हैं। अब सवाल यह उठता है की लोहड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता है? तथा लोहड़ी माता की क्या महिमा है? लोहड़ी माता की कथा इत्यादि को इस लेख में विस्तारपूर्वक लिखा जा रहा है।

Lohari Mata Ki Katha

Happy Lohri 2023Similar Content
लोहड़ी कब हैयहाँ क्लिक करें
लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएंयहाँ क्लिक करें
Happy Lohri status in Hindiयहाँ क्लिक करें
हैप्पी लोहड़ी गीतयहाँ क्लिक करें

लोहड़ी पर्व क्यों मनाया जाता है?

दरसल लोहड़ी पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। जिसे हिंदू एवं सिख धर्म के लोगों द्वारा सुनी जाती है और इसका अनुपालन किया जाता है। इस पर्व को भगवान शिव और माता पार्वती की अनुकंपा प्राप्ति हेतु मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश में रह रहे सभी भारतीय लोहड़ी की शुभकामनाएं, देकर इस त्यौहार को उत्साह पूर्वक मनाते हैं।

READ  Manav Adhikar Divas 2022 | विश्व मानवाधिकार दिवस कब, कैसे मनाया जाता है?

लोहड़ी पर्व कैसे मनाया जाता है?

  • लोहड़ी पर्व की शुभ रात्रि को सभी घरों से इकट्ठे किए गए गोबर के सूखे उपलों को होली की तरह जलाया जाता है। इस दौरान महिलाओं, बच्चों द्वारा लोक गीत का गायन किया जाता है।
  • खास तौर पर पंजाबी इस त्यौहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जलाई गई आग के चारों ओर चक्कर लगाकर भांगड़ा नृत्य किया जाता है।
  • लोहड़ी की आग को बड़ी पवित्र मानी जाती है और इस आग को माता सती (माता पार्वती) के आशीर्वाद स्वरुप माना जाता है?
  • लोहड़ी पर्व पर एक भौगोलिक घटना भी घटित होती है। इस दिन शरद रात्रि की सबसे लंबी रात्रि होती है। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ रुख करते हैं।
  • लोहड़ी पर्व के अगले ही दिन सूर्य मकर रेखा को पार करते हुए उत्तरायण दिशा की तरफ रुख करते हैं इस दिन मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
  • मिठाइयों के तौर पर इस दिन तिल से बनी हुई मिठाइयां, मूंगफली रेवड़ी इत्यादि को भेंट स्वरूप दिया जाता है।

लोहड़ी माता की महिमा | Lohri Mata ki Mahima

लोहड़ी माता और कोई नहीं स्वयं सती माता पार्वती है। इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के आधार पर लोहड़ी पर्व को आज भी सिख समुदाय और हिंदू समुदाय द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। जब माता सती को प्रजापति दक्ष द्वारा आहत किया जाता है। तब उन्होंने अपने आप को आग के हवाले कर दिया था। जिससे माता पार्वती सती के रूप में पूजी जाने लगी। जो भी माता सती की लोहड़ी माता के रूप में पूजा करते हैं। उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसी के साथ लोहड़ी माता के आशीर्वाद से किसानों के चेहरे पर खुशी देखने को मिलती है।

READ  चैत्र नवरात्रि 2023 घटस्थापना मुहूर्त | नवरात्रि मुहूर्त | Chaitra Navratri 2023 Ghatasthapana Muhurat

लोहड़ी माता की कथा | Lohri Mata ki Katha

दरसल यह एक पौराणिक घटना पर आधारित है और इसी पौराणिक घटना के आधार पर माता लोहड़ी की उत्पत्ति मानी जाती है।
एक बार प्रजापति राजा दक्ष अपने साम्राज्य की वृद्धि एवं विकास के लिए यज्ञ का अनुष्ठान करवाते हैं। इसमें त्रिलोकी देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इस अनुष्ठान में सृष्टि के रचयिता स्वयं ब्रह्मा जी, पालनहार स्वयं भगवान विष्णु मौजूद थे। त्रिदेव में केवल भगवान शिव इस अनुष्ठान में उपस्थित नहीं थे। इसका कारण यह था कि प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था।
इधर माता पार्वती द्वारा अपने पिता प्रजापति दक्ष के यहां जाने की भगवान शिव से जिद्द किया जाना भी इस घटना को इंगित करता था। माता पार्वती ने भगवान शिव से इस यज्ञ में जाने की आज्ञा मांगी और बिना ही निमंत्रण के माता पार्वती इस अनुष्ठान में चली जाती है। हालांकि, भगवान शिव ने उन्हें वहां जाने से रोकने का प्रयास किया था। परन्तु माता पार्वती प्रजापति दक्ष के अनुष्ठान में चली जाती है।

Lohari Mata Ki Katha

जब माता पार्वती को अनुष्ठान में उपस्थित सभी देव गणों एवं विशिष्ट ऋषि-मुनियों को उपस्थित देखती है। तो उन्हें अपने पति भगवान शिव का अभाव महसूस होने लगता है। उन्हें लगता है कि यदि भगवान शिव भी इस अनुष्ठान में उपस्थित होते तो कुछ और बात थी। परंतु प्रजापति दक्ष द्वारा भगवान शिव को अपमानित करने हेतु उनके लिए कोई आसन भी उस अनुष्ठान में तैयार नहीं किया गया था। तब माता पार्वती ने इसका कारण जानने की कोशिश की, तो प्रजापति दक्ष से कटु वचन सुनकर माता पार्वती को अपने पति का अपमान महसूस होने लगा और वह क्रोधित होने लगी।

READ  Maa Shakambhari Jayanti 2023 | माता शाकम्भरी जयंती कब व क्यों मनाई जाती है?


माता पार्वती के साथ आए गणों ने भगवान शिव को जाकर इस घटना से अवगत करवाया। तब भगवान शिव को आभास हो चुका था कि कुछ गलत होने वाला है। माता पार्वती अपने पति भगवान शिव का अपमान किसी भी स्थिति में सहन नहीं कर सकती थी। उन्होंने अनुष्ठान की देव अग्नि में अपने आप को झोंक दिया। इससे आहत भगवान शिव ने प्रजापति दक्ष को कठोर दंड दिया।
इस पौराणिक घटना के कारण माता पार्वती सती माता के रूप में पूजे जाने लगी। तब से लेकर आज तक सती माता को लोहड़ी माता के रूप में पूजा जाता है। तथा लोहड़ी पर्व मनाया जाता।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *